यूपीए सरकार के मंत्री बौरा गए हैं। शरद पवार कहते हैं कि वे ज्योतिष नहीं हैं। कपिल सिब्बल कहते हैं उनके पास जादू की छड़ी नहीं है।लालू यादव कहते हैं महंगाई पर ऐसे हंगामा हो रहा है जैसे लंका में आग लग गई है। मनमोहन सिंह सच बोल देते हैं कि महंगाई को रोकना मुश्किल है लेकिन सत्तर के दशक के विदेशी हाथ वाला खतरा बताने लगते हैं कि दुनिया में मुद्रास्फीति है इसलिए यहां भी है।
लेकिन इन्हीं में से एक प्रफुल्ल पटेल की दलील सबसे उम्दा है। सूरत में सोना के दुकान का शुभारंभ करने गए पटेल साहब ने कहा कि लोग अमीर हो गए इसीलिए चीज़ों के दाम बढ़ गए हैं। पहले ग़रीब थे। अब अमीर हो कर रोटी खाने वाला चावल खाने लगा और चावल वाला रोटी पर टूट पड़ा है। लिहाज़ा पैसा कमा कर सब एक दूसरे का खाएंगे तो दाम नहीं बढ़ेगा क्या। यह माल्थस का सिद्धांत नहीं बल्कि प्रफुल्ल पटेल का श्राप है। अगर आप इसे नहीं स्वीकार करेंगे तो महंगाई भस्म कर देगी। सोने की दुकान में खड़ा होकर किसी की भी नज़र और मति फिर जाए, ये तो मंत्री हैं। पटेल साहब करते भी तो क्या करते। अपने दुकानदार मित्र की दुकान के शुभारंभ पर जाकर कहते कि पैसे किसके पास है जो तुम सोने की दुकान खोल रहे हो। बेवकूफ हो।
रही बात एनडीए की तो इनके पास सिर्फ आलोचना है। उपाय नहीं। दोनों की आर्थिक नीति में बुनियादी अंतर नहीं है। तो जनाब लोग करेंगे क्या यह नहीं बताते। इस फिराक में हैं कि जनता नाराज़ होकर हमें बिठा दे। वैसे ही जैसे शाइनिंग इंडिया ने यूपीए को सत्ता दे दी। सबसे सटीक तर्क है मुलायम सिंह यादव का। उन्होंने नोबल पुरस्कार प्राप्त अर्थशास्त्री और लोहिया के दाम बांधों राजनीतिक नज़रिये को मिलाकर थ्योरी यह निकाली है कि बसपा के कारण महंगाई बढ़ी है। लगता है यूपी में दलित और ब्राह्मण हाथ मिलाने के बाद खाना भी अधिक खाने लगे हैं। तभी पटेल साहब कह रहे हैं कि लोग ज़्यादा भकोसेंगे( ठूंस कर खाना) तो दाम बढ़ेगा नहीं। इन सभी बयानों को अर्थशास्त्र की नोबल कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।
सही कहा, रवीश भाई यूपीए के सभी मंत्री बौरा गए हैं। महंगाई रोकना इनके बस में तो है नहीं सो बहाना तो चाहिए ना जनता को भरमाने का। अब यह लोग यह नहीं जानते कि जनता सब समझ रही है। हां एक उपाय हो सकता है कि चीन को अपनी अर्थ व्यवस्था सौंप दें। सारा सामान मेड इन चाइना खाएं। महंगाई अब चीन वाले ही कम कर सकते है। क्या राय है आपकी बताइएगा जरूर।
ReplyDeleteRasna ka dosh kahoon
ReplyDeleteKi April mah ka
Athva Jagadamba ka
Shiva ke mathe per sthapit
Somrus ki janani hai jo?
UPA hi nahin
Sab PA dikhte hain
Anna-jal ki kami se?
Abrar ji ka idea aacha hai, china ko pata hai sasta samaan kaise banate aur bechte hai, aur waise bhi outsoursing ka time hai, indian ko aadat hai western ki copy kerne ki to ye bhi sahi.
ReplyDeleteरबीश जी महंगाई बढ़ी है और बढ़ती ही जा रही है...सरकार कुछ नहीं कर पा रही लेकिन ये तो देखिए कि हम जनता क्या कर ले रहे हैं....सरकार के भरोसे रहें तो ऐ तो ऐसे ही चल्लेगी........
ReplyDeleteकाल खाए सो आज खा, आज खाए सो अब्ब
ReplyDeleteहर चीज़ महंगा हो रहा है, बहुरी खाएगा कब्ब?
Jaise kshir ke manthan se
ReplyDeleteMakkhan upper uth jata hai
Vaise hi Kaal ke prabhav se
Aaj IIT pass paschim jaate hain
Isi tarah Buddha ke anuyayi bhi
Kabhi ‘Bharat’ se Tibet gaye
Lama ban-na saral nahin tha
Kathin pareeksha hoti thi
Adhyatmik Shakti avashyak thi
Peeth per roti pakane tak ki…
Yeh Kaal ka hi prabahv hai
Ki aj Cheen ke hath hansiya hai
Aur ek hathorda bhi
Aur Bharat kaddu saman
Ek naram desh ban gaya hai
Yani ek ‘soft target’…
Vishnu yognidra mein hain
Brahma ko shayad aaj bhi intezar hai
Sahi Kaal ka
Aur Madhu-Kaitabh vinash ka!
Crude Oil @ 110USD per barrel. NO one can stop this inflation. If u need ur country's growth u have to pay more.
ReplyDeleteपहले मुठ्ठी भर पैसे लेकर थैला भर शक्कर लाते थे , अब तो बोरों में पैसे जाते है...और मुठ्ठी भर शक्कर लाते है ..गाडी डिरेल्ड है ...पटेल साहब ठीक कहते है..उन्हें आगे कहना चाहिए गरीबों तुम्हें भूख लगे तो केक का सेवन करों और प्यास लगे तो पेप्सी पियो..यही है राइट च्वायस बेबी..
ReplyDeleteअबरार साहब का आइडिया ज़बरदस्त है। चीनी सस्ता माल से महंगाई से मुक्ति मिल सकती है। आखिर भूखों का कोई मुल्क नहीं होता है।और अमीर तो इम्पोर्टेड माल खाते ही रहे
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