जब आप अकेले होते हैं
तब सबसे अच्छे होते है
दम भर खाते रहते हैं
मन भर सोते रहते हैं
घूमना फिरना होता है
पढ़ना लिखना होता है
कितना सब कुछ होता है
जब आप अकेले होते हैं
मिलजुल कर रहना भी
कोई होना होता है
ठेलम ठेल के मेले में
कोई अपना होता है
अपनों की तलाश ही
जाने क्यों करते हैं
जब आप अकेले होते हैं
तब सबसे अच्छे होते हैं
क्या क्या होना है बाकी
ये होना वो होना है ताकि
होने को लेकर अक्सर ही
आप क्यों रोते रहते हैं
कुछ नहीं होता है
जब कुछ नहीं होते हैं
जब भी कुछ होते हैं
आप अकेले होते हैं
जब आप अकेले होते हैं
तब सबसे अच्छे होते हैं
कहीं पढ़ा है,
ReplyDelete"तुम मेरे पास होते हो, जब कोई दूसरा नहीं होता,"
आपकी कविता ठीक लगी, मैं जानता हूँ कि यह व्यक्तिगत टाईप कविता है पर फिर भी, इसमें वो धार नहीं दिखी जो आपकी रचनाओं में सामान्यतः दिखाई देती है।
रवीश,
ReplyDeleteइस कविता ने मुझमें अनहद नाद जगा दिया. सबके सो जाने के बाद के नीरव एकांत की सार्थकता को आप जैसा ही कोई महसूस कर सकता है .
लगता है अभिनव जैसों के बस का नहीं .