पाप को लेकर कानून और धर्म की राय अलग है । कानून कहता है कि हर पाप यानी अपराध की कम से कम एक सज़ा तो है । कानून तोड़ने के बाद आप गंगा स्नान कर नहीं बच सकते । कोई चांस नहीं है । पैसा, वकील और दलील से कभी कभी काम चल जाता है मगर हमेशा नहीं ।
धर्म क्या कहता है ? पाप मत करो और यदि करो तो याद रखो कि स्नान कर इससे मुक्त होना है । मरने से पहले जहां भी नदियां हों और कोई मौका लगे तो स्नान कर आना । धर्म हर पापी को सज़ा नहीं देता है । वह कहता है माफी का प्रावधान है । शायद धर्म ठीक कहता है । इतने सारे पापी है कि इन्हें पकड़ने के बाद रखने की समस्या हो जाएगी । जबकि कानून ज़िद करता है कि सभी पापियों को पकड़ों । जो मुमकिन नहीं । इसलिए पुलिस और वकील मिल कर पैसे लेकर पापियों को छोड़ देते हैं । आखिर सज़ा काटने के बाद जेल से बाहर आना पड़ता है न । तो क्यों न पहले की कुछ ले दे के छोड़ दें ।
धार्मिक आचार व्यावहारों से यह आदत डाली जा चुकी है कि चिंता की बात नहीं । पाप हो गया है तो होने दो । प्रयाग नहीं तो काशी । काशी नहीं तो हरिद्वार । हरिद्वार नहीं तो नाशिक । नाशिक नहीं तो कुरूक्षेत्र । नदियों की कमीं नहीं । स्नानों की कमी नहीं । प्रयाग जाइये तो पंडित कहेगा सभी तीर्थों का तीर्थ है । कुरूक्षेत्र जाइये तो पंडित बोलेगे इसका महत्व प्रयाग से भी अधिक है । फिर आप ही बताइये कि महत्वपूर्ण और महान कौन है । सोमवार को सूर्यग्रहण के मौके पर कुरूक्षेत्र में लाखों लोग डुबकी लगाने आए थे । एक कारण यह भी था कि अपना ही नहीं पूर्वजों का भी पाप धुल जाए । तो यह किस क्राइटेरिया के पापी लोग थे । यहां तो पुलिस और इंकम टैक्स को होना चाहिए था । एक तर्क और दिया गया कि सौ अश्वमेध यज्ञ के बराबार है कुरूक्षेत्र का स्नान । एक अश्वमेध यज्ञ में महीनों लगते थे । कुरूक्षेत्र में भाई लोग पूरी की पूरी मेहनत एक डूबकी में बचा लेना चाहते हैं । क्या भक्ति है ? सूर्यग्रहण आममाफी का पर्व हो गया है । क्या हम स्वार्थ के लिए अपने धार्मिक मान्यताओं को भ्रष्ट कर रहे हैं ? क्या वाकई में स्नान से कोई मुक्त हो सकता है ? तो फिर अपराधी अच्छे वकील रखने के साथ कम से कम टॉप ग्रेड का तालाब ज़रूर खुदवाते । ताकि पाप के बाद गोते लगा कर उससे मुक्त हो सके । उसके असर को कम कर सकें । नदियों को बचाने की ज़िम्मेदारी अपराधियों और पापियों पर छोड़ दें । किसानों के बाद इन्हीं लोगों को नदियों की ज़रूरत होती है । यही लोग संभाले और बचाए नदियों को । स्नान से पाप मिटता है ? संदेश क्या है इन स्नानों का । कि पाप से मत डरो लेकिन स्नान से डरो । मतलब कि अगर स्नान से रह गए तो गए काम से । हद हो गई ।
अब बिना नहाए लिखोगे ऐसा ही तो लिखोगे। इत्ती देर हो गयी,नहाए नही अभी? कुरुक्षेत्र जाकर नहाओगे का?
ReplyDeleteपाप और पुण्य सब समझ का फेर है भैया! कुछ कार्य किसी के लिए पाप तो दूसरे की नजरो मे पुण्य। अब जैसे तुम्हारी पोस्ट पुण्य, हमारी कमेन्ट पाप। कंही ऐसा ना हो लोग, पाप से बचने के चक्कर मे कमेन्ट करने से कतराने लगे।
वैसे अगर कुरुक्षेत्र जा ही रहे हो, तो पंडा वगैरहा लोगो को भी ब्लॉगिंग के गुर सिखाए आना। क्या पता कल को वे लोग भी ब्लॉगिंग शुरु कर दें।
मजा आ गया रवीश जी... आपने सही कहा...रही-सही कसर भगवान के दलाल पूरी कर देते हैं जो आजकल चैनलों और पंडालों से अपनी दुकानें चला रहे हैं..पंडाल में जाओ, दान दो और तड़ से पाप से मुक्ति पाओ.. हमारे मप्र में धाराजी नाम का स्थान है यहाँ भी ऐसे ही भक्तों की भीड़ लगती है जिसके लिये नर्मदा से बिजली उत्पादन चार दिन के लिये रोका जाता है.. मतलब यदि बिजली की कमी है तो कोई बात नहीं, नहाना जरूरी है..
ReplyDeleteआपने किताबों का ज़िक्र एक दो बार किया था। इस लेख के बाद ज़ेहन में आया तो बता रहा हूं। हो सके तो पंकज मिश्रा की एक किताब \'An End To Suffering\' ज़रूर पढ़ें। बुद्ध और बुद्धिज़्म के बहाने वेद, उपनिषद, धर्म और ब्राह्मण पर एकदम अलग राय मिलेगी। आप तो जानते होंगे वो काफ़ी रिसर्च करके लिखते हैं। किताब अच्छी लगेगी आपको।
ReplyDeleteसही लिखा है, मजा आया. अब जाकर डुबकि ल्गा आता हूँ, वरना आपके चक्कर में पुण्य कमने से रह जाऊँगा. :)
ReplyDeleteओम बाबू
ReplyDeleteपंकज मिश्र की किताब पढ़े या ब्लाग लिखें । किताब के लिए वक्त नहीं रहा ।
जितेंद्र जी
पंडाओ को ब्लाग सीखा देंगे तो वो हमारे ब्लाग पर रोड़ी चंदन पोत देंगे । कमेंट पुण्य है और न करना पाप । और ब्लाग ग्रहण लग जाएगा ।
सुरेश जी
पंडो ने चैनलों पर कब्जा कर लिया है । टीआरपी भविष्यवाणी है तो ज्योतिष भी । इसलिए ज्योतिष को बुलाया गया है टीआरपी बांचने के लिए ।
TRP ke liye to maramari chalti hai. Car se lekar Saanp tak daudne lagte hain. Sabhi program ko sponsar chahiye. chahe wo sanskar ka satsang ho ya subah subah aane aani wali tarot card reader.
ReplyDeleteरवीश भाई
ReplyDeleteआप क्या खबरनवीसी करते हैं भाई. आपको इतना भी नहीं पता है. अबसे जान लीजिए. अपराधियों ने तालाब खुदवा रखे हैं. उसमें मगरमच्छ भी पाल रखे हैं. और उसके आगे जो-जो होता है, मेरा ख़्याल है कि या तो आप जानते होंगे या फिर जान लेंगे. न जान सकें तो बताइए वह भी लिख दूंगा.
वैसे तो बड़ा बच बचाके चलते है। मगर जो कभी कुछ हो-हवा गया तो दलील में कमजोर हइये हैं और वकीलों करे के औकात न हये। अउर आप अब नहाने प भी पाबंदी लगा रहे? ये बेचारा गरीब तो पापीये मर जायेगा।
ReplyDeleteअच्छा रहा स्नान-ध्यान।