बनारस की एक शाम

जिसने भी बनारस के चुनाव को अपनी आँखों से नहीं देखा उसने इस चुनाव को देखा ही नहीं । शाम को गंगा के स्पर्श से हवायें मचलने लगी थी । घाट पर तफ़रीह के लिए आए पत्रकार बंधुओं से चर्चा चल रही थी तभी नुक्कड़ नाटक के होने का अहसास हुआ । हम घाट की सीढ़ियों की तरफ़ चल पड़े । इस उम्मीद में कि बीजेपी की नाटक मंडली देखने का मौक़ा मिलेगा । लेकिन वहाँ जाकर देखा कि अस्मिता थियेटर ग्रुप हुंकारे भर रहा था । घाट की सीढ़ियों पर लोग जम गए थे । विदेशी यात्रियों ने भी आसन जमा लिया और बनारस की राजनीति पर नाटक खेला जाने लगा था । 

मैं तस्वीरों की तलाश में सीढ़ियों के ऊपर गया । लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही थी । ठंडी हवा की तरह शांत । बनारसी लोग शांति से जमे हुए थे । चुनाव को किसी चलचित्र की तरह देखने लगे । 


भीड़ से अलग एक साधु बाबा त्रिशूल लिये चले आए । मैं किसी से पूछ रहा था कि ये सब तो ठीक है पर लोग तो यहाँ मोदी को ही वोट देंगे । बस बाबा भड़क गए । कहने लगे कि मेरी सूर्यदेव से सीधे बात हो रही है । केजरीवाल जीतेंगे । मैं चुप ही हो गया । वो भी डूबते सूर्य की तरफ़ देखकर बातें करने लगे। सोचा कहीं मुझसे कोई गुस्ताखी न हो जाए और बवाल न हो जाए । ऐसा कुछ न हुआ । बाबा भी इस चुनावी माहौल में मस्ती ले रहे थे । 

23 comments:

  1. सर मैं बाबा से सहमत हूँ। सहमती का सबसे बड़ा कारण अन्य दलों का झूठा आडम्बर। सर अमेठी में तो आप मिडिया वालों ने कुमार को हासिए प् रख दिया है

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  2. Sir chunav koi bhi jeete ya hare Lekin vastav mein kaun harega ye to sarkar banane ke Kuch samay baad hi pata chalega.

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  3. Suryadev bhi mile hue hain ab to ...:-) AAP se. Modi ka Amethi vala bhashan suna,Its good entertainment ..:-), laughable. Bolte hain BJP ki sarkar to ban gayi..:-)

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  4. i am not sure what is happening in Amethi is justified or not... but sure Kumar will vent it out in his poetry...

    http://youtu.be/GK4gSV9nbT8

    ...sad it will turn to so much anger!

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  5. kashi me anrth ho jayega agar modi jeete aur sab theek hain .

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  6. काशी में NDTV के मालिकान भी गंगा नहाने पहुँच गए. लगता है इस चुनाव का पाप धोने पहुंचे होंगे.अरविन्द को शिक्षा और ज्ञान भी बाँट रहे थे. अब अरविन्द ठहरे अक्खड़ आदमी सीधे बोल दिए कि आप लोग बिके हुए हो.आपके महा ओपिनियन सर्वे का समय बहुत कुछ कह गया. अब आपके मालिकान ठहरे परिष्कृत आदमी सो बात बदल दिए.

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  7. और हाँ , लगता है बनारस में उल्टी गंगा बह रही है. शामे अवध सुबहो बनारस. लेकिन आप तो शामे बनारस का लुत्फ़ ले रहे हैं.कुछ गड़बड़ तो है.

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  8. कुमार विस्वास की पत्नी, दिल्ली के विधायक अखिलेश त्रिपाठी और मुनीश कुमार रायजादा सहित कै कार्यकर्त्ताओ को गिरफ्तार किया गया

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  9. सर नमस्कार .में इंजीनियरिंग का छात्र हूँ.उत्तराखंड का रहने वाला हूँ,आपके सारे शो देखता हूँ पर आपने कभी उत्तराखंड पर कोई रिपोर्ट नही की प्राइम टाइम के माध्यम से.
    नमस्कार में रवीश कुमार।ये आवाज़ सुनने के लिए में बैचैन रहता हूँ शायद में ही नही मेरे जैसे लाखो युवा यही सोचते होँगे।अपने टेलीविज़न सेट पे या #youtube पर आपको देखने के बाद। बहुत दिनो से सोच रहा था आप से बात करूँ पर इस जन्म में तो संभव नही।कहने में तो बड़ी बात लगती है।पर आम आदमी के लिये हक्कीकत है .पर धन्यवाद देता हूँ तकनिकी को। जिसने आप से बात करने का मौका दिया। आप जैसे प्रतिभाशाली व्यक्त्यि के बारे में कॉमेन्ट लिखने मे डर भी लग रहा है।पर डर क्योँ एक शोरत्ता होने के नाते इतना तो लिख़ ही सकता हूँ आप के बारे में .आप को सुझाव देना मेरा बनता नही है आपने भी कभी ऐसा सोचा होगा किसी बड़े आदमी को बोलने से पहले और सोच कर डर लगता होगा जब आप मेरी उम्र में होँगे। किन्तु फिर भी में गुस्ताखी कर रहा हूँ। पर आप से एक एक विनम्र निवेदन है।आप कभी राजनीती में मत आना।ऐसा नही है की आप कुछ अच्छा नही करोगे पर आजकल का भारत बदल गया है जैसा मैंने अपने इतिहास की किताब और आजकल के राजनीतिक लेखो से पढ़ा और जाना है। आज की राजनीति किसी भी अच्छे व्यक्ति के व्यतित्व को थोड़ा बहुत धूमिल कर सकती है कुछ मायनो में .आप राजनीत्ति के विषय में सचेत है. अगर सचेत नही होते तो इतना अच्छा कैसे सोचते और बोलते। अगर आप राजनीती में आ गए। तो कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं हिन्दुस्तान का सच दिखाने वाला निस्पक्ष विशिष्ट पत्रकार लुप्त हो जायेगा।और दूसरा रविश कुमार पैदा होने में हिन्दुस्तान को वक्त लगेगा। सायद वो वक्त आये भी या नही भी। क्योंकि आज कल का दौर #hey buddy what,s up वाला है.वैसे भी आजकल हिंदी का मूल्यांकन कम आँका जाता है इंग्लिश की तुलना में. पर आप को देखने के बाद बहुत कुछ सीखने को मिलता है.डर भी लगता है कि आप कहीं किसी पार्टी में में शामिल ना हो जाए. वैसे ऐसी पार्टी अभी बनी नही है.जैसा आपको देखने और सुनने के बाद लगता है . धन्यवाद सर।

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  10. "@VishalDadlani: The Amethi police are snatching the phones of anyone trying to film their attack on‪#‎AAP‬!! Thus is happening right NOW!!"SDM confesses that he is doing what he has been ordered. Not ready to share name of the one ordering.‪#‎144inAmethi‬"

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  12. Aap rajniti 20 sal se dekh rahe hai tab par bhi apko ye gyan nahi hai ki Atal ji ki tulna apne Kejriwal se kar di.
    Kejriwal ne sarkar janboz kar girayi thi taki wo loksabha ka election lad sake. Aap kisi bhi political gyani se pooch sakte hai.
    Kejriwal ke hisab se sabhi kamiyo ki jab bhastachar hai aur sab ka ek matra upay Lokhpal bill hai. Kya lokhpal se hi desh chalega aur lokhal nahi pass ho paya to estifa de diya ye to bachchon ki tarah jid wali bat huyi .dilli me jab phir chunav honge tab pata chalega. Ye coach GREG CHAPELL KI TARH HAI. Ha ye sach hai ye bhagode hai. Ye etne imandar the to bina lokhpal bill ke sarkar chala lete. Do not compare to ATAL JI.

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  13. Article se aache to comments hain....dear ravish g....soch raha hn ki aap ka intellectual level zyada h ya aapke fans ka jinhone comments likhe hain...maza aa gaya

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  14. बाबा सही में सूर्यदेव से बात कर रहे थे या नहीं ये नहीं पता, पर आप (और आपका आइफोन) संजय का काम ज़रूर कर रहे हैं।
    शानदार माहौल लग रहा तस्वीरों से।

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  15. Pata nahi kyu mere dimag mein khayal aya, ki students aur ministers mein kya difference hai aur kya similarities hai.
    Students last month preparation karte hai aur ministers bhi .
    Par students ek saal mein ek bar activation mode mein a jate hai aur
    ministers 5 saal mein.
    Students ke hardwork se unki complete life ban jati hai par ministers ki sirf 5 saal ke liye.
    Ab vo alag baat hai ki ministers 5 saal mein hi complete life ka intezam kar late hai.
    Lekin students competition ke pressure mein ek dosre ke khilaf galat bhasha ka prayog nahi karte hai ,par ministers har technique apnate hai jeetne ke liye.
    16 May ke baad sab shant ho jayega
    students aur elections ke result a jayenge pata chal jayega ki kyon kitne pani mein hai.
    Par tab tak dono hi aise darrrr mein har pal katenge.

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  16. रविश का नज़रिये से दुनिया को देखना एक सुखद अनुभव है|

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  17. वापर युग में एक बार ऋषि दुर्वासा तपस्या कर रहे थे। अचानक एक कुत्ता वहां आया और उनके मुँह के पास जोर से खांस दिया जिससे उनकी तपस्या भंग हो गयी। मारे क्रोध के दुर्वासा जी ने उसे थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया लेकिन फिर सोचा की कुत्ते को थप्पड़ मारना उनको शोभा नहीं देता। . ....... . . . . तो उन्होंने कुत्ते को श्राप दिया - तू कलियुग में मानव जन्म लेगा, सब जगह खांसता फिरेगा और लोग जगह जगह तुझे थप्पड़ मारेंगे। . इस पोस्ट का श्री अरविंद केजरीवाल से कोई लेना देना नही है ... पढने वाला अपनी सोच का खुद जिम्मेवार है

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  18. साथियो, आप भी ये सोच रहे होंगे, कि एक बंदा Development की बात करके वोट माँग रिया है और दूसरा ये कह के माँग रिया है कि मुझे पहलेवाले को हराना है। क्या जनता इतनी दानी है कि एक बेहतरीन ट्रैक रिकार्ड वाले को छोड़ के टेप रिकार्ड वाले पर भरोसा करे ।

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  19. AAPtards वही लौंडे हैँ जो आनंदविहार रेलवे स्टेशन पर गाजियाबाद वाली लोकल पैसेँजर का इंतजार करते हैँ और फेसबुक पर पोस्ट करते हैँ -- Waiting for my flight .... At Indira Gandhi International (IGI) Airport New Delhi.

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  20. phir kahuga paisa aur junun me hamesh junun jitata hai...chahe hamare sath ambani , adani , media unke sath ho..koi farak nahi padta
    jai hind

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  21. kisi ne sahi kaha hai jis desh me , pyau ke glass ko janjir se bandh kar rakhate hai…uss desh me system change karna bahut kathin hai….per chalo kisi ne to shuruwat kar di hai….Aajadi b 200 salo ke kade sangharsh ke bad mili thi….dekhte hai ..dusri aajadi kab milegi

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  23. अगर केजरीवाल जी भगोड़े हैं तो अटल बिहारी बाजपई उनसे बड़े भगोड़े हैं जो सिर्फ 13 दिन मे सरकार छोड़ कर भाग गए । आप कहेंगे कि उनकी सरकार 1 वोट गिर गयी थी तो फिर केजरीवाल की सरकार 40 वोटों से गिरी। वाह साहब वाह यह कैसा समर्थन है कि सरकार में बने रहिए, लेकिन किसी विधेयक पर समर्थन नहीं देंगे। विधेयक गिरने के बाद तो भाजपा वाले वैसे ही नैतिक आधार पर केजरीवाल का इस्तीफा मांग रहे थे। खुद तो कभी नैतिक आधार पर इस्तीफा देते नहीं और जिसने दे दिया उसे भगोड़ा कहते हैं। अप्रांपार हैं भाजपा वाले .....
    केजरीवाल जी कि बात चिंतन को मजबूर करती है। अजय राय जो भाजपा से भाग कर काँग्रेस में गए उन्हे भाजपा वाले भगोड़ा क्यूँ नहीं कहते । उन पर अंडे, पत्थर क्यूँ नहीं फेंकते। समाजवादी पार्टी, जिनके नेताओं ने एक से एक निर्लज बयान दिये हैं और जिन्होने इतने साल प्रदेश सरकार में रहते हुए भी बनारस के लिए कुछ नहीं किया, उन पर अंडे, पत्थर क्यूँ नहीं फेंकते। भाजपा वाले अपने मेयर, विधायक और अपने पूर्व बनारसी सांसदों पर अंडे, पत्थर क्यूँ नहीं फेंकते जिन्होने इतने साल में बनारस के लिए कुछ नहीं किया।
    यह भी मानना पड़ेगा कि मीडिया कि मदद से भाजपा वाले बाकी सभी विरोधियों पर भारी हैं। उमा भारती का मोदी को विनाशक कहने वाला बयान हो या मोदी का अपनी पत्नी को छोड़ने वाला कबूलनामा, कश्मीरी नेताओं के पास मोदी के दूतों के जाने का रहस्योद्घाटन हो या रामदेव के बयान, सभी मीडिया से एक दिन में गायब हो जाते हैं लेकिन बारू कि किताब पर सभी मीडिया चैनल 3 दिन तक बहस करते हैं । इनसे भी हल्के मुद्दे भाजपा को मिले लेकिन उसने वो भी भारी भरकम बना दिये। 16 तारीख को परिणाम कुछ भी हो लेकिन इस बार भाजपा की चुनावी तैयारी आई आई एम के लिए एक शोध का विषय जरूर है।
    20 सालों से मैं भी भारत की राजनीति देख रहा हूँ और भारत के मीडिया चैनल भी। मेरे दिमाग की भी हार्ड डिस्क यही कहती है कि केजरीवाल को अपने मजबूत कंडीडटेस ऐसी जगह से खड़े करने चाहिए थे जहां से वो संसद मे आसानी से एंट्री कर सकते बजाय कि भारी भरकम कंडीडटेस के विरुद्ध प्रतीकात्मक लड़ाई लड़ने के। लेकिन पता नहीं दिल क्यूँ मानता है जो वो कर रहे हैं ठीक कर रहे हैं। महात्मा गांधी को आपने भी नहीं देखा और मैंने भी। उस युग में हम-आप अगर होते तो निश्चित ही महात्मा गांधी के नमक आंदोलन को बेवकूफी भरा कह रहे होते।

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