कई लोग कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का औपचारिक स्वागत करना पड़ता इसलिए कुर्सी छोड़ कर भाग गए । मेरे फ़ेसबुक पेज पर ऐसा लिखनेवालों और एस एम एस भेजनेवालों में सवर्ण ज़्यादा हैं । जिस तरह से सवर्ण नीतीश को जातिवादी ठहरा रहे हैं मुझे जात पात के समाप्त हो जाने के स्वर्ण युग का भ्रम होने लगा है । खैर मोदी के स्वागत के डर से इस्तीफ़े की दलील में झोल है । नीतीश कुमार ने कहा है कि एक साल तक पार्टी का काम कर उसे मज़बूत करेंगे और बहुमत प्राप्त करेंगे । जे डी यू ने भी कहा है कि अगला चुनाव नीतीश के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा । मेरे ख्याल से नरेंद्र मोदी तब तक तो प्रधानमंत्री रहेंगे ही ! अगर यही डर होता तो नीतीश राजनीति से सन्यास ले लेते । इसलिए इस बात में कोई ख़ास दम नहीं लगता कि प्रोटोकोल के तहत नरेंद्र मोदी का स्वागत करना पड़ता इसलिए नीतीश ने इस्तीफ़ा दिया । क्या प्रोटोकोल के तहत नरेंद्र मोदी मनमोहन सिंह का अपने राज्य में स्वागत नहीं करते थे । कहीं नीतीश के डर से ज़्यादा बीजेपी नेताओं का सपना तो नहीं था कि स्वागत कराकर नीतीश के चेहरे की लाली देखने का मज़ा लिया जाएगा ।
इसका मतलब यह नहीं कि नीतीश का इस्तीफ़ा बहस योग्य नहीं है । नीतीश से इस्तीफ़ा माँगा गया तो दे दिया । राजनीति में नैतिकता प्रतीकात्मक ही होती है । कोई संदेश देने के लिए ही दंगों के बाद भी इस्तीफ़ा नहीं देता है और कोई दुर्घटना हो जाने पर दे देता है । नरेंद्र मोदी और अखिलेश यादव ने नैतिक ज़िम्मेदारी तो ली मगर इस्तीफ़ा नहीं दिया । बिहार विधानसभा के चुनाव में एक साल रहते इस्तीफ़ा देना आसान नहीं है । हो सकता है कि अरविंद केजरीवाल की तरह एक दिन इस फ़ैसले पर अफसोस करना पड़ जाए लेकिन यह क़दम इतना भी खोखला नहीं है । इससे पहले के दो लोकसभा चुनावों में जब भारत की जनता यूपीए को समर्थन दे रही थी तब गुजरात की जनता नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी रही । उसके इस फ़ैसले में सिर्फ विकास ही नहीं छह करोड़ गुजरातियों के नाम पर किया गया एकीकरण या ध्रुवीकरण भी था लेकिन बिहार की जनता ने नीतीश का साथ नहीं दिया । अहं की लड़ाई का तत्व तो मोदी बनाम सोनिया में भी था । एक पत्रकार टीवी चैनल पर कह रहे थे कि आज बिहार का सबसे बड़ा नेता एक गुजराती है ।
नीतीश इस्तीफ़ा नहीं देते तो उनकी सरकार की स्थिरता के बारे में क्या क्या नहीं कहा जाता या क्या क्या नहीं कहा जा रहा था । इस्तीफ़े की मांग तो की ही जा रही थी । कहा जा रहा था कि बग़ावत हो जाएगी, बीजेपी छोड़ेगी नहीं आदि आदि । यह साफ़ है कि दोनों के बीच अहं का टकराव है और दोनों तरफ़ से है । वैचारिक टकराव को भी स्वीकार किया जाना चाहिए । इसलिए बिहार में सत्ता बदलनी ही थी । नीतीश दो सौ रैलियाँ करके भी बिहार को थाम नहीं सके । लेकिन अब बात इस्तीफ़ा क्यों दिया से आगे निकलकर देने के बाद जो किया उस पर होनी चाहिए ।
मुसहर जाति राज्य और देश की ग़रीबतम जातियों में से एक है । इस जाति का ज़्यादातर हिस्सा ग़रीबी रेखा से नीचे हैं और भूमिहीन है । चूहा खाने वाली इस ग़रीबतम जाति की दुर्दशा पर क्या क्या नहीं कहा गया है । इस जाति के जीतन राम माँझी को नीतीश ने मुख्यमंत्री बनाया है । प्रतीक के स्तर पर यह एक साहसिक फ़ैसला है । बीजेपी को रिमोट कंट्रोल की बात से इतना गुरेज़ होता तो वह संघ के दरवाज़े नेता से लेकर मंत्री के चयन तक के लिए नहीं जाती । भारतीय राजनीति में रिमोट एक सच्चाईँ है । यह सच्चाई बीजेपी से लेकर हर दल में है । क्या बादल या पासवान की पारिवारिक पार्टी में रिमोट कंट्रोल नहीं है । क्या नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद गुजरात में नए नेता के चुनाव में दखल नहीं रखेंगे । विधायकों के नाम पर किसका फ़ैसला चलेगा सब जानते हैं । वे भी जब आनंदीबेन को मुख्यमंत्री चुनेंगे तो इसे प्रतीक के स्तर पर बढ़ा चढ़ा कर बताया जाएगा । नरेंद्र मोदी खुद अपने चाय बेचने और पिछड़ी जाति की पृष्ठभूमि के प्रतीकों का इस्तमाल जमकर करते रहे हैं । इसलिए प्रतीक के स्तर पर ही सही जीतन राम माँझी का मुख्यमंत्री बनना ऐतिहासिक है । वे हारे हुए हैं मगर हार जाने से ही राजनीतिक उपयोगिता और अस्तित्व समाप्त नहीं हो जाते । इस लिहाज़ से अरुण जेटली भी हारे हुए हैं और उन्हें मंत्री नहीं बनना चाहिए । यही क्या कम है कि बीजेपी नीतीश पर जातिवादी राजनीति का आरोप तो नहीं लगा पा रही है ।
इस फ़ैसले ने पार्टी पर नीतीश की पकड़ को स्थापित तो किया ही है उनका आत्मविश्वास भी ज़ाहिर किया है । एक ऐसे समय में जब दिल्ली में प्रतिकूल और आक्रामक सत्ता हो अपनी कुर्सी किसी और को सौंपने का भरोसा करना सिर्फ एक कमज़ोर चाल नहीं है । एक पार्टी के रूप में जे डी यू का इस फ़ैसले को स्वीकार करना भी कम बड़ी बात नहीं है । जितने भी विधायक हैं और जब तक इस फ़ैसले के साथ हैं इस चुनाव में मिली भयंकर हार के बाद अपनी पार्टी की विचारधारा और नेता में भरोसा रखना बता रहा है कि राजनीति में सबकुछ ख़रीद बेचकर नहीं किया जा सकता । और बग़ावत हो भी जाए तो जिस राज्य में रघुवंश प्रसाद सिंह जैसा बेहतरीन सांसद हर जाए वहाँ इसमें कोई हैरानी की बात भी नहीं ।
एक ऐसे समय में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी की प्रचंड कामयाबी के बाद विपक्ष मनौवैज्ञानिक रूप से बिखर गया है नीतीश सत्ता छोड़कर विपक्ष बनाने के लिए संघर्ष करने जा रहे हैं । हार कर भी उसी रास्ते पर चलने का जोखिम उठा रहे हैं । लालू यादव जेल जाने पर हर बार सत्ता और पार्टी अपने परिवार को ही सौंपते रहे हैं,मुलायम और मायावती भी जो नहीं सोच सकते नीतीश ने करके दिखा दिया । रिमोट के नाम पर ही सही वे पार्टी में किसी और का भी नेतृत्व स्वीकार कर सकते हैं ।
अब यहाँ सवाल कुछ और भी है । क्या नब्बे के दशक की तरह कमंडल को रोकने की ताक़त मंडल में बची है । क्या नरेंद्र मोदी के हिन्दुत्ववादी जातिवादी और विकास की बहुआयामी राजनीतिक पैकेज का मुक़ाबला जातिगत अस्मिता दलित पिछड़ा एकता, समाजवादी धारा और विकास की राजनीति के पैकेज से किया जा सकता है । क्या इस चुनाव का यह जनादेश भी है कि सवर्ण जातियाँ दलित पिछड़ी जातियों के साथ स्वाभाविक रुप से कभी नहीं रह सकती । कभी विकास तो कभी हिन्दुत्व के बहाने अलग होती रहती हैं । लिहाज़ा इसकी जगह दलित पिछड़ों की एकता क़ायम की जाए । उत्तरे प्रदेश में कांशीराम ने मुलायम को मुख्यमंत्री बनाकर कमंडल को रोक दिया था । बाद में यह प्रयोग तुच्छ राजनीतिक चालबाज़ियों की भेंट चढ़ गया । क्या मायावती मुलायम एक होंगे । क्या नीतीश लालू एक होंगे । बीजेपी ने भी तो इस चुनाव में भ्रष्टाचार के मुद्दों को किनारे कर येदुरप्पा से लेकर पासवान तक से हाथ मिलाकर जातियों का बेहतर गठबंधन करके दिखा दिया क्या लालू नीतीश मुलायम मायावती अपने अस्तित्व को बचाने के लिए ऐसा कर पायेंगे ।
यह सब इतना आसान नहीं है । नीतीश वो करने निकले हैं जिसे करने में लंबा रास्ता तय करना पड़ सकता है । एक और हार मिल सकती है । लालू यादव और नीतीश इसी बात पर बिखर जायेंगे कि नेता कौन होगा । जबतक बिखरे रहेंगे बीजेपी या पिछड़े नरेंद्र मोदी की जातिगत और हिन्दुत्व की व्यूह रचना से मात खाते रहेंगे । सामने के पाले में एक पिछड़ा प्रधानमंत्री के पद पर पहुँचा है उसके ख़िलाफ़ कोई भी जातिगत गठबंधन की रणनीति दलित पिछड़े तबके में रोचक और अप्रत्याशित राजनीतिक संघर्ष और बिखराव को जन्म देगी ।
इसके लिए ज़रूरी है कि मंडल के दौर के बाद दलित और पिछड़ों में तैयार हुआ मध्यमवर्ग इस प्रयोग में साथ आए । वो तो तब भी बीजेपी के साथ गया जब रामदेव और सी पी ठाकुर जैसे नेता आरक्षण का विरोध कर रहे थे । संजय पासवान जैसे नेता आरक्षण पर श्वेत पत्र लाने की बात कर इसे आर्थिक आरक्षण में बदलाव की बात कर रहे थे । बीजेपी ने संसद में प्रोन्नति में आरक्षण के मामले का खुला विरोध किया था । इसके बाद भी बीजेपी को दलितों पिछड़ों का साथ तो मिला ही । इसलिए जीतन राम माँझी कांग्रेसी दौर के प्रतीक की तरह बनकर न रह जायें यह नीतीश को देखना होगा । मंडल की राजनीति के प्रतीक प्रतीक ही न रह जायें ।
नीतीश कुमार को देर से ही सही संगठन की ज़रूरत का ख्याल आया है । नरेंद्र मोदी ने बीजेपी संघ और अन्य धार्मिक और योग सिखाने वाली पेशेवर संस्थाओं में समाजवादियों की इस कमज़ोरी का भी खूब लाभ उठाया है । यह नीतीश की सबसे बड़ी कमज़ोरी रही कि उन्होंने जे डीयू को बिहार के युवाओं की पार्टी नहीं बनाई । विकास की अमूर्त राजनीति के साथ साथ वे अपनी पार्टी को फ़ेसबुक और ट्वीटर जनरेशन के लिए खोलते या जोड़ते तो नतीजा कुछ और हो सकता था । बिहार के विकास को नीतीश ने कटी पतंग की तरह छोड़ दिया जबकि नरेंद्र मोदी ने पूरे गुजरात को अपने प्रति विरोध और विकास की राजनीति में सहयात्री बना लिया । गुजराती अस्मिता के नाम पर पहचान की राजनीति की नई पैकेजिंग की । नीतीश कुमार गत्ते की पैकेजिंग के भरोसे रह गए । बिहारी अस्मिता नहीं उभार पाए । नीतीश कुमार को ध्यान रखना चाहिए कि सिर्फ वैचारिक लड़ाई से मोदी को नहीं रोक सकते । अगर मोदी चार किलोमीटर सड़क बनाते हैं तो मुलायम और नीतीश को दस किलोमीटर सड़क बनानी होगी । अपनी सरकार के काम के रफ़्तार को इतना बढ़ा देना होगा कि लोग उसे होता हुआ देख सके । नीतीश घूम घूम कर राहुल गांधी की तरह अध्ययन न करें तो अच्छा रहेगा बल्कि सराकर की कमियों को वहीं का वहीं फिक्स करा दें तो ज़्यादा विश्वास हासिल कर सकेंगे । लोगों को लगना चाहिए कि बिहार की सरकार वाक़ई बुलेट ट्रेन हो गई है और नीतीश उसके ड्राईवर नहीं पायलट हैं । इंजीनियर नीतीश कुमार को सोशल के साथ साथ इस इंजीनियरिंग में भी कमाल दिखाना होगा । जितना किया है उससे ज़्यादा करना होगा और उससे भी ज़्यादा प्रचार तो करना ही होगा ।
Bahut achchi comedy dekhne ko mili hai do din thanks to Nitish kymar
ReplyDeleteBihar ke vikas kee baat kee jimmedari JDU aur BJP dono ko dee gayee thee. Usme agdi se lekar pichadi jatiyan sam shamil thee. 2013 me Nitish ke faishle par agdee jatiyan bahoot gusse me thi. Shayad voh PM banne ke sath BJP ke Modi virodhi gut ke saath ho liye. BJP ko gathbandhan se bahar karne ke baad main mai parivar Nalanda aur Rajgeer ghoomne gaya tha to logon ke aakrosh ko pahchana. Iske saath hee pichle ek saal me Bihar me crime kafi badha"Gala retke murder" kee ghatnao me kafi vridhi hue. Ab shanketik rajneeti ka waqt nahi raha. Gov. ke baren logon ko apnee avdharna ke apne tarike hai. Aajkal"Prabhat Khabar" me Nitish Govt ke uplabdhiyon se bhare page ke page chape ja rahe hai. Harivansh ji apna kartavya nibha rahe hai aur Mushar jati ke vyakti ko CM banane se kuch nahi hoga. Narendra Modi PM nahi bane kya aisa koi samjhauta BJP ke saath Govt ke form karne ke samay hua tha. Marj kuch aur hai ilaj kuch aur ho raha hai.
ReplyDeleteKya dir fb pe surname dekhkar logon ko frnd banate or comment padte hain kya
ReplyDeleteJankar dukh hua
Aap jaise logon ko khush hona chahiye tha ki kam se kam rajneta log Aab AAM logon ki liye raj neeti krenge, jaise these logon ne jat Pat bhulkar vo kiya tha , par Aap gyi logon ko jaat k hisab se tool rahe hain:
Rahi baat netish ki to WO pm banna chahte the Isliye reject hue pr cm to bane reh hi sakte the logon ne unhe as a cm reject nahi kiya hai
Cm badal jaane se Bihar main kya badal jayega?
Aachcha hi Mushar jati ko manovaigyanik fayda mil sakta hi.
ReplyDeletePatna me karib ek sal tak Mushar jati ke bich kam karne Ka mauka mila.
Dukh hota hai ki aap apne talent ka samajik upyog ke badle rajnitik upyog kar rahe hai... ye baat shaayad aapko samajh me na aaye... waise nitish ji ne bhi 1st period me thik kaam kiye the lekin 2nd term ke prachand bahumat ko dekhkar unka dimaag sathiya gaya aur tustikaran ki rajneeti karne lage...
ReplyDeleteजब रामदेव और सी पी ठाकुर जैसे नेता आरक्षण का विरोध कर रहे थे .............
ReplyDeleteRamdev neta..?...
jabardast analysis.....
ek baat aur kahena hai.....
ye LABRA camera/JIMIJIB camera kaha gya...?
modi ne ek camera ke saath wave create kr di.....
मुझे जो लगता है चाहे वो सही हो या ग़लत वो न लिखूँ तो खुद से बेईमानी है । कई लोग जो राजनीतिक मक़सद तलाश कर अपशब्द लिखते हैं वो आलोचना या लोकतंत्र के नाम पर ज़्यादा छूट ले लेते हैं । मुझे इस तरह का कोई भ्रम नहीं है कि पाँच सौ लोगों के बीच ब्लाग लिखकर राजनीति कर लूँगा या किसी की चमचागिरी । सहनशीलता बनाए रखिये । जो लिखा है उसकी समांतर आलोचना पेश कीजिये । बौखलाहट से मुझे भ्रम में मत डालिये कि मैंने ठीक लिखा है । फ़ेसबुक या ट्वीटर की तरह ब्लाग पर जवाब तो नहीं देता मगर सबके कमेंट पढ़ता हूँ । हम यहाँ बहस को आगे बढ़ाने के लिए लिखते हैं न कि किसी की ख़ुशामद के लिए । तुरंत मक़सद के नाम पर निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है । इस लेख को दोबारा से पढ़िये । एक नेता के मुक़ाबले किसी नेता के पक्ष में कहीं कोई लाइन नज़र आती है तो उसे संदर्भ से काट कर न देखें और यह मानकर न चले कि वही सही हैं बाकी नेता ग़लत । कोई बताता तो रघुवंश प्रसाद सिंह जिस ईमानदार और सजज्न रमा सिंह से हारे हैं वो विकास की राजनीति से हारे हैं या जाति की । पहली बार कमेंट डिलिट किया है । शालीनता नहीं बरती गई तो कमेंट बंद कर दूँगा ।
ReplyDeleteरामदेव ने मेरे ही शो में आरक्षण का विरोध किया था । जीत हुई है लेकिन इस जीत से हर बात ग़लत साबित हो जाती है इसका कोई आधार नहीं ।
ReplyDeleteस्वर्ण कभी नितीश के साथ नहीं थे. वो बीजेपी के साथ थे. दरार बीजेपी से अलग होने के बहुत पहले आ गई थी. ये अलग बात है की बिहार में बीजेपी का भी चरित्र (चुनावी राजनीती) बदल रहा है. इसे सुशिल मोदी बनाम स्वर्ण नेताओं के बीच रस्साकस्सी में देखा जा सकता है. बिहार का विकास जिसमे दलित, अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक,आदि शामिल हो, स्वर्ण कभी नहीं चाहेगा.कांग्रेस को जब इनलोगों ने पूरी तरह चूस लिया तो फेक दिया. लड़ाई सिर्फ भौतिक विकास के नाम पर नहीं लड़ा जा सकता बल्कि इसे हर स्तर पे लड़ना पड़ेगा चाहे वो सांस्कृतिक प्रतीक हो, सोशल मीडिया हो, प्रचार तंत्र हो, पर्यावरण हो . जो भी माध्यम हो लोगों से एक लगातार सम्प्रेषण की स्थिति बनानी होगी. सवाल सिर्फ तात्कालिक राजनितिक लाभ का नहीं है बल्कि बहुत व्यापक है.मानव सभ्यता के अस्तित्व का भी है.इस सभ्यता को अगर बचाना है तो इसे विश्व की जनजातियाँ और और पिछड़े लोग ही बचा सकते हैं. हम उन कॉर्पोरेट और इससे उपजे Brash मध्य वर्ग से उम्मीद नहीं रख सकते जिनके लिए विकास का मतलब सिर्फ उपभोग है या freedom का मतलब human spirit से अधिक विभिन्न प्रकार के सामानों के चुनाव से है.
ReplyDeleteक्या आप facebook , twitter लोगो की जाति देखकर उनके बारे मै धारना बनाते है।
ReplyDeleteकुछ हद तक आपके विचारों से परिष्तिथि वश ही सहमती हो सकती हैं।
ReplyDeleteनीतीश बाबु के career के शुरुवात के दिन देखिए , कम से कम दो सीढ़ियों को उन्होनों बखूब इस्तेमाल किया। George Ferdandes की इज़्ज़त तथाकथित समाजवादी भुल गए हैं।
संगठन क्या जातीय आधार पर बनते हैं ?
पिछडे वर्ग का सामाजिक विभाजन और social engineering ,क्या विकास हैं ?
administration और नेशनल हाइवेज के अलावा 8 साल में तोड़ा ज्यादा , जोड़ा काम।
बाढ़ , कृषि , उद्योग , नगर -व्यवस्था , बीजली , पेय -जल में तो अपरम्पार तरक्क़ी कोई 4 -D goggles से देख सकता हैं। विस्वाश रखिए , और तैयार रहिए और social divisions (engineering ) के लिए।
संगठन तो अपनी पकड़ बनाए रखने के ही लिए मजबूत किये जाते हैं , विचारधारा के लिए नहीं।
a couplet , to be taken in right spirit
तुम जो बनाओगे बंदिगी तो
क्या ला पायोगे वही टूटी तासीर
हमारे जेहन का क्या करेंगे
बस सी गयी है पुरानी तस्वीर
efficacy- तासीर
बाबा रामदेव 90 के बाद उपजी नव उदारवाद का "अध्यात्मिक" ब्रांड है जो अवैज्ञानिक ढंग से योग के माध्यम से कैंसर, AIDS,artery ब्लॉकेज और न जाने कितने असाध्य रोगों को ठीक करने का दावा करता है. आटा, दाल, चावल,साबुन,टूथपेस्ट, सौंदर्य प्रसाधन आदि-आदि दोगुने दाम पे बेचता है. वैचारिक रूप से इसकी मानसिकता का पता इसी बात से चल जाता है जब यह दलितों के बारे में बोलता है. मूलतः यह नवउदारवाद का आध्यात्मिक fraud है.
ReplyDeleteWhich ideology Mr.Nitish talks , when he talks of withdrawing from alliance after a coalition for 17 years and getting support to be in power from so called communal forces for nearly 8 years.
ReplyDeleteIs he so naive not to know that BJP's PM candidate will be BJP's choice and not his.
Accuse Mr.Nitish of derailing the development of Bihar .With supporting power at center and JDU being the most trusted ally , imagine the pace of developement.
Just to satisfy his ego which was boasted by a BJP leader and some journalists , he did it.
No principled stand.
Darasal itihas hamesha hi jeetne wale ke nazariye se likha jata hai....shayad isi tathya ke aadhar par desh Ka vartman poore zoro -shoro se apne bhavisya ke liye ateet gadhne mein lag gaya hai.... janadesh se itar rai rakhne par jaisi tathyahin aakramkta so called intellectuals se lekar aam log bhi dikha rahe hai....ye samajhna thoda mushkil hai ki desh Ka loktantra kya vakai majboot hua hai...?..khair....
ReplyDeleteIs baar chunav ki sabse badi khasiyat ye batayee ja rahi hai ki logo na dharm aur jaati ke choge utaar phenke hai......to kya vakai hamara smaaj raato-raat itna pragatisheel ho chala hai ki uski jaatigat avdhaarnaye ek raat purani baat ho chali hai.......jeetne wale chahe Jo likh de lekin raat ke raat sirf sapne badalte hai.....samaj nahi.....phir ek sawaal rah Jata hai ....aakhir bina samaaj ki galiyon ko chode jaati rajneeti se Vida kaise ho chali ....kyonki rajneeti mein jaati Ka pravesh to is samaj ki hi badaulat hua hai na.....
रवीश जी आपका लबरा कैमरा फेल हो चूका है , मोदी की चाय की दुकान चल निकली जिसे आप बनावटी कहते थे .नितीश सोसिल इंजिनीअरिंग कर ले जितना करना हो क्योकि यही एक मात्र चारा बचा है उनके पास ........अब जाति आधारित सोशल इन्जिनिएरिंग का समय गया .... मोदी की दो रैली नितीश की सोसिल इन्जिनिएरिंग को गंगा जी में प्रवाहित कर देगी ...मायावती की तरह ...........आप की छातापताहत अच्छी तरह समछ रहा हु ...........
ReplyDeleteरवीश जी आपका लबरा कैमरा फेल हो चूका है , मोदी की चाय की दुकान चल निकली जिसे आप बनावटी कहते थे .नितीश सोसिल इंजिनीअरिंग कर ले जितना करना हो क्योकि यही एक मात्र चारा बचा है उनके पास ........अब जाति आधारित सोशल इन्जिनिएरिंग का समय गया .... मोदी की दो रैली नितीश की सोसिल इन्जिनिएरिंग को गंगा जी में प्रवाहित कर देगी ...मायावती की तरह ...........आप की छातापताहत अच्छी तरह समछ रहा हु ...........
ReplyDeleteravish bhai.............angoor khatte hai
ReplyDeleteravish bhai.............angoor khatte hai
ReplyDeleteHahaha have patience Ravish ji. It will take some time to heal the shock u got on 16th.Alom Vilom seekh lo Baba Ramdev se , depression main nahi jaaogey
ReplyDeleteRavish ji, hum aapke blog ko jarror padhte hain,kabhi comment nahi kiye aaj kar rahen hai ,isliye ki aapko lagta hai ki Sri Nitish Kumar ji jo kiye hain wo sahasik kadam hai lekin unka ye kadam ekdum razneetik hai, aaap dekhiye dalit aur mahadalit bol ke pahle wo logon ko bant diye,bihar main education ka to watt laga diye,hamre gaon main 10 th & 12 th pass admi teacher ho gaya hai,ab aap hi batao sir, 12 th pass aadmi kisi ko kya educate karega, agar sahi main unko kuch karna tha to 12th pass ko graduation karne ka rasta dete, bas sirf zati ke adhar per naukri dena, aur bhi bahut si baten hain jinse logo main unke khilaf aakrosh hai aur hona bhi chahiye, galat koi bhi kare use sabak sikhana zaroori hai ya sudharana zaroori hi
ReplyDeleteI think this BJP majority came by many tricky combination, Opposition need to understand those combination are such that they can not leave together for longer time, If Modi or BJP knows that and they can somehow manage them in next 4-5 years than it will be difficult.
ReplyDeleteCombination :-
1. Development seeking indiviual without any political Ideology.
2. Leaders who changed side have their own base vote which also came with them.
3. Upper Caste which still want to get their hold on society back.. they have it but still want their prime time.
4. People who are not Hindutvawaadi but Anti Muslim or Pakistani.. there are few which is strange people I will say.
5. Political People wanting to get rid of Dyansty..
there might be few more...
Request you to do a Prime time on these group.. :) if possible..
These stange people can not stick together longer.. and to fulfill all of their aspiration is not possible.. Development is possible but that do not fulfill aspiration of all these
जातिवाद का इससे विभत्स रूप और क्या होगा ?
ReplyDelete"कोई व्यक्ति दलित है इसलिए उसे मुख्यमंत्री होना चाहिए", यह जातिवाद का वैसा ही विभत्स चेहरा है जैसा "कोई व्यक्ति दलित है इसलिए मुख्यमंत्री नहीं होना चाहिए"।
और हमारे कुछ जातिवादी मिडिया समीक्षक को इसमे भी क्रांति दिखता है
बंधू, बहुत दिनों तक आपने पत्रकारिता के वेश में राजनीती कर लिया, कुछ ज्यादा ही गंध फैला दिया है आपलोगों ने। अगला इलेक्शन तो 5 साल बाद है, तबतक विश्राम कीजिए जिससे वातावरण थोडा प्रदुषण-मुक्त हो।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteमोदी लहर में अपनी राजनितिक जमीन गवां चुके नेताओं से पहले समाजवादी-जातिवादी पत्रकारों को भी अपनी समीक्षा करना जरूरी है, जिस तरह रविश चैनल पर आकर ताल ठोंक रहा था, जनता को भ्रमित कर रहा था की यूपी बिहार में कहीं भी मोदी का लहर नहीं है, मैंने ग्राउंड जाकर देखा है , लहर केवल टीवी पर है।
ReplyDeleteएक पार्टी ऐसा भ्रम फैलाए समझा जा सकता है, लेकिन एक स्थापित पत्रकार अपनी एजेंडा लेकर मिडिया का ऐसा दुरूपयोग करे, भारी अपराध है।
SIR JI "aapke jawab ka intezar "aaj ja kar khatam huya hai.
ReplyDeleteTHANK YOU....
Ravish ji. Thanks for this post. Hope this reaches to intended audience!
ReplyDeleteYes, the utmost need of the hour now is to build a strong opposition - one based on Development with Justice & Social Empowerment.
Nitish is one national level leader who is capable of this.
I recently heard Kanshi Ram's speech where he said that he would make sure no single party gets more than 200-220 seats in Parliament, as this does not serve the interests of weaker sections of society.
Also, this time there is no voice of the Left to atleast to act as a speed-breaker on any exploitative laws. I really hope media keeps this in mind and tries to fill this void. Irony is this may be too much to expect from corporate media!
Not sure if Nitish will succeed
in building this opposition. But he will be remembered for trying his best.
सिर्फ नीतीश कुमार ही नही देश के अधिकांश नेताओं से जन मत को समझने में भूल हुई ।
ReplyDeleteRavish ji aapne sahi kaha, Nitish ji ne Bihar main jo kia hai uski tulna to kisi se ki he nahi ja sakti, kuki unhone garibo ko unk pairon pr khada kiya hai. or yadi ab vahi beech majdhaar main unhen chhod kr chale jayenge to agli baar kaun kis pr vishvas karega.
ReplyDeleteवाह रविश कुमार वाह..खुद का पांडे सरनेम छुपाकर लोगो के सरनेम देखकर धारणा बना रहे हो..तुम्हे कमेंट करने वाले फेसबुकिये सीधे तो बोल रहे है...तुम्हारी सारी रिपोर्ट अच्छी लगती थी जब तक तुम किसी की जाती नहीं पूछते थे...कैसे उन लोगो का मुह लटक जाता था..मत पूछो भाई..उनको कम से कम टीवी में तो सामान्य इंसान बनके आने दो..आरक्षण ने उनका भला किया थोड़ा..बताओ तो नितीश कुमार की क्या जात है..पूछ लेना भाई उनसे भी...
ReplyDeleteहममे से कितनो ने आरक्षण का लाभ नहीं लिए कितनो ने ० नंबर आने पर भी बड़े कोर्स में दाखिले ले लिए..सब जगह घोटाले है..तुम बख्शो..
और हाँ नाम भी छुपा लिया है..तुम्हारे लिए ऐसे ही कमेंट करेंगे...नमस्कार !
@Sanjay jatav
ReplyDeleteSir aap uswaqt kahan the jab modiji nihayat hi betuke tarike se apni neech jaati Ka pramaan liye logo se satta maang rahe the.....qasbe mein to aap tab bhi the na..phir kuch kaha kyon nahi..... ??.......safalta Kabhi sawaal Ka ant nahi hoti....kripya aisi bhool na karein.
@ Aayushi
ReplyDeleteAap kahan thee jab Ravish Pande bade saleeke se logon main jaativaad faila rahe the??Ashutosh namak patrkaar achanak GUPTA ho rahe they..Yogendra Yadav SALEEM ban k ghoom rahe the??
Asfalta se sawal uthe hain toh jawab deejiye??
नितीश कुमार जब तक बीजेपी के साथ थे..बिकास पुरुस थे..साथ छूटा ..फिर उन्होंने इशरत को गोद लिया इशरत के पापा बने..फिर जाली वाली टोपी लगाई..मजहबी राजनीति से अब जातिवाद पर उतर आये..इसे कहते हैं पतन.ढोंगियों को न तिलक और न ही टोपी उत्कृस्त बना सकती है......२०१४ का जनादेश, इन ढोंगी नेताओ को सबक सिखा चुकी है अब इन ढोंगियों पर है की वो एस सबक को याद रखे या फिर अपना ढोंग जारी रखे..
ReplyDeleteEk baat samaj nahi aati ki minority ke naam par sab ko sirf ek hi kom kyu nazar aati hai..??? Ye sawal isliye kyuki ravish ji bhi unme se ek hain jo iss baat se aahat hain ki bjp ke jite gaye 282 candidates mein koi bhi musalman nahi hai...Jab aise aaklan karte hain to saare minorities ko leke kijiye..Na jane kaisi mansikta se grasta hain ..kya koi hindu M.P apne ilake ke hinduoan ka hi vikas karega..??? Aisa hai to fir Lalu ,Nitish ,Mulayam ko kyu muslim parast maan liya jaye....Bahar nikaliye iss tarah ke mentality se..Iss baar ka mandate karara tamacha hai aisi mentality rakhne wale logon ke chehre pe...
ReplyDeleteravish bhai.....nitin bhai ka kahna man lo...baba ramdev sharnam ho jao..prabhu bhala karenge
ReplyDeleteravish bhai ek sujhav aur hai..AAP me shamil ho jao...girgit ki tarah rang badlana sikh jaoge
ReplyDeleteJo dikhta hai wahi bikta hai.
ReplyDeleteमोदी की सफलता में भाजपा से अधिक मीडिया का हाथ है| आपके रिपोर्ट में देखा था नितीश की कई रैलियों के बाद जुबान नही फिसली, राजनीति की गरिमा को बनाय रखा तो किसी चैंनल ने उनको नहीं दिखाया| इसके लिए आपका शुक्रिया|
ReplyDeleteकॉर्पोरेट हाउस से चलने बाले न्यूज़ चैंनल ने ज्यादातर ने मतदान के एक दिन पाहिले मोदी के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिखाए खुलेआम आचार संहिता तोड़ी गयी, लोकतंत्र की धजिययां उड़ाई गयी
सब मौन बनकर देखते रहे|
isharat ke papa ,ashutosh gupta ,ravish pandey ,saleem yadav..................wah bhai ..aaj to maja aa gaya..pata nahi abhi kitno ki pol khulegi...wakai din achchhe ho chale hai ravish bhai
ReplyDeleteजो लोग भ्रस्टाचार कर रहे हैं, और जो भ्रस्टाचार से परेशान दोनों बोलते हैं की अच्छे दिन आने वाले हैं!
ReplyDeleteजो लोग शोषण कर रहे हैं, और जो शोषित है दोनों बोलते हैं की अच्छे दिन आने वाले है!
जो चाहते हैं की नौकरियाँ कम हो, और जो बेरोजगार है दोनों बोलते हैं की अच्छे दिन आने वाले !
लोगों की बात, विचार सुनकर ऐसा लगता है की, कहीं जो खुद को सच्चे सेकुलर कहते हैं, वो कहीं मो. रफ़ी के गाने भी सुनना ना बंद कर दें ! #Election2014
Sir
ReplyDeleteJaat na pucho sadhu ki, kabir ne kaha tha, kripya aap jaati wala comment wapas le le. it hurts people like us those follow you.
shalinata nahi barti gayi to comment band kar dunga......ravish bhai kahi yah shalinata ki aad me comment band karne ka natak to nahi................nitish se kuchh to sikha aapne
ReplyDeleteसारी वामपंथ,नक्सलवाद,जातिवादी,समाज को बाँटने की गंदगी JNU से ही निकलती है.ऊस्को बंद करो सब ठीक हो जाएगा.
ReplyDeleteSaara faasivaad samantwad ativaad RSS se hi nikalta hai. Usko band karo to sab thik ho jayega. Kyon tooch-chee it g
Deletemr.warma ki jagah aap ko niteesh kumar ka adviser hona chahiye.
ReplyDeleteएक बात समझ मैं नही आई की जब मुसहर जाती का कोई व्यक्ति बिहार का CM हो सकता है फिर रविश पांडे के जगह कोई मुसहर पत्रकार NDTV का 9 Pm पर Prime टाइम क्यों नही कर सकता..चलो पांडे जी जगह खाली करो तुमको मानसिक आराम की आवश्यकता है.
ReplyDeleteEk bat samaj ni aai jab koi mushar jaati ka vyakti Cm Ban Sakta Hai To Koi Tiffin Sri-BAASsssss-tav Raju Srivastav Kyon Ni Ban Sakta. Bhya ye Mano K Aap Kasbe K Gajodhar Hain .kitnaa Hansate Hain Aap Apne Com-en-t se Hi Hi Hi
DeleteLogo ko Lagta hai ki Nitish Ko Ghamand Ho gya hai, Is liye log Use Sabak Sikhana Chahate hai, Per Apna Sabak Bhul Jate hain, Unhe Gujrat ka Vikash to Dikhata hai, Per Badahali ke Bad Bihar ka Vikash nahi Dikhata hai,
ReplyDeleteमै नरेंद्र मोदी से ज्यादा काबिल और अनुभवी हूँ --इशरत के अब्बाजान नितीश कुमार
ReplyDeleteहाँ तो टोपी पहनकर मूर्ख बनाने के मामले मे जादा अनुभवी तो है ही ई नितिसवा
रविश पांडे जो ब्राह्मण हैं आज फ़ैसला किए हैं की प्राइम टाइम के लिए 1 दलित, शोषित पत्रकार खोजने वाले हैं ...नमस्कार मैं रविश मांझी और आप देख रहे हैं प्राइम टाइम
ReplyDeleteSanjay jo jatv nahi hai par toochit or raju srivastav H ne Deside Kiya Hai K Wo Abse Kasbe Me Coment Karne K Liye Sanjy rachit Nitin Namak Alag Alag ID Ka Pryog Ni Karenge Balki Asli Id Se Coment Karenge"Namaskar Ache Din Aane Wale Hain. Hum Ab Apko Joke Sunane Wale Hain"kyon GAJODHAR BHYA GGG
DeleteAap likhate rahe aur pls. comment band na kare...... Logo ko to sasti cheap chizo ki adat lag gayi hai varna phaltu movie 300 cr. aur achhi movie flop nahi hoti ,ache aur guni vyakti ki avbyakti ki pahchan kahan. Aap jo v likhte hai bahut sahi aur nispaksh likhte hai.....duniye ka kya.......ye log v samajhenge kuch samay bad
ReplyDeleteSachai asani se koi swikar nahi kar pata aur aap hamesha sachai ke sath so apka virodh awabhavik hai. Jab pahli bar kisi ne kaha tha ki Prithvi chapti nahi gol hai to logo ne manane se inkar kiya aur purjor virodh kiya .....isiliye log apka v virodh kar rahe hai
ReplyDeleteJeetan Ram Manjhi ko CM Bananaa swagat yogya hai . Nitish kee Mansha ko jaane dijiye ! Unhone sachmuch me Jeetan Ram ko CM to banaa hi diya hai na ?
ReplyDeleteHaan , Modi mamale me Vichardhara se adhik Aham ka Takraw najar aata hai .
Nitish aur Modi kaa rishta bhi Bhartiya rajniti
ka rochak pahaloo hai .
Nitish Saarvajanik roop se Nitish ke saath dikhna pasand nahi karate , Ashprishyata ki had tak .....yah koi imandari ki rajniti bhar nahi hai ! ''.... दोनों के बीच अहं का टकराव है और दोनों तरफ़ से है । वैचारिक टकराव को भी स्वीकार किया जाना चाहिए ।'' Aham ka Takaraw Nitish ki aor se kahin gahan hai ! aakhir , kya baat hai ki unhi kaa samaksha ek CM Nitish ki aor se Ashprishyata ho jaata hai . Kya Nitish ko 17 Saalon se pata nahi tha ki Modi usi party ke hissa the , jinse aapki shandaar aor safal dosti rahi .
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ReplyDeleteसर ! खाली पैकेट कबतक बेंच पाएंगे नितीश सर ?. रोजगार की कमी , शिक्षको का समय पर नियोजन न होना , रोड का जगह जगह टूट फुट जाना , सरकारी योजनाओं का भ्रस्ट निष्पादन आदि तमाम मुद्दे है जिनसे लड़ना जरूरी है . लालू के बजाय नितीश जनता के दुलारे है लेकिन सबके मुंह से एक बात निकलती है की इन्हे सबक सिखाना जरूरी है अगर जनता का भरपूर प्यार नितीश को मिलता है तो वह जातिगत नहीं है लेकिन जब असफलताओं के लिए झिड़की मिलती है तो जातिगत हो जाती है . ये पत्रकारिता की कौन सी विचरधारा है रवीश सर ?
ReplyDeleteजब प्रभुनाथ सिंह ( नितीश से अलग होने के बाद उन्हें लोग उन्हें नापसंद करते थे )को लोगों ने जिताया था तब सब यही सोच रहे थे की अब नितीश संभल जायेंगे . पर वे सुशाशन में राजनीती घुशेड दिए . आज भी यही कर रहे है . कब तक चलेगा ? उन्हें किसी के सामने हाथ फ़ैलाने की जरूरत नहीं है लेकिन करबद्ध सेवा की चाहत आवाम कर रही है . लेकिन विशुद्ध राजनीती का रोग उन्हें लग गया है .इसका कोई इलाज नहीं है . दुःख तो यह है की मोदी लालू नितीश सब के सब विशुद्ध राजनीती ही कर रहे है . देखिएगा बिहारी कहलाना अपने आप में एक गाली हो जायेगा अगर ऐसा ही चलता रहा तो
.जैसे जाति के नाम पर यादव वोट बैंक तबतक काम करता रहा जबतक उनमे अशिक्ष्ा थी वैसे ही महादलित कार्ड तबतक काम करेगा जबतक वे भरमे हुए रहेंगे . मांझी जी सुशाशन की अगली कड़ी न होकर जातीय राजनीती की अगली कड़ी है .हाँ , आजकल सवर्णो को गाली देना एक फैसन है और कुछ लोगों का पैशन है . देते रहिये
ReplyDelete@sanjayji - achcha to aap kehna chahte hai ki ravish ji ke bharat bhraman se pehle ye desh jaati se hi mahroom tha ....tab to ravishji ki galti zaroor hai...aakhir unhono wo bhrm failaya jiska astitva hi nahi....... varna to ambedkar aise hi anaap-shanaap bolkar chale gaye.......?.?...jawab to aapne diya nahi kuch naam zaroor liye....phir ek sawal hai man mein jab aap is mudde ko lekar itne sensitive hai to uswaqt aahat kyon nahi hue jab modi inke sahare apni lahron Ka weg badha rahe the....chaliye wo sawal aaj se uthaye hi na jiska jawab sirf khamoshi ho....
ReplyDeleteWaise neech rajneeti = neech jaati - ye formula abtak samajh nahi aaya...?..?
वो क्या है कि अच्छा लिखा समझने के लिए अच्छा पढ़ा होना भी जरुरी है , अनपढ़ों का अपना चश्मा है, जिससे इनदिनों सबकुछ रंगीन दिख रहा है. जितने लोग रविश 'पाण्डेय' को गाली दे रहे हैं, वो तर्कों के मामले में 'लोल' हैं, विचार कुंद हैं और मानसिकता वही जो गोडसे को हुतात्मा, और गांधी को दुरात्मा समझ रही हैI ये नया संक्रमण भी ठीक हो जायेगा। आप लिखें रवीश जी , इन फ्रस्टेटेड लोगों के अलावा भी लोग आपका लिखा रोज पढ़ते है , और कमेंट नहीं करते।
ReplyDeleteनितीश लालू माया मुलायम की हार एवं भाजपा की जीत से लोग जातिगत राजनीति का अन्त का ब्रम में पले लोगो ने शायद भाजपा के इन राज्यों में सहयोगी पर गौर नही किया| भाजपा ने रामविलाश पासवान, अनुप्रिया पटेल, उदित राज से समझौता किया|
ReplyDeleteजातिगत राजनीति तो भाजपा ने भी की मगर उनका प्रबंधन अच्छा था इसलिए वह जीते
भाइ जी इस इशरत के पापा को अब पता चला होगा कि सिर्फ गोल टोपी पहनने से सता नही मिलती अब मंदीर भी जाना पडेगा और त्रिपुंड भी लगाना पडेगा। तु मोदीजी के प्युन बनने की हेसियत नही रखता।
ReplyDeleteRavish sirjee aapke khilaf zahar ugalne walo se kahin jyada taadad un logo ki h jo aapko ek acha patrkaar maante h.mai 100% sure hu ki ye log jyada comment nhi karte h.....thodi bahut bhool chuk sab se hoti h.mujhe samajh nhi aata ki log cheejo ko ABSOLUTE term me q dekhte h.duniya me har cheej RELATIVE(comparative) hai mere bhai except GOD(jo ki iss duneya se pare h).......Aur haan comment section ko tho kabhi bhul k bhi band naa kijiyega qki issi k jariye tho humein pata chalta h ki duniya mein bewakoofo ki kami nhi h.unhe ye lagta h ki jo wo soch rahen h yaa jo dekh rahennh wahi sirf sahi h.....ye unka sirf Perception h
ReplyDeleteइस देश के सभी संस्थानों और मीडिया हाउस से जब तक वामपंथियों का सफाया नहीं होगा तब तक इस देश में ठीक से सुराज नहीं आने वाला है।
ReplyDeleteAao hum sab pahan le aaine
ReplyDeleteSare dekhenge apna hi chehra
Sabko share hasee lagenge yahan.....
Gulzar ki kalam se
This is one of the finest blog , finest among lot of finest. Ek ek point ko apne clearly likha hai. To absorb and understand I had to read twice.
ReplyDeleteHmm...Modi ki direct criticism to door ki baat hai, par agar aap Devta (ya Mahadev?) Modiji ke kisi virodhi ki bhi taarif kar dijiye to aap ki saari jornalistic reputation, integrity, competance gai tel lene aur aap ho gaye congressi chamche ya alag shabd mein deshdrohi. Waise Ek atyant pichdi jaati ke neta ka CM banna aitihaasik to hai, par thoda aur satisfaction hota agar unki image clean hoti (2005 corruption charges).
ReplyDeleteVery thought provoking writing. I may not agree with everything you wrote, but these are good points that we can debate about. Last 10 years of politics in Bihar has been a tremendous socio-political experiment. It is in the benefit of Bihar’s future to know what has worked and what hasn’t. I couldn’t agree more with your arguments about pace of development. No matter any constraints, the pace shouldn’t have slowed down. Development, development, and more development should be an anchor for Bihar. It is this anchor that everything else should revolve around.
ReplyDeletePlease keep the comments open. This is an opportunity for blog readers to say few words and get an outlet to express their opinion. I do understand the need for civility in discussion. Please give some time and the weeds will get flushed out. In the interim, please use your discretion to remove abusive posts.
वो क्या है कि अच्छा लिखा समझने के लिए अच्छा पढ़ा होना भी जरुरी है , अनपढ़ों का अपना चश्मा है, जिससे इनदिनों सबकुछ रंगीन दिख रहा है. जितने लोग रविश 'पाण्डेय' को गाली दे रहे हैं, वो तर्कों के मामले में 'लोल' हैं, विचार कुंद हैं और मानसिकता वही जो गोडसे को हुतात्मा, और गांधी को दुरात्मा समझ रही हैI ये नया संक्रमण भी ठीक हो जायेगा। आप लिखें रवीश जी , इन फ्रस्टेटेड लोगों के अलावा भी लोग आपका लिखा रोज पढ़ते है , और कमेंट नहीं करते।
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ReplyDeletebahut achchha likhte hai aap ,asamat hona ke jaroori nahi ki gali di jaye .ravish kumar isliye hai kyuki vo sabke khilaaf likh sake jab vo galat kar reha ho
ReplyDeletebahut achchha likha hai aapne aapko lazy prashank jo har baar comment nahi karta par is baar jaroori laga .ravish kumar kumar shayad isliye hai ki sabke khilaaf likh sake
ReplyDeleteUmeed hai is baar log apni budhi ka prayog karenge aur use chunenge jiske kaam ko unhone dekha hai, warna yaha logon ko lehar bahut lagti hai :)
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ReplyDeleteआज कल समाज मैं आगे बढ़ने वालों को पीछे खिचने की क्या समस्या हो गयी है ...हम सब को अपने ही चस्मे से देखते है और अपनी राय ही थोपना चाहते है ...खास तौर पर अगला तबका आगे तो बढ़ रहा है पर यूवाओं पर अभी तक वही पुरानी सोच की मैल जमी पड़ी है हम काबा पीछले तबके को आगे बढ़ने की मदद करेंगे कब तक नफ़रत की राजनीति ही जीतती रहेगी..नीतीश समावेषित राजनीति की आस है ..कम से कम मेरे लिए...
ReplyDeleteराजनीति का मानव विकास के सफर अहम भूमिका है। वर्तमान स्वरूप और मानव के मानव को पहचान देने में राजनीती के लोकतान्त्रिक मूल्यों का योगदान सर्व विदित है। किसी न किसी रूप में सम्पूर्ण मानव समुदाय इसी के इर्द-गिर्द अपने उथ्थान और पतन का कारण ढूंढता रहा है। वास्तव में ये राज करने की नीति है या नीतिगत राज है ,ये प्रश्न विचारणीय है। अलग अलग देशो में मतदाता की अलग अलग पहचान अपने लिए उपयुक्त शासन व्यवस्था का निर्णय लेती है। निज राजनैतिक प्रतिबद्धता सही और गलत के मायने जब बदल दे तो जनसरोकार कितना है इसका निर्णय भी कठिन हो जाता है।प्रगतिशील विचार का धोतक क्या है और उसकी राजनैतिक दलबन्दी का छोड़ क्या उसे सिर्फ सक्ता के गलियारे में ही ढूंढा जा सकता है। बेसक आज देश की स्थिति और क्या होना चाहिए था इसपर बहस बदसूरत जारी रहेगा ,किन्तु परिवर्तन का आयाम सक्ता के ऊपरी पायदान पर जिस तरह से परिलक्षित हुआ है उससे लोकतंत्र के सुदृढ़ता का धोतक तो माना ही जा सकता है और ये भी गर्व करने वाली बात है।
ReplyDeleteअब रही बिहार की बात। ये घटना क्रम को बेसक सभी बुद्धिजीवी अपने अपने ढंग से समीक्षा करेंगे ,आप भी उनमे से एक है। एक बात तो आपको मानना पड़ेगा की हमारे समीक्षा में समीक्षा उसी रूप में किसी किसी रूप में उभर आता ही है जिस पृष्ठभूमि में मस्तिष्क का पोषण और संवर्धन हुआ है। अतिस्योक्तिपूर्ण आदर्शो के नाम पर वास्तविक स्थिति पर आखिर कब तक पर्दा डाला जा सकता है। मेरा तो व्यक्तिगत मत है की बिहार का इतिहास नितीश के इस छक के कारण उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा। उन्हें रणछोड़ की उपाधि अगर दे दी जाय तो कोई गलत नहीं होगा। क्या वो मानते है सत्ता भोग करने की वास्तु है अगर नहीं तो जिन आदर्शो पर वे बी जे पि के साथ गए थे उन आदर्शो को बिहार की जनता की सेवा के नाम पर क्यों नहीं कर सके। खुशहाल और प्रगतिशील तबका इन साम्प्रदायिक चोंचलेबाजी से दूर रहता है। अगर उनको इसी मोर्चे पर लड़ना था तो कभी साथ आने की बात सोचते ही नहीं। सोशल इन्जिनीरिंग का कितने भी प्रतीकात्मक इस्तेमाल अब वो कर ले प्रतिक तो बस प्रतिक तक ही सिमित रहता है। एक मुसहर जाती का नेता क्या पहले मंत्री के रूप में अपनी सेवा नहीं दे रहा था। आखिर उनके सी एम बन जाने से रातो रात उस बिरादरी में कोई अभूतपूर्व परिवर्तन तो नहीं होने जा रहा। अगर सोच में कोई खोट नही था तो पद पर बनकर ज्यादा से जय उन सब के लिए करने का प्रयास करते जिनको उसकी आवश्यकता है। किन्तु नितीश कुमार एक ऐसी जाल में आकर फास गए जहा से उनकी वापसी अब नही दीखता है। अब सिर्फ वो इतिहास के पैन में ही सिमट कर रह जायेगे।
और हा जिस तरह के कॉमेंट इसमें आ रहे है बेसक मैं सही नहीं मानता किन्तु मुझे आपकी सोच ज्यादा जातिग्रस्त लगता है। आखिर सोच अग्रि और पिछड़ी की नहीं किन्तु हम और नहीं है के द्वन्द के बीच है जहाँ आपने शुतुरमुर्ग की तरह अपनी धरना बना रखी है। आप प्रभावी पत्रकार है किन्तु आप स्वम के द्वन्द से बाहर निकलिए। ये भी देश तथा समाज के हिट में होगा।
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ReplyDeleteKitni ajeeb baat hai jis TATA ki jameen chinkar Mamta benerji ji bengal me CM ban jati hai kisano ke Masiha bankar wahi Narendra Modi ji TATA ko jameen dekar Pradhanmantri ban jate hai as a vikas purush....Ek Narendra Modi ji jo Kaam kare wo developement and baki kuch bhi kare to Rajniti!!!
Sir Aap Bihar ke hokar aisi baat likh rhe jaise yha se kabhi parchit n ho..nitish sarkar bni or upper caste ne vote diya to sirf BJP ke karan.or Aaj jb Bjp alag h to Aap backword or upper me baant rhe.mai upper caste ka hu mere family ya gawnwalo ne kbhi bhi ye socha hi nhi ki kyu nitish pichdo ki rajneeti kr rhe,is se koi khass mtlb hi nhi Aap bina soche kyu likh rhe samjh nhi aa rha..jb nitish ko ye lga ki wo bhut mazboot h or khud akele muslim vote ke sahare sarkar bna lenge to unse Bjp ke voters alag ho gye..Aapke pass modi ki alochna ka koi tarika nhi mil rha to nitish ka sahara le rhe.jatiya bihar me banti huyi h bt jitna upper caste laloo se nafart krta h nitish se katai nhi..laloo ne to kafi mahadalit ki rajneeti nhi ki phir kyu??aapke tark gale nhi utre rhe..or ye shi h jb ego clash krne lge to kuch logo ko Aukat dikhani padati h..Aap nitish ke istife ko Mahan bata rhe kbhi krjriwal ko bhi bataya bt bhul rhe Aap sirf isliye bata rhe kyu ki Modi ke khilaf kuch or nhi mil rha..or jis dange ki baat kr rhe aap maloom nhi kitne chote-mote dange bihar me huye nitish ne istifa diya??33 children mar gye mid day mill ke karan nitish ne istifa diya??sir thoda or sodh kr ke likhe aapse itni hawabaji ki umid nhi krta..
ReplyDeleteMujhe yaad hai bachpan ka, jab hamre kheto me kaam karne wale Mazdoor lunch karte the to sare mazdoor plate me lunch khate the but ek mazdoor tha jo Banana leaf me karta tha jab mummy se maine poocha tha mummy ye Banana leaf me kyun Lunch karta hai to Mummy ne kaha tha beta ye MUSHAR hai......
ReplyDeleteRavish ji Galat comment karne walo ko maaf kar digiyega sayad ye sehro me rehne wale log hai jinhone kabhi jatiwad dekha nahi hai......
अनुराग भाई , मै भी नितीश जी को वोट दिया था, और इस बार भी दिया हु। और मै कह रहा हु इस बार फिर आप लोगो ने उस पूल को गिरा दिया जो धीरे धिरे जातिवाद को कम कर देता। सत्ता की पिपाषा में आप लोगो ने जो पिछला दरवाजा चुना ओ फिर से समाज को दो हिस्सों में बाट देगा, दूसरी भाषा में कहे तो आपने लालू के कथन और सोच को सही साबित कर दिया। भूत में भी ऐसा होता रहा है, "खेत खाए गदहा और मार खाए जोलहा" , अर्थात जातिवाद करे आप और बदनाम हो लालू और नितीश। इस बार मीडिया और लोग ने देखा और सोच रहे है। …। लालू ठीक नहीं, क्यों की विकाश नहीं हुआ! , नितीश ठीक नहीं, क्यों की घमंडी है! , कही ऐसा तो नहीं क्यों की ये दोनों आपके तलवे नहीं चाटते इस लिए दोनों ठीक नहीं। क्यों नरेंद्र मोदी से नहीं पुछा जाता की १०००० कड़ोड़ कहाँ से आये ? क्यों मीडिया प्रशनो को उठाने के बजाय इस मीडिया कम्पैन को महिमा मंडन कर रहे है , इतना ही खर्च यदि मायावती करे तो क्या आपको पचेगा ? पीछे के दरवाजे से अंदर तो आ गए है , पर इस बार भूल नहीं होगी , और प्रगति , भरष्टाचार , और सुशासन ने नाम पे खूब बनाया। लालू ने ठीक ही कहा था, ये सुशाशन , भरष्टाचार सब सत्ता पाने के हथकंडे है।
ReplyDeleteदेखते है कितने दिनों तक इम्मोशनल ड्रामा चलता है , और इस ड्रामे के बाद देश को क्या मिलता है , वास्तव में देश को क्या मिलता है? याद रखिएगा विकाश का ड्रामा बहुत जबरदस्त होने वाला है , बस विकाश का आकलन अपने पर्स की मोटाई और बचचो के भविष्य के आधार पे कीजियेगा। बाकि सब मोदी मोदि… मोदी .. है। रही बात रविश भाई के जात की तो कुछ लोगो ने खोज लिया और ओ जातिमुक्त समाज के निर्माणमित्र है। .... अच्छे दिन आने वाले है।
ReplyDeleteNirala jee Sabko dusre ki kamiya dikhtati hi h.or jb use pasand na kre to kuch jydya dikhti h.shi h Modi ne kya-2 kiya usko khojiye aap lekin nitish jee ne gandbandhan kyu khtam kiya jawab h??Selfish person khi n khi dhoka deta hi h wahi h nitish jee.or sir kis jatiwaad ki baat kr rhe aap nitish jee ka speech utha kr sun le kbhi hamesa sampradayewaad jaatiwaad ke alawa kuch nhi milega..sunane gya tha nitish jee ko jhanabad me safai de rhe the..kun h ye aapke nitish jee kisi ko communal khne wale..C.M banana tha tb yhi nitish jee talwa chaat rhe the Modi ki tarif bhi kr rhe the or gujraat dango ko bhulne ko bol rhe the kha gya wo natikta jb ye bhasan aapke priye de rhe the..jatjwaad aaplog suru kr rhe saahab humne to vikash ko vote diya.nitish ne kaam kiya kya Bjp ka haath usme nhi tha Aaj Bihar phir wahi jaa rha jha tha sirf ego ke karan..nitish koi mahan nhi h jo galtiya nhi krte dhundiye thoda..ya aankho ki pattu hataiye..Bihar me NDA ki sarkar ke baad koi Hindu-Muslim ki baat nhi krta tha kisne suru kiya Nitish jee ne..agar ek votebank ki rajneeti nhi krte to sublog saath hi rahte uska muka Bjp ne bhi uthaya..or Aap kis talwe chatne walo ki baat kr rhe agar aisa hota to modi ko chor kisi Uppercaste wale ki liye vote krta mai..khud sochiye Aap nitish ko vote kyu de rhe syad aapne jaat hi dekha hoga..Or koi kbhi pichdo ki rajneeti ke liye kisi ko chor nhi sakta warna sushil Modi Bjp ko yha se lead nhi krte..Ravish sir ki respect krta hu iska mtlb nhi ki differ n kru..Accha nhi lga jb kisi ne kisi ko vote nhi diya to jatiyo me baant diya unlogo ko..or aisa bhi nhi ki sirf upper caste ke badulat Bjp+ 31 seat le aaye..so sabke liye likhiye kyu sabne JDU ko chora..
ReplyDeleteनितीश जी अब बचे हुए वक़्त में पार्टी को कायकर्ता स्तर तक के प्रबंधन और सरकारी योजनाओ को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पंहुचने में आनेवाली बाधाओं (भ्रस्टाचार की बैतरणी ) को अपने प्रशासन के अनुभव से दूर करने जन हितकारी सरकारी योजनाओं के शीघ्र क्रियान्वन करवाने अपने सभी विधायको को अपने अपने छेत्र में ज्यादा से ज्यादा जन संपर्क बढाने को प्रेरित करने में लगाये तो उन्हें किसी सोशल इंजीनियरिंग किसी मीडिया प्रबंधन की जरूरत नहीं होगी .
ReplyDeleteऔर अंत में आपसे अपनी सोच के स्तर पर असहमत होते हुए भी सहमत होता हूँ |
ब्लॉग आप का है और आप के विचार उद्गार निश्वार्थ होते हैं इससे मन में आपके विचारों से कोई कटुता नहीं आती अपने ब्राह्मणत्व को अपमानित होना भी नहीं समझता |
अच्छा लगा कमेंट्स की बीच आपका घूस आना |
ये चमत्कार कैसे ? आदित्या जी और तपश्वी भारद्धाज दोनों के कॉमेंट्स एक दूसरे के फोटो कॉपी कैसे हो गए | बिचारों की ऐसी समानता ! कमाल है !!!
ReplyDeleteमिया नवाज़ शरीफ़ को बुलाया जाना बिलहुल सही कदम है, और विदेश नीति ऐसे ही गंभीरता और सहनशीलता से चलती है पर आपको याद तो होगा "मिया मुशर्रफ़ " और "जिन्होंने हमारे सैनिको के सर काटे उनसे दोस्ती कैसी " टाइप के जुमले। इन बातो से ऐसा जान पड़ता है बीजेपी ने जान बूझ कर एक नकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाई और इसके लिए उन्होंने देश का हिट भी ताक पे रख दिया था।
ReplyDeleteRavish ji.... ji kahne ki ab iksha nhi rhi... dil se kah rha hun... saabit kar di aapne aakhirkar ki aap nitish kumar se kam nhi hain.... doob mariye,, jis tarah se aaj kal aap lekh likh rhe hain,, forward caste walon k khilaf... reality to ye hai ki amir logon ne hamesha garibon ko dabaya hai... chahe wo forward ho ya backward... aur har backward ko aage lane me v kahin na kahin forward ka role kafi zyada rha hai... aapke show ki girti lokpriyata ka real karan maalum chal gya... jab aap ek national level k anchor(news)hokar aisi dogli rajnitigya wali baatein karte hain samaj ko aur kai saalon tak baantna chahte hain to aapke is show prime time ko ek aur family ki or se alwida... aapki shakal ab shayad hi kavi nishpaksh dikhegi... DNA,INDIA TV, ABP news sab acha lagne laga hai .... aur apka channel hi ab shayad lock karke rakhna sahi hoga because ur all statements (jabse chunaav aaya evam jabse aapke god nitish haare) totally proved ki u r no more a truly reliable tv anchor jisse ki nishpakshta ki koi ummed ki ja sake.... aur haan .. ek aur baat... kavi aap hum forward k v favourite rhe the... shame on u and the way u r behaving against all forwards.... god bless u sir....
ReplyDelete@rachitG
ReplyDeleteमेरी माँ के दुवाओं
का असर है
उसने बड़े
प्यार से
मुझे
कम्युनिस्ट
कहा है.
बहुत से लोग कहते है नितीश ने बीजेपी का साथ छोड़ा न की बीजेपी ने नितीश का और ओ इस लिए नितीश के अच्छे कामो के बाद भी बीजेपी के साथ है। 50 सालो तक यही वर्ग मुस्लिमो का इस्तेमाल करके सत्ता का मजा लिया और उन्हें हासिये पे भी रखा और जब काम निकल गया और मंडल की हवा चली तो अब हिंदुत्व याद आया। नितीश ने बिलकुल ठीक किया, सिर्फ प्रधानमंत्री बनाने के लिए बीजेपी के द्वारा प्रायोजित दंगा में सिर्फ मजफ्फरनगर और श्यामली में 100 से ज्यादा लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। सुच मानिये बिहार में नितीश और लालू जैसे नेता थेय नहीं तो इन संतन(बीजेपी) के जहाँ भी पैर पड़े वहाँ दंगा ही दंगा हुए। ऐसे लोगो के साथ रहने का मतलब था बिहार को भी उसी आग में झोख देना जिसमे उप्र जल रहा था। इस बात के लिए जहॉ नितीश को बधाई और वोट से नवाज़ा जाना चाहिए था ओहा इन्हे गठबंधन तोड़ने का दोषी ठहराया जा रहा है। नमो नमो
ReplyDeletenirala ji ...angoor khatte hai
ReplyDeleteबी पी सिंह और रविश कुमार जैसे लोग है इस लिए लोकतंत्र जिन्दा है , रही बात trp गिरने की तो रिमोट आपके हाथ में है मत देखिये रविश की रिपोर्ट। इस देश की 80 % जनता तो देखना चाहती है न। आँख बंद कर लेने से रात नहीं हो जाती, रविश की बातो तो तर्क से काटे, कुछ गलत हो तो उसकी आलोचना करे। याद रहे हुरदंग आपसे अच्छा लालू सेना करती थी, और उसपे आपको बड़ी तकलीफ होती थी। तो दोहरा मापदंड नहीं हो सकता "आप करे तो रासलीला और ओ करे तो हुरदंग"।
ReplyDeletekhisiyani billi
ReplyDeleteRavish bhai aapne badi satahi analysis ki nitishji ki party ke haarne ke kaarno ki.kya sirf forwards ke alag ho jaane se unki haar hui. Haar ki prishthbhoomi to pahle hi taiyar ho chuki thi. Aapne is tathya ki andekhi kar di ki pichda aur muslim vote jiske dam par wo virodhiyon ko charo khane chit karne chale the usne bhi unka saath chhod diya. Bjp se alag hote hi unhe iska ahsas raha hoga ki forward vote unhe kuch khaas nahi milega. Phir pichde unse kyon chitak gaye. Iske piche nitishji ki karya shaili bhi jimmedar hai.unke tenure me bhrashtachar khoob badha. Is baat se aam janta naaraz thi. Adhikariyon ki manmani thi.is baat se party vidhayak aur workers naaraz the. education ka aur bhi bura haal kar diya. Ayogya teachers ki bharti aur use mnrega ke majdooron se bhi kam vetan.is baat se teachers pahle se hi naaraz the. Doosre tenure me sell karne layak ek bhi uplabdhi nahi thi unke pass. Laakh koshishon ke bawjood rajya me nivesh nahi attract kar sake.berozgaron ki fauz ab bhi bihar me khadi hai. Sirf special status ke bharose aur laloo raj ka bhay dikhakar aap baar baar jeet nahi haasil kar sakte. Nitishiji shayad yah bhool gaye ki unki tulna ab unse hi hogi. Isliye unhe apne pahle tenure se behtar kaam karna tha jo unki sarkar abtak nahi kar paayi hai iska khamiyaza unki party ko bhugatna pada hai.jaatiwadi raajniti ka rona rone ka unhe haq nahi kyonki wo iske champion hain.
ReplyDeleteBaat mein dam hai sir.. aakhir ke paragraph mein... ye salah sirf nitish ke liye nahi balki Mulayam aur Mayawati ke liye bhi honi chahiye..unhe milkar logon ka vikash karna hoga..tabhi unki rajneeti bachegi..ab dalit varg ko bhi jatigat rajneeti nahi bhaati agar isme unka aur pradesh ka vikash nahi hai.
ReplyDeleteAgar BJP ko is chunav mein asha se jyada safalta mil gayi to kya neeche likhi cheezen galat saabit ho jati hai -
ReplyDelete1) BJP ne kai sari rallies ka coverage karke media channels ko feed provide kiya..
2) Prachar pe apaar paisa kharch kiya
3) Gujrat model ko bada chadakar pes kiya
4) Ek party ki wajah ek vyakti ke naam pe vote maange
5) Modi ji ne apne aap ko Chaiwala bataya, pichhdi jati ka bataya..south mein nichli jaati ka bataya aur yahan tak bola ki aarakshan baba saheb (Dr. Ambedkar) ne diya tha aur wo hi hata sakte hain (daliton ko khush karne ke liye)...
6)Modi ji ne rajneetik fayde ke liye har tarah ke jatigat samikaran banaye..bahut sare chhote dalon ke saath milkar..jinki ek seat bhi nahi aayi ho lekin unka vote bank BJP ke saath ho gaya..
7) Vikash ki baat ki..jo kai logo ko theek lagi..lekin gujrat development model ke reference mein..jo kai tarah se theek nahi hai..
यह आपकी मान्यता हो सकती है, परन्तु मै इससे इत्तेफाक नही रखता. बिहारी मैं भी हूँ मैंने भी पिछले विधानसभा में वोट दिया राजग को मुद्दा विकास ही था मॉडल बिहार का ही था परन्तु उस जनादेश में गठबंधन तोड़ने की अनुमति नही थी. शायद अब आप वस्तुस्थिति को समझ गये होंगे, लोग विकास के बिहार मॉडल से नाराज नही है लोग गठबंधन तोड़ने से नाराज है रविश जी. जाति के आधार पर लिखा यह पोस्ट मुझे बहुत आश्चर्यचकित कर रहा है की दिल्ली में भी इसी तरह की पढ़ाई और बहस होती है...जाति के आधार पर...
ReplyDeleteJo log ye bol rahe hain ki Ravish ji ne jaatigat rajneeti dikhayi aur cheezon ko galat pesh kiya..unhe ye samajhna chahiye ki Mayawati aur Mulayam ka core voter abhi bhi unke saath hai..lekin mayawati ko dusari jatiyon se koi support nahi mila..jiske chalte unke candidate nahi jeet paye..pahle ye log Maya ko chhose karte the is baar BJP ko choose kiya aur Mayawati ki seats zero ho gayi... iske liye Ravish jee to dosh dena galat hoga..
ReplyDeleteBy the way..bahut sare log aise hote hain jo aise candidate ko vote karna chahte hain jo jeete jiski sarkar bane..unke liye Modi ji ka campaign ne hawa bana di aur sabko yakeen ho gaya ki BJP jeetegi.. jiske chalte unhe kafi vote mile..aur kai sare factors ke saath ye bhi ek factor hai.
रवीश बाबू ये तो कुछ भी नहीं है... चैनल में आप जाति आधारित बर्तवाों से नहीं बच सकते... जिन लोगों के दिमाग में पहले से जाति और धर्म की सड़ांध भरी है... वो जाति खत्म करने की बात करते हैं... ये चुनाव सवर्ण गोलबंदी का सबसे बेहतर नमूना था... बाकि मोदी ने 29 दलों से गठबंधन कर जात, धर्म और क्षेत्र आधारित अच्छे फैसले किए... जिनको लगता है कि जात पात नहीं हुई है उनसे पूछिए पासवान, उपेंद्र जी, अनुप्रिया से किस तर्क पर गठबंधन हुआ... रही बात आपकी जाति की तो फख्र है कि वीपी सिंह और अर्जुन सिंह के बाद कोई सवर्ण कुछ अच्छा और सहनशील सोच पा रहा है... वैसे आपकी जाति का पता नहीं लेकिन आप जो भी हैं हेरोडेट्स की लाइन याद दिलाते हैं... हर सभ्य को ज्यादा सहनशील होना चाहिए खासकर असभ्य लोगों के प्रति... असभ्य का मतलब उस जमाने में था पिछड़े पायदान पर जो लोग हैं
ReplyDeleteरवीश बाबू ये तो कुछ भी नहीं है... चैनल में आप जाति आधारित बर्तवाों से नहीं बच सकते... जिन लोगों के दिमाग में पहले से जाति और धर्म की सड़ांध भरी है... वो जाति खत्म करने की बात करते हैं... ये चुनाव सवर्ण गोलबंदी का सबसे बेहतर नमूना था... बाकि मोदी ने 29 दलों से गठबंधन कर जात, धर्म और क्षेत्र आधारित अच्छे फैसले किए... जिनको लगता है कि जात पात नहीं हुई है उनसे पूछिए पासवान, उपेंद्र जी, अनुप्रिया से किस तर्क पर गठबंधन हुआ... रही बात आपकी जाति की तो फख्र है कि वीपी सिंह और अर्जुन सिंह के बाद कोई सवर्ण कुछ अच्छा और सहनशील सोच पा रहा है... वैसे आपकी जाति का पता नहीं लेकिन आप जो भी हैं हेरोडेट्स की लाइन याद दिलाते हैं... हर सभ्य को ज्यादा सहनशील होना चाहिए खासकर असभ्य लोगों के प्रति... असभ्य का मतलब उस जमाने में था पिछड़े पायदान पर जो लोग हैं
ReplyDeleteStill, Nitish and media are not understanding the ground realities of Bihar ! Yes, There was a period in Nitish's government dedicated to development of people of Bihar. Each and every strata of society had been benefited and participated collectively for change. In all development indices, We were among best performers but suddenly the inclusive growth has been derailed and we all witnessed consequences in form of Election result 2014. Why Nitish's government has been deviated from the intended path is now a million dollar question and many political and social scholars are searching for the right answer. But if you really wish to solve this puzzle, you should come to Bihar and ask same question from the ideal citizen of the state. It might be possible you will find difficulties to get ideal citizen ( Non-political, Unbiased, Not belong to mandal or kamandal) but at end you will get him. He will explain you the realities and facts that are responsible for decimated performance of JDU, RJD and other parties in the Election 2014. Some of the facts he will reveal to you are:-
ReplyDelete1. Bureaucrats belongs to one particular community are taking political decisions and influencing all government initiatives for betterment of particular community. They are using pseudo development policies and programs that are meant for the creation of illusion and are not targeting for development of downtrodden community.
Examples:
(A.) Online SC/ST, OBC scholarship application system: Students come from downtrodden society who don't know about application of internet how can he or she apply for scholarship. If someone reach to nearest cyber-caffe, He has to pay 250-500 Rs. for the process. Also, if you go through the process you will find how complex it is for computer skilled individual and the greatest irony is that you have to wait minimum 1.5- 2 years to get benefit. Why this is ? You will easily get answer from your conscience.
(B.) Biased Treatment: In Vedic age, Different punishments for same crime based on caste. If you are good observer you will easily feel it this practice in Bihar in its new form. Ex- Bathe Massacre Investigation and government stand, DIG- DGP chaos, Raid on particular community on basis of assets more than income and so on.
(C.) ill- managed education sector: Only enrollment of students in government school can't be a single validated parameters for development. if you go through state school curriculum and quality of education ( Books, Syllabus, examination assessments) then you will easily see the intended nature of pseudo-development.
(D.) Biased Promotion and Placements in Government services: Particular community have been benefited and rest are marginalized because head of the department belongs to said community.
(E.) Pseudo Inclusive growth: It is quite evident that Upper section of society have been benefited and downtrodden are still marginalized. That's why forward castes fear about speculated comeback of LALU Yadav.
I have observed many similar practices in all arena and sensed growing anger among downtrodden community against incumbent Government. Also was not surprised about the result 2014. People of Bihar want inclusive growth in its true form, Pseudo-inclusive growth can't be tolerated ( Maha-dalit CM and current policies and programs). If the messiah of backward castes (Nitish kumar, Sharad Yadav, Lalu Prasad Yadav, Ram vilas paswan) in bihar can't understand the situation then this particular community will not hesitate to go for BJP like they did it in last election. If you concern about forward castes then you should realize that they always flow with the current and successfully fulfill their intersts.
Thanks & Regards.
पूरे मुल्क का तो पता नहीं लेकिन यूपी में फ़िलहाल ज़ात पात का समीकरण खतम होता नहीं लग रहा थोड़ा वक़्त गुजरने दीजिए और इलेक्शन देखिये कास्ट फैक्टर फिर चलेगा और शायद पहले से ज्यादा, ये इलेक्शन तो जिताने से ज्यादा हराने के लिये था
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