पश्चिम उत्तर प्रदेश के मीडिया प्रभारी होने के नाते इस दौरान कई बार सिंह साहब से बात भी हुई । नेताओं के कार्यक्रम से लेकर स्टोरी तक की बात । मगर मिलने का मौक़ा नहीं मिला । ग़ाज़ियाबाद के इंदिरापुरम में नरेंद्र मोदी की सभा के पास के लिए जब मैंने अपने वरिष्ठ सहयोगी अखिलेश शर्मा को फ़ोन किया तो उन्होंने एस पी सिंह का नंबर दे दिया । अखिलेश ने कहा कि चले जाओ तुम्हें दिक्क्त नहीं होगी । फिर भी मैंने कहा कि प्लीज़ आप बात कर दीजिये पास के लिए । देर रात को अखिलेश का एस एम एस आया जिसमें एक नंबर था । जब मैंने अखिलेश के दिये नम्बर पर फ़ोन किया तो एस पी सिंह का नाम फ़्लैश होने लगा । अरे ये तो एस पी सिंह है । अभी तक बीजेपी में यही काम कर रहे हैं । उन्हें लेकर उत्सुकता बढ़ने लगी । मैं किसी का नंबर नहीं मिटाता । सबका रखता हूँ । आज से नहीं कई सालों से । कई लोग हैं जिनसे दस दस साल से बात कर रहा हूँ मगर मुलाक़ात नहीं ।
खैर जब सभा स्थल पर पहुँचा तो एक अति विनम्र और हँसमुख सरदार जी गेट पर ही मेरा इंतज़ार कर रहे थे । बाद में पता चला कि मेरे रिंग करते ही वे गेट की तरफ़ दौड़ पड़े थे । मुझे खुद अंदर ले जाना चाहते थे । ये हमारी पहली मुलाक़ात थी । सिंह साहब ने तो टीवी पर मुझे कई बार देखा होगा मगर मैं पहली बार मिल रहा था । मैं उनसे लिपट गया । उन्होंने भी मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और हाथ पकड़ कर भीड़ से रास्ता बनाते हुए प्रेस दीर्घा की तरफ़ ले गए ।
मैं अपनी खुशी छिपा नहीं पा रहा था । हमारे पेशे में जो रिश्ते बनते हैं वो कोई समझ नहीं सकता । ये आज का फ़ैशन हो गया है कि पत्रकार को मोदी समर्थक या विरोधी में बाँट कर गाली देना । मगर इस वहशीपन में भी कुछ लोग रिपोर्टर और पार्टी के कार्यकर्ता के रिश्तों को सामान्य तरीके से देखते हैं । निभाते चले जाते हैं । एस पी सिंह ने भी अपने मोबाइल में दिखाया कि देखिये मेरा नंबर सेव है । मैंने भी दिखा दिया । आपका भी सेव है ।
चौदह साल का रिश्ता और मुलाक़ात पहली । आप नहीं समझेंगे । ये तस्वीरें सिंह साहब ने व्हाट्स अप पर भेजी हैं जो मैं लगा रहा हूँ । सिंह साहब बीजेपी में जिस पद पर चौदह साल पहले थे उसी पर आज भी हैं । कोई शिकायत नहीं । कोई मलाल नहीं । मैं उन चौदह सालों में कहाँ से कहाँ आ गया, इसकी खुशी भी उन्हीं के चेहरे से ज़्यादा झलक रही थी । सिंह साहब प्यार से कभी पानी ला रहे थे तो कभी बैठने की जगह दे रहे थे । हमारी ये पहली मुलाक़ात याद रहेगी ।
आपसे मिलकर अच्छा लगा एस पी सिंह जी । आपके सफल राजनीतिक जीवन के लिए मेरी सभी शुभकामनायें ।
कुछ ऐसे रिश्ते होते हैं जो बिन बांधें बन जाते है !
ReplyDeleteSIR JI congratulations
ReplyDeleteRavishji mi aapke sabhi post or comments bhi padti hu.
ReplyDeletePata nahi aapko kaisa lagta hi par mujhe bada kharab lagta hi.
Unko samajh me nahi aata ki aap patrakar hi kisi party ke karyakarta nahi.
Aise hi log social media Ka mahual kharab karte hi
सभी के लिये इतना ही समय तय है या छूट वूट भी मिल जाती है जी
ReplyDelete" मैं किसी का नंबर नहीं मिटाता । सबका रखता हूँ" - इसका अनुभव है !
ReplyDeleteमेरे पापा का भी कुछ ऐसा ही है 1500 नंबर है फ़ोन बुक में रोड मज़दूर से लेकर रोड सेक्रेटरी के अब हाल यह है की मार्किट में टच फ़ोन के सिवाह कोई सिंपल फ़ोन नहीं मिलाता जिसमे इतने नंबर आ सके - टच फ़ोन उसे करना नहीं आता
चौदह साल का रिश्ता और मुलाक़ात पहली । आप नहीं समझेंगे । Aesa kyu ? thoda thoda to samaj hee rahe hai :)
nice feelings
ReplyDeleteThanks Ravish and Mr.Singh
ReplyDeleteज्येष्ठो भ्राता पिता चैव यः च विद्याम् प्रयच्छति |
त्रयः ते पितरो ज्ञेया धर्मे च पथि वर्तिनः
"It is to be known by him who treads the way of righteousness that he has three fatherly personages, namely his own father, his elder brother, and the one who accords education to him' -valmiki Ramayan
अजीव सा माहोल होगया है आज कल हर कोई कहताहै किसके साथ हो ! साथ हो तो क्यों तो क्यों हो. क्या किसी के साथ होना जरुरी है अरे हम वोटर है जिसको चाहे उसको वोट दे जब ये नेता अपने मैनिफेस्टो को चुनाव के ७ दिन पहले बताते हे तो फिर हम क्यों बताये की किसको वोट देगे ! स्वतंत्र भारत के जागरूक वोटर है वोतल में नहीं बिकेंगे ! ध्यान रखिये !७ दिन पहले मेनिफेस्टो लाते है और हमसे स्टाम्प पे लिखबाना चाहते है किसो वोट देंगे !
ReplyDeleteचौदह साल का रिश्ता और मुलाक़ात पहली । आप नहीं समझेंगे । ........
ReplyDeleteराम लौटकर आये 14 साल बाद और अपने छोटे भाई भरत को गले लगा लिया। ……हम समझ गए सर। ........................
काश हमारे पास भी आपका नंबर होता और हम भी आपसे बात कर पाते।
ReplyDeleteRavish sir, Jab bhi aapki koi report dekhta toh aisa lagta hai ki aaj ke modernisation ke mahol mai bhi kuch journalist hai jo zamini hakikat dikhana cahtey hai bina kuch compramise kartey huye.
ReplyDeleteHumne 90's bhi dekha aur 21's century bhi dekh rahey hai.
Sir kya mujhey aap ka email id mill sakta hai. utsavgoswami@yahoo.com
Ravish sir rishto ko jitna suljhao utna uljhate hai.
ReplyDeleteAap bhi to logo ko esi hi gunami se logo se or unki jarurto se payar karte h khusbo to aaegi kuch logo ko aap ki is aamiri se jaln ho Rahi hogi aap ki parsansa karna to choti baat hogi magar aap ka kaam usaki mahak aap tak jarur pahuche namskar mai hu ravis kumar
ReplyDeleteRaveesh baiya....bhut hi marmik hai aapka he post...sidhe sapat shabdo me aap gudh bate key jate ho.....thanks
ReplyDeleteMujh se bhi lagta hain aise hi mulakat hogi . 10 saal purani mobile ki kahani to hamari nahi hain . Lakin peechle 4 saal se to ek tarfa dosti chal hi rahi hain.
ReplyDeleteरविश जी प्राइम टाइम में टीवी पर आपके बहस देखे अरसे हो गए । कृपया बिच में सामय निकालकर एक बार प्राइम टाइम में आ जाइए ।
ReplyDeleteAccha hai..sir...lagae raheee
ReplyDeleteवाह ! शनिवार सुबह कुछ अच्छा अच्छा सा पढ़कर मन खुश हो गया।
ReplyDeleteRavish Ji you have proved that what is Journalism .
ReplyDeleteकिसी से १४ साल तक बिना मिले क्या इमेज बनी होगी, बड़ा रोचक लगता है।
ReplyDeleteRavishji sabse pahle Chaitee kshath kee badhai sweekar Karen. Aaj site( Chapra) se hajipur aate hue vahi chahal pahal ullas logon me dekha. Chapra me Ganga Maiya door chali gayee hai to vahan ke log Astachalgami Surya ko ardh dene ke liye Doriganj aur Aami kee ore Tempo aur apnee niji vehicle se bas aaye hee ja rahe the . Pata nahi kyo is Parv kee pavitrata aur Prakriti ke saath sanidya ka rishta dil ko choo jata hai.S P Singh aur hum jaiso ke saath bhi aapke rishton me bhi kshath ke pak rishto ka kuch ansh voh bhale nammatra ka ho. usse to koi inkar nahi kar sakta.Chahe to hamra bhi mobile no apne phonebook me save kar lijiyega yadi jagah ho to (9838502294)
ReplyDeleteRavish ji ab ek shikayat hai ..itna defensive kyu ho rahe hai ki aap log nahi samghenge..jinko samghana hai wo samgh jaayenge..aap hi se seekha hai maine ki saari duniya ka theka nahi liya hai Ravish Kumar ne..ye thoda safai type feeling de raha hai jiski jarurat nahi ..khuli hawa ka maja lijiye ..aur lage rhiye..jitni log burai kare samghiye utna aage jaa rahe hai ..!!
ReplyDeleterishton me bhawookata hona bada jaroori hai chahe wo 14 din ka ho chahe 14 saal ka aaj ki is professional time me kisi ko dekh kar ya milkar jo pyar umadta hai wo anmol hai ravish ji aur aap me main main is anmol soch ko mai salute karta hun
ReplyDeleterishton me bhawookata hona bada jaroori hai chahe wo 14 din ka ho chahe 14 saal ka aaj ki is professional time me kisi ko dekh kar ya milkar jo pyar umadta hai wo anmol hai ravish ji aur aap me main main is anmol soch ko mai salute karta hun
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ReplyDeleteप्रिय रविश जी,
ReplyDeleteशत शत नमन करता हू आपको और आपकी पत्रकारिता को | जब लोग पत्रकारिता का मतलब टीवी स्टूडियो और ट्विटर समझते है, आप ने इस देश को भारत की सही तस्वीर दिखाने की कोशिश की है| इसे बंद मत करना|
कभी कभी हो सकता है की आपके प्रयास का मतलब ये नही क़ि आपको अपना मनचाहा परिणाम मिले, लेकिन कोशिश करने मे कोई हर्ज नही है| ये आज़ादी भी तो बहुत कोशिश के बाद मिली है| आपकी पत्रकारिता देखकर यकीन होने लगता है कि क़लम, तलवार से ज़्यादा ताक़तवर है|
मैं भी आपका बहुत बड़ा प्रसशक हू| एक बार मिलने की अभिलासा है| कभी एक मेसेज ही कर दीजिएगा|
शत शत नमन...
आपका
पंकज(9916103636)
आपकी पत्रकारिता और ब्लॉग देखकर बड़ा अच्छा लगता है और जी चाहता है कि मैं भी पत्रकारिता में आ जाऊं..
ReplyDeleteyeh soh Sikhhon ka nature hi hota hai
ReplyDeleteअब मुझे भी जलन होने लगी है आपसे, आप इतने अच्छे कैसे हो सकते हैं :/ हे भगवान् अगले जनम मोहे रविश कुमार ही किज्यो
ReplyDeleteभाई आप जितने क़ाबिल हैं उतने शकल से नहीं लग रहे हैं इन फ़ोटुओं में 😊
ReplyDeleteएक नम्बर फ़क़ीर का भी रख लो भाई, क्या पता कभी काम ही आ जाए
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