दूसरी बात जो मुझे तूफ़ानी से सीखने लायक लगी वो है अपने काम को गंभीरता और संपूर्णता से करना । कहा कि मुझे गंदे ठेले पसंद नहीं । दिन भर साफ़ करता रहता हूँ । खाने में भी स्टैंडर्ड का सामान इस्तमाल करता हूँ । ठेले पर पीने के लिए पानी का एक जार भी कमाल तरीके से लगा देखा तो उसकी भी तस्वीर लो ली । यह जार भी साफ़ सुथरा था । कहानी का सार यह है कि अपने काम और रोज़गार को मोहब्बत से करना चाहिए ।
"अपने काम और रोज़गार को मोहब्बत से करना चाहिए " । ये तो स्कूल की मॉर्निंग असेंबली का थॉट ऑफ़ दी डे टाइप हो गया । हे हे ।
ReplyDeleteवो सब तो ठीक है। ये बताइए कि छोले कुल्चे खाए कि नहीं?
ReplyDeleteApne kaam ko jo puri imandari aur lagan se karne wala hi kabil hai.
ReplyDeleteAapne sahi kaha. Aap bhi TV se ur Anchoring se mohabbat kar lijiye.Jitna bhi koi gariyale par sashakt madhyam hai. Isne us class ko fi focus me la diya jisko log bina dimag ka samajhte hai .e.g Auraten ur mazdur varg jiske pas intellectuality ko palne posne ke liye samay nahi rahta.
ReplyDeleteSIR JI really different from what we have seen on T.V
ReplyDeleteIt really feels great to know that they are such honest people in the society.
SIR JI really different from what we have seen on T.V
ReplyDeleteIt really feels great to know that they are such honest people in the society.
Har chetra mein imandaar log hai....aur shyad unki sankhya jyada hi hogi...banispat beimaan logo se...
ReplyDeleteSachin ji kee gintee hi apke chahne walon me hotee hogi .....
ReplyDeleteSachin ji kee gintee bhi apke chahne walon me hotee hogee...
ReplyDeleteजोश और मोहब्बत अपने काम से।
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