साड़ियों की तलबगार महिलायें

हमारे मोहल्ले में तीन माॅल हैं । महागुन माॅल में मीना बाज़ार नाम का साड़ी की एक दुकान है । अक्सर सोचता था कि कौन ख़रीदता होगा यहाँ की गोटेदार साड़ियों को । सलमा सितारे से लैस । शनिवार की सुबह देखा कि मोहतरमाओं की क़तार लगी है । दुकान के अंदर भी भीड़ है । इतनी भीड़ है कि लोगों को बाहर रोक दिया गया है । तंगी की दुर्दशा झेल रहा हिन्दुस्तान का यह तबक़ा साड़ियों की दुकान के बाहर तो इंतज़ार कर सकता है मगर मुल्क के लिए साठ साल बहुत लगता है । जैसे हिन्दुस्तान के वजूद का सारा संदर्भ साठ साल हो गया है । 


21 comments:

  1. बाप रे। गजबे भीड़ है। "फ्लैट ५०% सेल " । कोई बता रहा था २६ जनवरी आदि को बिग बाज़ार में भीड़ के कारन कई जगह लाठी चार्ज करने की नौबत आ जाती है। यहाँ भी ब्लाक फ्राइडे आदि आदि नाम से सेल महोत्सव मनाया जाता है। .९ ९ का प्राइसिंग और सेल, पिछले दशक के महानतम आविष्कार हैं । इसके जनक को नोबल क्यों नहीं मिला अभी तक ?

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  2. SIR JI agar shopping ke liye pagal females nahi hogi to aur kyun hoga. After all yeh hamara janm sidh adhikar hai.

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  3. Hindustan me national highway se 5km dur jakar dekhein toh aaj bi 2 hi cheejein dikhti hai ek toh bisleri ki paani bottle aur dusri tobacco ki pudiya..ye durbhagya hai desh ka ki hum 60 saalon me logon ko peene ka saaf paani bi available nai karwa paaye.
    Rishabh jain(Mumbai)

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  4. Ravish Ji yeh badlta bharat hai.budha circuit noida mein kal truck race thi humare nair sir bhi dekhne gaye . kahne lage 500 ml water bottle rs 40 ki mil rahi thi. Garv kariye pani Itna mehnga mil raha hai bharat mata ki jai ho.

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  5. महिलओ के साथ खरीददारी करने वाले की धैर्य का कायल रहा हूँ। सब के बस की बात नहीं हैं।
    बहुतेरे कोशिश की पर हर बार असफल ही रहा। खासकर कपड़ो की दुकान पर जाता नहीं हुँ उनके साथ। एक तो समय अत्यधिक लगता है, दूजा हरेक दूसरा क्रय उन्हें घर पहुँचते ही उनकी नज़रो से गिर जाता हैं। कुछेक वापसी कि बात तो पार्किंग स्पेस से निकलते ही शुरू हो जाती हैं।

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  6. ६० साल पर विचारविमर्श होना चाहिए.

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  7. हमारी साड़ीप्रियता।

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  8. ravish ji,ak bat sochti hu ki sari pahanne ke avsar bhi kam hote ja rahe hai, aur dusare samay bhi nahi rahta,par na jane kya bat hai ki sari par dil aa hi jata hai.

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  9. प्रिय रवीश जी,

    आज पीटी पर आपका सहारनपुर वाला कार्यक्रम
    देखा. बहुत सुंदर, शर्मनाक स्थितियों को सामने लाने
    के लिए.

    शमा और फिरदौश जैसे बच्चों की समस्या
    कैसे दूर होगी सर. एक पढ़ना
    चाहती है, पर उसके सामने आर्थिक सामाजिक
    समस्या मुंह बाए खड़ी है, दूसरी बीपीएल कार्ड
    बनवाने के लिए किसी के मरने का इंतजार कर
    रही है. अजीब हाल है. दिल भर आया जब
    फिरदौश ने कहा कि मैं आत्महत्या कर लूंगी,
    वह भी एक बीपीएल कार्ड के लिए.

    यह है हमारे भारत की सच्चाई, जो हमारे
    नेता न देखना चाहते हैं, न दिखाना चाहते हैं.
    पता नहीं अपने भाषणों में वे किस सशक्त और समृद्ध
    भारत की चर्चा करते हैं.

    मुझे समझ नहीं आता यह सब कैसे ठीक होगा और
    हम कैसे इसमें अपना योगदान करें.

    और कार्यक्रम के अंत में जो शंका आपने जाहिर
    की...काश कोई उसे सुन पाता.

    आपको जितना भी धन्यवाद दूं, कम होगा.
    यह सही है कि आप भी अपनी नौकरी के तहत ही
    यह कर रहे हैं. लेकिन मीडिया में और भी लोग तो नौकरी कर रहे हैं, जो स्टूडियो में आलीशान कुरसियों पर बैठकर ८-१० लोगों को बिठाकर मनमरजी हांकते रहते हैं.

    आपके लिए एक विशेष धन्यवाद तो बनता है, सर.
    धन्यवाद.

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  10. aaj ka prime time 'beyond words'tha.
    " Chhup gae vo saaz-e-hasti chhed kar,ab to bas awaaz hi awaaz hai"
    SHAMA jaisi ladki ko padhane me anand aa jaye.Yahan Punjab me TV sab ke pas hoga,lekin koi padhana nahi chahta.Jab knowledge ki aisi talab hogi to neta logo se sawal karne ki himmat bhi aa jayegi.

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  11. janaab aaj aap ka PT bahot acha tha, Saharanpur wala. Bahot accha kaam kar rahe ho aap. Issi raah pe chalte raheiye

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  12. Namashkaar Ravish Ji, saw your today's report of remote village near Saharanpur. Just needed to ask.... if you can share the contact info of that sharp & intelligent girl named "Shamma", of course with the due permission of her family....so that something can be done to continue her higher studies. The point here is that if she gets a push then she can push others in her village & change the scenario there & for this atleast we don't need to wait for our beloved politicians to act upon. My email id -: pavelsingh@rediffmail.com . & thanks alot for covering this in your report because these days we just see reports wherein log jod tod mein lage hain....but by highlighting issues & conditions of these remote areas atleast you are creating awareness about the developments required in actual terms (not just by politicians but by us as well).

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  13. SIR JI your yesterday's show was really good.It was pathetic to know abut the conditions of the people living in remote area of SAHARANPUR. Without schools,colleges,no means of communication to the outer world.We just by one click see the whole world but they have to walk for several kilometers to get news from Mirzapur . I appreciate Shamma' s courage and his father's yearn to educate her.THANK YOU sir for bringing this painful reality in front of everybody. Now it is the time for the ministers to do their work in spite of suggesting the media to do their homework.

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  15. बेह्तरीन प्राइम टाइम कर रहे हैं आप रवीश|रिपोर्टर रवीश कुमार के रूप में आप हमेशा हमारे जेहन में गहरा असर छोड़ जाते हैं.....

    किसानो का हाल ...साठा चौरासी....सहारनपुर का गांव....यही तो है हमारा सचमुच का इंडिया|ज्यादातर जगह यही हाल है ...बस ह्म इन्हें देखते ही नहीं....

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  16. Ravish sir saharanpur jaise bharat mein bahut gao hai.sabhi ki samasya rozgaar padhai aur garibi hai. In samsayao ka hal kaise hoga kise chune sabhi chunaav ke chalte hi nazar aate hai.baad mein inki parchai bhi nazar nahi aati. Kya hoga samajh nahi aata.

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  17. In sabhi haalat per sharm netao ko nahi Hume aur humare samaj ko aani chahiye jo apne aap ko educated kahte hai.

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  18. Dear Ravish sir
    Its been recently that i have started viewing your programme and i feel proud that we still have very good jouranlist in our country.
    The point i want to make here is why cant you do smthing to increase the level of journalism in this country.

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  19. Dear Ravish sir
    Its been recently that i have started viewing your programme and i feel proud that we still have very good jouranlist in our country.
    The point i want to make here is why cant you do smthing to increase the level of journalism in this country.

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  20. Asha karti hoon saari aur sale ki duniya se agey nikal kar dekhe, humare desh ki mahilayein.

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