दिलबाग सिंह के पास जानकारी का एकमात्र ज़रिया अख़बार या टीवी है । अपने देखे या भोगे हुए यथार्थ की एक सीमा है । पूछने पर कि क्या बदला है छाती नहीं पीटने लगे । क़ीमतों के सहारे बदलाव बताने लगे कि पहले ताँबा तीस रुपये किलो था अब हज़ार रुपये हो गया है । बच्चे पढ़ लिख गए और अपना करते हैं ।एक मकान बनाया है । उनकी दुकान पर विशालकाय ताम्बे की केतली देखकर पूछा कि ये कब का है । तीस साल पुराना है जनाब । बीस लीटर पानी आता है । जो शख़्स तीस साल केतली संभाल कर रख सकता है उसे मौक़ा मिलता तो न जाने क्या क्या करता ।
अमृतसर की इन गलियों में अल्युमुनियम की ऐसी केतलियां काफी दिखीं । बड़ी बड़ी । हर शहर में बर्तनों की अपनी शैली होती है । उनका अपना सिलसिला बन जाता है । एक और दुकान पर केतली दिखी । तीस साल पुरानी । दिलबाग जैसे चाय वाले की तमाम दास्तानों पर एक चाय वाले का क़ब्ज़ा हो गया है । अरबों रुपये के विज्ञापन से बता रहा है कि वो चाय वाला है । अगर चाय वालों के अनुभवों को हम देखें तो सिर्फ दुख भरी दास्तान नहीं मिलेगी जिसे भुना कर या बता कर कोई देश का नेतृत्व मांग रहा है ।
अमृतसर की गलियों में सोने चाँदी की खूब दुकानें हैं । यहाँ भी करोलबाग की तरह बंगाल से सोने के कारीगर आकर रहते हैं । घोर पंजाबियत से भरी इस जगह में अब क़रीब पचीस हज़ार बंगाली रहते हैं । बीस साल पहले जब सोने का आयात खुला था तब खूब सोना आया । इसके लिए सोनार जाति के कारीगर कम पड़ गए । बंगाल से कई जातियों के कारीगर इस पेशे में आए । बंगाली ब्राह्मण भी खुद को सोनार कहते हैं । स्वर्ण मंदिर के सामने बांग्ला सुन सकते हैं । हमारे शहर बदल रहे हैं । उनकी राजनीतिक ज़रूरतें भी बदलेंगी ।
SIR JI in this context questioning should be done and that to with MR Modi. In his every speech he has mentioned that he used to sell tea ,then why are these people in such a pain.Is he not familiar with their conditions??
ReplyDeletegood work SIR JI.
Repeated that others may read too
ReplyDeletechahate-e –ravish,seerat- e tabdil::
nazrat –e-hafeez, fitrat-e sangdil
each of us desires change of character in name of the enlightened ,claims of gifts of protection of lord is nature of stone hearten
Ravish- sun ;
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ReplyDeleteबहुत साल से आपका प्रोग्राम देख रहा हूँ और आपका ब्लॉग भी फॉलो करता हूँ।
ReplyDeleteकभी कमेंट नहीं किया, पर आज सोचा चलो काशिश करता हूँ।
बस बताना चाहता हूँ कि आप जोभी कर रहे हो ठीक है, वैसे होता कौन हूँ बताने वाला, पर प्रोग्राम भी तो हमारे लिए ही है, फीडबैक तो बनता है sirji .
दुःख होता है जब दुसरे ज्यादातर चैनल्स पर और पत्रकारों का प्रोग्राम देखता हूँ कि कैसे हम सबको मुर्ख बनाने लगे हुए हैं। आजकल का आपका प्राइम टाइम का बदला हुआ पैटर्न भी अछा लग रहा है। सेट से बहार की दुनिया दिखा रहे हैं।
Sir ji yakin janiye aapko ek abhibhavak ka darja mil chuka hai.we all respect u lot.is vishwas aur reporting ko nishpaksh banaye rakhiyega...baki to jo hai so haiye se.
ReplyDeleteभावी प्रधानमंत्री के उम्मीदवार मोदी से भी पूछियेगा इस केतली के बारे में....
ReplyDeleteYe "MERA BHARAT MAHAN" wala Mahan Bharat hai....jahan chai bechne wale ne 30 se 1000 tak ka fasla dekh liya hai....aur jaise jita hai waise hi jite aa raha.....
ReplyDeleteAur use pata bhi nai...ki ek aur "So called" chai bechne wala singhasan ke liye pata nai kya kya kar baithega....
Khair kise fark padta hai....na Dilbag singh ko ..na mujhe...
राजनीति के चर्चे में इतिहास और समकालीन विवेचना भी,भई वाह.जीओ बहादुर, रवीश भाई
ReplyDeletejaliyavala bag ki dekhne ki ichha thi , aapke p.t. ne vo bhi puri kar di. dhanyavad ravish ji. aaj se 6 sal pahle andman ki selular jail dekhne ka avsar mila tha. un kalkothariyo ko dekhkar har kisi ki aankhe nam ho jati hai. pata nahi hamare neta log aisi jagho par jate hai ya nahi?
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (28.03.2014) को "
ReplyDeleteजय बोलें किसकी" (चर्चा अंक-1565)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें, वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।
aaj kal jo khud ko chai walo ka brand ambassador batate fir rahe hain...unhe kuch seekhna hoga in dilbag bhai sahab se...jinhone aaj bhi is adhunik yug mein us purani tambe ki ketli ko apne se door nahi hone diya..aur 56 inch wale ne iske bilkul ulat,jisne unhe chai ko khoob ubaal ke pakane ke gur sikhaye...aaj unhi ko kinare kar diya gaya hai.
ReplyDeleteसर प्रणाम , आपसे विन्रम अनुरोध है कृप्या सन्देश को अवश्य व् पूर्ण पढ़े | रविश सर , आज 25 मार्च के प्राइम टाइम का कार्यक्रम कैसा था ये शब्दों में नहीं बयाँ कर सकता हूँ ? वास्तव में आपकी पत्रकारिता का कोई जवाब नहीं है | वास्तव में शब्दों के समुंद्र में से आप ऐसे शब्दों से अपनी बात को सुशोभित करते हो जो दिल को छु जाते है | आपने अपने कार्यकर्म के मध्य में एक नयी उभरती हुई पत्रकार को बोलने का एक सुअवसर प्रदान किया पर वो इसका सही इस्तमाल करने में असफल रही | उस युवा पत्रकार की रिपोर्टिंग में शब्दों का अकाल महसूस हो रहा था |अंग्रजी भाषा का हिंदी में पत्रकारिता करते समय इस्तमाल मुझे बहुत बुरा लगता है जैसे वो युवा पत्रकार कर रही थी | आपसे अनुरोध है उस युवा पत्रकार तक मेरा सन्देश पहुँचाने का कष्ट करे और हिंदी के युवा पत्रकारों को ये अवश्य आप सुझाव देते रहा करे की वो हिंदी माध्यम में पत्रकारिता करते समय केवल हिंदी का इस्तमाल करे जहा आवश्यक हो वहां ही अन्य भाषा का इस्तमाल करे | आज कल में हिंदी पत्रकारो की कमी हो गयी है हर चैनल का हिंदी एंकर अंग्रजी का इस्तमाल करता है | अगर ऐसा ही रहा तो शायद हिंदी पत्रकारिता के दिन कुछ समय बाद भारत से लद जायेंगे | आपके साथ व् ndtv के साथ जुड़ने का एक अपना अलग महत्व में | अगर भारत में पत्रकारिता को किसी टीवी चैनल ने जीवित रखा था तो वो आपका चैनल ही है | अगर ndtv नहीं होता तो कैसा होता भारत का मीडिया ये सोचा नहीं जा सकता | आपके बारे में बोलने के लिए तो शब्द ही नहीं है सर , मै भी एक छोटा सा युवा पत्रकार हु और मास्टर किया है पत्रकारिता में | परन्तु जीवन का लक्ष्य सिविल सेवा है |धन्यवाद सर , आशीष दे मेरे आगामी भविष्य के लिए | आप मेरे लिए बहुत आदरणीय है | आप गरीबों के दर्द को वास्तव में महसूस करते है इसी लिए आपकी पत्रकारिता पसंद है | आपका प्रशंसक - मनप्रीत सिंह ( हरियाणा )
ReplyDeleteWednesday 10:40am
सर आपकी दिल्ली की मीडिया से एक शिकायत है कि वहां की मीडिया हमारे हरियाणा के मुद्दों पर असवेदंशील क्यों बनी रहती है ? आपको हरियाणा का भागना गाव का प्रकरण तो पता होगा सर ? वहा पर अभी स्वर्ण समुदाय के लोगो से दलित समुदाय की महिलाओं के साथ गैंग रेप किया है ! आप हरियाणा के हिसार जिले के पिछले कुछ दिनों के पत्र पढ़े कृप्या और विषय की गंभीरता को देखे . आपसे विन्रम अनुरोध है सर कृप्या
आपका परम् प्रशंसक
मनप्रीत सिंह
Hum Hindustani atit ko itne aasani se alag nahi hone dete, ho bhi kyun nahi jab atis samirdha ho . Dilbagh singh kee ketali kee chai ka swad to alag hi hoga . Anita ji kee tippadi ko netao ko forward kar dena chahiye . Bahoot khoob.
ReplyDeleteसर जी आप हट के हो इसलिए आपको पसंद करते हैं। कही न कही आप हम में से एक हो। आप बहुत अच्छा कर रहे हो। इन्तजार रहेगा उत्तराखंड पहुचने का।
ReplyDeleteHI Ravish
ReplyDeleteyour childhood friend at engineers club patna
Rajiv Ranjan Ojha
want to contact u urgently...
9560527961,Delhi
Thanks for your visit to Punjab!
ReplyDeleteAaj Jalandhar ki report me kuchh ek kisson ko chhod kar apko youth se nirasha mehsoos hui hogi.Hai na?Is par ek likhiye plz,kiya sochne par majboor kiya Punjab ke halaat ne apko?
NDTV INDIA ....TRULY INDIA
ReplyDeleteAchi report hai Sir. Main ye janna chah raha hu ki koi bhi Party jo Candidate Election me utarti hai uski Jankari kaha se pata kare.
ReplyDeleteKya Election commission ki site me hoga???
Please help me to compare among the candidates.
Send a link or msg
Email id - deepak.93p@gmail.com
sir,plz comments pr apni pratikriya bhi dia kare
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ReplyDeleteKabhi news nahi dekhta tha jayada, AK ke chakar main dekhne laga, apke kuch prime time show dekhe aur Aapka to main fan ho gaya, ab ye blog bhi padhta hoon.
ReplyDeleteI salute you
Ravish Sir kabhi Moka mile to meri kahani bhi padh dena TV pe, is jahreele chunaw main jaroori hai..
ReplyDeleteअंजाना डर
मैं एक हिन्दू हूँ और ये मेरी सच्ची कहानी है
मैं पैदा हुआ, मुझे नहीं पता था कि हिन्दू क्या है और मुस्लमान क्या है
जब थोडा बड़ा हुआ तो स्कूल मैं पढ़ाया गया, हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई , आपस मैं सब भाई भाई. थोडा दिम्माग मैं आया कि अछा हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कुछ होते हैं.
थोडा और बड़ा हुआ, निबंद "एस्से" लिखा, कुछ लिखा हिन्दू मुस्लमान के बारे मैं
कभी धरातल पे हमे अवगत नहीं कराया गया कि हिन्दू क्या है और मुस्लमान क्या है. इतना पता चल गया था कि हम मंदिर जाते है मुस्लमान मस्जिद जाते हैं.
धीरे धीरे हमे ये अहसास दिलाया गया , किसी एक ने नहीं समाज ने (जाने अनजाने), कि मुस्लिम कोई हौवा है, मंदिर मैं आया तो पता नहीं क्या हो जायेगा.
बाबरी टूटी, हम स्कूल मैं थे , न्यूज़ देखि, जयादा समझ नहीं आया, हमे जाने अनजाने बताया गया कि अच्छा हुआ हमने हिंदुओं कि जमीन वापस ले ली.
कुल मिला के धीरे धीरे मेरे मन मैं एक अंजना से दूरी बना दी गयी मुस्लिम्स के लिए, और मैंने जयादा कभी सोचा नहीं. फिल्मे बनी थी नाना पटेगर वाली लेकिन समझ नहीं आती थी उस समय
क्योंकि आप हिन्दू मेजोरिटी एरिया मैं रहते हो, तो अधिकतर दोस्त हिन्दू होते हैं, कभी कोई न्यूज़ मिलेगी दोस्त से मुस्लिम कि तो हेट स्पीच्च कि मिलेगे आपको. दूरियां और बढ़ेंगी
मैं इंग्लैंड आया जॉब मैं ट्रान्सफर होकर, काफी मुस्लिम्स से रूबरू हुआ , मेरे ऑफिस मैं "आई आई टी" का एक बंदा था " आईटी हेड Ekh….. Bari ... मैं उससे मिला , उसके साथ खाना खाया, मौज मस्त भी कि, धीरे धीरे और काफी लोगो से मिला. पता चला कि जो अंजाना डर दिल मैं था वो झूठा था
अब ३४ साल का हुआ तो समझ आया कि पॉलिटिक्स का किया धरा है, ये फ़िल्म मैं ही नहीं असलियत मैं है.
हिन्दू मुस्लिम आजादी से पहले एक थे, साथ मिलके लड़े थे, क्या कोई कारन है कि हिन्दू मुस्लिम आपस मैं बैर करें? अंग्रेज़ों कि लगायी आग है जिसमें आज राजनेतिक पार्टिया घी डाल रही है.
मेरा निवेदन है ऐसे घटिया पॉलिटिक्स को जड़ से उखाड़ के फेंक दो, दिल के अनजाने डर को निकाल दो.
ये मेरी सची कहानी है और मैं एक आम आदमी हूँ, गवार नहीं हूँ, अनपढ़ नहीं हूँ, बेरोजगार भी नहीं हूँ, कुछ BJP वाले बोलते हैं ऐसा इसलिए पहले ही सफाई दे रहा हूँ .
मेरा नाम रविंदर दहिया है
Aap ko abhi tak chaya walon ka dukh dard nahin dikhta tha kya?
ReplyDeleteModi ne chaya bechne ko kya kaha ki sab ko chay walon ki sudhi aa gayi.
बहुत हि बढ़िया बात उठायी है , रविश भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
Ravish Ji...Zyada nahin kahunga paratu, kahani kehne mein aapka jawab nahin....mujhe lagta nahi tha ki iss shor sharabe mein aaram aur sukun se kahani kehne walla bhi koi milega...accha lagta hai aapko sun na.
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