'अब मीडिया के विशिष्ट लोग भी देश में स्थिर सरकार बनाने की मुहिम में भाजपा की सदस्यता स्वीकार कर रहे हैं- राजनाथ सिंह ( पूर्व कांग्रेसी पत्रकार और पूर्व पत्रकार एम जे अकबर के बीजेपी में शामिल होने पर )
पत्रकारिता और राजनीति की दूरियाँ तो पहले से ही कम रहीं है। पूरक ही कह सकते हैं एक दुसरे के। खबर कहाँ बनती हैं राजनीति के बगैर और राजनीति की पहुँच कहाँ पत्रकारिता के बगैर। सार्थक राजनीति में कई पत्रकारों ने बहुत मुल्यवान भुमिका निभाई हैं
पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों पर बोलने की ना समझ हैं और ना ही औक़ात है,इस पेशे से अपना फासला खानदानी हैं
राजनीति और लीची। आपके कीमती समय व सुझाव का आग्रह
more at छुटता बंधन -7 http://atulavach.blogspot.in/
23 मार्च है शहीद दिवस आज सुबह से ही फ़ेसबुक में शहीद दिवस के नायक को लाइक मिल रहे हैं, मिलने भी चाईए, 1923 में लाहौर के नॅशनल लॉ कॉलेज के एक छात्र ने अपने पढ़ाई, घर, धर्म सब इसलिए छोड़ा था की शहीद होने के लगभग 83 साल बाद किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर उसे खूब सम्मान मिले अब उस सम्मान की भी हालत देख लेते हैं, फ़ेसबुक में भगत सिंह के बारे में सबसे ज़्यादा लाइक्ड पेज में उनकी ज़िंदगी के बारे में कोई भी जानकारी नही है, पूरे फ़ेसबुक में 0 लाइक से लेकर दस लाख से ज़्यादा लाइक रखने वाले लगभग 73 पेज भगत सिंह को समर्पित हैं जिनमे से किसी में उनका प्रोफेशन पॉलिटीशियन बताया गया है तो किसी में भगत सिंह काल्पनिक किरदार मतलब फिक्षनल कॅरक्टर हैं| वलदमिर लेनिन, कार्ल मार्क, लियोन ट्रोट्स्की को पढ़ने वाले भगत सिंह ने यूं तो जीते जी कम्यूनिस्ट पार्टी से कोई नाता नही रखा पर एक फ़ेसबुक पेज में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से उनके संबंध काफ़ी अच्छे दिख रहे हैं, भगत सिंग कहीं चाय पर चर्चा कर रहे हैं तो कहीं बिजली का तार जोड़ते मनीष सिसोदिया और स्टील का ग्लास लिए बैठ अरविंद केजरीवाल के फोटो शेयर कर रहे हैं|एक पेज में तो भगत सिंह एक धर्म विशेष का प्रमोशन करते दिख रहे हैं जबकि असल ज़िंदगी में भगत सिंह नास्तिक थे| आज जब से आँख खुली है तब से अध्यन कर रहा हूँ दुख की बात है की इन सारे पेजो में मुश्किल से कहीं भी भगत सिंह के किसी भी विचार या संदेश का ज़िक्र मिला भगत सिंह द्वारा अपनी ज़िंदगी के दौरान लिखे गये तमाम लेख, जेल के अंतिम दिनो में 404 पन्नो की बनाई उनकी डाइयरी में से ही किसी को कुछ भी पोस्ट या शेयर करने योग्य कुछ नही मिला भगत सिंह फाँसी पर चढ़कर देश को अपनी कुर्बानी का संदेश नही देना चाहते थे बल्कि कुर्बानी के ज़रिए वो अपने विचारो को देश के लोगो तक पहुँचाना चाहते थे पर शायद हमने भगत सिंह के आदर्श भारत के सपने को पूरा कर दिया है इसलिए हमे अब उनके विचारो की ज़रूरत नही है, क्रांतिकारी के साथ साथ भगत सिंह एक महान विचारक भी थे, पर हमने उनकी छवि को देश पे कुर्बान होने वाले दीवाने युवक की तक सीमित रखना ठीक समझा, वो इंसान कितना महान होगा जिसने लोगो को कुछ समझाने के लिए अपनी मौत को चुना पर हम ऐसे इंसान की किसी भी बात का अनुसरण करने की बजाए उसकी शाहादत का एहसान फ़ेसबुक के लाइक से चुका रहे हैं| मुझे लगता है जिस इंसान ने मौत को भी मुस्कुराते हुए गले लगाया आज ये सब देखकर उसकी आँखे नम होंगी| originally posted in http://www.swatantr.wordpress.com
This is a new pathway of their politics....in which the ones who had led their previous govt are of no use now and ones who had absued their govt and party thruout their lyf will be the new leaders of their govt...
GOD KNOWS...hope the Indian voters also analyse these things and cast their precious VOTE...
Ravish sir..ek gujarish...jis din aap 9 baje nai aane wale ho...usdin kripya pehle suchit kar de...blog ya twitter k madhyam se...aanke garaye rehta hu aur aap nai aate to mann kharab ho jata hai...
मोदी जी यदि वाराणसी और वडोदरा से जीतते हें तो उन्हें एक लोकसभा तथा एक विधानसभा सीट भी खाली करनी होगी ..... यदि दोनों सीटों से हारते हें तो भी वोगुजरात से मुख्यमंत्री बने रहेंगे..डर इतना है की अभी तक मुख्यमंत्री पद अभी तक खली नहीं किया है ....अब सोचये यदि लहर होती तो एक साथ तीन नावों पैर पांव न रखत
बीजेपी का कांग्रेसीकारण हो रहा है, कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का मोदी जी का यह सपना पूरा होता नजर आ रहा है एक दिन जब सारे कांग्रेसी बीजेपी में आ जायेंगे तो देश कांग्रेस फ्री तो हो ही जाएगा.
Sir kaafi samay se aapki taraf se koi film samiksha nahi aayi hai...Lunch box dekhi thi maine aapka blog padhke...achhi lagi thi..
ReplyDeleteबीजेपी अब शहर की एक ऐसी नदी बनती जा रही हैं जिसमे हर किस्म के नाले गिर रहे हैं ऐसा चलता रहा तो नदी को गटर बनते देर नही
ReplyDeleteRavish sir abhi Kuch nahi kah sakte hai. Picture abhi baki hai. Dekhte rahiye band baja chunav. Namskar. ...
ReplyDeleteSIR JI these things are now common these days.
ReplyDeleteWell how profitable was it to include them in the party? we all will come to know it later on.
"Aage aage dekhiye hota hai kya" nayee party "BHANGRESS"
ReplyDeleteपत्रकारिता और राजनीति की दूरियाँ तो पहले से ही कम रहीं है। पूरक ही कह सकते हैं एक दुसरे के। खबर कहाँ बनती हैं राजनीति के बगैर और राजनीति की पहुँच कहाँ पत्रकारिता के बगैर। सार्थक राजनीति में कई पत्रकारों ने बहुत मुल्यवान भुमिका निभाई हैं
ReplyDeleteपत्रकारिता के नैतिक मूल्यों पर बोलने की ना समझ हैं और ना ही औक़ात है,इस पेशे से अपना फासला खानदानी हैं
राजनीति और लीची। आपके कीमती समय व सुझाव का आग्रह
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Kaash AAP mein shamil ho gaye hote to Ravish ji ke gusse ka saamna to nahi karna padta !!!
ReplyDeleteSir aap to kuch aisa likha kariye jisme ye rajniti ki bat na ho.pata hai aap aise lagte hai jaise koi dost se bat kar raha ho.
ReplyDeleteHad hai Aap TV wale patrakar khud ek dusre ko congresi or bhajpai bolte ho or khud ko gair rajnitik batane ki hod hai
ReplyDeleteAfter MJ Akbar, Pramod Muthalik joins BJP - what a motley crowd the BJP is turning out to be!
ReplyDeleteOn one hand Lekhi asks women to vote for her if they want secure future in Delhi on the other hand BJP inducts Muthalik!
Are you missing twitter or have you by mistake posted a tweet on this blog site (restricting yourself to less than 140 characters)!
लाइक भगत सिंह ….
ReplyDelete23 मार्च है शहीद दिवस आज सुबह से ही फ़ेसबुक में शहीद दिवस के नायक को लाइक मिल रहे हैं, मिलने भी चाईए, 1923 में लाहौर के नॅशनल लॉ कॉलेज के एक छात्र ने अपने पढ़ाई, घर, धर्म सब इसलिए छोड़ा था की शहीद होने के लगभग 83 साल बाद किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर उसे खूब सम्मान मिले अब उस सम्मान की भी हालत देख लेते हैं, फ़ेसबुक में भगत सिंह के बारे में सबसे ज़्यादा लाइक्ड पेज में उनकी ज़िंदगी के बारे में कोई भी जानकारी नही है, पूरे फ़ेसबुक में 0 लाइक से लेकर दस लाख से ज़्यादा लाइक रखने वाले लगभग 73 पेज भगत सिंह को समर्पित हैं जिनमे से किसी में उनका प्रोफेशन पॉलिटीशियन बताया गया है तो किसी में भगत सिंह काल्पनिक किरदार मतलब फिक्षनल कॅरक्टर हैं| वलदमिर लेनिन, कार्ल मार्क, लियोन ट्रोट्स्की को पढ़ने वाले भगत सिंह ने यूं तो जीते जी कम्यूनिस्ट पार्टी से कोई नाता नही रखा पर एक फ़ेसबुक पेज में कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से उनके संबंध काफ़ी अच्छे दिख रहे हैं, भगत सिंग कहीं चाय पर चर्चा कर रहे हैं तो कहीं बिजली का तार जोड़ते मनीष सिसोदिया और स्टील का ग्लास लिए बैठ अरविंद केजरीवाल के फोटो शेयर कर रहे हैं|एक पेज में तो भगत सिंह एक धर्म विशेष का प्रमोशन करते दिख रहे हैं जबकि असल ज़िंदगी में भगत सिंह नास्तिक थे| आज जब से आँख खुली है तब से अध्यन कर रहा हूँ दुख की बात है की इन सारे पेजो में मुश्किल से कहीं भी भगत सिंह के किसी भी विचार या संदेश का ज़िक्र मिला भगत सिंह द्वारा अपनी ज़िंदगी के दौरान लिखे गये तमाम लेख, जेल के अंतिम दिनो में 404 पन्नो की बनाई उनकी डाइयरी में से ही किसी को कुछ भी पोस्ट या शेयर करने योग्य कुछ नही मिला भगत सिंह फाँसी पर चढ़कर देश को अपनी कुर्बानी का संदेश नही देना चाहते थे बल्कि कुर्बानी के ज़रिए वो अपने विचारो को देश के लोगो तक पहुँचाना चाहते थे पर शायद हमने भगत सिंह के आदर्श भारत के सपने को पूरा कर दिया है इसलिए हमे अब उनके विचारो की ज़रूरत नही है, क्रांतिकारी के साथ साथ भगत सिंह एक महान विचारक भी थे, पर हमने उनकी छवि को देश पे कुर्बान होने वाले दीवाने युवक की तक सीमित रखना ठीक समझा, वो इंसान कितना महान होगा जिसने लोगो को कुछ समझाने के लिए अपनी मौत को चुना पर हम ऐसे इंसान की किसी भी बात का अनुसरण करने की बजाए उसकी शाहादत का एहसान फ़ेसबुक के लाइक से चुका रहे हैं| मुझे लगता है जिस इंसान ने मौत को भी मुस्कुराते हुए गले लगाया आज ये सब देखकर उसकी आँखे नम होंगी|
originally posted in http://www.swatantr.wordpress.com
This is a new pathway of their politics....in which the ones who had led their previous govt are of no use now and ones who had absued their govt and party thruout their lyf will be the new leaders of their govt...
ReplyDeleteGOD KNOWS...hope the Indian voters also analyse these things and cast their precious VOTE...
Ravish sir..ek gujarish...jis din aap 9 baje nai aane wale ho...usdin kripya pehle suchit kar de...blog ya twitter k madhyam se...aanke garaye rehta hu aur aap nai aate to mann kharab ho jata hai...
ReplyDeleteha ha ha UPA was also stable for 10 years !!!
ReplyDeleteमोदी जी यदि वाराणसी और वडोदरा से जीतते हें तो उन्हें एक लोकसभा तथा एक विधानसभा सीट भी खाली करनी होगी ..... यदि दोनों सीटों से हारते हें तो भी वोगुजरात से मुख्यमंत्री बने रहेंगे..डर इतना है की अभी तक मुख्यमंत्री पद अभी तक खली नहीं किया है ....अब सोचये यदि लहर होती तो एक साथ तीन नावों पैर पांव न रखत
ReplyDeleteDuniya bhar k log sab chod chad kar aa rahe hain par jiske lie aa rahe h wo chipku chipka hua h.. RAAJGADDI se.. :-) ..
ReplyDeleteबीजेपी का कांग्रेसीकारण हो रहा है, कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का मोदी जी का यह सपना पूरा होता नजर आ रहा है एक दिन जब सारे कांग्रेसी बीजेपी में आ जायेंगे तो देश कांग्रेस फ्री तो हो ही जाएगा.
ReplyDeleteBJP iss chunavi mousam me ganga ho gai hai, ki nadi nale jo bhi gir rahe hai girane do.
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