पिछले एक घंटे से करवट बदलते बदलते थक गया । सोचने की सीमा नहीं होती । अकेले जागते जागते आप मनलोक में विचरण करने लगते हैं । मनजगत जब जागृत होता है तब आप ख़ुद में भटकने लगते हैं । पुराने दोस्तों के बारे में सोचने लगते हैं तो टीवी के किसी शो के लिए ख़ास लाइनें या तस्वीरों का ख़्याल आने लगता है । हम सब एक निरंतर असुरक्षा की स्थिति में जीने लगे हैं पर क्या सुरक्षित व्यक्ति हमेशा गहरी नींद में ही सोया रहता होगा । ऐसा तो हो नहीं सकता । पर आज ऐसा क्या हुआ कि तीन बजे सुबह ही नींद टूट गई है और मैं प्राइम टाइम का इंट्रो सोचने लगा । मैं क्यों अपने आप से कहने लगा हूँ कि लोगों को टीवी और अख़बार से कम से कम नाता रखना चाहिए । पर इससे क्या बदल जाएगा । कोई कह सकता है कि इन्हीं माध्यमों ने अच्छे काम भी किये हैं और करते भी हैं । पर मेरी सैलरी का क्या होगा और पेंशन नहीं मिलेगा तो बुढ़ापा कैसे कटेगा । क्या ये सब सोचने का यही वक्त है ।
मूल बात यह है कि नींद नहीं आ रही है । बड़बड़ाने की अवस्था में ब्लाग लिखने लगा हूँ । मन उचट गया है । ऐसा लगता है आप चारों तरफ़ शून्य से घिरे हैं । भरने की कोशिश कर रहे हैं मगर भर नहीं रहा । हाथ का दर्द लगातार लिखने से बढ़ता जा रहा है । फिर भी लिखे बिना रहा नहीं जाता । इस दर्द के कारण ट्वीटर फ़ेसबुक बंद कर देता हूँ मगर ब्लाग लिखने लगता हूँ । जितना दर्द बढ़ता है उतना लिखने लगता हूँ । कील और तार की जगह जलन होने लगी है ।
कहीं मैं बचपन में देखे उस शख़्स की तरह तो नहीं हो गया जो पटना शहर के खंभों और दीवारों पर कोयले से लिखता रहता था । हिन्दी और अंग्रेज़ी में । एक वाक्य का दूसरे वाक्य से कोई रिश्ता नहीं होता है । एक वाक्य में भी क्रियाएँ नहीं होती थीं । इंदिरा गांधी और आपातकाल को लेकर गालियाँ होती थीं और फिर दुनिया भर की बातें । यह शख़्स मेरे लिखने के लम्हों में याद आता रहता है । टोबा टेक सिंह की तरह ।
फ़िलहाल तो जाग रहा हूँ यह सोचते हुए कि जागा रहा तो रात नौ बजे प्राइम टाइम कैसे करूँगा । क्या होगा । अजीब है । जागना कितनी तकलीफ़देह है ।
Bada badiya laga aapne kisano ki baat uthayi. Ek candidate hai jo kisano ki baat kar raha hai.
ReplyDeletehttps://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=10201539929011308&id=645693545467787&aymt_tip=1
Desh mein aghoshit emergency lagi hui hai..... Tanashai itrarahi hai...... Kon iss desh ko bachayega.... Pata nahi kya hoga....
ReplyDeleteIsh bar to modi jee kitno ke need uda denge aap tension kahe lete hai sir jee --Dr. Anil panchayt shiksha bihar
ReplyDeleteआप की अवस्था कष्ट दायक तो हैं पर हम से तो बेहतर हैं जो आँख खोल कर सो रहे हैं।
ReplyDeleteWHY MEDIA IS SILENT ON MATHURA TEMPLE AND SARDAR PATEL STATUE, WHILE IT WENT ALL OUT AGAINST DALIT MEMORIAL PARKS ???
ReplyDeleteअपने भीतर सो जाने से तो अच्छा है जागते रहना। मैं भी रोज़ जल्दी जागने की कोशिश करता हूँ। पर उसका कोई मनोवैज्ञानिक /सामाजिक कारण नहीं। यहाँ तो कुत्ते भी excuse me कर के भौकतें हैं। जल्दी जाग जाता हूँ ताकि सुबह एक बार कि जगह दो बार नाश्ता कर लूँ। दूध के साथ बना कुछ खा लूँ और फिर चाय भी पि सकूँ। साथ में पराठा भी मिल जाए तो क्या बात। ओह ! सोचकर ही बेचैनी हो रही है। मैं चला सोने।
ReplyDeleteऔर हाँ , हाथ के लिए किसी फ़िज़ियोथेरेपिस्ट को दिखा लीजिए। वो लोग अच्छा एक्सरसाइज़ बता देता है। बिना दवाई के धीरे धीरे आराम भी हो जाता है।
:ओ पड़ दी , गुड़गुड़ दी , हाथ दी, बेध्यान दी ,मूँग दी दाल ऑफ़ दी पेन "
Ravish sir, aap jis parkaar ke issue Prime Time pe la rahen hain, shayad apko Darr aa gaya hai ki TRP ki daud mein peeche na reh jaaye. Lekin ye Darr to hamen bhi hai...kahin TRP ke chakkar mein NDTV waale kahin Deepak chaurasia ko na baitha de Prime Time pe....
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ReplyDeleteRavish Ji,,, Jagna Taklif dey he... par kuch karne, badlne ke liye jagna aur prime time karna jaruri he.......
ReplyDeleteKisaano pe focus karne ke liye sukriya........
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ReplyDeleteSIR JI jagna taklif dey hai par introspection ke liye kitna time mil gaya aapko.
ReplyDeleteरवीश भाई, मुझे इसमें काफी उच्च स्तर के व्यंग कि झलक लग रही है, हरिशंकर परसाई के लेवल का, पर मैं गलत भी हो सकता हूँ।
ReplyDeleteLo kal lo baat.... Arey ravish ji hum to sochtey thee ki guru yey aadmi tie laga kar , dhadam dhudum Bol bal key mast celebrity ban key jindagi ka aanand ley raha hai , per yey kya aap ko bhi hum logo ki tareh raatain jag jag kar kabhi kabhi bitani parti hai , shayad yey hi aapki khasiyat hai aap bhi hum mey sey ek ho aur saath mey celebrity bhi ..... Aur ek baat jitna kamiyi barti ja rahi hai utni aur raat ki neend ghat ti ja rahi hai .... Hai na sach baat .... Kaisa jindagi ka chakrvyuh
ReplyDeleteCan understand your situation. You are feeling suffocated. But sad part is that you are also part of the system and quitting is not so easy because there is a question of bread and butter and family responsibilities are there. May nature bless you with happiness.. will pray for you....
ReplyDeletekal ka prime time achha laga. kam se kam kisi ne to kisano ko yad kiya. rajniti ne unhe kisan rahne bhi nahi diya hai.
ReplyDeleteRavish ji kal bhi Prime time jordar tha..TRP ki race walo ke din gine chune hai ..Ravish kumar aaj kya hai ye bhi public google karke pata laga hi legi..chinta na kariye ..aaj sab gujrat ke development ki story dhoond rhe hai ..to you tube unhe gujrat vs gujrat suggest kar rha hai..jo aapne tab ki thi jab leher, aandhi ka idea discuss ho raha tha kahi band kamre mai..aap samay se aage hai ..rhiye bhi..6 mahine baad sab dikhayenge kisano ka haal nayi sarkar ke aane ke baad..apne kal hi nipta diya ..!!
ReplyDeleteThis is called the passion of a writer.
ReplyDeleteBut sir you take a medical treatment for your hand related problem.
yesterday I watched your prime time (kisan time). It was really good. The present need for India to develop agriculture.
ReplyDeleteBahut dino baad kuchh acchi news achhe logon k saath dekhne ko mili warna politician ne saare shows barbaad kr diye hain.
ravish ji take care .... doosron ke liye bahut kar liya kuch apne bare mein bhi sochiye ... itne akele pan se toh duniya se abhiruchi samapt ho jayeegi ..... fir hum logon ka (aapke fans) kya hoga.
ReplyDeletePlease sir, we do not want to loose you.
Ravish sir koi to hai jo kisano ke liye bhi awaz utha raha hai . Thanks for ur kisan time.
ReplyDeletesab jagte hain..koi apne bhrashtachar ki file pakdi jane ke dar se jagta hai, koi kal ki dihaadi ki fikr me jagta hai, koi kal ke interview ki jugat mein.....aap ka jaagna to fir bhi rachnatmak hota hai.....
ReplyDeleteविचार तो घेरेंगे ही, काश नींद के समय नींद के ही विचार घेरें।
ReplyDeleteशब के जागे हुए तारों को भी नींद आने लगी......
ReplyDeleteकोई एक 'माँ ' की लोरी याद कीजिए...
"ए मेरी आँखों के पहले सपने,रंगीन सपने, मासूम सपने,
पलकों का पलना झुलाऊं तुझे,
गा गा के लोरी सुनाऊं तुझे.... ओ...ओ....ओ..."
Sunder
ReplyDeleteरवीश जी ये बेचेनी तो प्राइम टाइम में आपके चहरे से भी झलक रही है .ऐसे मन ही मन घुटने से और कुत्तो के शोर से निजात पाने के लिए मेरी सलाह मानिये और अगर बच्चियों की स्कुल इजाजत दे तो लम्बी छुट्टी ले अम्मा के पास गॉव चले जाइये.
ReplyDeleteया फिर भीतर के इस लावा को निकल जाने दीजिये.अच्छा नहीं लगा ये ब्लॉग पढ़ कर
रवीश जी ये बेचेनी तो प्राइम टाइम में आपके चहरे से भी झलक रही है .ऐसे मन ही मन घुटने से और कुत्तो के शोर से निजात पाने के लिए मेरी सलाह मानिये और अगर बच्चियों की स्कुल इजाजत दे तो लम्बी छुट्टी ले अम्मा के पास गॉव चले जाइये.
ReplyDeleteया फिर भीतर के इस लावा को निकल जाने दीजिये.अच्छा नहीं लगा ये ब्लॉग पढ़ कर
Ek din chutki ki sari jimmedari le liziye phir dekhiye.
ReplyDeleteइस तरह जागना कबीर होना है और तकलीफदेह है..
ReplyDeleteइस तरह जागना कबीर होना है और तकलीफदेह है..
ReplyDeleteRavish Bhaiya, Pranam,
ReplyDeleteBina maqsad jagna sachmuch bahut takleefdeh hai. Neend is duniya mein sabse keemti cheez hai. To jab neend na aaye to shaant baithen aur sirf baithen(Dhyaan). Bus kuchch hi der mein dimaag mein aane wale vichaar ruk jaayenge aur neend aa jaayegi.
regards
neend nahi aa rahi! kahin aapne crime partrol toh nahi dekh lia , jisme ek ghatak sa dekhne wala anchor "chain se sona ho toh jaag jao" badbadata hai
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