बारिश की एक रात

मौसम किसी अजनबी की तरह दस्तक देता है तो डर लगता है । ऐसे लगता है जैसे हमारी सारी आशंकाएँ सच होने वाली हो । ऐसा लगता है जैसे हवाओं के बीच झगड़ा हो गया हो । वे आपस में बिखर कर चारों तरफ़ दीवारों से अपना सर टकरा रही हैं । रूदाली की तरह चित्कार सुनाई पड़ रही है । इनकी रफ़्तार में बेबसी लगती है । झाड़ झंखड़ों को हिला कर ये मदद मांग रही हैं । 

आसमान रो रहा है । हमारे भीतर के आसमान की तरह । आज की रात सचमुच किसी काली रात की तरह लग रही है । ऐसा लगता है मिथकों से कोई दानव निकल कर तमाम कमज़ोरों को रगेद रहा हो । जिससे बचने के लिए सब भाग रहे हैं । बारिश की बूँदों की आवाज़ दसवीं मंज़िल तक उठ कर आ रही है । इतनी शोर में अजीब सी ख़ामोशी है ।

होली के समय ये सावन की फुहारें नहीं हैं । किसी के ख़ून के आँसू हैं । कोई डर है जो बरस रहा है । ़अचनाक से निहत्था कर देने वाली बारिश हैं । हर कोई हर किसी का भेदिया बन गया है । भरोसा करने वालों से भरोसा उठ गया है । क्यों लगा कि उनका भी भरोसा कभी नहीं था । हम सब अपने अपने अंधेरे के गिरफ़्त लोग हैं । सब शक की नज़र से मुझे देखते हैं और मैं उन्हें । भीतरघात और विश्वासघात के फ़िराक़ में ये हवायें यहाँ वहाँ दौड़ लगा रही है । हर कोई अपना बनाया भरोसा ख़ुद तोड़ने की जल्दी में हैं । ऐसी बारिश और चाहिए । मार्च से लेकर मई तक । ताकि सारे कीचड़ में सन जायें । कोई एक सूखा रह जाएगा जो विजेता बनेगा । 

आज की बारिश से हाड़ नहीं काँप रहा । सूख गया है । कोई अफ़सोस नहीं है । अकेले होना बहुत ज़रूरी है । भीतरघात से बचने के लिए । जैसे ये मौसम अकेले आ गया है । चीख़ने चिल्लाने के इस मौसम में ये बारिश तेज़ हवाओं से लिपट कर अपना रोना सुनाने आई है । कौन सुन रहा है इस आधी रात को । सबने सबसे भरोसा उठा लिया है । सबने सबपे शक कर लिया है । पराजित से पराजित हो कर सब किसी की जीत का रास्ता बना रहे हैं । कितना कमज़ोर समय है । कितने कमज़ोर रिश्ते हैं । इन्हें ख़ुद ख़त्म करने का वक्त आ गया है । ऐसे रिश्तों को टूटने के लिए भरोसे के टूटने का इंतज़ार क्यों करे । बिजली क्यों तेज़ ग़रज़ रही है । अब इसे क्या हो गया । कुछ होने वाला है क्या । होना ही चाहिए जो होना चाहिए । 

16 comments:

  1. dukh to ye hai ki baarish tej havao bijli ke garajne ke baad bhi andheri raat e ane vaali hai....bas baadal badal jayenge...

    ReplyDelete
  2. कभी तन्हाईयों में यूँ...हमारी याद आएगी,
    अँधेरे छा रहे होंगे और बिजली कोंघ जाएगी ।
    ये बिजली राख कर जाएगी सबकी प्यार की दुनिया,
    ना फिर कोई जी सकेगा और ना किसी को मौत आएगी ।

    ReplyDelete
  3. सर कोई क्या कर सकता है
    ऐसे समय में गीता सार की कुछ लाइने रटनी चाहिए।
    कर्म कर फल की चिंता मत कर।

    ReplyDelete
  4. सर कोई क्या कर सकता है
    ऐसे समय में गीता सार की कुछ लाइने रटनी चाहिए।
    कर्म कर फल की चिंता मत कर।

    ReplyDelete
  5. वक़्त की शाख़ पे, रात जलती रही ।
    साँसों पे याद की, राख़ जमती रही ।
    एक सदा, जगमगाती रही रातभर ।।
    ( मख़दूम से माफ़ी के साथ )

    ReplyDelete
  6. एक अजीब सा डर है अंदर, शायद कुछ गलत होनेवाला है, फिर भी बाहरी तौर पे ये बोलते है, जो होगा अच्छा होगा।

    ReplyDelete
  7. एक अजीब सा डर है अंदर, शायद कुछ गलत होनेवाला है, फिर भी बाहरी तौर पे ये बोलते है, जो होगा अच्छा होगा।

    ReplyDelete
  8. jo taniyan kamzor hon jo hawaon ke jhapedon se tut jaye, saath chhor den, unhe tut hi jaba behtar....

    ReplyDelete
  9. aapne Baarish ke zariye vartmaan raajniti ka varnan badi khoobsurati se kiya hai..kal raat meri beti bhi isi barish pe ek kavita poem likh rahi thi aur aapke blog pe ye..ajeeb sa sanyog hai..

    ReplyDelete
  10. hope you are fine,kal aaye nahin :(

    ReplyDelete
  11. हवाएं तेज़ चल रही थी
    आँख खुल गई थी
    आप का ब्लॉग खोलते ही ये दिखा
    रवीशजी आंधी अँधा न बना पाए उतना कठिन तो रहना पड़ेगा न जब इमानदारी वाला तूफानों के सामने जाने का रास्ता चुना है।
    हर छल अपना सा और हर अपना सा छल लगने लगेगा...अपनी आँखें थोड़ी देर के लीए बंध करने में हर्ज क्या है:)तेज़ हवाओं में देखना जो है!

    यह पढ़ते ही मुझे मेरी ही बात याद आ गई
    मुझे लगता था सभी पत्रकारों की जान को खतरा होता है(निखिल डे )
    मुझे याद है में आप को जमा के डांटा करती थी(i know :-( पका के रख दिया होगा) जब भी आप धना धनी वाली डिबेट करते :)

    ये पल भी गुज़र जायेंगे :)
    अपनों को थामे रहना जरुरी है तूफान हमेशा के लिए नहीं आते:)
    आप की इमानदारी ही भरोसे लायक है:-p
    क्या है?:)जो है सो....:)

    ReplyDelete
  12. ***as usual i don't comment while election time...but trying to read more and all adversities....
    but this blog forced me to write comment...don't try to fail ur self:)

    ReplyDelete
  13. भैया ....................

    ReplyDelete
  14. शीत और नम, हृदय का ही चीत्कार होगा।

    ReplyDelete
  15. wah जैसे हवाओं के बीच झगड़ा हो गया हो.. wese riston pe aap ne seriously bahut kuch kah diya hai

    ReplyDelete