शुक्रिया

10 comments:

  1. Love and thank you from the bottom of my heart for PT 4th feb. Be the same forever.

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  3. आजकल ट्वीटर पे नहीं है इसीलिए यहाँ कह रहा हूँ। सर PT में शुरू में जब भूमिका बांधते है तो बैकग्राउंड स्कोर बजता रहता है। 2 मिनट में ख़तम हो जाये तो ठीक पर लम्बा होने पे सर दर्द करा देता है। क्र्पिया करके उसे बंद करा दीजिये। आपकी आवाज ही काफी है। आजकल उवाच वाला बढ़िया शुरू किया है। ट्विटर पे शेयर करने लायक बना दिया है।
    -धन्यवाद @sushilktomar

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  4. रवीश जी

    प्रथम बार आपको लिख रहा हूँ ,आपके प्राइम टाइम का कायल हूँ,आप जिस तरह लोगों को सहज भाव से बिना किसी राग द्वेष के एक तराजू से तौलते है उसके लिए धन्यवाद।अंततः आपके इस लेख और आपके मीठे और कठिन अंतर्द्वंद के लिए मेरी शुभेक्षा।

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  5. माता कि कृपा भी है कि पकड़ाये नहीं।

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  6. kya ise bhi kripa kahenge, an Indian is a CEO of Microsoft now..
    Plz read his 1st mail..it is interesting indeed..
    http://www.microsoft.com/en-us/news/press/2014/feb14/02-04mail2.aspx

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  7. अक्सर ही आपका कार्यक्रम देखता हूँ | बात करने की बड़ी इच्छा है , कई तरीके से प्रयास भी किया , Twitter, NDTV website , email , office में call, पर सारे प्रयास असफल रहे हैं | उम्मीद कर रहा हूँ की शायद इस comment के माध्यम से संपर्क हो पाये | ज्यादा समय नहीं लूंगा | विज्ञान का विद्यार्थी हूँ , अतः उससे सम्बंधित आपके कार्यक्रमो पर थोड़ी चर्चा अवश्य करूंगा |

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  8. thanks for 5th feb PT . Please reservation pe ek episode aur kijiyega Baba Ramdev ke sath or taang khinchiega unki.
    Dhaynyawad

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  9. देश के महाभ्रष्ट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (महाभ्रष्ट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसलिए क्यों की उसका उल्लेख मैं अपने पूर्व के ब्लॉग में विस्तारपूर्वक कर चूका हूँ अत: मेरे पूर्व के ब्लॉग का अध्यन जागरणजंक्शन.कॉम पर करे ) के उन न्यूज़ चैनलों को अपने गिरेबान में झाँक कर देखना चाहिए जो न्यूज़ चैनल के नाम के आगे ”इंडिया” या देश का नॉ.१ इत्यादि शब्दों का प्रयोग करते है. क्यों की इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों का राडार या तो एन.सी.आर. या फिर बीमारू राज्य तक सीमित रहता है. कुए के मेढ़क बने इन न्यूज़ चैनलों को दिल्ली का “दामिनी” केस तो दिख जाता है लेकिन जब नागालैंड में कोई लड़की दिल्ली के “दामनी” जैसी शिकार बनती है तो वह घटना इन न्यूज़ चैनलों को तो दूर, इनके आकाओं को भी नहीं मालूम पड़ पाती. आई.ए.एस. दुर्गा नागपाल की के निलंबन की खबर इनके राडार पड़ इसलिए चढ़ जाती हैं क्यों की वो घटना नोएडा में घटित हो रही है जहाँ इन कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों के दफ्तर है जबकि दुर्गा जैसी किसी महिला अफसर के साथ यदि मणिपुर में नाइंसाफी होती है तो वह बात इनको दूर-दूर तक मालूम नहीं पड़ पाती है कारण साफ़ है की खुद को देश का चैनल बताने वाले इन कुँए का मेढ़क न्यूज़ चैनलों का कोई संबाददाता आज देश उत्तर-पूर्व इलाकों में मौजूद नहीं है. देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस तरह से न्यूज़ की रिपोर्टिंग करता है उससे तो मालूम पड़ता है की देश के उत्तर-पूर्व राज्यों में कोई घटना ही नहीं होती है. बड़े शर्म की बात है कि जब देश के सिक्किम राज्य में कुछ बर्ष पहले भूकंप आया था तो देश का न्यूज़ चैनल बताने वाले इन कुँए का मेढ़क न्यूज़ चैनलों के संबाददाताओं को सिक्किम पहुचने में २ दिन लग गए. यहाँ तक की गुवहाटी में जब कुछ बर्ष पहले एक लड़की से सरेआम घटना हुई थी तो इन कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों को उस घटना की वाइट के लिए एक लोकल न्यूज़ चैनल के ऊपर निर्भर रहना पड़ा था. इन न्यूज़ चैनलों की दिन भर की ख़बरों में ना तो देश दक्षिण राज्य केरल, तमिलनाडु, लक्ष्यद्वीप और अंडमान की ख़बरें होती है और ना ही उत्तर-पूर्व के राज्यों की. हाँ अगर एन.सी.आर. या बीमारू राज्यों में कोई घटना घटित हो जाती है तो इनका न्यूज़ राडार अवश्य उधर घूमता है. जब देश के उत्तर-पूर्व या दक्षिण राज्यों के भारतीय लोग इनके न्यूज़ चैनलों को देखते होंगे तो इन न्यूज़ चैनलों के द्वारा देश या इंडिया नाम के इस्तेमाल किये जा रहे शब्द पर जरुर दुःख प्रकट करते होंगे. क्यों की देश में कुँए का मेढ़क बने इन न्यूज़ चैनलों को हमारे देश की भौगोलिक सीमायें ही ज्ञात नहीं है तो फिर ये न्यूज़ चैनल क्यों देश या इंडिया जैसे शब्दों का प्रयोग करते है क्यों नहीं खुद को कुँए का मेढक न्यूज़ चैनल घोषित कर लेते आखिर जब ये आलसी बन कर देश बिभिन्न भागों में घटित हो रही घटनाओं को दिखने की जहमत ही नहीं उठाना चाहते. धन्यवाद. राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड विजेता), एम. ए. जनसंचार एवम भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत फेसबुक पर मुझे शामिल करे- vaishr_rahul@yahoo.कॉम और Rahul Vaish Moradabad




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  10. Ravish ji arakshan wale mudde pe do din apka karyakram hua. Jyada kuch vibhed nahi kar paya mai. Behatar hota dusre din koi aur mudda uthhaya jata... apka bahut bada follower hun.. ichha thi ki hindi me hi likhun per 3 hajar ki mobile me font wala option nahi hota.
    Dhanyawad

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