" हर बदलाव सुधार नहीं होता । " अरुण जेटली । राज्य सभा में भाषण देते हुए मनमोहन सरकार के इस क़दम की धज्जियाँ उड़ा कर रख देते हैं । bjp.org पर कमल संदेश पत्रिका का एक अंक है इसी पर । इसमें जेटली लिखते हैं कि घरेलू मैन्यूफ़ैक्चरिंग बंद हो जाएगा । अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सस्ते में माल ख़रीद कर बेचेंगे । चीन का माल यहाँ पट जाएगा । भारतीय अर्थव्यवस्था का चरित्र ही है सर्विस सेक्टर उन्मुख । बिखरा हुआ बाज़ार उपभोक्ता के हित में होता है और संगठित बाज़ार विकल्प ख़त्म कर देगा ।
कमल संदेश में ही जसवंत सिंह का लेख है जो मूलत द हिन्दू में प्रकाशित हुआ था । वे बताते हैं कि अमरीका का अनुभव कहता है कि वालमार्ट जैसे बड़े रिटेलर विनाशकारी साबित हुए हैं । भारत में एक करोड़ बीस लाख रिटेल आउटलेट हैं । जीडीपी में चौदह प्रतिशत का योगदान है । जसवंत शिकागो के आस्टीन नेबरहुड का उदाहरण देते हैं जहाँ 2006 में वालमार्ट खुला था मगर 2008 तक वहाँ की 306 दुकानों में से 82 बंद हो गईं । जसवंत इकोनोमिक डेवलपमेंट क्वाटर्ली की रिपोर्ट का हवाला देते हैं कि जहाँ भी वालमार्ट खुलता है आस पास की 35-60 प्रतिशत दुकानें बंद हो जाती हैं । वे जयंती घोष की इस बात से सहमत हैं कि भारत में एक वालमार्ट चौदह सौ दुकानों को ख़त्म कर देगा और पाँच हज़ार लोगों को बेरोज़गार ।
गूगल करेंगे तो एफ डी आई के ख़िलाफ़ सुष्मा , रविशंकर, गडकरी सबके बयान और लेख मिलेंगे । आज के अख़बारों में ख़बर छपी है कि नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया है कि वे मल्टी ब्रांड रिटेल में विदेशी निवेश के हक़ में हैं । हालाँकि उन्होंने मल्टी ब्रांड रिटेल शब्द का ज़िक्र नहीं किया फिर भी उनके इस बयान का यही मतलब निकाला गया है । इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार मोदी ने दिल्ली में छोटे व्यापारियों से कहा है कि बड़े रिटेल चेन से भागने की ज़रूरत नहीं है । सामना कीजिये । आनलाइन का लाभ उठा कर अपनी दुकान को वर्चुअल माल में बदल दीजिये ।
जब यही बात मनमोहन सिंह कह रहे थे तब भ्रष्टाचार के कारण उनकी विश्वसनीयता इतनी क्षीण हो चुकी थी कि बीजेपी के लोग रोज़ उन्हें मूर्ख साबित कर देते थे । चालीस लाख रिटेल ट्रेडर को नाराज़ कर मनमोहन सिंह ने यह फ़ैसला लिया । बीजेपी को विधानसभा में चुनावी लाभ भी मिला मगर अब मोदी मनमोहन की राह पर चल रहे हैं ।
मैं अभी भी नहीं मानता कि वे खुलकर मल्टी ब्रांड रिटेल में निवेश की वकालत कर रहे हैं या करेंगे लेकिन मुझे इस बात पर पूरा यक़ीन है कि मोदी केंद्र के इस फ़ैसले को वापस लेने का साहस नहीं कर पायेंगे । चाहे राजनाथ सिंह कुछ भी कहते रहें । सरकार बनने के बाद वे भी यही कहेंगे कि संसद का फ़ैसला है । यह फ़ैसला दिल पर पत्थर रखकर मंज़ूर करना पड़ कहा है ।
दरअसल बीजेपी का काम हो चुका है । अब इन सवालों पर जनमत नहीं बदलेगा । जनमत सेट हो चुका है । मोदी ने अपनी रैलियों में भी कभी एफ डी आई का विरोध नहीं किया है । शायद ज़िक्र भी नहीं किया । जहाँ तक मुझे याद है । वे यह भी जानते हैं कि जनता उन्हें इस बात को लेकर पसंद नापसंद नहीं करती कि एफ डी आई पर स्टैंड क्या है । जनता तो सिर्फ मोदी मोदी करती है । मोदी अब मार्केट को इशारा कर रहे हैं ताकि गुणगान और बढ़े । कांग्रेस मोदी से जवाब भी नहीं माँगेंगी और न इसे लेकर मैदान में जायेंगी कि देखिये ये कहते थे कि हम विरोध में हैं और अब एफ डी आई का समर्थन कर रहे हैं । इन्हीं सब बातों से लगता है कि इस बार भी सब बाज़ार तय कर रहा है ।
वैसे अभी इंतज़ार किया जाना चाहिए और मोदी को भी स्पष्ट करना चाहिए । क्या बीजेपी अपनी दलीलों से पलट जायेगी । क्या सुष्मा और जेटली लोकसभा और राज्य सभा में एफ डी आई के ख़िलाफ़ दिये अपने भाषणों पर माफ़ी माँगेंगे । शायद ऐसी नौबत नहीं आएगी । मोदी का संकेत टीवी बहसों को जन्म देगा जिसमें वे बाज़ार प्रेमी को रूप में दिखा दिये जायेंगे और बीजेपी को चुनाव से पहले स्टैंड साफ़ करने की ज़रूरत भी नहीं पड़ेगी । पब्लिक यह सब अंतर कैसे और अब कब समझेगी । आपको सवाल करने की इजाज़त नहीं है वर्ना आप एंटी मोदी क़रार दिये जायेंगे। जैसे कहीं लिखा है कि हर किसी को और हर बात पर मोदी का समर्थन ही करना है ।
तो छोटे व्यापारियों को किस बड़े रिटेल से लड़ने के लिए तैयार कर रहे हैं मोदी । वालमार्ट ? और छोटे व्यापारियों ने कुछ हल्ला भी नहीं किया । वाह । तब क्यों मोदी ने बीजेपी को संसद में विरोध करने दिया । बीजेपी ने संसद के बाहर भीतर विरोध प्रदर्शनों का लम्बा सिलसिला चलाया था । संसद और देश का कितना वक्त बर्बाद हुआ ।
उनके इस संकेत रूपी बयान का मीडिया स्वागत ही करेगा । उनमें संभावना़़यें देखेगा । दिल्ली में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी और अरविंद ने एफ डी आई के ख़िलाफ़ आर्डर किया तो अगले दिन बिज़नेस अख़बारों और मीडिया की बहस निकाल कर देखिये । कैसे सबने धो दिया था लेकिन जब अरविंद के बाद बीजेपी की वसुंधरा ने राजस्थान में एफ डी आई पर गहलोत सरकार के फ़ैसले को पलटा तो वही मीडिया चुप रहा । किसी ने वसुंधरा की आर्थिक जड़ता या मूर्खता पर सवाल नहीं उठाये । किसी बड़े उद्योगपति का बयान नहीं आया ।
मोदी जानते हैं कि चुनाव और जनमत सेट हो चुका है । इसीलिए वे राहुल को शहज़ादा कह कहकर धो डालने के बाद चिराग़ शहज़ादा से हाथ मिला लेते हैं । अपने मतदाताओं या समर्थकों का वोट पासवान परिवार की जीत सुनिश्चित करने के लिए तय कर देते हैं । वंशवाद के झाँसे में आकर कांग्रेस बैकफ़ुट पर चली गई और मोदी फ़्रंटफुट पर आकर उसी वंशवाद का सहारा लेकर मास्टर स्ट्रोक खेल गए । यह संकेत काफी है समझने के लिए कि मोदी जीत चुके हैं । उनके फ़ैन्स सपोर्टर के पास बदलने का वक्त और विकल्प दोनों नहीं बचा है । इस चुनाव में लड़ाई सिर्फ और सिर्फ मोदी लड़ रहे हैं । बाक़ी दल चुपचाप सरेंडर कर चुके हैं । इसलिए नहीं कि उन्हें लड़ना नहीं आता बल्कि इसलिए कि बाज़ार के नियंताओं का यही आदेश हुआ है । बाकी त जो है सो हइये है । वेलकम मोदी जी विद मोर दैन 272 ।
अगर सही विरोध हो रहा है ,तो येह कया है ?
ReplyDeleteWal-Mart
Address: State Highway 83, Anand - Sojitra Rd, Vithal Udyognagar, GIDC, Anand, Gujarat 388121
http://timesofindia.indiatimes.com/city/ahmedabad/Wal-Mart-to-enter-Gujarat-via-Anand/articleshow/13240594.cms
रवीश भाई, असली ड्रामा तो चुनाव के बाद होगा :)
ReplyDeleteरविश जी, कल के प्राइम टाइम में आप स्वस्थ और तंदुरस्त लग रहे थे ऐसा लग रहा आप अपने पसंदीदा टॉपिक पर बहस कर रहे है। मेरा सतही अनुभव यह है कि, वैसे तो 'चिराग' तले अंधेरा ही है लेकिन 'रामविलास' शुरु से कहते आ रहे कि प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में कम से कम एक लाख वोटर मेरा है और इस बात को ऐसे समझा जा सकता है कि, जब लालू को रामविलास का समर्थन मिला था तब लालू 67 हजार वोटो से मधेपुरा में शरद यादव से जीत गये थे और जब 'रामविलास' समर्थन खींच लिये थे तब शरद यादव 33 हजार वोटों से उसी मधेपुरा में लालू को हराया था। यह पासवान जी का प्रभाव था । लेकिन दोनो में एक बात उभयनिष्ठ था कि पासवान जी तटस्थ की भूमिका में ही रहें । इसिलिए 'चिराग' का तो पता नही हाँ लेकिन 'मोदी' के लिए जरुर बिहार में यह संजीवनी का काम करेगा ।
ReplyDeletetijarat hi qabil e eatamade ki taraqeeb, hain unka phasana;;
ReplyDeleteilm ul adad kab insan ki tassdeeq, yeh khakshar bhi janna
(trading and business will lead to development as they say;; the art of counting does never change our fate is known by non-entities also)
chameleon ka tarjumma girgit hai ,ye aap bakhoobi jante hain.
वैसे ये फरवरी का ४१वॉ पोस्ट था, जो जून २०१३ के अधिकतम पोस्ट कि बराबरी कर गया। इसमें ज्यादातर राजनीति से सम्बंधित था, मतलब चुनाव का प्रभाव हमारे क़स्बे पे जोरो से है :)
ReplyDeleteतो इसका मतलब साफ़ है कि सत्ता पर पूंजीपतियों का नियंत्रण कायम रहेगा। और हेलीकॉटर में घूमने की कीमत किसी भी तरह अदा की जायेगी। कोई लाख कहे मगर राजनीति अब विचारधारा से कहीं आगे जाकर पिछली सरकार के कामों को नकारना या अलग तरीके से विस्तार करने तक ही सीमित हो गयी है. अगर पासवान से 272 आते हैं तो वो छुआछूत नहीं हैं पुराने मित्र हैं. सत्ता पर काबिज होना पहली प्राथमिकता है. @akhilesh1
ReplyDeleteअभी थोडा इंतजार कीजिये ...अगर बीजेपी कि किसी तरह से सर्कर बन गई तो सबको पता चल जायेगा ...ये जो मोदी मोदी चिल्ला रहे है उनको भी पता चल जायेगा ...जैसइ CSDS के अभय दुबेजी ने कहा है ,के अबी तक ABANI ने Rs. १४५० CRORE मोदीजी के रैली और HELICOPTER में खर्च कर दिए है ,और चुनाव आते ये 2000-2500 करोड़ हो जायेगे , उसके बाद मोदीजी और AMBANI मिलकर जनता का तेल निकलेगे तब सब को पता चल जायेगा ....AMBANI YA मोदीजी देश सेवा थोड़ी कर रहे है ..और वो ब्याज के SATH पैसा वसूलेगा . ..मुझे तो समाज नहीं आता ये लोगो को क्यों नाह दिख रहा है ...सही कहा है किसी ने ..INDIA अब्जीब देश है
ReplyDeleteChaliye iss lunjpunj mai aap to sahi opposition ka kaam kar rhe hai..bas fir aaj issi pe prime time ho jaaye..aur ab dheere dheere manifesto khulwate rhiye sabka..AAP walo ka bhi stand sunna hai har mudde pe..april mai samundar se lautunga..tab tak prime time dekh hi man banate rhta hu roz..!!
ReplyDeleteएफडीआइ पर मोदी कभी नहीं बोलेंगे और ना ही इलेक्शन से पहले बोलना चाहेंगे | मोदी अपने भाषण मैं बीच के रास्ते पर चलते है | उनको पता है अगर छोटा दुकानदार रूठ गया तॊ उनका वोट AAP को या लोकल पार्टी को चला जायेगा |
ReplyDeletemodi, bjp, chirag aur pasvan ye sab dekhakar ak bat yad aa rahi hai ki purane jamane me up. aur bihar me lok natye vidhao me " nowtanki" vidha bahut lokpriya thi. samay ke sath ye khoti chali gayi. par koti-koti dhanayvad in netao ka jinahone na keval is vidha ko jivit rakha hai balki dinodin lokpriya banate ja rahe hai.
ReplyDeletehttp://ravishingravish.blogspot.in/2014/02/feb-27-2014.html
ReplyDeletebhagwan kare ye modi 272+ galat saabit ho. hum kitni baar chere badal kar bevkuf banaye jayenge
ReplyDeleteअरे आपने तो परिणाम घोषित कर दिया !
ReplyDeleteआधुनिक रिटेल में लॉजिस्टिक और ऑनलाइन प्रबन्धन का ही बोलबाला है। कहाँ पर हर पल कितना बिक रहा है, उसकी खबर सर्वसंबंधित को मिलती रहती है। इधर आपका बारकोड पढ़ा गया, उधर कम्पनी ने उसे अग्रिम माँग में रख लिया।
ReplyDeleteWhy you so much hate Modi???You always question modi and Bjp and support any one who oppose them.You never ask tough question from AAP.What is your stand on corporates??If you are Pavitra like ganga jal(Sorry Communal River)why dont you dare to question Barkha Dutt involvement in Radia tapes???
ReplyDeleteSahi kaha ravish bhai..........modi ne khud hi kaha hai ki....sab packaging ka zamana hai.....
ReplyDeletemodi ab chahe jo karen unke voter .........sawan ke andhe ho gaye hain unhe ab hara hi dikhega
ReplyDeleteअभी तो IPL(Indian Politics League) part 1 शुरू हुई है .....बड़े बड़े खिलाडी तो चुनाव के बाद IPL(Indian Politics League) part २ में आपके छक्के उडायेगे ....
ReplyDeleteRavish babu mujhe Nitin ke batein sach jayda pratit hoti hain.....Baki sab ki apni apni soch hai jo jaisa sochta hai usse waisa hii najar aata hai soch badalni hogiii....tab kuch baat banegiiii
ReplyDelete...AAP. aapki tarah jayda soch rahe hain...3list me hai aapka naam....baki to aap lage rahiye
Ravish babu mujhe Nitin ke batein sach jayda pratit hoti hain.....Baki sab ki apni apni soch hai jo jaisa sochta hai usse waisa hii najar aata hai soch badalni hogiii....tab kuch baat banegiiii
ReplyDelete...AAP. aapki tarah jayda soch rahe hain...3list me hai aapka naam....baki to aap lage rahiye
जाति नहीं ' हिंदुत्व ' ! सम्पूर्ण हिन्दू समाज एक है ! मंडल नहीं , कमंडल। जनसंघ और बीजेपी की राजनीति बहुसंख्यक समाज के आहत 'हिंदुत्व ' और व्यापक 'हित 'को लेकर रही है ! 'सत्ता ' मिलते ही बीजेपी को बखूबी समझना पड़ा कि विपक्ष में रहकर तोहमत लगाना तो आसान है , पर सत्ता संविधान से चलती है ! कहना -करना एक जैसा नहीं होता !
ReplyDeleteप्रेमचंद के शब्दों में -'' उत्तरदायित्व का ज्ञान वहुधा हमारे संकुचित विचारों का सुधारक होती है। '' अब तो उल्टे विपक्ष वाले याद दिलाते हैं कि ये तो राम जी के न हुए तो जनता के क्या होंगे ? जी, बीजेपी और मोदी के एजेंडे में रामजी की कृपा से रोटी है , चाय है , विकास है , दलित है ! nation first hai !
हिन्दू होना बिना जाति के सम्भव नहीं ! जाति को धर्म का समर्थन हासिल है ! संघ परिवार और बीजेपी ने भी इस यथार्थ को समझा कि गांधी परिवार के वंशवाद को कोसनेवाले समाजवादी
भी जातिवादी और जनवादी होने का सुख एक साथ भोग रहे हैं। वंश जहाँ नहीं है , वहाँ ''सुप्रीमो '' हैं ! हिम्मत नहीं , किसी को टोकने -टाकने की ! है हिम्मत शरद यादव और के सी त्यागी में कि वह नीतीश कुमार की आलोचना कर सकें ? जी , पार्टी नीतीश की है। उन्हें जाति और समीकरणों का समर्थन हासिल है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष वरिष्ठ नेता मनोहर जोशी उद्धव के सामने कहाँ है ?
जब बेटा आस्ट्रेलिया में पढ़ रहा था उस समय मुलायम के साथ सड़क और संसद में कंधे से कंधे मिलाकर लड़नेवाले मुख्यमंत्री थोड़े बनेंगे ? भाई , पार्टी और जनता डिसाइड करेगी न !
भाजपा को लोजपा,अकालीदल,शिवसेना का वंशवाद नहीं दिख सकता ! हंस संपादक मार्क्सवादी -अम्बेडकरवादी विचारक राजेंद्र यादव का कहना था कि ''हिन्दू कभी सेकुलर नहीं हो सकता। राजनीति और रणनीति में भले हो जाए ? ''
जी , वंश और जाति यथार्थ है। बीजेपी सिद्धांत में चाहे जो कहे , सधुआ कर चुनाव नहीं जीत सकती ! नरेंद्र मोदी स्वयं मुद्दा गए हैं इस चुनाव में। उन्हें कांग्रेस जितना हत्यारा , कातिल, सांप्रदायिक , नपुंसक कहती जायेगी , उनकी 'टीआरपी' बढती जायेगी ! विपक्ष के पास मानों मोदी के अलावा कोई मुद्दा ही नहीं है !
देखिए क्या होता है। अति पिछड़ा चाय वाला लड़का बिहार और यू पी में दलित समीकरण के साथ क्या हासिल करता है। नीतीशजी , मुलायमजी , बहन जी और तमाम जी भी इसीलिए न परेशान हैं कि सामने
वाले के पास भी वह कार्ड है जिसका सभी इस्तेमाल करते रहे हैं। और , बाकी सब ठीके है !
रविश जी, openion poll वाले पैसा खाकर भी अभी मोदी को 272+ नहीं दे रहे. आप तो बहुत पहले से क्रमशः बढ़ते=बढ़ते अब 272+ पर पहुँच चुके है. इसे क्या समझा जाये.
ReplyDeleteअम्बानी 2000-२५०० करोड़ में मोदी की ब्रांडिंग कर रहे है . इसे तो बहुत से लोग जानते है . वॉलमार्ट kyun पीछे होगी भले उसके बारे में कोई खबर नहीं aayee . झारखण्ड में कोड़ा और सोरेन को चीफ मिनिस्टर किसने बनाया . मायावती - जेपी का गठजोड़ या स पा ko छोटे अम्बानी - सहारा का साथ यह किसे नहीं मालूम . केजरीवाल की baton में 100% sachai है . कांग्रेस को बोल दिया गया है तुम्हारा turn ख़तम . पञ्च साल के लीव पर जाओ .इस समय AAP ही विपक्ष की छोटी भूमिका में है . प्रवीण जी बात में खासा दम है . "इब्तिदाए isq है रोता है क्या/ आगे आगे देखिये होता है क्या .".
ReplyDeleteAap Facebook par nahi hain ab?
ReplyDeleteरविश जी अब आपको क्या कहे। अपना भाई या मैं। लेकिन मुझे लगता है की भले ही बीजेपी का कोई pm बन जाये लेकिन मोदी नही बन्नेगे । बाकी आपको देखकर कुछ लगता है। पढ़कर कुछ और ।ये क्यों हो रहा है मालूम नहीं। एक बात और आप अपने लगभग हर प्राइम टाइम में अरविन्द को लेकर कोई न कोई अलोचानात्त्मक शब्द का इस्तमाल कर रहे है ये समझ में नहीं आया। या तो आप हर प्रोग्राम माँइन ,आप को कोई सदय्स को बुलाये नहीं तो नाम लेना बंद करे बाकी आपकी माँरज़ी
ReplyDeleteWell said Ravishji
ReplyDeleteaajkal modi sirf patrkaron ko hi sochne ka mauka dete hain, aam aadmi ke hisse ye aazadi bhi unhone aur unke logo ne jaise chheen li hai :P
ReplyDeleteप्रिय रवीश भाई,
ReplyDeleteलोकसभा, विधानसभा में उठपटक, ताेड़फोड़, मिरची पाउडर का छिड़काव, एकदूसरे पर आरोप प्रत्यारोप ये सारी बातें आज के
भारतीय लोकतञ की विशेषताओं में शुमार हो चुकी है.
इसी प्रकार भारतीय लोकतञ की एक और विशेषता अब खुलकर
सामने आ गई है, चुनाव के समय सभी अच्छे, भले, भद्र लोगों (आप समझ गए होंगे) का एकञित होते चले जाना. चाहे उससे पहले वे सभी घोर दुश्मन ही क्यों न रहे हों
आज यह बात सामने आ रही है कि इस चुनाव में नए युवा वोटर्स की बड़ी भागीदारी होगी. शायद इसीलिए मै एक बात दावे के साथ कह सकता हूं कि इस बार का लोकसभा रिजल्ट बहुत ही अप्रत्याशित होगा, क्योंकि आज के युवा बहुत ही अपडेट और समझदार हैं.
कई ऐसे ही युवाओं से बात करते हुए यह तथ्य भी
सामने आया कि वे वर्तमान की पारंपरिक पार्टियों की कथनी करनी
के फर्क से तंग आ चुके हैं. अब उन्हें कुछ ऐसे विकल्प की तलाश
है, जो ईमानदारी से कुछ करके दिखाए. ये युवा मौकापरस्त
पार्टियों के घालमेल को भी करीब से वाच कर रहे हैं.
कई बार इस बात की भी चर्चा होती है कि क्या आज राजनीति बिना जाति समीकरण के संभव है. मैं ने बंगलुरू में इंजीनियर एक ३० वर्षीय युवा से यही प्रश्न पूछा. रोचक जवाब सामने आया. उसका कहना था, मै ने इंटर कास्ट शादी की है. अब बताइए मै अपनी जाति को वोट करूं या बीवी की जाति को.
दूसरी बात अब हमारे मिञों, सहकर्मियों में सभी जातियों के लोग हैं. सबके साथ उठना बैठना, खाना पीना है. हम तो अपनी जाति भी भूलते जा रहे हैं. अब तो हमने सोचा है कि हम एक ईमानदार और हमारे लिए काम करने वाले ईमानदार लोगों को ही वोट करेंगे.
आज के नेता बेशक इलैक्शन के मेले में जाति का झुनझुना बजाते हुए वोटर्स को उनकी जाति बताने लगाते हैं.
लेकिन इलैक्शन आते ही इन नेताओं का एक हो जाना यह
साबित करता है कि जाति सिर्फ एक है और वह है नेतागिरी की जाति.
अब धीरेधीरे वोटर्स भी यह समझने लगा है. इसका प्रमाण है जातिगत राजनीति करने वाले बड़े बड़े धुरंधरों की शर्मनाक पराजय.
भारतीय लोकतंञ की दुहाई देकर पब्लिक को बेवकूफ बनाना
अब आसान नहीं है, सर. ये पब्लिक है, जो अब सब जानती
और समझती है. इस चुनाव में सबसे अलग परिणाम होंगे,
यह मेरा गणित कहता है.
अन्य ब्लाग्स की तरह यह भी सत्यं, सुंदरम.
धन्यवाद.
रविश जी, आज का प्राइम टाइम सब्जेक्ट अच्छा था. आप २-३ दिन और करेंगे. फिर कोई दूसरा मुद्दा आ जाएगा. बस एस बहस बन जाएगी जो एस इंटेनेट मे कही डब जाएगी. कुछ होगा क्या? जनता जान कर भी क्या करे जब एक्शन ही नही दिखे. मोटी चमड़ी पर असर नही होता. आप अच्छा बोलते है, सोचते है. नही कह रही की एसका परिणाम नही मिलता होगा. मिलता है. लेकिन कुछ(नही बहुत) आपके उस पार भी लोग होते है लोगो को ज़्यादा असर कर जाते है. NDTV को कितने देखते होंगे? उसमे से आपको कितने सुनते होंगे? आपके लेखो को कितने लोग पड़ते होंगे? कुछ को बचाया होगा तो पता नही कितनो ने बहुतो को फँसाया होगा.
ReplyDeleteकुल मिला कर रविश जी: मुठ्ठी भर लोग जगाने की कोशिश मे लगे तो है. क्या पर्याप्त है??
Ravish ji, Aaj ka Prime time dekha. Aapne show ke end me kaha ki aap yeh topic phir se uthana chahte hai.
ReplyDeleteI have a suggestion that you invite some Muslim leader from BJP. In today's episode, you invited most muslim people weather they are from congress or journalist.
It was more like Muslims were fighting against Hindu BJP guy.
I want to hear those muslim leaders who support BJP.
What are their thoughts on all these issues like riots, uniform civil code? How do they justify everything.
Thanks
Bahut sahi analysis hai ravish ji per yad rakhiya ga race may aksar shuru may tez dornay wala har bhi jata hai
ReplyDeleteBahut sahi analysis hai ravish ji per yad rakhiya ga race may aksar shuru may tez dornay wala har bhi jata hai
ReplyDeleteAre Sir, aap to yani dhyani insaan hai... BJP aur Congress ki nitiyon mein kya fark hai... Congress vidshiyon ke jitne kaam karti hai utne BJP bhi karegi... bas BJP thoda businessmen ka bhala karegi ..congress thoda gareeb aadmi aur kisan ki sudh le leti thi... warna to FDI etc to BJP ke left hand ka kamaal hai...iska favour bhi karenge aur lagoo bhi..uske uper se bolenge ..ab time badal gaya hai..ab hum is layak ban gaye hain k FDI ko allow kar saken.
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