Ravish, Watching Subodh Gupta's art was a visual treat triggering vivid imagination! But it was difficult to understand the Bi-ha-ri sentiment. Why should anyone from Bihar feel offended when he is addressed as Bihari?
इस विशिष्ट कला की जितनी प्रशंसा की जाए कम है. लेकिन इससे भी अधिक प्रशंसा के पाञ आप हैं, जो इन रचनात्मक कार्यो को सामने लाकर अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं. वरना आज की सारी रचनात्मकता तो कलाकार, लेखक के कमरों और कागजों में ही दम तोड़ देती है.
कालेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत होने के बाद मेरे बाबूजी ने कई प्रकाशकों से अपने राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में दिए गए व्याख्यानों को संग्रहित कर प्रकाशित करने का अनुरोध किया. प्रत्युत्तर में सिवा आश्वासन के कुछ नहीं मिला. क्योंकि प्रकाशकों को या तो पोपुलर नाम चाहिए या फिर एप्रोच. जो हमलोगों के पास नहीं है, और इस आधार पर हमें प्रकाशित भी नहीं करवाना.
लेकिन वर्षों से धूल फांकती उन मैन्यूस्क्रिप्टस को देखता हूं , तो निराशा होती है. यदि उनकी रचनाएं अर्थपूर्ण है, तो समाज प्रकाशन के अभाव में उन अच्छी चीजों को पढने, गुणने से वंचित है.
भारत से बाहर वैग्यानिकों, डाक्टरों. इंजीनियरों का पलायन ऐसे ही नहीं होता. हमारी सामाजिक और सरकारी व्यवस्था ही ऐसी है, कि हमारी कलात्मकता, रचनात्मकता शून्य में घूमते हुए सुन्न हो जाती है.
आशा है आप बुरा नहीं मानेंगे. यह आपका मंच है. लेकिन आपके हर प्रयास में समाज के अस्पृश्य श्चेञों को सामने लाने का भाव भा जाता है. शायद इसीलिए हमारी कनैक्टिविटी है और शायद इसीलिए मैंने कुछ निजी बातें सामने रख दीं.
रवीश भाई, सुबोध गुप्ता पर केंद्रित हमलोग बहुत बढ़िया था। जब से Matter of Rats - Amitava Kumar मे सुबोध गुप्ता के बारें मे पढ़ा था तब से इनके बारें मे ज्यादा जानने कि इच्छा थी, वो कमी आप ने पूरी कर दी, धन्यबाद।
ravish ji aapka ye karykram dekha tha T.V. par,bada hi prabhavit hua tha. magar yahan par aapne subodh babu ki painting 'bihari' nahi lagai is baat,is baat se bahut zyada nahi par thoda nirash hoon...ummeid hai aap meri ye nirasha door karenge...Dhanywaad
wah kya baat hai
ReplyDeleteamazing!
ReplyDeleteAap ka TV program with subodh bhai dekha tha aur bahut acha laga..
ReplyDeleteRavish, Watching Subodh Gupta's art was a visual treat triggering vivid imagination!
ReplyDeleteBut it was difficult to understand the Bi-ha-ri sentiment. Why should anyone from Bihar feel offended when he is addressed as Bihari?
best one was those walking lunchboxes...though its unique kind of art anyone could have ever imagined
ReplyDeletemaine pahle bhi dekha hai inke haato ka kamal ye apne aap me utkrist hai
ReplyDeleteIt's really overwhelming to see these structures.His art is product of unique imagination.
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा!!! सबका नजरिया अलग है, बहुत उम्दा था ये एपिसोड।।।
ReplyDeleteरवीश जी,
ReplyDeleteइस विशिष्ट कला की जितनी प्रशंसा की जाए कम है. लेकिन इससे
भी अधिक प्रशंसा के पाञ आप हैं, जो इन रचनात्मक कार्यो को सामने लाकर अन्य लोगों को भी प्रेरित करते हैं. वरना आज की सारी रचनात्मकता तो कलाकार, लेखक के कमरों और कागजों में ही दम तोड़ देती है.
कालेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत होने के बाद मेरे बाबूजी ने कई
प्रकाशकों से अपने राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय सेमिनारों में दिए गए व्याख्यानों को संग्रहित कर प्रकाशित करने का अनुरोध किया. प्रत्युत्तर में सिवा आश्वासन के कुछ नहीं मिला. क्योंकि प्रकाशकों को या तो पोपुलर नाम चाहिए या फिर एप्रोच. जो हमलोगों के पास
नहीं है, और इस आधार पर हमें प्रकाशित भी नहीं करवाना.
लेकिन वर्षों से धूल फांकती उन मैन्यूस्क्रिप्टस को देखता हूं , तो निराशा होती है. यदि उनकी रचनाएं अर्थपूर्ण है, तो समाज प्रकाशन के अभाव में उन अच्छी चीजों को पढने, गुणने से वंचित है.
भारत से बाहर वैग्यानिकों, डाक्टरों. इंजीनियरों का पलायन ऐसे ही
नहीं होता. हमारी सामाजिक और सरकारी व्यवस्था ही ऐसी है, कि
हमारी कलात्मकता, रचनात्मकता शून्य में घूमते हुए सुन्न हो जाती
है.
आशा है आप बुरा नहीं मानेंगे. यह आपका मंच है. लेकिन आपके
हर प्रयास में समाज के अस्पृश्य श्चेञों को सामने लाने का भाव भा
जाता है. शायद इसीलिए हमारी कनैक्टिविटी है और शायद इसीलिए
मैंने कुछ निजी बातें सामने रख दीं.
माफी चाहूंगा. धनयवाद.
रवीश भाई, सुबोध गुप्ता पर केंद्रित हमलोग बहुत बढ़िया था। जब से Matter of Rats - Amitava Kumar मे सुबोध गुप्ता के बारें मे पढ़ा था तब से इनके बारें मे ज्यादा जानने कि इच्छा थी, वो कमी आप ने पूरी कर दी, धन्यबाद।
ReplyDeleteSubodh G ne Pura Culture Purane Bartano se Bana Kar rak di Vo Modify Bullet etc. Gajab hai bhai..kyu Ravish G
ReplyDeleteकलाकार पाजिटिविटी से भरा हुआ होता है
ReplyDeleteकला को उस से बटोर लो innovative ideas खुद ब खुद मील जातें है :)
इस पर आपका कार्यक्रम देखा था, प्रभावित हुआ था।
ReplyDeleteravish ji aapka ye karykram dekha tha T.V. par,bada hi prabhavit hua tha. magar yahan par aapne subodh babu ki painting 'bihari' nahi lagai is baat,is baat se bahut zyada nahi par thoda nirash hoon...ummeid hai aap meri ye nirasha door karenge...Dhanywaad
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