क़िस्सा ए शपथ ग्रहण

साहब मैं इंकम टैक्स में एल डी सी हूँ । शपथ ग्रहण समारोह में लोगों से हाथ छुड़ा कर तेज़ी से निकल रहा था तभी किसी ने मज़बूती से हाथ खींच लिया । मेरे पास अरविंद केजरीवाल के बहुत किस्से हैं । एक सुना दीजिये । टाइम नहीं है । ग्यारह बजने में कुछ ही मिनट रह गए थे । मुझे लाइव कवरेज के लिए जाना था । अलग अलग लोगों से कई किस्से सुनाई दिये , क्रमश: लिख रहा हूँ । 

एल डी सी ने अरविंद की कहानी यूँ सुनाई । एक रोज़ घोर बारिश में मैं सुबह सुबह दफ़्तर पहुँचा । पानी भर गया था । मैं पी डब्ल्यू डी को फ़ोन कर बाहर आया तो देखा कि एक आदमी पतलून मोड़कर झाड़ू चला रहा है । नालियों को साफ़ कर रहा है । मुझे लगा कि दफ़्तर का चपरासी होगा । मैंने कहा कि कंप्लेन कर दिया है । तो उसने जवाब दिया कि पी डब्ल्यू डी वाले तो तीन घंटे में आयेंगे । ज़रा गटर का ढक्कन उठाने में मदद कीजिये । मैंने मदद कर दी । थोड़ी देर में पानी साफ़ हो गया । सबके आने का टाइम हो गया था । कमरे में फ़ाइल लेकर गया तो देखा कि यह तो वही है जो गटर साफ़ कर रहा है । ये तो मेरा कमिश्नर है । 

कहते कहते अरविंद से उम्र में काफी बड़े लग रहे जनाब ने कहा कि अरविंद ने हम सबको प्रेरित किया । हड़काया नहीं । समझाया कि रिश्वत मत लो । वे हम लोगों को काफी समझाते थे । तब से मैंने रिश्वत लेनी बंद कर दी । मैं हमेशा नान असेसमेंट की पोस्टिंग लेता हूँ । असेसमेंट की पोस्टिंग के लिए न तो रिश्वत देता हूँ और न लेता हूँ । 

दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने बैरिकेड के दूसरी तरफ़ से मुझे पकड़ लिया । कहा कि आप हमारा मसला क्यों नहीं उठाते । हमें आठ घंटे की शिफ़्ट दे दो । बच्चों के लिए क्रैश होना चाहिए । एक दिन की छुट्टी तो हो हफ्ते । हम रिश्वत नहीं लेंगे । अभी हम चौबीस घंटे काम करते हैं । कोई छुट्टी नहीं । कौन चाहता कि रिश्वत लें । जिसे बताता हूँ कि कांस्टेबल हूँ वो मुझे चोर समझता है । भाई साहब ईमानदारी की रोटी खाने का दिल करता है । आज यहाँ ड्यूटी लगी है तबीयत मस्त है । 

भागते हुए एक लड़के की आवाज़ सुनाई दी । छोटा सा लड़का होगा । मेरी बहन को जलाकर मार दिया है । कोई केस नहीं हो रहा है । 

मंच के क़रीब पहुँचने ही वाला था कि मैं डेमोक्रेसी पढ़ाती हूँ । यह सही में जनता के लिए जनता के द्वारा वाला लोकतंत्र है । मैं आज अकेले आई हूँ । देखिये इस भीड़ में अकेली बैठी हूँ । 

भाई साहब आज सतयुग आ गया है । तभी किसी ने आवाज़ दी कि आज लगता है कि कृष्ण का जन्म हो रहा है । एक ने कहा जय श्री राम । राम राज अरविंद लायेंगे । 

आप भी चुनाव लड़ जाओ । पत्रकारिता में कुछ नहीं रखा है । लोगों की सेवा करो । नहीं जी । राजनीति मैं नहीं करूँगा । अरे आप मत करना । हम आपको जीता देंगे । :) 

ये लीजिये अमरूद खाइये । आम आदमी का अमरूद । 

मैंने एक आपाई से सवाल कर दिया िक लोग आपके आचरण को देख रहे हैं । जवाब मिला कि हमें अहसास है । क्या है न जी । अभी तक हमें भ्रष्ट नेता मिले हैं तो हम भी वैसे हो गए हैं । अब ईमानदार नेता मिला है तो हम भी हो जायेंगे । 

स्टेशन की वीआईपी पार्किंग में वहाँ के कर्मचारियों के साथ बैठा था । शपथ ग्रहण से लौट कर थक गया था । गणेश ने कहा कि एक बात है गुरु जी । अरविंद की रैली में वो लोग आते हैं जिनकी तनख्वाह पंद्रह से बीस हज़ार है । मोदी की रैली में वो लोग आते हैं जिनकी तनख़्वाह पचास हज़ार से अधिक है । 

ये कहानियाँ खुद को याद दिलाने के लिए लिखीं हैं । 

45 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  2. ravish ji please us police wale ke baton me dum tha aur usne sahi aadmi se ye request kiya hai mai bhi aapse request kar raha hu ki please uske in baton me chhupi gehrai ke par ek story kijiye ravish ke report ke through prime time me and es baat ko arvind kejriwal ji se bhi discus kijiye, kyuki agar police wale kucch bhi sudhre to humare desh aur sahar ka halat bahut jyada sudhar jayega...plz

    ReplyDelete
  3. PLEASE USKE ANDAR ES HONESTY SE JEENE KE EHSAAS KO AAP IGNORE MAT KIJIYE AUR AAPKE LEVEL PE JO BHI POSSIBLE HAI UTNA TO KIJIYE..WAISE KAL AAPKA LIVE REPORTING DEKHNE LAYAK THA aapki baatein sach me seekh thi congress and bjp ke liye agar wo seekhna chahe to waise mujhe umeed hai ki wo kucch seekhenge nhi......

    ReplyDelete
  4. अरविन्द ने उम्मीद जगाई है देश के नागरिकों में....आशा करता हूँ लोग उन्हें समय देंगे काम करने का । ये सब एक-दो दिनों/हफ्तों/महीनों में ठीक होने वाला नहीं । कुछ रहम करो यार उस इंसान पर । भरोसा रखो । वो भरोसा तोड़ने वाला बंदा नही ।

    ReplyDelete
  5. Interesting ! Thanks for sharing .

    ReplyDelete
  6. आज मनोहर परिखर के बारे में पड़ा,वही गोआ के मुख्यमंत्री , वे भी आई.आई.टी के हैं ,उनका भी सब कुछ अरविन्द जैसा है ,फेसबुक पर बीजेपी को इसका प्रचार करते देखा ,तो लगा की झूठ बोल रहे हैं ,फिर गूगल किआ ,तो पाया की वे सच में आम आदमी की तरह रहते हैं !

    आपको अरविन्द और मनोहर में क्या फर्क लगता है , जो आन्दोलन अन्ना ने चलाया .
    उसका सारा क्रेडिट अरविन्द ले गए ? क्यूँ ?

    एक सवाल का जवाब और दीजिये आप सब media के लोग जिस अरविन्द को देखना भी पसंद नहीं करते थे , आज उसको राष्ट्रीय पटल पे अपनी तरफ से प्रधानमंत्री क्यूँ घोषित कर रहे हो !

    क्या आज आपका ज़मीर जाग गया है ,
    क्या आज आपको असली सेकुलरिज्म का मतलब याद आ गया है ,में हैरान हूँ , जिस तरह से media अरविन्द को प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रही है ,


    समाये ही बताएगा , की आप और media किसकी मदद कर रहे हैं , एक दम से हवा का रुख बदला सा लगता है , पर सर ये उम्मीद नहीं करी थी आपसे !

    अगर ये व्यक्ति कोई और होता , right विंग से होता तो आप सब को सांप सूंघ जाता ,
    पर चूंकि आप सब लोग left विंग से आते हो ,इसलिए सपोर्ट कर रहे हो !

    2014 की लड़ाई को media कुछ भी करके ,मोदी Vs अरविन्द बनाना चाहता है ,कौन ऐसा व्यक्ति होगा जिसको AAP के विचार अच्छे नहीं लगते , पर जिस जल्दबाजी में आपने अरविन्द को ब्रश्ताचार का मसीहा बना दिया है ,बहुत ही गलत है |

    काम तो देखिये , में दिल्ली में रहता हूँ , चुनाव से पहले में आश्वस्त था की कांग्रेस जीतेगी , शीला के राज में महंगाई थी , एक घोटाला हुआ ,सिक्यूरिटी में लापरवाही थी , मानता हूँ , पर इतना बुरा प्रदर्शन तो बिलकुल नहीं सोचा था , लोग AAP को दिल्ली तक सीमित रखना चाहते थे , पर अब लोगों का मन बदलने में media खूब काम कर रही है |

    में समझ सकता हूँ , media की पीड़ा , पर चिंता मत करिए आपके घर में ही बहुत बड़े सपोले बैठे हैं , वे सिर्फ भाषण देते हैं ,इमानदारी का , हैं नहीं , वरना UPA II इतना नहीं चलती |

    देखते हैं क्या होता है , मेरी सोच ख़राब हो सकती है , पर पूरे देश की नहीं , जो देश फैसला करेगा ठीक करेगा ,पर media का अरविन्द प्रचार से दुःख हुआ |

    अगर अरविन्द की सादगी इतनी पसंद है तो बाकिओं से पास भी कैमरा लेके जाओ , उनकी कहानी भी रिपोर्ट करो , वादे कोई भी कर सकता है , हकीक़त बहुत अलग होती है |


    ReplyDelete
    Replies
    1. KEJRIWAL aur AAP ki kamyabi se CONG ko itnee dikkat nahi hai jitna ki BJP vale gash kha gaye hain. Darasal ve sochte hain ki Modi ke raaste me ye achanak ek badi baadha kahan se aa khadi hui. Ab ve kejriwal aur AAP ki kisi bhi tarike se tang khichne ke chakkar me hain. Vishvas mat k dauran kal Delhi Assemly me ye saaf najar aaaya. Hare.....Hatash aur Hatbuddhi si baten.....ab yahi baat Mr. Aaap (you) bhi kar rahe hain. Apke muh se jaise BJP ki vedna nikal rahi hai.......

      Delete
  7. I liked your writing style too apart from your coverage, which was also better than other Journos particularly the humor and style...good..plz see http://goo.gl/aqFDoL

    ReplyDelete
  8. maza aa gaya sir ji ye hi dekhana chahte hi ? par mujhe bhi sochane pe pata chala ki thoda sa aur intezar karna padega mera matalab hi kam se kam do mahina 20 Feb tak.to mauka ek insan ko dena chahiye kyoki zee ne jo dikhaya wo to mai bhi congresi hota to sayad yehi sochata lekin jo bhi hua itna to saf hi ki abhai dubey ji ne us din apke show me jo kuch kaha chaturvedi bhi the us din ki rahul magruri me bol rahe the maine unki bhasa ko do barr dekha revind karke .pat nahi sir kah nahi sakata lekin dar lagta hi ki kya ye sach me agr 2014 me 50-60 seat bhi le ke aa jate hi to kya hoga ye mai bhavisyabani kar raha hu itena to milega hi bahut hi confusion ho raha hi sir ji.fir bhi meri tarf se best of luck to AAP

    ReplyDelete
  9. maza aa gaya sir ji ye hi dekhana chahte hi ? par mujhe bhi sochane pe pata chala ki thoda sa aur intezar karna padega mera matalab hi kam se kam do mahina 20 Feb tak.to mauka ek insan ko dena chahiye kyoki zee ne jo dikhaya wo to mai bhi congresi hota to sayad yehi sochata lekin jo bhi hua itna to saf hi ki abhai dubey ji ne us din apke show me jo kuch kaha chaturvedi bhi the us din ki rahul magruri me bol rahe the maine unki bhasa ko do barr dekha revind karke .pat nahi sir kah nahi sakata lekin dar lagta hi ki kya ye sach me agr 2014 me 50-60 seat bhi le ke aa jate hi to kya hoga ye mai bhavisyabani kar raha hu itena to milega hi bahut hi confusion ho raha hi sir ji.fir bhi meri tarf se best of luck to AAP

    ReplyDelete
  10. @Ravish ji...m bhi us samay aapko live dekh raha tha...Arvind Ji k jane k baad bheed aapki deewani ho gyi thi..!!!
    Aapki non-stop commentary lajawab thi...

    ReplyDelete
  11. Ravish ji namaskar....ek saal se aapko follow kar ra hunn.sare blog pade...par comment pahli bar kar raha hun..... dehradun me uttarakhand police se hun...shayad isiliye us police wale me khud ki peeda dekhi...hamare yaha b wahi bjp congress wala hal hai.5 sal congress loot leti he to agle 5 sal bjp.bahut hi bura hal hai...delhi me kejriwal jab shapath le rahe the to main pata nahin dehradun me beth khushiyan kyun mana raha tha. Shayad ek chhatpatahat hai jo mere rajya ke netao ne dee hai... duwa hai k ek do kejriwal yahan bhi aa jaye to shayad ye chhatpatahat kam ho jaye... or han ek bat or police me 6 sal gujarne k baad b kabhi rishwat nahin lii...(isliye likha k shayad bin rishwat wale kam honge) jai hind..

    ReplyDelete
  12. @AKS : They will not show the simplicity of other minister like Parrikar. They will only show 2002, 2002, 2002.....Muslim dukhi, Muslim dukhi...Muslim garib, Muslim garib

    Arey bhai, garib aur dukhi sirf Muslim hi hai kya?

    Sadhvi Pragya, ke bare mein koi kyu nahi dikhata. 1 minute ka bhi samay nahi hai kya? I remember you did a show for muslim being wrongly prisoned ....ab kya hua?

    Phir kehte ho Twitter per hame gaaliya padti hai ? apne aap se puchiye sacchai kya hai, pata chal jayengi.

    I am hindu. I am RSS guy. So according to secular's logic, I am TERRORIST. So let it be.

    ReplyDelete
  13. bahut badiya Live reporting thi ravish ji aap ki.. Maza aa gy dekh kar aur sunkar. Sharad Sharma k tweet se raat ko hi maloom chal gy tha ki Aap ramleela ground jaa rh hain.. Main USA mai rehta hu.. friends Friday sham ko Dhoom 3 jaane ka Plan bana rh the.. but jab maine unhe bataya ki aaj Oath taking ceremony hai aur ravish ji Live Reporting karenge so aaj raat hum Live NDTV dekhenge.. sabhi log ek sath ready ho gye.. Baki Aap ka wo Laal Gulab wala, Purse wala aue last mai Cream roll wala bht hi majedaar tha.. baki aapne bht sahi baar -2 samjhaya bheed ko kabh Camera ki nazar se mat count karo.. baki Ramleela ground full bhara hua tha Khacha-khach.. Touch sawal karte raiyega AAP walon se apni maksad se bhatak na jaaye yeh AAP wale bh..aap ka wo suggestion prime Time mai ki Delhi mai paani ki nal jarur lagana jo pehle hua karte the..

    ReplyDelete
  14. cream roll ke bare me likhna bhul gaye ravishji....par jo bi likha hai accha likha ha

    ReplyDelete
  15. Ravish jee khub kikhat bara aur kaa kahin tu aab tv anchoring chodd ke AAP ke neta ban jaa aur Abhay dubey ke bhi sath leleha...Bahut badhiya rahi

    ReplyDelete
  16. ऐसे बहुत लोग जो व्यवस्था के कारन बेईमान हो जाते है। एक बहुत ही पुराना विचार है कि "बेईमान समाज मे ईमानदार का जीना मुश्किल होता है और ईमानदार समाज मे बईमान का जीना" ऐसे लोगो को लेकर एक "हमलोग" तो बनता है।

    ReplyDelete
  17. yaha kai log yeh kahte hain ki aap manohar parikar etc ke barey me kyon nahi likhte.
    1. Yeh ravis ji ka blog hai, unki marzi chahe jiske barey me likhen.
    none of your business.
    2. log usey yaad karte hain jisne change laya usey nahi jo usi system ka part bana. Udaharan ke liye Amitabh bachan amitabh bachan kyon hai. Aisa to nahi ki AB ke jaisa aur koi mahan kalakar nahi?hai! lekin AB ne ek sadi ko change kiya . unse pahle action movies hit nahi thi, romantic movies ka daur tha. AB ne change laya. Fir SRK ne wahi change laya. 80-90 ke dasak me action movies ka daur tha SRK ne romantic moviws ka daur laya. otherwise Amir khan bhi koi kam ache kalakar nahi nahi SRK, SRK hai.
    3. logo ko kaun ek hut kar pata hai. I dont knwo anything about M parikar. Why? probably he is not effective enough. or may be his charisma doesn't work. It's Arvind whose charisma works. So accept it.
    4. Writing story from Zero is called leadership; with all Odds from the same party of M parikar, you know.
    5. Sach wo hota hai jo sada ko sada keh sake wo nahi jo kisi ko suit kare.


    I hope I gave enough reasons.

    ReplyDelete
  18. bjp ko manohar parikar ya band dibbe me pade harshwardhan ki tab hi kyu yaad aayi jab arvind ne dikha diya ki bina honest leader ke tum mera samna nhi kar sakte warna ye dono to pehle se the bjp ne esko pehle kyu nhi laya? and arvind ne apni honesty and simplicity ko apna usp bana diya jiske karan bjp me piche ki line me pahuch chuke harshvardhan ko aage aane ke mauka mila....

    ReplyDelete
  19. Sir aapki fan following dekhkar man gad gad ho raha hai. Aapki live commentary kamaal ki thi.

    ReplyDelete
  20. With full respect for the sentiments that are put up as the soul of this write up, I wish to say that if possible Ravishji you may also try to remember those thousands of leaders of Indian National Congress who were and are very well known for their simplicity! After all it is not the very first time that a very grounded person is celebrated by the people! Yes, it may be first time for this generation; but I think this generation should also mind the past experiments and experiences of Indian democracy, otherwise probably they miss the essence of "desh ki dharohar" that existed and happened in the past only! Kejriwal is not the only one but one of the many likewises! though it is true that these "many" are very rare to be celebrated by public since they are not highlighted as well by media because they are not sensational and create almost no sensation as such! #DrManmohanSingh

    ReplyDelete
  21. सर पटना सीट से इसबार लड़जाओ , कुछ नहीं रखा है इस १ घंटे कि बक बक नौकरी मे , आप किस्मत वाले हो जो टीवी पर आते हो , लोग बिना टीवी वाले भी जीत रहे है , ये बदलाव कि बयार बह रही है , आप जैसे लोगो कि बिहार को जरुरत है , सर भासन देना आसान है। .. कुछ करके दिखाओ।, हम आप के साथ है /

    मुझे इंतज़ार है जब आप एक दिन संसद में नॉन स्टॉप स्पीच दोगे। ...... किया अध्बुध दर्श होगा।

    ReplyDelete
  22. माफ किजीये श्रीमान रविस जी आपका ये लेख मैंने आपके ब्लॉग के लिंक सहित फेसबुक के वाल पर चिपका दिया है..आप से आज्ञा नहीं ले पाया ...काफी सरोकरी है अपनी पत्रकारिता और लेखनी की चमक बनाये रखे..

    ReplyDelete
  23. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  24. हो सकता है कि एक नई शुरूआत हो रही हो. वाक़ी समय बताएगा.
    (यहां के बाद, पहली अच्‍छी ख़बर वसुंधरा के बारे में आ रही है)

    ReplyDelete
  25. रवीश जी, आप ने लिखा है तो सायद यह कहानियां सही हों !

    kabir

    ReplyDelete
  26. Ravish Ji, its so nice to read down to earth descriptions like this. I love the simplicity of our people- probably that is our strength too. Our Father of the nation had realised this - in between the elites forgot. Lekin pritvi se santon ka lop kabhi nahin hua. Isi liye, aaj hamare beech kuchh log hain jo jindagi ki simplicity ko appreciate karte hain . Thanks
    Col SP Sharma

    ReplyDelete
  27. Sir sach bolun har admi apne apko aj aap se juda pata he kyunki mein odisha ka mayurbhanj ka udala nac area se hun aur mujhe fakr he ki mein aur mere papa dono arvind ke liye itne utawla hote hein ki pata nehin kyun ehsas hota he ki aj mano jaise ram ne janam le liya he sudh raj niti jo logon ke liye karne ja rahe hein...ham khud khud ke liye ladenge...hajar arvind ab paida ho rahe hein...mein khud apni office mein jhadu karta hun...

    ReplyDelete
  28. Mujhe Arvind par hamesha se hee bharosa tha, Anna movement second fast main hee lagne lagta tha ki Arvind/Anna Ji ko politics main aana chahiye , ese kuchh nahi badlega .. God bless Arvind . Anna ka gussa Jhel kar bhi party banayi, apne bachho ki kasam ke aage logon ki aawaj ko rakha , aur shapath lene ke baad ghamand karne ko Bahut kuchh tha , magar jaise main umeed karti thi .. Ye baat jaroori hai ki kabhi ghamand na aye " karm nishkaam hona chahiye" karta to Bhagwan hain, hum jariya matr hain , Arvind ne yahi bola ki gumaan na hone paye..hum sevak hain . He is pure gold.

    ReplyDelete
  29. aapka jawab nahi ravish ji......

    ReplyDelete
  30. Kejriwal is bringing chsnge snd parikar is the part of the system farak samjha

    ReplyDelete
  31. मैं इस पोस्ट में अरविंद केजरीवाल का नाम ले रहा हूं लेकिन मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं। हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

    ReplyDelete
  32. मैं इस पोस्ट में अरविंद केजरीवाल का नाम ले रहा हूं लेकिन मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं। हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

    ReplyDelete
  33. मैं इस पोस्ट में अरविंद केजरीवाल का नाम ले रहा हूं लेकिन मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं। हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

    ReplyDelete
  34. मैं इस पोस्ट में अरविंद केजरीवाल का नाम ले रहा हूं लेकिन मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं। हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

    ReplyDelete
  35. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  36. मैं इस पोस्ट में अरविंद केजरीवाल का नाम ले रहा हूं लेकिन मेरी निगाह में वह हर इंसान अरविंद केजरीवाल है जो कर्म के इस सिद्धांत में विश्वास करता है कि फल की संभावना न्यूनतम हो तो भी हमें एक बेहतर समाज के लिए प्रयास करना है, लगातार प्रयास करना है, और प्रयास के दौरान असफल होने, यहां तक कि सर्वस्व होम हो जाने का खतरा भी उठाना है। यह भावना बहुत कम लोगों में होती है। हम जैसे सामान्य लोगों में तो यह बिल्कुल नहीं है। हम बहुत जल्दी हार माननेवालों में हैं। हम यदि कुछ बेहतर पाना और कभी-कभी देना भी चाहते हैं तो भी इस पाने और देने के बदले में अपना कुछ भी खोना नहीं चाहते। हम स्वार्थी और आत्मकेंद्रित लोग हैं। हम क्रांतिकामी हैं लेकिन क्रांतिकारी नहीं हैं। हम समाज को बदलनेवालों में नहीं है। हम खामोश रहकर तमाशा देखनेवाले लोग हैं। इसीलिए हम अरविंद केजरीवाल और चारु मजूमदार नहीं हैं। हम जुलिअन असांज और एडवर्ड स्नोडन भी नहीं हैं।

    ReplyDelete
  37. मैं ईमानदार हूँ- इस वजह से लोग साथ नहीं देते। कहते हैं आप काम नहीं करवा पाएँगें क्योंकि काम पैसों से होता है और पैसा आप लेते नहीं । बहुत कठिन है डगर ईमानदारी की....... पर हम फिर भी चल रहें हैं और चलते जाएंगे ।

    ReplyDelete
  38. मैं ईमानदार हूँ- इस वजह से लोग साथ नहीं देते। कहते हैं आप काम नहीं करवा पाएँगें क्योंकि काम पैसों से होता है और पैसा आप लेते नहीं । बहुत कठिन है डगर ईमानदारी की....... पर हम फिर भी चल रहें हैं और चलते जाएंगे ।

    ReplyDelete
  39. The story shows writer`s human nature. I like or u can say believe only two journalist, Ashutosh & You in the whole Media.

    ReplyDelete
  40. Hum apke chahne walon me se ek hai, bahut hi badiya likha hai, hamesha isi tarah likhte rahiye, hum jaise navjavano k liye aap prerna_srot hai.
    dhanyawad Ravishji....

    ReplyDelete
  41. achha laga appke vichar padh kee, hum too yahii kahenge.....
    ATAL JI ki seat KhaLi hai RAVISH JI

    ReplyDelete
  42. Sir kripya Shapat Grahan samaroh ka apka coverage wala video daal dijiye kahin youtube par ya link hi share kar dijiye..

    ReplyDelete