मोदी और साहू जी

जाति से जोड़ कर देखता हूँ चाय से नहीं । और आपकी जाति के नहीं होते तो ? तब देखते । जयपुर के ज़ौहरी बाज़ार( चौड़ा रास्ता ) मेंं साहू चाय वाले से नरेंद्र मोदी के चाय वाले प्रसंग के बारे में पूछ रहा था । साहू जी ने कहा कि समाज के काम के लिए फ़ोन किया था उनके पीए को मगर नहीं आए । कौन सा काम ? सामूहिक विवाह समारोह के लिए । साहू जी कम बोलने वाले व्यक्ति मालूम पड़े । मोदी के चाय बेचने की अतीत और अपने वर्तमान के बीच कनेक्ट कर पाने के अकादमिक सवाल से चुप हो गए ।


यह बातचीत हो ही रही थी कि एक सज्जन और आए । चार बार कहा कि सुन लीजिये मैं अनपढ़ हूँ । अटल जी बग़ीची में भांग घोंटा करते थे प्रधानमंत्री बन गए । भैरों सिंह शेखावत तीन सौ रुपये रिश्वत लेने के आरोप में जेल गए लेकिन क्या हुआ । सीएम बन गए कि नहीं । गिरधारी लाल भार्गव यहीं मेरे साथ भांग पीया करते थे, पता है जयपुर से कितनी बार सासंद बने । ललाट पर हाथ फेरते हुए कहा कि इसका क्या करोगे जो लिखा है । मैंने कहा सही कह रहे हैं लेकिन जो बात कहीं क्या वो भी सही है ? इतने पे सज्जन उखड़ गए । मुझसे कहा, अरे चाय की दुकान पर क्या कर रहे हो, लाइब्रेरी जाकर राजनीति की दो चार किताबें पढ़ लो । बंदे ने ऐसी डाँट पिलाई कि क्या रहें । बाप रे सर मुँड़ाते ओले पड़े । ये मोदी के चक्कर में पिट जाऊँगा एक दिन । उनके चेलों ने गाली देकर पहले ही तंग किया हुआ है । 

21 comments:

  1. Sir ji Dhayan rahe rang bahut gahra hai. baqi jo hai so haiye hai.

    ReplyDelete
  2. आज मेरे आफिस के एक मित्र का फेसबुक पर उनका बदला हुआ फोटो आया जिसमे थोड़ी हलकी दाढ़ी थी. मैंने कमेन्ट में लिखा : I am worried for you. Definately, it is not right time for bearded look. SHAVE TO SAVE WOMAN :-))-- Asharam, Narain Sai, Amit Shah, Narendra Modi and Tarun Tejpal....
    मेरे मित्र को मोदी का नाम लेना इतना बुरा लगा कि उन्होंने मुझे कांग्रेसी दलाल बता दिया.

    ReplyDelete
  3. Sir , App aksar election campaign ke din aese logo se milate hai ...election coverage ke liye us time pe wese bhi "chele" ( Fan) pure form me hota hai...aur unko 1 hi side dikhayi deta hai

    Shayad aesa hi kuch dec 2012 me jab election time pe aapne RKR surat pe banai aesa hi kuch response tha

    ReplyDelete
  4. Are sir lekin wo admi lekin jabrjast tha bta tu apne ko anpad rha tha lekin atalji se girdhari lal ji tak ki khani btane mai minut bhar time nhi lgaya

    ReplyDelete
  5. Aksar log dusre me adhik interested rahte hain isliye jo apne aap ko budha bata raha tha wo jyada hi knowledge rakha tha. Waise kahne ko to log apne ko anpadh aur gawar hi kahte hain.... Kab jab apni jnan ki potli kholni ho... Gud evng sir jee.

    ReplyDelete
  6. Ravishji aise sawal mat pucha karo jisme pitne kee sambhavna banti ho. Vaise anpadh tha bahoot padha likha. UP ke BSP neta hain minister rahe aaj bhi bahoot unchi post par hai. Ek jamane main CHOOHA MAR DAVA becha karte the.

    ReplyDelete
  7. वैसे चुनावी रंग और परिणामों का असल परिदृश्‍य पान और चाय की ऐसी दुकानों से ही मिलता रहा है... असल ओपिनियन पोल तो यहीं से मिलती रही है पहले भी...

    ReplyDelete
  8. ये वो बस स्टैंड के सामने वाला चायवाला है क्या ?

    ReplyDelete
  9. Dear Sir

    Kuch AAP ke sting ke baare me bhi hame batayen taki hum log sacchai se rubraro ho sake.

    ReplyDelete
  10. क्या सर आप हमारे शहर आये और बताया भी नहीं, आपकी पत्रकारिता के प्रशंसकों में हम भी शामिल हैं, आपसे मिलने का अवसर कदापि नहीं छोड़ते :(

    ReplyDelete
  11. अब से library के पास का चाय वाला पकड़िएगा :) आप पर कोई गुस्सा भी नहीं हो सकता पीटना तो दूर :) आप की जबान मैं वह खूबी है ravishji की लोग बोलने से पहले न सोचे और बदतमीज़ी से पहले सोचे :) तो गालियाँ भी तो बोलनेवाली चीज हो गई न?! :) चाय पीओ :)

    ReplyDelete
  12. Modi k chele ek no. hain dusro ko gaali dene me.Main bhi support karta tha modi.ko,abhi bhi karta hu bt unke chelo ki wajah se thoda kam.

    ReplyDelete
  13. आप की यही बेबाकी लोगों को पसंद है......

    ReplyDelete
  14. आप की यही बेबाकी लोगों को पसंद है......

    ReplyDelete
  15. आप की यही बेबाकी लोगों को पसंद है......

    ReplyDelete
  16. प्रिय रवीश जी
    थोडा बहुत लिखने का शौक है परन्तु लिखावट में वह बात नहीं आ पाती थी। यूँ ही इनटरनेट पर भटकते वक्त आप का ब्लॉग नजर आगया और मानो जेसे लिखने की कुंजी हाथ आगई। छोटे छोटे वाक्य , उनमे पिरोया अर्थ और सच कि शक्ल में सच , रास्ता बताने के लिए धन्यवाद स्वीकार कीजियेगा। एक बात और , अगर चरित्र में ईमानदारी हो तो लेखनी से सटीक बात ही निकलती है।

    ReplyDelete
  17. अटलजी के बारे में एक और कहानी बताई जाती है , उन्होंने अंग्रजो की मूकबीरी की थी और स्वंत्रता आन्दोलन में खुद के भाई को पाच साल की सजा दिलाने में मदद की थी / बटेश्वर गाव का किस्सा है /

    ReplyDelete
  18. मेरा यह कमेंट आपके ब्लॉग से सम्बंधित नहीं है... बल्कि पिछले कुछ दिनों से आपके तेजपाल प्रेम को देख रहा हूँ.. आपने आप पार्टी के खिलाफ हुए स्टिंग ऑपरेशन को जानबूझ कर भुला दिया।। उनके 20 करोड़ का सच भी इससे पता चलता।। जितनी गम्भीरता से आप संजय खेतान के खुलासे को लेते हैं आपको इस खुलासे को भी उसी गम्भीरता से लेना चाहिए था... चुनाव आयोग ने भी कोई क्लीन चिट नहीं दी है। . ज़ी न्यूज़ ने तेजपाल पर अच्छी रिपोर्ट दिखाई है
    किश्तवार हिंसा ,मुज्जफ्फरनगर दंगा या असम हिंसा आपके चैनेल ने झूठी रिपोर्ट दिखाई है क्योंकि ये रिपोर्ट अधूरी थी.. पर मुझे पता है इससे आपके चैनेल को कोई फर्क नहीं पड़ता है

    ReplyDelete
  19. कभी सोनिया राहुल के बारे में भी पूछ लिया करो सर जी ....क्यों डर लगता है क्या ऐसा करने में ? या फिर वो महान है वो भी बस जन्म से....

    ReplyDelete
  20. Har cehre k peeche hai ek cehra ...
    Dekhe kiske sir bandhega sehra aur kiske ghar padega pehra...

    ReplyDelete
  21. क्या अजीब बहस छिड़ी हुई है? एक चाय वाला प्रधान मंत्री बनने वाला है. सैदपुर हॉस्टल और अशोक राजपथ के चाय वाले गुमटी की याद आ गयी. अट्ठनी की चाय और घंटो का राजनीति और दर्शन शास्त्र.

    न चाहते हुए भी पटना उनिवेर्सिटी के चाय वाले और राष्ट्रीय स्यम्सेवक संघ के चाय वाले की तुलना बरबस ही मन में हो जाती है.

    कहाँ राष्ट्रीय स्यम्सेवक संघ के चाय वाले बिहार को इस उच्चाई की बुलंदी पे ले जाते है की सिकंदर को बिहार में लाकर गंगा के किनारे पराजय दिलवाते है और तक्षशिला विश्वविद्यालय को भी बिहार में खुलवा देंगे.

    औरए पटना के चाय वाले आपके सामान्य ज्ञान को इतना पतित होते नहीं देख सकते. वो बोल पड़ेंगे भक् बुड़बक. आप ऐसे बिपिससी या आई ए स की परीक्षा पास करेंगे.

    काश ये राष्ट्रीय स्यम्सेवक संघ के चाय वाले गाँधी मैदान में भाषण देने से पहले अशोक राजपथ पर एक कप चाय पी लेते तो शायद उनके मुह से अनर्गल वार्तालाप नहीं निकलता.

    पर क्या करे ये राष्ट्रीय स्यम्सेवक संघ वाले लोगों ने भारतीय संस्कृति का ठेका जो ले रखा है. अपने संस्कृति की विकृति का ठेका जो ले रखा है.

    पटना के मोदी जो पटना विश्वविद्यालय से निकले है, उनको थोड़ा सा बिहार का इतिहास बताना चाहिए था, गुजरात वाले चाय वाले मोदी को. पटना के चाय वालो का नाम खराब कर दिया.

    ReplyDelete