सवाल- टीवी अख़बार देख कर तय करते हैं वोट किसे देना है ?
जवाब- नहीं जी । टाइम है न पैसा । पान की दुकान पर जो तरह तरह के बुद्धिजीवी आते हैं और बात करते हैं उससे अंदाज़ा लेते हैं कि देश कैसे चल रहा है ।
सवाल- वोट किस आधार पर देते हैं
जवाब- देखो जी पचास प्रतिशत तो स्वार्थ जाति और धर्म के आधार पर वोट देते हैं । पचास देश हित का सोच कर देते हैं ।
सवाल- हिन्दू मुस्लिम दंगों के बारे में सोचा है
जवाब- हाँ जी सोचा है । ये सब ऊपर से तय होता है । कुछ बातें जायज़ भी हैं । मुसलमान बच्चे पैदा करते हैं और अपने बच्चों को पढ़ाते भी नहीं है ं
सवाल- आपके माँ बाप ने आपको पढ़ाया?
जवाब- ना जी, साधन नहीं था ।
सवाल- पर मुसलमानों की आबादी के बढ़ने की दर हिन्दुओं से कम है । जनगणना की रिपोर्ट है ।
जवाब- ये नहीं मालूम मगर कुछ बात तो जायज़ हैं ।
सवाल- अच्छा भाषण और पैसे से लहर पैदा कर दे उस नेता को वोट देंगे
जवाब- ना जी । लहर का ज़माना गया । पैसे ख़र्च कर वोट नहीं मिलता । आदमी से फ़र्क पड़ता है । अब पुलिस तो सब जगह ख़राब है । लेकिन एक एसपी टाइट आ जाता है तो फ़र्क पड़ता है कि नहीं ।
सारे क्रीमिनल ज़िला छोड़ कर भाग जाते हैं ।
सवाल- कांग्रेस बीजेपी में से इस बार किसको
जवाब- इस बार तो बीजेपी को । वैसे एक बात कहूँ जी । तीन नेशनल पार्टी की ज़रूरत है । कांग्रेस अच्छा बुरा करती है तो बीजेपी की मौज हो जाती है । नाराज़ लोग उसकी तरफ़ आयेंगे । फिर बीजेपी से नाराज़ लोग पाँच साल बाद कांग्रेस को देते हैं । तीसरी नेशनल पार्टी होती और वो भी मज़बूत तो दोनों की साँसें फूली रहती । हम दोनों को हराकर एक तीसरी पार्टी को चुन देते । तब मजो आओगो । अभी ये गए तो वो आ गए । दोनों एक जैसे ही हैं ।
This time Delhi voters get chance of तीन पार्टी होवै तो मजो आओगो ~ Aam aadami party
ReplyDeleteWAH SIR, SAME SITUATION IN DELHI ELECTION....I KNOW YOU CAN'T FAVOUR ANY PARTY IN YOUR BLOG BUT REALY YOU ALSO WANT TO SEE THE CHANGE AND KNOW WHO CAN DO THIS CHANGE....DON;T WORRY SIR, IF DELHI PUBLIC VOTED FOR RIGHT ISSUE THAN THIRD NATIONAL PARTY WILL BE DEFINITELY CAME IN FOCUS....HOPE FOR BEST!! THANKS
ReplyDeleteआखिरी बात तो भली कहो है उसने...
ReplyDeleteऔर ये पढ़ते ही मुलायम सिंह की धोती कुछ और लहरा उठी, बदन में खून २ लीटर और बढ़ गया !
ReplyDelete(वैसे,बात लाख टेक की है..."अभी ये गए तो वो आ गए । दोनों एक जैसे ही हैं ।" अक्सर असली सामजिक/रानजीतिक ज्ञान- किताबों, अखबार के एडिटोरियल और कॉफ़ी हाउस की बहस में नहीं, ऐसे ही पान की गुमटी में मिलता है. इसे यहाँ ज़ाहिर करने के लिए शुक्रिया। )
Yeh to Lutian Zone walon ka baap nikla. Aise voter ke baren main so called National Parties ko maloom hai ki nahin.AAP to vahi rahte ho,Jara pata kariyo.
ReplyDeleteवो पानवाला "paid पानवाला" होगा ravishji :) :-p
ReplyDeleteRaveesh Bhaiji, Kya fark hota hai. Ye Political parties ke log hai. Some here came some there gone, some there came some here gone. Dal Badloo neta kabhi yehan kabhi wahan. Ek hi thaili ke chatte batte. Inke apne sanvidhan me corruption hi likha hai.
ReplyDeleteRaveeshji muddate ho gayee apko yeh dekhte hue. Ek umra gujar di aapne isme.
Well, Now I came to know how much biased Ravish Kumar is. Have a look at this example:
ReplyDeleteसवाल- पर मुसलमानों की आबादी के बढ़ने की दर हिन्दुओं से कम है । जनगणना की रिपोर्ट है ।
Truth:
http://en.wikipedia.org/wiki/Religion_in_India#Statistics
At this link, you can see:
Year,Hindu%,Muslim% 1961,0.8345,0.1069 1971,0.8273,0.1121 1981,0.823,0.1175 1991,0.8153,0.1261 2001,0.8046,0.1343
Which shows hindus population is decreased by 1% each time and muslims increased 5% for first two times and 7% for last two times. And Ravish is claiming "मुसलमानों की आबादी के बढ़ने की दर हिन्दुओं से कम है।"
BRAVO RAVISH!!
चोरासिया साहब आप भी दीपक(एंकर) की तरह सनसनी फ़ैलाने वाले मालुम होते हो |
Deleteरविश सर आपसे एक दरखास्त है की आप भी one -on -one इंटरव्यू लिया कीजिये रजत शर्मा और प्रभु चावला की तरह | आज कल तोह आशुतोष राणा जी ने भी शुरू कर दिया है और बहुत खूब लेते है इंटरव्यू |
ReplyDeleteपढ़के ख़ुशी हुई की इन पान वाले अंकल ने हमारे चाय वाले अंकल की तरह जवाब नही दिया की : चाहते तो हैं की इस बार बीजेपी आये but हम कांग्रेस को ही वोट देंगे क्यूंकि हमारे पूर्वज कांग्रेस को ही वोट देते आये है l :)
ReplyDeleteहम लोगों को बदतरों में से बद को चुनना पड़ता है, मजबूरी है।
ReplyDeleteहम लोगों को बदतरों में से बद को चुनना पड़ता है, बड़ी मजबूरी है।
ReplyDeletesir hasi to bahut aa rhi h...lekin baat ekdum shi kari h...
ReplyDeleteRavish bhai an excerpt from Wikipedia, plz :
ReplyDeleteBecause of higher birthrates, the percentage of Muslims in India has risen from about 9.91% in 1951 to 13.45% in 2001 to 14% in 2010.
The Muslim population growth rate is higher by more than 10% of the total growth compared to that of Hindus.
The ratio of young children (aged 0–6) to the total population is also significantly higher among muslims than among hindus in India.
Demographers have put forward several factors behind high birthrates among Muslims in India.
According to a 2006 committee appointed by the Indian Prime Minister, by the end of the 21st century India's Muslim population will reach 320 to 340 million people (or 18% of India's total projected population)[citation needed].