मेरठ मानसिकता और आसाराम

आज शाम एक साथ कई चैनलों को पलटा तो ज़्यादातर जगहों पर आसाराम को लेकर कार्यक्रम चल रहे थे और कुछ जगहों पर आने की सूचना फ़्लैश हो रही थी । लगता है दीपक चौरसिया ने रेटिंग के मामले में स्थापित चैनलों को डरा दिया है । रेटिंग का खेल कितना आसान है । इसका सिम्पल फ़ार्मूला यह है कि जो भी दूसरा चैनल दिखा रहा है उसकी नक़ल करो । कोशिश करो कि उसी वक्त दिखाओ । जैसे रिन साबुन की नक़ल पर बाज़ार में नीले रंग के साबुन कई तरह के समानार्थी नाम से लौंच हो गया था । लोग रिम को रिन समझ कर ख़रीद लेते हैं । मेरे साथ भी हादसा हो चुका है । तब तक साबुन तो बिक ही चुका था । एनडीटीवी इंडिया, इंडिया टीवी, लाइव इंडिया, इंडिया न्यूज़ । क्या बात है भाई । राजस्थान में कोई फ़र्स्ट इंडिया नाम का न्यूज़ चैनल लाँच हुआ है । इंडिया ही इंडिया । कौन रिन है कौन रिम ये कौन तय करेगा । वैसे हिन्दी नाम वाला एक ही चैनल है आज तक । सहारा समय भी गिन सकते हैं । 

 रेटिंग का गणित यह है कि अगर आपके घर में मीटर है और आप किसी चैनल पर एक मिनट से ज़्यादा रूकते हैं तो रेटिंग मिल जाती है । फिर आप फ़ेसबुक पर चाहें जितना गरिया लें चैनलों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता । जब से आसाराम को लेकर इंडिया न्यूज़ की रेटिंग आई है तब से सब दीपक सुनामी से बचने के नाम पर बाकी चैनल फिर से आसाराम आसाराम जप रहे हैं । मैं यहाँ पत्रकारिता और गुणवत्ता की बात नहीं कर रहा । हिन्दी न्यूज़ चैनल आईपीएल के पैटर्न पर चलते हैं । जहाँ टेस्ट मैच के नियमों को लेकर भावुक होने का मतलब नहीं । सभी चैनलों की टीम आईपीएल की तर्ज़ पर ही गठित है । दीपक इस खेल के पोलार्ड ( क्रिकेट कम देखता हूँ , मक़सद धुआँधार बल्लेबाज़ी करने वाले से है ) साबित हुए हैं । दे दनादन । नीम हकीम ख़तरा ए आसाराम, आसाराम की आशिक़ी, आसाराम का अश्लील दवाखाना, आसाराम का मैटरनिटी हास्पिटल । ये तीन विज्ञापन है जो इस वक्त इंडिया न्यूज़ पर दिखाये गए । जो साढ़े नौ बजे से शुरू होकर एक के बाद एक आयेंगे । देखना है दीपक कितना टिकते हैं और सर्वदा नंबर वन आज तक की देहरी पार कर पाते हैं कि नहीं । 

फिर क्या था मैंने आज रात नौ बजे रिमोट लेकर चैनलों को पलटना शुरू कर दिया । हर जगह आसाराम ही आसाराम । इंडिया टीवी भी अधर्म गुरु जन्म से जेल तक कार्यक्रम दिखा रहा है । एबीपी न्यूज़ पर भी आसाराम पर एक न्यूज़ आ रहा है । नारायण साईं पर रेप का आरोप लगा है । आज तक पर भी एक शो आ रहा है जिसका नाम है आसाराम की डर्टी पिक्चर । न्यूज़ 24 चैनल पर कार्यक्रम आ रहा है जिसका स्लग है पापा के महापाप में बेटा भी पा्टनर । शो का नाम है नारायण नारायण । आई बीएन सेवन पर भी आसाराम के बेटे की ख़बर है । लेकिन वहाँ बाकी ख़बरें भी हैं । ज़ी न्यूज़ और लाइव इंडिया पर बाकी ख़बरें भी हैं । न्यूज़ नेशन पर राजनीतिक चर्चा चल रही है और न्यूज़ एक्सप्रेस पर यूपी की लैपटॉप वाली ख़बर है । ये मैं नौ बजे के प्राइम टाइम का आँखों देखा हाल बता रहा हूँ । नीचे के चैनल रेटिंग को लेकर कम परेशान हैं शायद ! 

मतलब साफ़ है दीपक ने चोटी के तीन चैनलों को डरा दिया है । टीआरपी की दुनिया दिलचस्प होती है । यहाँ नियम नहीं चलते । इनके अपने नियम होते हैं । कभी रेटिंग के नियमों के तहत इन चैनलोंं का मूल्याँकन किया जाना चाहिए । शीर्षासन करके भी देखिये नज़रिया अलग हो जाता है । ( यह पंक्ति फ़ेसबुक पर एक स्टेटस से प्रेरित है )  इस भयानक कंपटीशन में आज तक कैसे नंबर वन बना रह जाता है । यह कमाल है । इन सब चैनलों को चलाने वाले सम्पादक अधिकारी कभी न कभी एक दूसरे के साथ, एक दूसरे के आमने सामने, एक दूसरे के मातहत काम कर चुके हैं । यह भी एक दिलचस्प अध्याय है जिस पर इन्हीं में से कोई लिखे तो पढ़ने को रोचक चीज़ें मिलेंगी । रेटिंग के तनाव को झेलना आसान नहीं होता होगा । हर दिन एक फ़ार्मूला खोजना चुनौती भरा काम है । रोज़ ही इन्हें अपने साथी, पूर्व सहयोगी, पूर्व सम्पादक से लड़ना होता है । मैं इस तरह के अनुभव और दबाव से दूर रहा हूँ इसलिए बाहर से नैतिक टिप्पणी नहीं करूँगा । 

फिर न्यूज़ 24 को आसाराम का लाभ क्यों नहीं मिला । वहाँ भी कम बहस नहीं हुई है । ऐसा ही नज़ारा दर्शक निर्मल बाबा के वक्त देख चुके हैं । लगता है कि हमें कोई न कोई ग़ुबार निकालने के लिए चाहिए । जिसका प्रतीक कभी निर्मल बाबा तो कभी आसाराम बन जाते हैं । ग़ुबार निकलने के बाद न चैनल को निर्मल बाबा से दिक्क्त होती है न दर्शक को । कुछ लोग फ़ेसबुक पर इसे उजागर भी करते रहते हैं मगर इन पर कोई असर नहीं होता । अन्ना हज़ारों के वक्त भी यही हुआ था । लाइव इंडिया ने अन्ना को बिठाकर एक घंटे का कार्यक्रम किया । उसे कई बार दिखाया गया । जब रेटिंग आई तो लाइव इंडिया उछला हुआ था । बस सारे चैनल अन्ना को स्टुडियो बुलाने लगे । रेटिंग ही रेटिंग । एबीवीपी ने प्रधानमंत्री शुरू किया तो आजतक ने वंदे मातरम बना दिया । एक ने स्पीड न्यूज़ शुरू किया तो सबने चालू कर दिया । ज़ी ने कौटिल्य को पहले दिखाया (शायद) तो दीपक ने उसे लपक लिया और केबीसी में बदल दिया । उसी तरह डिबेट ही डिबेट शुरू हुआ । पहली बार अंग्रेज़ी का आइडिया हिन्दी में आया । ये अर्णब गोस्वामी का हिन्दी चैनलों की दुनिया में योगदान है । 

एक तरह से हर हिन्दी चैनल दूसरे की नक़ल कर चुका है । यानी सब एक दूसरे के अहसानमंद हैं । कोई कोलंबस कोलंबस नहीं चिल्लाता । सब कोलंबस का नक़्शा मार कर अपनी कोलोनी काटने निकल पड़ते हैं । प्लाट ही प्लाट । रेटिंग की दुनिया का एक औसत नियम नज़र आता है । कुछ भी अलग मत करो । जो एक कर रहा है उसी को अलग अलग तरीके से करो । स्लग की  भाषा सबकी एक जैसी, नरेटी दाब कर नाक से बोलने वाला वायस ओवर, जैसे वीओ करने वाले को वायस ओवर ख़त्म कर तुरंत फ़ारिग़ होने भागना हो । सब चैनल पर नकबज्जा वीओ सुनाई देगा । जैसे पटना में कभी क़ब्ज़ दूर करने की  दवा बेचने वाला पपीन पपीन बोलता था । सारी रचनात्मकता शो के नाम को लेकर निकाली जाती है । नीम हकीम ख़तरा ए आसाराम । वाह ।  

हिन्दी चैनलों को पत्रकारिता के टेस्ट मैच के नियमों से हम कब तक देखते रहेंगे । कोई तो होगा जो इन्हें देख रहा होगा या फिर मीटर वालों की दुनिया के बाहर कोई नहीं देखता होगा । इसे मानने का आधार क्या है । दर्शक तो होंगे ही इनके पास । यहाँ निरर्थकता में ही सार्थकता है । इनके खाते में अच्छे काम भी है जिनका इस्तमाल आलोचना के वक्त किया जाता है । कुछ शानदार काम भी हैं । सब नैतिक रूप से यह तो कह ही सकते हैं कि उन्होंने एक ठग साधु के कारनामे दुनिया के सामने उजागर कर दिये । स्ट्रींगर रिपोर्टर मिलकर आसाराम का खेत खलिहान तक खोद लाये हैं । सत्यता और तरीके पर टिप्पणी नहीं कर रहा हूँ ।  मैं कौन  होता हूँ करने वाला । आसाराम पर बने तमाम कार्यक्रमों की भाषा और कंटेंट का गहन विश्लेषण होना चाहिए । पता नहीं क्यों गुप्त रोग दूर करने वाली तड़प भी दिखाई दी । 

कभी यह भी तो सोचिये आसाराम अंग्रेज़ी चैनलों में क्यों नहीं हैं । क्या पत्रकारिता वर्ग के हिसाब से नहीं होती । दूसरा मेरठ से छपने वाली पत्रिकाओं ने हिन्दी साहित्य और पाठकों की दुनिया में जो भूचाल पैदा किया उसने लोकप्रियता के लिए तड़प रहे हिन्दी के चैनलों को भी लपेट लिया । मेरठ ज़िंदाबाद । कभी मेरठ से कोई चैनल लाँच हो जाए तब देखेंगे सत्यकथाओं की जननी मेरठ के क़लमकार उनकी नक़ल मार रहे चैनलों को कैसी चुनौती देते हैं । मैं मेरठ को ब्रांड नहीं कर रहा । मुझे वो शहर बेहद पसंद है । तब तक रेटिंग की दुनिया का मज़ा लीजिये । 

आज जमाने बाद न्यूज़ चैनलों को देर तक देखा । अच्छा लगा यह देखकर कि कुछ भी नहीं बदला है । 

22 comments:

  1. taareef kya karna. hamesha ki tarah achha likha hai.

    ek mahine se news nahin dekhi hai tv par, kaaran , ndtv india cable wale ne hata dia hai.
    primetime dekh leta hun recorded wala net par.

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  2. Sir ji honestly bolu to deepak chaurasia mujhe to nautanki lgta h. Uski live debates to machhi bazaar ki tarah lgti h.
    Aur aapse shikayat h k aap twitter se gayab kyu ho jate h? Bhaunkne wale bhaukenge..haathi ko fark pdta h kya? waqt mile to rply zarur kijiyega.
    Riskyjat2 frm twitter
    Anil Nehra

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  3. "पापा के महापाप में बेटा भी पा्टनर " हाहा … बाप रे ! कहीं और सुनता तो यकीन भी नहीं आता। टीवी पर न्यूज़ देखना बहुत पहले छोड़ चुका हूँ, फिर भी आपका ये लेख पढ़कर dejavu वाली फीलिंग आ रही है। फ़र्क बस इतना है कि उस समय आसाराम - न्यूज़ में नहीं, न्यूज़ के पहले आते थे और न्यूज़ के नाम पर नाग-नागिन दिखाया जा रहा था. ( शायद अभी भी दिखाते हों). बाकि, क्योंकि मैं बहुत मन लगाकर टीवी न्यूज़ देकता नहीं, तो उसपर (बेकार) टिपण्णी करना भी किसी हद तक ठीक नहीं लग रहा । फिर भी , तीन पॉइंट्स कहना चाहूँगा:

    १) न्यूज़ (प्रिंट और टीवी) दोनों की गुणवत्ता पर भौएँ सिकोड़ने वालों से ये पूछन चाहिए, कि क्या वे इस वांछनीय गुणवत्ता के लिए, अपनी जेब को कुछ ढीला करने के लिए तैयार हैं ? बहुत लोगों का मानना है कि, सस्ते माध्यम में न्यूज़ भी सस्ती ही मिलगी। (इस बात के कई और आयाम है, जो सब यहाँ कहना मुमकिन नहीं। मैं न्यूज़ चनॆल की नैतिक ज़िम्मेदारी को दर्शक पर नहीं डाल रहा, बस एक नजरिया बाँट रहा हूँ.. मैं खुद इसपर अपनी राय पूरी तरह से अभी नहीं बना पाया हूँ )

    २) टीवी न्यूज़ चैनल में सब्सक्रिप्शन ड्रिवेन मॉडल का गुणवत्ता पर क्या असर पड़ता है? क्या इस पर कोई शोध हुआ है? क्या सब्सक्रिप्शन की गिनती, टीआरपी से ज्यादा सटीक मापक नहीं है? (इसे भी अकेले नहीं देखा जा सकता। सबसे ज्यादा बिकने वाले ( सबसे अधिक सब्सक्रिप्शन वाले ), अंग्रेजी अखबार पर ही अक्सर, पत्रकारिता को ख़राब करने के सबसे ज्यादा आरोप लगते रहे हैं)

    ३) जैसा आपने कहा ( हिंदी ) टीवी न्यूज़ में अच्छा काम भी होता है। मेरी जिन लोगों से भी बात होती है, सब रविश की रिपोर्ट को याद करते हैं. कई कारणों के लिए. इतना पॉपुलर होते हुए भी, बाकी चैनलों ने इसकी नक़ल क्यों नहीं बनाई ? (रिपोर्टर की नक़ल नहीं हो सकती, फॉर्मेट की बात कर रहा हूँ ). क्या इस में भी टीआरपी का चक्कर था? या न्यूज़ चैनल ये मान बैठे हैं कि लाल त्रिकोण, फ़्लैश और धैंग-धैंग बैकग्राउंड म्यूजिक वाला ही प्रोग्राम चलेगा। दर्शकों की मूर्खता पर ये वही अटूट अंधविश्वास तो नहीं जो - हिम्मतवाला और बेशरम जैसी मूवी बनाने के लिए , निर्देशकों को ज़रूरी हिम्मत और बेशर्मी देता है?

    हो सकता है मेरे प्रश्न बेतुके या बहुत बेसिक लगे. पर मेरे पास इनका भी जवाब नहीं।
    (वैसे को लोग ये पढ़ रहे हैं उनके लिए बताना चाहूँगा - ndtv २४*७ पे "इंडिया मैटर्स" नाम से एक डाक्यूमेंट्री का अच्छा शो आता है. समय हो तो देख सकते हैं)

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  4. mind blowing Ravish ji and True ik ik sabd ...

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  5. ravishji मुझे तो यह रेटिंग/TRP etc surveys लगता है जैसे

    घोड़े पर बैठ के पता करने जाने जैसा है की शहर मैं कारें कितनी है

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  6. deepak chaurasiya pahle patrakar the..
    ab deepak baba ho gaye h....
    roj babao k pass bait kar India news
    par satsang lagate h...quality pehle thi usme.....ab nahi dikhti...halla channel h India news...
    halla karao trp laavo....

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  7. deepak chaurasiya pahle patrakar the..
    ab deepak baba ho gaye h....
    roj babao k pass bait kar India news
    par satsang lagate h...quality pehle thi usme.....ab nahi dikhti...halla channel h India news...
    halla karao trp laavo....

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  8. Aaj bharat mein vividhta kewal bhashaon aur jatiyon ka hi nahi taste aur mentality ka bhi ho gaya hai...tabhi jahan ek or grand masti jaisi movie hit ho rahi hai wahin dusri or pan sing tomar aur bhaag milkha bhaag jaisi classical movies bhi...yahi haal khabron ka bhi hai...ab demand hai to supply to karni hi hogi naa...Aaj Baazar itna haawi ho chuka hai haar ek bikne waali chiz ko paros diya jaata hai..bina kisi ethics aur ideology ka khayal kiye hue..

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  9. Shri Raveesh Bhaiji, People say that TV News Channels are also like our people, our Government and our Religious gurus. Of the people – by the people – for the people. Yatha Praja tatha Raja. News channels are selling their products. People say that we should not forget that Indian News Channels are not NGOs. They are Company to work, produce and sell for earning. There is rules also: Rule No. 1- Boss is always right, Rule No. 2- If Boss is wrong – Follow Rule no. 1. People say Media is BIKAU, biased and politically….I think they forget above Rules. People also say all the media is RAJPUT. Real Rajput – Jiska RAJ uske POOT. I think they don’t remember the Hindi saying “water living in man making enemy not crocodile.”

    People say that Govt. is corrupt, Political Parties are corrupt, and Religious Gurus are corrupt even then we are with all of them supporting them with heart, with flags, with speeches, with strikes and dharna and bhookh hartal. PHIR BHI MERA BHARAT MAHAN.

    ‘SANT’ as described by TULSIDAS in RAMAYAN is given below. Please give a thought about all the present ‘SANT, ‘MAHANT’’ ‘GURU’ and ‘Dharmacharya’. ‘BHAGVAT GEETA’ also describes. Should there be a CODE of CONDUCT.
    DOHA 36 to 41 in ‘Shri RAM CHARITRA MANAS’ by Goswami Tulsidasji GEETA PRESS Gorakhpur
    उत्तरकाण्ड



    चौपाई :
    * करउँ कृपानिधि एक ढिठाई। मैं सेवक तुम्ह जन सुखदाई॥
    संतन्ह कै महिमा रघुराई। बहु बिधि बेद पुरानन्ह गाई॥1॥
    भावार्थ:-तथापि हे कृपानिधान! मैं आप से एक धृष्टता करता हूँ। मैं सेवक हूँ और आप सेवक को सुख देने वाले हैं (इससे मेरी दृष्टता को क्षमा कीजिए और मेरे प्रश्न का उत्तर देकर सुख दीजिए)। हे रघुनाथजी वेद-पुराणों ने संतों की महिमा बहुत प्रकार से गाई है॥1॥
    *श्रीमुख तुम्ह पुनि कीन्हि बड़ाई। तिन्ह पर प्रभुहि प्रीति अधिकाई॥
    सुना चहउँ प्रभु तिन्ह कर लच्छन। कृपासिंधु गुन ग्यान बिचच्छन॥2॥
    भावार्थ:-आपने भी अपने श्रीमुख से उनकी बड़ाई की है और उन पर प्रभु (आप) का प्रेम भी बहुत है। हे प्रभो! मैं उनके लक्षण सुनना चाहता हूँ। आप कृपा के समुद्र हैं और गुण तथा ज्ञान में अत्यंत निपुण हैं॥2॥
    *संत असंत भेद बिलगाई। प्रनतपाल मोहि कहहु बुझाई॥
    संतन्ह के लच्छन सुनु भ्राता। अगनित श्रुति पुरान बिख्याता॥3॥
    भावार्थ:-हे शरणागत का पालन करने वाले! संत और असंत के भेद अलग-अलग करके मुझको समझाकर कहिए। (श्री रामजी ने कहा-) हे भाई! संतों के लक्षण (गुण) असंख्य हैं, जो वेद और पुराणों में प्रसिद्ध हैं॥3॥

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  10. इंडिया सरनेम लगा कर कितना चैनल बनेगा..इसलिए नए चैनल अब न्यूज़ के आगे नंबर डाल रहे हैं...न्यूज़1 से लेकर न्यूज़ 24 होते हुए कहीं तक भी जा सकते हैं ।

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  11. हिन्दी न्यूज़ चैनल आईपीएल के पैटर्न पर चलते हैं । जहाँ टेस्ट मैच के नियमों को लेकर भावुक होने का मतलब नहीं ।

    :D :D :D

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  12. sir abhi abhi nayi aed aai he jisme bataya gaya he ki agar netao ki bethane ki jagah(sansad) acche se sajai gai ho to es ke neta kesa kam karate ye dekh ka achha laga, or khas tor par vo jo kahete he ki DESH KI SEVA KARTE KARTE MAR JAUNGA jab ye bolate huye unake chahere ka jo bhav he vo to anna hajare se bhi jyaa imandar lagate he (chaliye jamane ko sajana he to sajate he....)

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  14. https://www.facebook.com/photo.php?fbid=739124249446365&set=a.222447344447394.72821.100000463911486&type=1&theater sir ji abhi abhi facebook par mila hai.....is par bhi prakash daliye jara...pata nahi kitna sahi hai or galat par but itna jump to call center wala employee bhi nahi marta jitna chorasyia ne mara hai...kuch daal me kala to hoga!!!!

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  15. SIR DEEPAK CHAURASHIYA JIS HISSAB SE REPORTING KARTE HAI MUJHE KAHNE ME KOI SHAQ NHI HAI KI WO PAID MEDIA KA HISSA LLAGTE HAI, MAINE TO EK BAAR UNKE CHANNEL KE WEBSITE PE BHI LIKHA THA AISE HI LOG HAI JO MEDIA KO BADNAAM KARTE HAI AUR DUSRO PE BHI IMPECT DALTE HAI..KYUKI CHANNEL TO PRIVATE HAI AGAR RATING NHI MILEGI TO ADD KA VALUE KUM HO JAYEGA ES WAJAH SE EK GANDI PRATHA SURU HO GYI HAI......

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  17. मीडिया चैनलों की चाल-ढाल तो बनती और बिगड़ती रहेगी। कभी टीआरपी के नाम पर तो कभी ऑनर के नाम पर, लेकिन जहां संदर्भ की बात आती है तो गिने चुने चैनलों को छोड़ कर सब पानी भरते नज़र आते हैं।

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  18. सर बहुत अच्छा लिखा आपने |

    कल रात को 9 बजे आसाराम की ख़बरों से बचने के लिए मैंने बीबीसी वर्ल्ड न्यूज़ देखना शुरू किया , वहाँ Syria पे एक डाक्यूमेंट्री दिखाई जा रही थी | जिसने मुझे अन्दर तक झकजोर के रख दिया | सिरिया के लोगों का दर्द देख के मेरी आँखें भर आई |
    मीडिया समाज का आइना होता है और आईने में देखके ऐसा लग रहा है की भारतीय समाज में पप्पू ,फेंकू और बापू(आसाराम) के इलावा कुछ बचा ही नहीं है !

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  19. न्यूज़ दिखाओ और चर्चा करो बस खत्म ।
    बहुते चैनल तो ब्लू फिल्म दिखा रहे हैं। और टी आर पी कहलो पैसा कह लो बटोर रहे हैं।

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  20. 2 shaktiyan hai jo samaj badal sakti hai media or politics par is waqt to in dono ko badalne ki jarrorat hai...

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  21. Ravish ji badi tassalli hui aapka ye lekha pad kar....

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  22. Aapki bahut badi fan hu ravish sir. Mai ndtv ke siwa aur koi hindi news channel dekhti hi nahi hu. Na jane kyun aapke lekh me apne shaher ka naam sunkar bahut achchha lagta hai aur ye jankar toh aur zyada khushi hui ki aapko hamara shaher bahut pasand hai. Really really thank you sir...

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