लप्रेक

उस रोज़ नीलपदम टू और डिज़ाइनर आर्क के बीच से सूरज कैसे निकल रहा था न । हाँ लगा कि लिफ़्ट से नीचे आ गया है । याद है न हिंडन हाइट के पीछे छिपता चाँद और हमारा रात भर मंज़िलों का गिनना । सब याद है जानेमन । अपार्टमेंट की पहाड़ियों पर एक शहर हमने ही बसाया है । चाँद सूरज को तो आना ही था । इन्हें कोई नहीं देखता अब सो ये खुद ही झाँक रहे हैं । यार तुम दो मिनट के लिए रोमांटिक नहीं हो सकते ।धूप में निकला न करो रूप की रानी । गोरा रंग... व्हाअट इझ दिस डियर । माय न्यू कालर ट्यून जानेमन  । उफ्फ , डाँट बी सो रिग्रेसिव । यू गैंजेटिक बार्बेरियन बिहारी । शट अप । आय यम कास्मो । लिव आन टूएल्थ फ़्लोर , इन द सकाई । और मैं तुम्हारे इश्क़ में शिप्रा सिटी हो गई हूँ । लव इन टाइम आफ़ हाई राइज़ ( लप्रेक) 

11 comments:

  1. शानदार ! "अपार्टमेंट की पहाड़ियों पर एक शहर हमने ही बसाया है..." उफ़ !!! .... क्या बात !

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  2. आप कुड़कूड़ाएंगे ये पढ़कर (खासतौर पर हिंदी प्रकाशकों के ऊपर)… पर लप्रेक का एक संकलन तो बनता है ।

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  3. वाह सर बहुत ही खूबसूरत।
    दिन ताज़ा कर दिया आपने।

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  4. Acha..................

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  5. हा हा हा पहले ये सब झाड़ियो के पीछे होता था अब अपार्टमेंट के छतो पे होता है

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  6. जानेमन को मनोज तिवारी वाले वास्तु विहार का पता नहीं होगा इसलिए शिप्रा सन सिटी कह के बिहारी को थोडा अपग्रेड ही कर दिया ।

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  7. यू गैंजेटिक बार्बेरियन बिहारी :P
    ये इश्क में शिप्रा मॉल कब सेलेक्ट सिटी वाक बनेगा !!!

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  8. इस तस्वीर ने आपकी उस बात को सही साबित किया है..शौक ए दीदार है तो नजर पैदा कर...

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