मोदी की तरह आप भी इंडियन मीडिया को कम इंटरव्यू देते हैं । कम इसलिए लिखा कि आप दोनों बाइट देकर कट लेते हैं । विदेशी मीडिया को ज़रूर मोदी भाई का इंटरभू मिलता रहा है । आपका तो वो भी । खैर लिखने का मतलब यह नहीं कि आप दोनों के बीच संतुलन बनाऊँ । हिन्दी वाले को इंटरव्यू मिलने से रहा । अच्छी बात है कि मैं ऐसा कोई शो नहीं करता जिसके कारण आप दोनों को फ़ोन करते रहना पड़े । अगर मोदी और आपका इंटरभू मिला तो मैं शौक़ से जुड़े हल्के फुल्के सवाल ही पूछूँगा ।
पिछले हफ़्ते से आपका भाषण सुन रहा हूँ । आप पर आरोप लगा है कि आप नहीं बोलते हैं । मंच पर तो आप जो मन में आए वो बोल ही सकते हैं । आप मंच पर भी कम बोलते हैं । इस मामले में आप मोदी जी से 'लेसन लर्न' (सीख) कर सकते हैं । राजस्थान में दिये आपके दो भाषणों को सुनकर लगा कि आप कट रहे हैं । सवालों को टाल रहे हैं । आपको क्यों लगता है कि आप अपना बोल कर जायेंगे और पब्लिक सुनती रह जाएगी । जो पब्लिक सुनना चाहती है उसे कब बोलेंगे ।
राहुल जी आपका भाषण ज़मीन अधिग्रहण बिल और खाद्य सुरक्षा बिल के आस पास ही है । इन बातों को सुनकर कुछ बातें मेरे मन में भी उठीं हैं । जो मैं यहाँ रखने वाला हूँ । आपका भाषण औसत तो है ही बेजान भी लगता है । आप बेवजह सतर्क हो गए हो । मोदी को देखिये एक महीना पहले पाकिस्तान पर कुछ और एक महीना बाद कुछ । वो आप ही विपक्ष हैं और आप ही सत्ता । न आप सवाल करते हैं और न आपकी पार्टी का कोई । आप क्यों चिंता करते हैं । आप भी बोलिये न दायें बायें सायं । पहले बोलिये तो ताकि लोगों को पता चले । क्यों आपको लगता है कि इस चुनाव में बीजेपी को अमीरों के पास ठेल कर आप ग़रीबों का वोट जीत लेंगे । चलिये इस मामले में आपकी रणनीति साफ़ लगती है । यही कि आपने अमीरों या मध्यमवर्ग से वोट मिलने की उम्मीद छोड़ दी है । आप कहते हैं बीजेपी ( पार्टी का बीिा नाम लिये) अमीरों की तरफ़दारी करती है । पूछती है पैसा कहाँ से आएगा । विपक्ष अमीरों के लिए यह सवाल नहीं करता ,तभी करता है जब ग़रीबों को कुछ मिलने वाला होता है । ऐसा लगता है कि आप सिर्फ ग्रामीण और ग़रीब वोटर को टारगेट कर रहे हैं । आप इस चुनाव को शहर बनाम गाँव और अमीर बनाम ग़रीब में बदलना चाहते हैं । ये चलेगा नहीं ।
समस्या इस बात से है कि आप कुछ कन्नी काट रहे हैं । आप राबर्ट वाड्रा मामले पर नहीं बोलते । यूपीए के भ्रष्टाचार पर नहीं बोलते । कोयला घोटाले की ग़ायब हुई फ़ाइलों पर नहीं बोलते । आप टू जी पर नहीं बोलते । पवन बंसल पर नहीं बोलते । अश्विनी कुमार पर नहीं बोलते । महँगाई पर चुप रहकर आप ठीक करते हैं क्योंकि कोई ठोस दलील नहीं है आपके पास । लोग वो नहीं सुनेंगे जो आप बोल रहे हैं । जो वो सुनना चाहते हैं अगर वो नहीं बोलेंगे तो क्यों सुनेंगे ।
नरेंद्र मोदी आपको इन्हीं सवालों से घेर रहे हैं । उनका बिना जवाब दिये किसी और मुद्दे पर जाने से आपकी अपील कम होगी । मेरे ख्याल में आपको इन सवालों के जवाब देने चाहिए । बताना चाहिए कि क्यों आप बीजेपी से अलग हैं । फेंकू के लोग आपको पप्पू कहते है तो आपके लोग भी उन्हें फेंकू कहते हैं । लेकिन आप जवाब नहीं देंगे तो हमें आपकी राय का अंदाज़ा कैसे होगा । भ्रष्टाचार पर अगर चुनाव हो रहा है तो इस पर बोलना ही चाहिए । कम से कम लोकपाल पर ही बोलिये । गुजरात और केंद्र में लोकपाल को लेकर सियासी घपले पर चर्चा तो हो । पर आपने तो नाम लेना बंद कर दिया है । मोदी आपकी पार्टी का नाम लेकर कांग्रेस मुक्त भारत का मुद्दा बना रहे हैं और आप बीजेपी का नाम लिये बग़ैर विपक्ष विपक्ष कह रहे हैं ।
आप इतना कम बोलेंगे तो आपकी चिट्टी में भी नमो का ही ज़िक्र होगा । हमें ऐसा लगता है िक आप नमो की कही बातों का जवाब देने में सहज नहीं है । आप राजस्थान में काफी सक्रिय लग रहे थे । मंच पर उत्साही भाषण दे रहे थे मगर पता नहीं क्यों खोखला लगा । मोदी आप पर सीधा हमला कर रहे हैं और आप दायें बायें से । मोदी पर चुप रहने की आपकी रणनीति गुजरात में तीन बार फेल हुई है । इसलिए अबकी बोल कर देख लीजिये न ! मोदी का बिना नाम लिये आप विपक्ष को अमीरों का पक्षधर बता रहे हैं । अमीरों या कारपोरेट का पक्षधर ? कारपोरेट का पोषण तो मनमोहन सिंह ने भी किया । आपकी पार्टी के कई मंत्री उसी कारपोरेट से प्रेरित हैं जो इन दिनों मोदी की तारीफ कर रहे हैं । कई बार लगता है कि कारपोरेट ने बीजेपी और कांग्रेस नाम से दो पार्टियां लांच कर रखी है । साफ़ साफ़ कहिये न भाई । आमने सामने फ़ाइट नहीं करेंगे तो आप टाइट कर दिये जायेंगे ।
यह चुनाव अमीरी और ग़रीबी पर नहीं हो रहा है । यह चुनाव हो रहा है भ्रष्टाचार और लाचार सरकार के ऊपर । शहरी मतदाता आपसे इन्हीं सवालों पर जवाब चाहता है । सांप्रदायिकता के सवाल पर भी आप सामने से नहीं लड़ रहे हैं । इसीलिए कहा कि या तो खुद बदल जाइये या भाषण लिखने वाले को बदल दीजिये । दम नहीं है बाॅस ! गाँव के लोग भी शहरों में आ जा रहे हैं । उनका संपर्क बेहतर हुआ है । गाँव के वोटर को यह मत समझिये कि उसे आपकी पार्टी की मनमोहन सरकार के कारनामे नहीं मालूम । गाँव के लोग भी मिज़ाज से शहरी हो गए हैं । मेरे गाँव में सब मैगी खा रहा है । केक काटने लगा है जबकि वहाँ बिजली नहीं है ।
राजनीति में जवाब देना पड़ता है । वोटर दोनों को सुनता है । आप काहे घबरा गए हैं । पहले स्कूल कालेज जाते थे वो भी छोड़ दिया । देखिये मोदी जी कैसे कालेजों में जाने लगे हैं । आपका आइडिया लेकर वो आगे निकल गए हैं । ऐसा प्रचार कर दिया है कि युवाओं से सिर्फ मोदी ही बात करते हैं । आप हैं कि फुड बिल और ज़मीन बिल से आगे जा ही नहीं रहे । भट्टा परसौल जाकर रैली कीजिये न ताकि वहाँ के लोग सुन सकें । दिग्विजय सिंह के सहारे आप मोदी से नहीं लड़ सकते । पहले लड़िये तो । हारने का अपना मज़ा है और जीत का एलान अभी बाक़ी है । मगर इतना ख़राब भाषण देंगे और विरोधी दल के सवालों का जवाब नहीं देंगे तो कैसे काम चलेगा ।
बाक़ी आप हैं और आपके पास मंच है माइक है बोलिये न जेतना बोलना है । मेरे ब्लाग पर आडवाणी वाली चिट्टी भी पढ़ लीजियेगा । आपने कई प्रखर प्रवक्ताओं की सूची बनवाई है । उनमें से कई नेता नहीं आते । ये युवा मंत्री आपके ही बचाव में नहीं आते । उन्हें चिंता इस बात की रहती है कि हिन्दी की बजाए अंग्रेजी चैनल पर बैठे । आप ग्रामीण वोटर टारगेट कर रहे और आपका नाम लेकर नेतागिरी करने वाले शहरी और अंग्रेजी को । बीजेपी में लोग टीवी और सोशल मीडिया पर आ कर,छा कर प्रधानमत्री के दावेदार तक बन जाते हैं और आपके यहाँ के लोगों को लगता है कि उनके कुछ बनने का चांसे नहीं है । उन्हें लगता है कि बेकार भाषण देने से अच्छा है चुप ही रहा जाए । यह भी ठीक है ।
आपका
रवीश कुमार'एंकर'
Vote Nahi dege saale ko.. kah k lege is baar congress ki..
ReplyDeleteRahul uncle ko garibon ki nhi khud ki chinta he, tbhi to 2014 ke election ke bad ka future secure kr rhe he, 2 Rs. kg Genhu chaval se pet to bhar payega.
ReplyDeleteयही तो कांग्रेस भूल कराती है , कांग्रेस और राहुल गाँधी अभी तक रोटी , कपड़ा और माकन वाली थेयोरी पर ही रुके हुए है , जब की आज ki युवा पढ़ी इससे कही आगे का सोची है , शहेरी हो या गाँव का युवा , सभी अब अपने राइट्स , फ्यूचर , गवर्नेंस , करप्शन की बात करते है
ReplyDeleteराहुल गाँधी तो यहाँ तक बोल दिए की , आज का युवा पायलट बनाने का सोच रहा है और उसके liye हमने भोजन का अधियार और MGNAREGA दिए , अब इसका क्या लॉजिक सेट होता है वोह राहुल ही जाने
गाँव के युवा के लिए भी अब भोजन और कपडे का टॉपिक पुराना हो गया है , अब वोह भी हायर एजुकेशन , अच्छी नौकरिया के बारे में सोचता है , पर नेता औ ने न तो उस पर कुछ कम किया है न तो कुछ bola है
सर , अगर आपको सवालो के जवाब ही चाहिए तो राजनेता औ के भासन की जगह कौन बनेगा करोडपति देखिये , वह शायद कुछ जवाब मिल जाये :D :D
ReplyDeleteअब तो कांग्रेसी दलाल पत्रकार कहना बंद करो भाई रवीश को
ReplyDeleteआपकी हर पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है। जहां तक राहुल की बात है तो यह देश के माथे पर कलंक से ज्यादा कुछ नहीं।
ReplyDeleteaccha analysis kiya hai apne ravish ji...aise speech deke ye kisi ka jawab nhi de sakte aur rhe bat village ki to ab waha bhi log samjhdar ho gye hai...city se jyada village ke pan ki dukan pe politics ki batein hote hai
ReplyDeleteमोदीजी से मुकाबला कुर्ते की बांह चढ़ाकर नहीं हो पायेगा राहुलजी कोचिंग ही लीजिये पर बोलना सीखिए।
ReplyDeleteलगता है, राहुल जी को गैंग्स ऑफ़ वासेपुर का डायलॉग याद दिलाना पड़ेगा "कह के लूंगा".
ReplyDeleteWell written Sir! We want answers fro other side too...the leader who doesn't communicate well can't lead the nation well....I agree kuch to kahiye 'YUVRAJ'.....jawabdehi to banti hai
ReplyDeleteकाम के नाम पर ले दे के पप्पू के पास बस यही है की उ नेहरु परिवार से हैं जो अब गाँधी के नाम का सदुपयोग कर रही है, और अनुभव बस इसी बात का है की विदेश जाके कुछ साल लाफंदरय कर आये हैं. अगर एकरे से देश चल जाता तब तो पप्पू रॉक कर देता, पर पप्पू भाईसाब अब देश बदल गया है. हियाँ जो ज्यादा उछलता है ओकरा जनता शॉक भी कर देती है. सो दायरे में रहिये और कायदे से बोलिए. खैर आप कर भी यही रहें हैं.
ReplyDeleteAlways log into your blog for new postings... well thought analysis of Mr. Rahul Ji Speeches.
ReplyDeleteराहुल्गांधी भाषण ही देते है,मुद्दे की चर्चा कहाँ करते है?-i mean चर्चा का अर्थ विरुद्ध विचार या प्रावधान के लिए अपना सुद्रढ़ मत रखना और न रख पाए तो भारी से हलकी आलोचनाओं को सहन करना ।
ReplyDeleteशायद मोदी उनकी तीखी-तमतमाती-मजाकिया शैली मैं देसी-विदेशी दोनों टेबल्स पर अपनी चर्चा अपने हिसाब से परोस देते है। जैसे की आपने कहा "आप ही विपक्ष आप ही सत्ता" वैसे ख्याल बुरा नहीं है :) मोदी तो यही कहते आये है"विपक्ष का सफाया ही क्यूँ नहीं?"जल्दी जल्दी प्रजा का काम होगा और न हो तो time limit दे कर नए नेता की संभावना और पुराने नेताओं की गर्दन :) simple!यही 'मोदी नीती' है जो राहुल गाँधी खानदानी वफ़ादारी के चलते लोगों पर लागू नहीं कर सकते और न ही किसी मंच से घोषणा-जो मोदी बेधड़क करते है :)
ग्रामीण-शहरी,आमिर-गरीब मैं राहुल गाँधी कौन सी category मैं आते है वैसे? you know अगर शहरी votes + आमिर votes अगर मोदी को जाते है तो???? :-p MPRH :)
agree-it is like corporate has puchezed both major parties and just using them accoarding to public opinion--a modas operandy--as you said an election between 'लाचार-भ्रष्टाचार' ।
लेकिन एकदम भ्रष्ट सिस्टम को आप अचानक गंगा सामान पवित्र नहीं बना सकते हो रविशजी-न ही मोदी,राहुल या केजरीवाल
राहुल गाँधी के परिवार ने on duty दो दो शहीद प्रधान मंत्री दिए है--सिर्फ एक शहीद फौजी का बेटा भी कितना जानता है फौज के बारे मैं या देश के शत्रू के बारे मैं?और विदेशी होकर भी देश के मिज़ाज को परख कर उस हिसाब से कुर्सी से करीबी बनाये रखना छोटी उपलब्धि तो नहीं है?और नेहरु फॅमिली के पास हमारे देश के लिए vision तो है(पंचायती राज,स्कूल कॉलेज मैं चर्चा) उसको नकारना बेवकूफी होगी जरुर लेकिन NAMO इस vision मैं experience add वाले नेता है atleast मुझे तो उनसे उम्मीद है।
रही बात भाषान्बाज़ी की-तो-माइक तो कितने नेताओं को offer हुआ होगा?कितनों ने भाषण किया और कितनों ने संवाद यह आप तो कितना बहतरीन जानते होंगे?फिर काहे राहुल जी को परेशान कर रहे हो?:)
Ye sahi raha baari baari dono ko lekar aapne pane aap ko neutral kar hi liya!
ReplyDeleteANYWAY KAL KA PT comedy tha kya? BB7 jayda better hai use se. kahan kahan se pakad laate hai sar logo ko. onion waala bakwaas raha aur use se pehle SP waale bhai ko bhi namstey hi kahe to theek. Gainda ke phool lekar studio ke bahar hi ghume to accha rahega. Par sayd aapki bhi majboori hai roj roj laaye kahan se logo ko.
ek aur dil ki baat..@shashitharoor se ek cheej seekhne waali hai. wo jawab nahi dete twetter pe par fav bhaut karte hai.matalb sun rahe hai..aap bhi is tarkash ke teer ka upyog karein. tweet nahi bhi karte to baat sahi lage to fav dabaiye. log pasand karte hai hai to unke liye modi na bane to theek par kam se kam rahul gaandhi bhi na baniye. response dijiye Sir!
aapka
@khaalibheja
Digvijaisingh jaise log jinke dost honge unhe dushmano ki kya zaroorat.
ReplyDeleteआप बड़े ही कठिन प्रश्न पूछ लेते हैं, लेग कहीं आपके कार्यक्रम में आना बन्द न कर दें।
ReplyDeleteway to twitter
ReplyDeleterahul. .. rahne do.. tumse naa ho payega. modi ji kah ke lenge.
ReplyDeleterahul. .. rahne do.. tumse naa ho payega. modi ji kah ke lenge.
ReplyDeleteModi apne bhasan me kahta he "hu khato nathi ane khava deto nathi" sala itana khata he ki kishi ko khane nahideta,(corporate ke pass se)
ReplyDeleteLesan karke avo, are modibhai kya tum itne qualify ho? Use to acha rahul juth to nahi bola aap to juth or upar juth vo bhi chila chila ke,
unqualified lagta he modi or hebhi unqualified
@Ravish: Shukra manaiye ki congress k log internet pe jyada nahi hai,, nahi to ab tak aap Modi k dalal karar de diye jate...hahaha...isliye aap wapas twitter-FB pe active hoiye,,, waise hi nishpaksh anchors kam hai,,unki ginti aur kam mat kijiye...
ReplyDeleteठीक है बे.....:)
ReplyDeleteMP commodity होत। है। कीन लेंगे । बकर बकर पहिल। generation व।ल। नेता करत। है।
ReplyDeleteAap rahul ji ko samjha rahe hai ki bhashan dena sikh lijiye..modiji se bhi aap khus nhi hai,ismey hum blogreader aur aapke followers ko yeh confusion hai ki kaun si party ko 2014 me vote dena chaiye?please yeh confusion bhi toh door kar dijiye...
ReplyDeleteAap rahul ji ko samjha rahe hai ki bhashan dena sikh lijiye..modiji se bhi aap khus nhi hai,ismey hum blogreader aur aapke followers ko yeh confusion hai ki kaun si party ko 2014 me vote dena chaiye?please yeh confusion bhi toh door kar dijiye...
ReplyDeleteRabish ji ek khula latter modi k naam bhi likho to maza aa jayga
ReplyDeleteRabish ji ek khula latter modi k naam bhi likho to maza aa jayga
ReplyDeleteRabish ji ek khula latter modi k naam bhi likho to maza aa jayga
ReplyDeleteRavish ji bahut accha likha hai aapne ..or jaha tak congress or rahul ki baat hai to vo aaj be Roti kapda or makan pe hai ruke huey hai vo alag baat hai ki Vadra ji ne ab koi jameen chhodi hi nahi or roti sari ki sari congress kha gayi,or sari khadi par apna chunav chihn (panja) chpva diya. pata nahi kon rahul ka speech tiyar karata hai or kyun vo ke baar pahle pada nahi jaata dene se pahle. actualy main Rahul ke pass political INSTINCT hai he nahi.. jabardasti ke neta bana diya hai unko..now congress is not a praty it is a Business. Kul milakar ek hi baat kahunga " beta tumse na ho Payega "" jai hind
ReplyDeleteRavish ji bahut accha likha hai aapne ..or jaha tak congress or rahul ki baat hai to vo aaj be Roti kapda or makan pe hai ruke huey hai vo alag baat hai ki Vadra ji ne ab koi jameen chhodi hi nahi or roti sari ki sari congress kha gayi,or sari khadi par apna chunav chihn (panja) chpva diya. pata nahi kon rahul ka speech tiyar karata hai or kyun vo ke baar pahle pada nahi jaata dene se pahle. actualy main Rahul ke pass political INSTINCT hai he nahi.. jabardasti ke neta bana diya hai unko..now congress is not a praty it is a Business. Kul milakar ek hi baat kahunga " beta tumse na ho Payega "" jai hind
ReplyDeleteMUJE TOH SAMJH NAHI AATA KI HAMAARE NAU-JAWAAN RAHUL JI SE ITNE CHIDE HUE KYO REHTE HAI! ATLEAST WOH MODI JI KI TARAH FENKU OR BHADKAAU BAATEIN TOH NAHI KARTA YAARON!
ReplyDeletePatrakarita me jo santulan aapne rakha hai, vo sarahniy hai.
ReplyDeleteBahot hi sanjida tarike se aapne salah diyi hai. Achchha laga.