आई आई टी ने आई ए एस ( जो कभी दिया नहीं और जिसका अफ़सोस भी नहीं ) से ज़्यादा तकलीफ़ दिया है । बाद में आई आई टी के प्रति मेरी यह छवि धूमिल होती गई और धारणाओं के सफ़र में कही से एक धारणा समा गई कि इंजीनियर को सोशल साइंस या समाज से ही कोई मतलब नहीं होता । उनकी पोलिटिक्स गड़बड़ होती है । ये सांप्रदायिक किस्म की बातों में ज़्यादा यक़ीन करते हैं । सब पढ़ाकू होते हैं लेकिन अच्छी नौकरी और सैलरी से आगे इनकी दुनिया नहीं होती । ऐसी कई तरह की बातें सुनने लगा । साम्प्रदायिकता के सवाल को अलग कर दें तो क्या राजनीतिक सामाजिक स्वीकृति के लिए कम्युनिस्ट ही होना ज़रूरी है ? वैसे जब अरविंद ने सांप्रदायिकता के सवाल को उठाया तो सबने तालियां बजाकर संदेश दिया कि हम नेताओं की यह चाल समझते हैं । किसी वजह से पहले के युवा आंदोलनों में आई आई टी की कम भागीदारी ने इसे और पुष्ट किया होगा ( जे एन यू की तुलना में ) तो खैर इन सब सामानों से भरा अपना ब्रीफ़केस लेकर आई आई टी दिल्ली में प्रवेश किया ।
मंच पर अरविंद केजरीवाल, प्रभात कुमार, त्रिलोचन शास्त्री और सुमंत कुमार के साथ प्रवेश कर ही रहा था तो बारह तेरह सौ छात्रों की क्षमता वाला हाल तालियों से गूँज गया । सबने अरविंद केजरीवाल का ज़बरदस्त स्वागत किया और उनकी राजनीति पर गर्व भी । तभी लगा कि ये वो आई आई टी नहीं है जिसके एकाध छात्रों को आगे पीछे घुमाकर राजनीतिक दल खुद को टेक्सैवी जताते हैं । आई आई टी के छात्र एक ऐसे आईटीयन का गर्व से स्वागत कर रहे थे जो किसी मिलियन डालर कंपनी का सी ई ओ बनकर नहीं आया है बल्कि अपना करियर दाँव पर लगाकर राजनीति को बदलने निकला है । उत्साह देखते बना । हो सकता है यही छात्र किसी और नेता के लिए ऐसी ही तालियाँ बजा दें मगर अरविंद के प्रति एक सम्मान तो दिखा ही ।
यह वो आई आई टी नहीं है जो सिर्फ अपनी दुनिया रच रहा है । अरविंद के लिए तालियाँ बजाई तो उनसे सवाल भी किया । बाटला हाउस और आरक्षण को लेकर । पूछा कि आरक्षण पर साफ़ से क्यों नहीं बोलते । ये और बात है कि मैंने जवाब देने से रोका क्योंकि यह विषय का हिस्सा नहीं था । वक्त कम होने के कारण भी । ऐसे सवालों के जवाब चुटकियों और ज़ुमलों में नहीं मिलते हैं । जब मैं खुद सुपर पावर बनने की चाहत पर सवाल उठा रहा था तब तालियों से समर्थन हो रहा था कि हम क्यों सुपर पावर बनना चाहते हैं । भारत को अच्छा भारत बनना है । सुपर पावर भले न बन पायें । मुझे बराक ओबामा और शहाबुद्दीन में कोई अंतर नहीं लगता । दोनों हर वक्त किसी के खेत में घुसे रहते हैं । सुपर पावर अमरीका का ' यूज़्ड' सपना है जो इंडिया में अब आ रहा है । समय समय पर यह सपना अलग अलग देशों में घूमता रहता है । आजकल ये भारत में घुमाया जा रहा है । जल्दी ही सब सुपर पावर के सपने से निकल कर राजनीति की मूलभूत समस्याओं पर बात करने लगे और ताली बजाने लगे ।
अरविंद ने अपनी पार्टी और उसकी नीति के हवाले से राजनीति को बदलने की बात कही तो एक ने सवाल कर दिया कि आप इस मंच का राजनीतिक इस्तमाल कर रहे हैं । एक ने पूछा कि आपने अन्ना का इस्तमाल नहीं किया ? ये सवाल तब हुए जब सबने अरविंद की हर बात का तालियों से ज़ोरदार स्वागत किया । अरविंद उनके लिए किसी अचरज से नहीं । एक लड़के ने पूछा कि हम अापको पार्टी से जुड़ने के लिए क्या सकते हैं ।
तो क्या अरविंद ने आई आई टी को राजनीतिक रूप से जगा दिया है ? एक सेमिनार के आधार पर कहना नादानी होगी लेकिन उनके प्रति उत्साह को देखकर कहा जा सकता है कि अरविंद के बाद का आई आई टी वो आई आई टी नहीं रहा बल्कि इस मामले में जल्दी ही जे एन यू को टक्कर देने वाला है । अच्छा है कि आई आई टी अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरूआत अरविंद और उनके कोरे स्लेट के साथ कर रहा है । उनका ही असर होगा कि एक लड़का खुद को आई आई टी खड़गपुर का बताता हुआ खड़ा हुआ और कहने लगा कि हम आई आई टी के भीतर के भ्रष्टाचार पर कब सवाल करेंगे । मुझसे अनायास निकल गया कि ये दूसरा केजरीवाल है । अब दो दो हो गए । कहना ये चाहिए था कि ये नया आई आई टी है । मुझे आई आई टी की राजनीतिक भूमिका के बारे में सही ज्ञान भी नहीं है लेकिन वहाँ की छात्र राजनीति हिन्दू मुसलमान आईपीएल के खेल को खूब समझ रहे थी ।
सचमुच आज का आई आई टी 'पब्लिक डोमेन' में आकर सवाल कर रहा है । वो न तो बीजेपी का अंध भक्त है न कांग्रेस का । कम से कम हाॅल में यही लगा । आई आई टी के ही हैं त्रिलोचन शास्त्री जिनकी संस्था ए डी आर राजनीति में अपराधीकरण के आँकड़े बटोर रही है ताकि इसे लेकर बहस चलती रहे । आई आई टी सिस्टम से निकल कर कई लोग साहित्य में क़दम रख रहे हैं । अंग्रेजी और हिन्दी में । कई लोग फ़िल्में बना रहे हैं । ज़रूरत है इस नए आई आई टी को समझने की । लीडर बनने की चाहत नई है और उत्साह जगाती है । आई आई टी के छात्रों के पास कुछ करने के लिए प्रतिभा और सामाजिक मान्यता दोनों हैं ।
इसीलिए आज आई आई टी दिल्ली जाकर मज़ा आया । जीवन में कभी मौक़ा मिला को रेस्निक हेलिडे पर शोध करूँगा । पढ़ने वाले छात्रों से किस्से बटोर कर एक किताब लिखना चाहता हूँ । रेस्निक हेलिडे को सम्मान दिलाना चाहता हूँ । वे जहाँ के हैं वहाँ जाकर जानकारी जुटाना चाहता हूँ । आख़िर कौन है ये रेस्निक हेलिडे जो लाखों की संख्या में पढ़े जाते हैं । हिन्दुस्तान के गाँव से लेकर शहर तक में । इसके लिए आई आई टी जाना होगा । ज़रूर जाऊँगा । शुक्रिया आईटीयन बदलाव का वाहक होने के लिए ।
ji
ReplyDeleteachha laga iitians ki jagriti ke bare me padhkar.iit me talent bahut hai par kya fayada,duniya ki top 200 univ. me bhi nahi hai.aur sir resnick haliday to mai bhi bana leta tha par iit me select nahi ho paya.ab priv. Coll. se btech kar raha hu.kya mera hak nahi tha in bachcho ke saman siksha pane ka?
ReplyDeleteiitians me itni kabiliyat to hai hi ki bharat ko badal sake.....Arvind sir iske sabse achhe example hai.!!
ReplyDeleteravishji आप ने चाहे 1-2Km लम्बा लेख लिखा हो.............
ReplyDeleteमुझे ऐसा क्यूँ सुनाई दे रहा है....की.... सुना आप ने? IIT बिगड़ गया है और उसको अब सफाई का लाभ मिलनेवाला है? :)
अगर bjp आई तो congress के पुराने खड्डूस नेताओं से तो अच्छा विपक्ष जरुर देंगे-केजरीवाल अगर जीतते है 'तो' (same लिखे LP --कैसा भी एक बार बने तो !! ) i wish atleast 4-6 सांसद ही भेज पाए
i don't know more about delhi politics/delhi'ites
camera and tv shows or debates seminars--u r right--will fail to identify voters mood.
Sir AAP best ho...ek to ARVIND sona aur uske upar aap suhaha....wah...
ReplyDeleteSir AAP best ho...ek to ARVIND sona aur uske upar aap suhaha....wah...
ReplyDeleteSir AAP best ho...ek to ARVIND sona aur uske upar aap suhaga....wah...
ReplyDeleteGood to see an honest opinion. Is waqt ki dabi zabano mein chand hi hain jo dil se bolte hain.
ReplyDeleteDr. Anjali Nigam , जिन्हें कुछ दिन पहले IFTDO Global HRD Award, 2013 से राष्ट्रपति ने सम्मानित किया , ने मुझे IIT दिल्ली के छात्रों से अपने घर पर मिलवाया , वो सारे छात्र महिलायों के प्रति हो रहे अत्याचार और दिल्ली रेप जैसे अपराधों पर विचार विमर्श करने के लिए जमा हुयी थी। सब चाहते थे इस बारे में मैं कुछ लिखूं। कोई फिल्म बनाऊ। नाटक लिखूं , जिसे वो अपने सेमिनार में दिखा सके। वो सब स्कूल स्कूल , ऑफिस -ऑफिस , कालेज -कालेज। .गली गली जा के लोगो को जागरूक करना चाहती थी। . चर्चा कर के सब समझना चाहती थी। IIT के जितने लोगो से मेरा संपर्क रहा , सब कुछ अलग कर रहे है। कोई एजुकेशन पर फिल्म बना रहा है। कोई म्यूजिक स्टूडियो चला रहा है. तो कोई फिल्म लिख रहा है. लेकिन पहली बार इतने सारे IIT के छात्रों से मिल कर अलग ही एहसास हुआ। रात के २ बजे iit गेट पर भी उनकी बहस ख़तम नहीं हो रही थी। सच IIT ही नहीं , पिछले कुछ सालो में हर जगह बहुत कुछ बदल गया है. किताब लिखने का इरादा अच्चा है। शुभकामनायें।
ReplyDeleteAAP is the only political party which is thinking about common people, other parties are just doing it for the sake of their votes and getting free pass for corruption. What else BJP & Cong has done in last so many years in Delhi?
ReplyDelete(१/२)
ReplyDeleteआपका ये अनुभव पढ़कर अच्छा लगा। मेरी दो भागीय टिपण्णी ये रही :
आईआईटी से मेरा पुराना सम्बन्ध रहा है। और कई तरह से रहा है। हमारे यहाँ साहित्यिक किताबों की बहुत आलोचनाएँ होती हैं। परन्तु दशकों से इंजीनियरिंग की तैयारी करते छात्रों की रामायण और गीता बन चुकी - रेसनिक हैलीडे, एम.एल.खन्ना और एच.सी.वर्मा - जैसे किताबों की पीछे की कहानी, इनका विधार्थियों से रिश्ता, आदि पर कोई काम न देखा न पढ़ा। आप की ही "चैंपियन गाइड" वाली रिपोर्ट को जब, उसके प्रसारण के लगभक सालभर बाद इन्टरनेट पर देख रहा था, तो लगा काश कोई ऊपर लिखी किताबों की पीछे और उससे जुडी कहानियों पर भी कोई रिपोर्ट बनाए। मैं खुद कई बार सोचता रहा, आईआईटी से जुड़े अपने तमाम अनुभवों पर कुछ लिखा जाना चाहिए । केवल रिजल्ट के दिन की जीत-हार, कोचिंग के गोरखधंदे या तैयारी के दो सालों की नीरस जीवन पर नहीं। पर उन दो सालों को यादगार बनाती उन तमाम स्मृतियों के बारे में जो त्रिशूल के तीन भालों के सामान इन तीन अक्षरों - आई.आई.टी- के प्रहार के बाद भी जिंदा रहती हैं। पर ये योजना भी जीवन के सदा फूलते-फैलते ड्राफ्ट फोल्डर में ही पड़ी रही।
२/२ :
ReplyDeleteवैसे आईआईटी के बारे में जो आपके विचार थे, वही कई और लोगों के भी हैं। जो बदलाव आप देख रहे हैं, वो (मेरी समझ में) आज का नहीं है, और न ही आईआईटी तक सीमित है। राजनैतिक/सामाजिक जिज्ञासा या उसके प्रोजेक्शन के मामले में आईआईटी भले ही जेएनयू न हो, पर वो उतना जड़ भी नहीं जितना बाहर से नज़र आता है। ये उसी तरह का पूर्वाग्रह है, जिससे हम दूसरों को दूर रहने के लिए कहते हैं। जेएनयू का युवाओं में राजनैतिक या सामाजिक चेतना फ़ैलाने की दावेदारी उसी ब्राह्मणवाद से ग्रसित लगती है, जिसका वो हमेशा से विरोध करते रहे हैं। मैं डीयू या जेएनयू के योगदान को कमतर करके नहीं देख रहा, बस उससे आगे बढ़कर देखने के लिए कह कर रहा हूँ। इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस का माहौल, किसी भी आर्ट/ सोशल साइंस से संभंधित कॉलेज से अलग होगा और होता है। आपने ये भी सही कहा ये कई बार सामाजिक मामलों से दूर दिखते हैं। पर शायद अरविन्द और उनके साथ कई लोग अब इनके अंदर छुपे रानजीतिक/सामाजिक जिज्ञासा को बहार निकलने की एक जरिया बन रहे हैं, जो अब तक केवल अन्तर कॉलेज और अन्तर हॉस्टल ड्रामा/फेस्टिवल तक ही सिमित था। मेरी यहाँ आईआईटी से निकले सामाजिक जनचेतना के काम से जुड़े लोगों की फेहरिस्त बनाने की मंशा नहीं। इंजीनियरिंग कॉलेज कैंपस में राजनीतिक जगुर्कता की दिखती कमी के कई कारन हैं और ये बहुत लम्बी और रोचक चर्चा का विषय है (जैसे ट्वीटर पर राष्ट्रवाद, आदि का परचम फेहराये इंजिनियरों की बाढ़, आदि)… इसे अभी यहीं समाप्त करता हूँ। शायद मैं गलत हूँ, पर मेरा मनना है जैसे पिछड़े वर्गों की वकालत करने के लिए किसी का कम्युनिस्ट होना ज़रूरी नहीं, वैसे ही किसी का सामाजिक रूप से जगुरुक होने के लिए जेएनयू/डीयू का कैंपस से निकलना ज़रूरी नहीं है।
(लम्बे कमेंट के लिए क्षमा। अभी बहुत कुछ कहना रह गया। वो अगली बार कभी)
जब हम बिना विषय की गहराई समझे अपनी सुविधानुसार नेताओं को भिन्न भिन्न कोष्ठकों में बाँटना चाहते हैं तो वे बटने को तैयार भी रहते हैं। छिछले प्रश्न उठाइये और छिछले नेता पाइये, यथा प्रजा तथा राजा।
ReplyDeletesir IITs me 1 basic problem hai...IIT is not for technical education today,it's became symbol of status in society...if some one have to interest in drama/acting/writing than why should he join IIT , he/she should join other colleges
ReplyDeleteToday, IITs became a place for the rich people
last year data show that : 80% of student in IITs came from 3 education board ( CBSE , madras,Punjab ) though we have 40+ education board in india.
IIT entrance exam form fees is Rs.1500-2000
App jis imandari se apne baar me likhte aur bolte hai wo kabile tarif hai ..... Jo aajkal bahut kam dekhne ko milta hai ....
ReplyDeleteसर , सच में आईआईटी बदल गयी है…१ दुसरे नजरिये से : IITs - hell or heaven http://suchak-indian.blogspot.in/2012/06/iits-hell-or-heaven.html
ReplyDeleteye achha laga..ravish ki report ki tarah...
ReplyDeletebina min mekh k suddh desi report...
he patrakarita k purodha jb hi to bjp se moh hote huye b aap ka moh nahi chhutata...
waah,bahut acha ravish jee.
ReplyDeletebht khub samjha aapne engg. ko.
mai bhi engg. ka student hun,anna movement k time IIT madras gaya tha wahan se IAC se juda aur ab AAP se.
iit to aaj se 2.5 saal pahle hi badal gaya tha.
aaj wakt aa gaya hai aap bhi badle khul k ache logo aur achi partiyo ka samarthan kare.
taaki hum bhi kal ek blog likh sake-"suna hai MEDIA badal gaya hai"
waise umeed kam hai aur vishwash jyada.
AB aapse umeed nhi karenge to kisse umeed kare shuruwaat to AAP ko hi karni padegi naa!!-
http://www.youtube.com/watch?v=2CHcKlIsvAQ
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ReplyDeleteRavish sir bas maja aagaya tha kal....thanks for always being fair.
ReplyDeleteravish kumar ji, jyada kush hone ki baat nahi hai. App ek baar apni tarah se IIT me chupe hua vicharao aur dharnao ko search karenge to surely aapko arvind kejriwaal ke saath saath kuch aur bhi milega.. rajniti ek sneck poison jaisa hai.. jo kudh me hi ek solution ki tarah hoti hai. ..welcome to IIT-madras. you are very straight in Ravish ki report..
ReplyDeleteno doubt ki Arvind kejriwal honest and down to earth banda hai,but unke vichar specially rural development ko lekar bahut unpractical hain.itna bada aur vividhtaon se bhara desh sirf bhavnaon aur nek iradon se nahi chal sakta hai iske liya unhe practical hona hoga thoda aur iss desh ki reality ko samajhna hoga,aur logon ko sabjbag dikhane band karne honge ki lokpal koi jadu ki chhadi hai.
ReplyDeletemem but waqk jiska h arvind sir wo show kar rhe power aane k baad aap dekhna ki arvind sir rural development me sabse jyada dhyan denge .kyuki gyan hi sab kucch h .....
DeleteRavish ji, you really have guts to speak honestlu, otherwise nobody from media wants to do that. I used to see your debate only on NDTV.
ReplyDeleteकाश यह आपकी मधुर वाणी में सुनने को मिल जाता क्यूंकि मैं तो पड़ रहा था तो भी आप की ही शैली में .....!!!
ReplyDeleteकुँए का मेढ़क बना देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया
ReplyDeleteदेश के महाभ्रष्ट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (महाभ्रष्ट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इसलिए क्यों की उसका उल्लेख मैं अपने पूर्व के ब्लॉग में विस्तारपूर्वक कर चूका हूँ अत: मेरे पूर्व के ब्लॉग का अध्यन जागरणजंक्शन.कॉम पर करे ) के उन न्यूज़ चैनलों को अपने गिरेबान में झाँक कर देखना चाहिए जो न्यूज़ चैनल के नाम के आगे ”इंडिया” या देश का नॉ.१ इत्यादि शब्दों का प्रयोग करते है. क्यों की इन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों का राडार या तो एन.सी.आर. या फिर बीमारू राज्य तक सीमित रहता है. कुए के मेढ़क बने इन न्यूज़ चैनलों को दिल्ली का “दामिनी” केस तो दिख जाता है लेकिन जब नागालैंड में कोई लड़की दिल्ली के “दामनी” जैसी शिकार बनती है तो वह घटना इन न्यूज़ चैनलों को तो दूर, इनके आकाओं को भी नहीं मालूम पड़ पाती. आई.ए.एस. दुर्गा नागपाल की के निलंबन की खबर इनके राडार पड़ इसलिए चढ़ जाती हैं क्यों की वो घटना नोएडा में घटित हो रही है जहाँ इन कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों के दफ्तर है जबकि दुर्गा जैसी किसी महिला अफसर के साथ यदि मणिपुर में नाइंसाफी होती है तो वह बात इनको दूर-दूर तक मालूम नहीं पड़ पाती है कारण साफ़ है की खुद को देश का चैनल बताने वाले इन कुँए का मेढ़क न्यूज़ चैनलों का कोई संबाददाता आज देश उत्तर-पूर्व इलाकों में मौजूद नहीं है. देश का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जिस तरह से न्यूज़ की रिपोर्टिंग करता है उससे तो मालूम पड़ता है की देश के उत्तर-पूर्व राज्यों में कोई घटना ही नहीं होती है. बड़े शर्म की बात है कि जब देश के सिक्किम राज्य में कुछ बर्ष पहले भूकंप आया था तो देश का न्यूज़ चैनल बताने वाले इन कुँए का मेढ़क न्यूज़ चैनलों के संबाददाताओं को सिक्किम पहुचने में २ दिन लग गए. यहाँ तक की गुवहाटी में जब कुछ बर्ष पहले एक लड़की से सरेआम घटना हुई थी तो इन कुँए के मेढक न्यूज़ चैनलों को उस घटना की वाइट के लिए एक लोकल न्यूज़ चैनल के ऊपर निर्भर रहना पड़ा था. इन न्यूज़ चैनलों की दिन भर की ख़बरों में ना तो देश दक्षिण राज्य केरल, तमिलनाडु, लक्ष्यद्वीप और अंडमान की ख़बरें होती है और ना ही उत्तर-पूर्व के राज्यों की. हाँ अगर एन.सी.आर. या बीमारू राज्यों में कोई घटना घटित हो जाती है तो इनका न्यूज़ राडार अवश्य उधर घूमता है. जब देश के उत्तर-पूर्व या दक्षिण राज्यों के भारतीय लोग इनके न्यूज़ चैनलों को देखते होंगे तो इन न्यूज़ चैनलों के द्वारा देश या इंडिया नाम के इस्तेमाल किये जा रहे शब्द पर जरुर दुःख प्रकट करते होंगे. क्यों की देश में कुँए का मेढ़क बने इन न्यूज़ चैनलों को हमारे देश की भौगोलिक सीमायें ही ज्ञात नहीं है तो फिर ये न्यूज़ चैनल क्यों देश या इंडिया जैसे शब्दों का प्रयोग करते है क्यों नहीं खुद को कुँए का मेढक न्यूज़ चैनल घोषित कर लेते आखिर जब ये आलसी बन कर देश बिभिन्न भागों में घटित हो रही घटनाओं को दिखने की जहमत ही नहीं उठाना चाहते. धन्यवाद. राहुल वैश्य ( रैंक अवार्ड विजेता), एम. ए. जनसंचार एवम भारतीय सिविल सेवा के लिए प्रयासरत फेसबुक पर मुझे शामिल करे- vaishr_rahul@yahoo.कॉम और Rahul Vaish Moradabad
Thanks for the appraisal sir. I am going to get my graduate degree this year from IIT Delhi.
ReplyDeleteI want to let you know that me and many of my batch mates are very keen for technical overhaul of the industry. We have really no urge to be a millionaire but to have a leading role in the industrial evolution of the country so as to provide a better economic security to the people of the nation. Please let Kejriwal sir know that we are with him. He is a great intellectual, thinker as well as an activist. However we do expect that if he gets into power he would not only focus on the cleansing but facilitation of the new opportunities for the youth to work for their own.
..A better India is the one where people have Swaraj, everyone of us, in every aspect of existence.
Thank You.
Vaibhav
Ravishji Achha laga aapko Arvind ke saath dekhkar...par ye dekhna hoga ki aap jaise log kitna hum aam logon ka sath dete hain(AAP)...kyon nahi aap ek independent media channel bana lete is desh ke aam aadmi ke liye..aaj desh swatantra media mang raha hain?
ReplyDeletesir as usual your introductory speech waas brilliant and thoughtful, realy we should think that which kind of power we indians need, it was privilege to see you with Arvind Kejriwal sir, i am big fan of you both. as we all know that arvind ji doing good so why we should not support him, why we are scared to go with him? just for if he will do something wrong than what we will reply but something is better than nothing.
ReplyDeleteBest Regard
Pranaam
Ravish ji, fortunately i was at the venue... all experts expressed their views and needs of political reform, economic reform.. but none was worried about educational system reform. since from Arjun singh era educational system is ruined to make citizen a "padha-likha anpadh" and institutions (Private) "ek degree khareedne ki dukaan " only. In this system youth will be busy in earning basic needs only. they wont have time and approach to think over the other reforms...
ReplyDeleteSo, to make India a superpower educational system must be reformed first.
Ravish nice to see you in IIT with Aravind Kejriwal..India will be super power when AAP get majority in Lokshaba...within 5 year many things will change....Every Indian need to contribute in making a better country.
ReplyDeleteSir Ravish ... I am great admirer of you ...and watches your PRIME TIME regularly... I was going on my fb page .. this is where i encountered this blog... And i want articulate my view on your this article by saying that all educated people ,most of them who are middle class if given a chance to talk about a subject or to discuss it ..participate in it enthusiastically ... because they have access to all the wisdon and rationality that a person requires to articulate his view... but when it comes about implementing those principles .. those values .. they are the last person to do so... i am saying this from experience of my college ..where everyone was preoccupied with ideas of marks and placements .. but if you will talk about Country and politics and state of affairs they call it wastage of time....i would like to inform you that i have completed my graduation this year only... i dont want to say this is the case with everybody ... but i say atleast with 60%of the individuals as we are the ones who dont vote.. who take independence ..republic days as any other hloiday.... so iits ..and like iits all other engineerng and non engineerng colleges have a long way to go... before a change is visible to us........
ReplyDeleteआई आई टी से भी भारत की मिट्टी के फूल ही निकलते हैं लगता है अब वो जहरीली हवा व गंदे पानी को से अपने तो सीचने देना नहीं चाहते क्योंकी वे जान गए हैं कि शुद्द हवा और पानी सिचाई ही खुशबूदार और ख़ूबसूरत बाग़ बनायेगी
ReplyDeleteVery interesting read.. well isnt it evident that yu saw such a huge respect for mr. arvind kejriwal in IITs... because these r guys who have brain and have the ability better than others to analyse......
ReplyDeleteThey know and understand whats going around them... they know BJP and Congress are two sides of the same coin.... Time for clean politics.. time for AAM AADMI PARTY...... This struggle shall continue until we the people decide what we should get.. true democracy belongs to the people
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ReplyDelete@Neha Mittal- आज तक येहि सुनता आ रहा था कि जहां चाह है वहा राह् है. लोगो को कोम्प्लैन ये था कि देश के बहुत सारी प्रॉब्लम कि प्रोब्ल्म ये है कि नेताओ में political will कि कमी है, अछे नेता नही है. अब जब कुछ अछे लोग जो चाह रखते है ..हिम्म्त कर के आगे आ रहे पब्लिक अभी भी भरमा रही है. हमे समझ में नही आता कि 50 -60 साल से एक ही तर्ज कि politics देख् कर ह्म अभी भी बोर नही हुए है. गोबार हो गए है..जो थोड़ा ठीक लोग आ रहे है तो उनके बारे में पचास doubt है , अगर हमने ये आदत पहले पकड़ी होती तो ये दुर्द्शा ही ना होती... चलिए इस बद्लाव का असर थोड़ा आप पर भी हुआ. पर उम्मीद और सब्जबाग का अन्तर थोड़ा सम्झ लीजियेगा. वैसे तो इतिहास रहा है कि बदलाव बहुत आसानी से नही हज्म होता..
ReplyDeleteऔर भय्भित मत होयेय, planning commision और rural development का department वैसे ही रहेगा, अंतर इतना होगा कि प्लान बनेगा और implement hoga.
बहुत ही ईबादतन सी बात है अरविंदसर की सोच भाषणमे क्लीयरली लग रहा हा की लोग बदलाव चाहते है।
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ReplyDeleteआप जैसे हनुमान की जरूरत थी इस सेना को।
ReplyDeleteमै आप का प्रशंसक हूँ ,भक्त नहीं कह सकता खुद को क्योकि इस शब्द को बीजेपी ने बदनाम कर दिया ।
डीयू के नेताओं को ये देश देख चुका है, अगर आई आई टी से अरविन्द सरीके और नेता निकलें तो शायद कुछ अच्छा देखने को मिले।
ReplyDeleteइस मुखर लेख के लिए रवीश जी आपका शुक्रिया। यकीनन राजनीति के गिरते स्तर ने लोगों को Political Atheist होने पर विवश कर दिया था, लेकिन अरविन्द जैसे लोगों के कारण अब लोग कम से कम इस Atheism से agnosticism की तरफ बढ़ रहे हैं.
ReplyDeleteरविश, मुझे आपका समाचार बोलने का अंदाज़ बहुत ही अच्छा लगता है!
ReplyDeleteरविश, मुझे आपका समाचार बोलने का अंदाज़ बहुत अच्छा लगता है!
ReplyDeleteAre you a Hindu fanatic, Ravish? You are writing in Hindi, Modi also speaks Hindi. This way both of you seems to be on the same path.
ReplyDeleteThere are millions of student in India who could never get into the college because of so many reason like lack of seats in college, financial problem or somebody having less marks. They also have a opinion and they feel neglected by politicians and Media alike. You guys also never consider those BA pass common people working in SME or unemployed educated youth. You don't ask them what they want. What they think of politics and political parties and the leadership in this county. I am happy that IITins are becoming less selfish now and thinking of the country and its good because most of them are coming from middle calls back ground now.
I wanted to ask people like you why don't you also get up someday and say now its too much of foolish program on TV Channels for salary and promotion and do make some good program to awaken the society. Show the people of this country how many universities/colleges exists in India and is that sufficient for our population. Do some research and so how many of these institutions have become absolute. Why don't you show them that roads and Infrastructure (including school, Hospital) is far more important than few kgs of rice and wheat. I know you come from Bihar and must understand it very well that people are not dying of hunger but instead due to lack of hospitals/medical facilities.
iit jald hi jnu ko takkar dega...kya baat kahi aapne hasi aa gai
ReplyDeleteiit jald hi jnu ko takkar dega...kya baat kahi aapne hasi aa gai
ReplyDeleteरेस्निक हेलिडे मेरे पास है, चाहेंगे तो ले लीजिएगा. ग्यारहवीं में कुछ लोगों ने बरगला दिया और ये किताब सजेस्ट कर दिया. मैं भी पुस्तकालय से उठा कर ले आया. नई सी किताब थी. अबतक नई की नई ही है. पड़ी होगी घर के किसी कोने में. आजतक पुस्तकालय को लौटा नहीं सका. क्या करूँ, जो पुस्तक जबतक पढ़ न लूँ, लौटाता नहीं हूँ न.
ReplyDeletehttp://aajtak.intoday.in/story/sting-operation-on-muzaffarnagar-riots-1-742223.html
ReplyDelete"जीवन में कभी मौक़ा मिला को रेस्निक हेलिडे पर शोध करूँगा ।" .... sound like you are talking about one person. Just like to point out that रेस्निक and हेलिडे are two different individuals and highly respected physics educators.
ReplyDeleteSir aapne ne kaha ki Arvin million dollar company na join karke Rajneeti mein aaye hai..
ReplyDelete"MEIN KAHUNGA KI AGAR RAJNEETI MEIN AANE KI ANNOUNCEMENT BHAR KARNE SE HI KISSI KO AGAR 2 CRORE KA DAAN MILL JAAYE TOH KON NAI AANA CHAHEGA RAJNEETI MEIN , LEKIN FIR BHI ARVIND JI APNI WEBSITE PE OR DAAN MAANGTE DIKHAYI DEETEY HAI.
MEIN ARVIND JI SE YEH KEHNA CHAHUNGA KI VOTES PAISON SE NAI LOGON SE JEETI JAATI HAI..."
Robert Resnick and David Halliday has wrote Physics and Fundamentals of Physics.Both textbooks have been in continuous use since 1960 and are available in twenty languages.
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