पितृपक्ष से पहले पितृपुरुष

हे पितृपुरुष आडवाणी,

ये मेरी दूसरी चिट्ठी है जो आपको लिख रहा हूँ । मुझे आप जैसे बड़े नेता इंटरव्यू देने लायक नहीं समझते और मुझे माँगने की हिम्मत भी न होती इसलिए ख़त लिख रहा हूँ । ख़त कम लेख ज़्यादा है । 


"जो प्रधानमंत्री बनने के सपने देखता है वह बर्बाद हो जाता है ।" अहमदाबाद में शिक्षक दिवस के मौक़े पर नरेंद्र मोदी ने कहा तो सबको लगा कि मोदी या तो इंगलिस में 'सल्क' कर रहे हैं या हिन्दी में गल्प । जानकार परेशान कि मोदी ने ऐसा क्यों कहा । मोदी ने अपने लिये क्यों कहा तब जब पार्टी और आर एस एस दोनों उन्हें प्रधानमंत्री का उम्मीदवार पेश करने जा रहे हैं । नहीं बनना था तो ट्विटर से लेकर फ़ेसबुक तक इतना क्यों हंगामा मचवाया कि नमो फ़ोर पीएम का जाप लगने लगे । कहीं वे फिर से गुजरात गुजरात न करने लग जायें । 

दरअसल मोदी ने यह सूक्ति अपने लिए नहीं कही । मोदी का यह स्वयं सिद्ध प्रमेय राजनीति की गोधूली बेला में स्वप्न देख रहे आदरणीय आडवाणी जी आप पर सटीक लागू होता है । जहां तक मुझे स्मरण है आडवाणी जी आपका प्रधानमंत्री के सपने देखने का यह तीसरा प्रयास है । आप अटल जी के समय कुलाँचे मारते रहे । लौह पुरुष का तमगा लेकर ' टू आई सी' यानी सेकेंड इन कमांड बने रहे । आपने अपने लिए हमेशा ग़लत उपमा चुनी है । सरदार पटेल ने किसी के लिए कोई काम ही नहीं छोड़ा था जिसे पूरा कर आप उनका उत्तराधिकारी बन जाते । मंच पर भाषणबाज़ अपने नेताओं की तुलना महाराणाप्रताप से लेकर लेनिन तक से करते रहते हैं । उनसे कंफ्यूज़ नहीं होना चाहिए । आप हो गए । तंग आकर अटल जी ने आपको उप प्रधानमंत्री पद से नवाज़ दिया । डिप्टी बाबू बना दिया । फिर अटल जी ने कहा कि २००४ के चुनाव में आडवाणी जी के नेतृत्व में प्रस्थान होगा । बीजेपी चुनाव हार गई । जीत जाती तो वो दौर डिप्टी बाबू के लीडर बनने का होता । 

२००९ में आडवाणी जी आपने कमज़ोर प्रधानमंत्री का नारा दिया और खुद को कृशकायी मनमोहन सिंह की तुलना में मज़बूत प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया । पार्टी ने आपको प्रधानमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया । २००४ में अघोषित रूप से और २००९ में  घोषित रूप से । बिना किसी बवाल के । बल्कि चुनाव जीतने से पहले आपने पूरा कैबिनेट ही बना डाला था जो बिना किसी बैठक के भंग हो गई । बीजेपी चुनाव हार गई । कमज़ोर प्रधानमंत्री का नारा फुस्स हो गया । जनता जानती है कि कुशल प्रशासक के बाद भी सरदार पटेल कभी जननेता नहीं बन सके । हालाँकि पटेल की शुरूआत बारदोली सत्याग्रह से एक किसान नेता के रूप में उभरने से ही हुई थी फिर भी उसी सत्याग्रह ने उनकी छवि एक प्रशासक की भी बना दी जिससे वे कभी आज़ाद नहीं हो सके । ऐसा आपके साथ भी हो गया लगता है । 

आडवाणी जी आप तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं । मगर इस बार फिर आपके सामने एक जननेता खड़ा है । अमरीका की दो दलीय प्रणाली और प्रेसिडेंशियल डिबेट की वकालत की शुरूआत आपने की थी । आपको लगता रहा कि अच्छा भाषण देने से और प्रखर निखर लगने से पब्लिक पागल हो जाती है । मोदी ने उस मोडल को दूसरी तरीके से अपनाया । मोदी ने सोशल मीडिया और अपने नेताओं को मोदी राग जपने के लिए मजबूर कर एक किस्म से बीजेपी के भीतर का ' प्राइमरी' ( अमरीकी तर्ज) चुनाव जीत लिया है । गोवा में मिली पहली ही जीत पर मोदी ने अहमदाबाद लौटकर सबसे पहले सरदार पटेल को वापस किसान नेता बनाया । लोहे की मूर्ति बनाने का एलान किया और पटेल को गुजरात में दर्शनीय बनाकर राजनीति में उनकी उपमा के उपयोग की धार को कुंद कर दिया । 

अब आडवाणी जी आप फिर कंफ्यूज़ हैं । मान नहीं रहे हैं । अख़बारों में तरह तरह की ख़बरें आ रही हैं कि आप विधानसभा चुनाव से पहले नाम के एलान का विरोध कर रहे हैं । खबरें छप रही हैं कि संघ के नेताओं ने भी बीजेपी के इस सदाबहार ' टू आई सी' को मनाने का प्रयास किया । नहीं माने । ये मिले वो मिले फिर भी नहीं माने । सांस्कृतिक संगठन संघ को भी राजनीतिक काम में उलझा दिया !  आप खुलकर कहते भी नहीं कि मुझे एक चांस और दो । पटेल सिंड्रांम के शिकार लगते हैं । मुझे नहीं मालूम कि सरदार पटेल से किसी ने यह सवाल किया था या नहीं और उनका जवाब क्या रहा होगा । 

एक और जननेता सुष्मा स्वराज भी आपकी राय की हैं । ट्विटर पर भी आईं, अपना यू ट्यूब चैनल भी बनाया लेकिन वो मोदीनुपात में समां नहीं बाँध सकीं । वैसे ब्लाग पर आप पहले आए मोदी से । खैर लगता है नेता बनने के लिए अच्छे भाषण शैली में सुष्मा का भी घोर यक़ीन है । इसी तरह का मुग़ालता प्रखर विद्वान राजनेता मुरली मनोहर जोशी को भी रहा है कि उनकी दलीलें ही ललिता जी की क़मीज़ की तरह श्रेष्ठ हैं । वक़्ता होने का गर्व बीजेपी के कई नेताओं का भ्रम में डाल रहा है । इसकी सिर्फ एक ही वजह हैं - मनमोहन सिंह । ख़राब वक़्ता होने के गुण ने खुद मनमोहन सिंह को दस साल प्रधानमंत्री बनवा दिया लेकिन उनकी इस क्वालिटी से बीजेपी में कई नेता ग़लतफ़हमी के शिकार हो गए । तो मोदी प्रमेय के अनुसार आप प्रधानमंत्री बनने का ख़्वाब देखते हुए कहीं बर्बाद न हो जाएं यक़ीन मानिये आप सभी नेताओं के मुक़ाबले मोदी कमज़ोर वक़्ता हैं । उनके सभी भाषणों का प्रिंट निकाल कर विवेचना कर लीजियेगा । लेकिन भाषण से कोई नेता नहीं बनता न । 

तो हे बीजेपी के पितृपुरुष आपको पितृपक्ष से पहले मनमोहन सिंह से एक ट्यूशन लेना चाहिए । इसमें कोई हर्ज नहीं है । विजेता से परास्त को सीख लेनी चाहिए । जिस तरह से मनमोहन सिंह ने इस बार विदेश यात्रा से लौटते वक्त भूल सुधार की वो काबिले तारीफ है । ज़रूर संघ के नेता इसकी मिसाल आपको को दे रहे होंगे । पिछली बार मनमोहन ने तीसरी पारी की बात कर सबको चौंका दिया था कि कहीं मनमोहन कांग्रेस के आडवाणी तो नहीं हैं  । इस बार उन्होंने आप ही कह दिया कि मैं राहुल के अंडर काम करने को तैयार हूँ । नरेंद्र मोदी ने इसकी ग़लत आलोचना की । खुद किसी के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं तो दूसरे पर हँसने से पहले सोचना चाहिए । देखना चाहिए कि किस तरह मनाने के नाम पर आडवाणी जी की बाँह मरोड़ी जा रही है उनके हर एतराज़ को मीडिया में लीक किया जा रहा है । 

मनमोहन सिंह पर इस बयान के संदर्भ में हँसने से पहले बीजेपी को सोचना चाहिए था कि अगर आडवाणी जी आप मनमोहन की तरह होते तो कितना अच्छा होता । वे दो बार पीएम रहकर आसानी राहुल के अंडर काम करने के लिए तैयार हैं आप तीसरी बार प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनने के लिए इतना बेचैन हैं कि किसी अंडर पास से गुज़रना ही नहीं चाहते । उस पार्टी में जहाँ इस वक्त ज़्यादातर नेता एक दूसरे के अंडर काम कर चुके हैं । खुद आडवाणी जी आप कितने अध्यक्षों के अंडर काम कर चुके हैं । गडकरी राजनाथ के अंडर तो राजनाथ गडकरी के अंडर । अंडर ही अंडर । 

आडवाणी सुष्मा या मुरली मनोहर जोशी का विरोध किस बात पर है । यही कि मोदी की उम्मीदवारी से विधानसभा में ध्रुवीकरण होगा ? क्या आप मानते हैं कि मोदी कम्युनल है ? साफ़ साफ़ क्यों नहीं कहते । तब गुजरात दंगों में मोदी से अलग लाइन क्यों नहीं ली । विधानसभा में ध्रुवीकरण होगा तो क्या लोकसभा में नहीं होगा । क्या ये संदेश देना चाहते हैं कि जो नेता चार राज्यों के लायक नहीं उसे बाद में पूरे देश का बना देना । बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण क्या है ? दिल्ली की सत्ता या राजस्थान की ? क्या आडवाणी और जोशी जी आप लोगों के वक्त ध्रुवीकरण नहीं हुआ था ? दंगे तो बाबरी मस्जिद के ध्वंस के बाद भी हुए थे । अगर ध्रुवीकरण की चिंता थी तो अमित शाह को क्यों नहीं रोका फिर । इसलिए आप लोगों का मोदी को लेकर समय का विरोध तर्कपूर्ण नहीं है । आडवाणी सुष्मा या संघ कोई हो सब मोदी से हार चुके हैं । अब सब बीजेपी में मोदीनुसार और मोदीनुपात में होगा । आडवाणी जी आपकी ये बात सही है कि पार्टी का ढाँचा बर्बाद हो जाएगा क्योंकि बीजेपी ने जिस संसदीय बोर्ड का संयुक्त राष्ट्र की तरह ढोल पीटा था वो ढोल फट गया है । मोदी बाहर से दबाव बनाकर भीतर आ गए हैं । दरवाज़े पर पहुँचता देख संघ से लेकर संगठन तक उनके स्वागत में है । लेकिन किसी भी पार्टी का लक्ष्य सत्ता है संगठन नहीं । संगठन माध्यम है । नेता संगठन में पैदा होते हैं । जब आप पूरे देश को मोदी के पीछे चलाना चाहते हैं तो संगठन चल लेगा तो क्या हो जाएगा । अजीब है । जिसका नेतृत्व संगठन ही मानने को तैयार नहीं उसके बारे में देश से कैसे कहेंगे कि इसे नेता मान लो । 

अतएव आदरणीय आडवाणी जी और सुष्मा जी आप लोग मोदी का स्वागत कीजिये । आप लोग अपनी पार्टी में हार गए हैं । पितृपक्ष से पहले पितृपुरुष की तरह युवा को ज़िम्मेदारी सौंप दीजिये । कृपा आएगी । कार्यकर्ताओं की । आपको पार्टी ने मेंटर बनाया था । आप बता दीजिये कि नेतृत्व के लिए किसे मेंटर किया है । कोई है भी या खुद ही को किया है । मोदी ही पितृपुरुष हैं । बीजेपी के । आप कम से कम अब त्याग पुरुष तो बन जाइये । 

आपका
ट्वीटर पर मोदी भक्तों द्वारा प्रचारित एक कांग्रेसी दलाल पत्रकार 

रवीश कुमार' एंकर' 

53 comments:

  1. It's the fight between my #CM and my #MP ( LS - adavani ) where My MLA ( Shah) doing campaign for my #CM and my MP ( RS-jetly) also supporting my #CM as #PM candidate ~ A voter of Sacience city

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  2. Ye aapne sahi kaha sir Advani ji ko sochna chahiye wo apni mahetv aakansha ke aage samaj aur matdaatao k saamne galat udharan pesh kar rahe hai....unhe sochna chahiye k party unhe do chance de chuki hai ab unhe party ko sahi marg darshan dene ki jaroorat hai ....na ki marg rokne ki .....

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  3. सब बवंडर, अंडर के कारण ही है...अंडरपरफार्मर, अंडर अचीवर, अंडरआर्म टैक्टिस...ये अंडर की बात है ।

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  4. सर जी पितृपुरुष आडवाणी जी के जले पर क्यों नमक छिड़क रहे हैं ...... और सभी लोग नमो नमो कर हवन करेंगे हवन करेंगे गाना गा रहे हैं :)

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  5. क्‍या बात हे!!! इसे कहते हे "ब्‍लाग" दिल बाग बाग हो गया, गंभीर राजनीतिक मुद्‍दे को इतना सहजता से सोल्‍व किया की अगर आडवानी और सुस्‍माजी पढेगी तो उनकी समस्‍या हल हो जाएगी

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  6. Dear Ravish Babu! I cannot just admiring your excellent writing skill. You are not only a good orator, but a good thinker and writer too. The satirical pattern of writing has made it more impressive. How easily you could connect with your audience and convey your views. Whatever some of your critics might say, I find you a Kabir type independent person, who has the guts to appreciate or criticize anyone without any biases and prejudice.

    May God bless you.

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  7. इतना 'अंडर अंडर' हो गया है कि सबकुछ बाहर आ गया है, सुपरमैन की चड्डी की तरह।
    और ये चिट्ठी अभी तक की सबसे क्यूट चिट्ठी है :)

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  9. सब कुकुर काशी जइहे ता पत्तल के चाटी!

    अगर आडवाणी जी भी प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो विधवा विलाप कौन करेगा, आडवाणी जी का समय अब भजन कीर्तन का है, केदारनाथ में कोई जगह बूक कराएं और वही रम जाए, बहुतों को दरकिनार किया है और अब खुद किनारे लगने को तैयार नहीं है।

    माननीय श्री श्री 1008 श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी का समय खत्म हो गया है, अब तो संभलने का मौका भी नहीं रहा, जनता की नजरों में उनकी ही पार्टी ने उन्हे निकम्मा, नकारा और लाचार साबित कर दिया है और मोदी के हाथों में तलवार उन्होने खुद सौंप दी है।

    मोदी को मोदी बनाने में इनके जैसे ही कुछ और लोगों का हाथ है, जिस तरह आपके ऊपर कॉंग्रेसी दलाल होने का ठप्पा लगाया जा रहा है उसी तरह दंगा और मुस्लिम विरोधी प्रचार ने मोदी को आज इस काबिल बना दिया की उसमे कुछ हिन्दुओ को अपना नेता नज़र आने लगा, अन्यथा मोदी जी ने ऐसा कोई चमत्कार नहीं किया जिससे उनकी छवि इतनी प्रखर हो पाती।

    वर्तमान परिस्थितियों में मोदी के खिलाफ हर प्रचार उन्हे मीडिया की सुर्खियों में बनाए रखता है और कहा जाता है "जब आपके विरोधियों की संख्या बढ़ने लगे तो आप समझ ले की आप तरक्की की राह पर है"।

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  10. Awesome Mr. Ravish !! You have not only written the mood of country in this letter but also conveyed the right message to Shri Advani Ji what his true leadership should be in current scenario. Advani Ji let's face it ... you had 2 chances and both were in favor but BJP failed to replace Congress. Each individual is frustrated with Congress and UPA and looking forward to some MAGIC that can do better to this country and people. Everyone is looking at Mr. MODI and you should also accept him with open arms. Not sure MODI's magic will work or not. But currently he is the only one being looked at by country.

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  11. जय हो, मन की कही, कम की कही।

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  12. सिर्फ जय जयकार सही नहीं है पांडेजी :-) पता करना चाहिए की....ये ravishji कौनसी चक्की का आटा आज कल खा रहे है :) i doubt या तो पहले कोई और लिख रहा था या अब :) :P

    -------–-------------------------------------------------

    'modi प्रमेय' की साबिती 'रवीशकुमार पूर्वधारणा' और 'मौन मोहन उप प्रमेय' द्वारा दी गई है....
    'मौन प्रमेय' की साबिती तो जग जाहिर है :)
    लेकिन 'रवीशकुमार पूर्वधारणा' की सर्यर्थ्ता कौन तपास करेगा?:)....

    तो अन्ततः साबित यह होता है की पितृ पक्ष मैं पुरजोर दान किया जाय (sam)purna (s)ushma ke साथ जिससे कोई भी UNDERestimate :) न हो।

    प्रमेय ही प्रमेय ।
    राजनीती ही राजनीती ।

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  13. --'रवीशकुमार पूर्वधारणा' की सत्यार्थ्ता'-----i did typing mistake sorry

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  14. ये अंडर की बात है .... और सबकुछ बाहर आ गया है

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  15. इधर अडवाणी मान नहीं रहे उधर मेरे सभी मित्र जानने को इक्षुक हैं क्यों? आपका ब्लॉग उन सभी को भेज देता हूँ।

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  16. Vo kya he na Ravish Sir, Modi Ji ke alawa koi dusra option bhi to nhi he, Na BJP ke paas or na hi Janta ke paas... Advani ji bhi jaldi samjh jayen to unki dhalti umr ke liye behtar rahega...Advani ji agar khud ko PM umidwar ghoshit kr de(bhagvan na kare), to unhe sirf ek or haar jhelni hogi, but hame garib mitao ke sath sath middle class hatao ke motive vali congress fir 5 saal jhelni hogi :'(

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  17. ये प्रधानमंत्री बनने का मोह ही ऐसा क्या करें। चंद्रशेखर जैसे मंझे हुए राजनीतिग्य भी इस मोह के सामने हार गए और जीवन भर की राजनैतिक उपलब्धि गवां बैठे। पर एक बात है सर आपकी प्रतिभा दिनों दिन निखर रही है। आज, मोदी का इंटरव्यू देखा और लगा की आप में एक बेहतरीन अभिनेता के भी गुण है। कैमरे से सीधे दर्शक की आँखों में झाँकना अद्भुत।

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  18. असली पितृपुरुष अटलजी है , जो सही समय पर साइड होगये , शायद वो इनकी असलियत से वाकिफ होगे। और कोई नेता होता तो.…इस परिस्थति में भी पॉलिटिक्स नहीं छोड़ता। बीजेपी को कुछ सिखना चाहिए अटलजी से.

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  19. "Har kam ka waqt muqarar hai aur har kam ke sath hotee hai, waqt gaya to baat gayee phir waqt ke kimat hotee hai, Der na ho jaye kahin der na ho jaye"
    Advani ji ke sath kahin aisa na ho jaye ki "Bade beabroo hokar tere kuche se ham nikle".

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  20. The comparison of Mr. Modi with Late Sardar patel is a justified one..It his due to his fabulous strategic planning and efforts that people of India got and alternative to Congress at central level. This should be appreciated that even at this age he is linked with the mainstream politics..Mr. Ravish you should also write on what grounds Mr. Rahul Gandhi can be the PM candidate..Just because anarchy is being followed in the congress since Independence..No democratic norms are being followed ..No one can deny that nepotism has prevailed in congress since nehru time..

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  21. ऐ भाई,कोई है... जो रवीश कुमार का यह ख़त आडवानी जी तक पहुँचा दे... यूटोपिया से बाहर आने में यह उनकी बहुत मदद करेगा... हमारी गारंटी है...:-)

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  22. ऐ भाई,कोई है... जो रवीश कुमार का यह ख़त आडवानी जी तक पहुँचा दे... यूटोपिया से बाहर आने में यह उनकी बहुत मदद करेगा... हमारी गारंटी है...:-)

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  23. ऐ भाई,कोई है... जो रवीश कुमार का यह ख़त आडवानी जी तक पहुँचा दे... यूटोपिया से बाहर आने में यह उनकी बहुत मदद करेगा... हमारी गारंटी है...:-)

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  24. आदरणीय रविश सर जी , मुझे लगता है की मोदी जी ने आडवाणी जी के लिए बोला था के सपने देखने वाले बर्बाद हो जाते है | और काफी अपनी पत्रकार जमात के लोग इसे समझ नहीं पाए | मुझे ऐसा लगता है हो सकता है मै गलत होऊ |

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  25. आडवानी जी अपनी चूक पहचानने में चूक गए| जिस घटना ने उन्हें हीरो बना दिया, अटल जैसी छवि की चाह में उसीको उन्होंने ऐतिहासिक भूल करार दे दिया|कार्यकर्ता आडवानी की ये छवि कतई नहीं देखना चाहते थे| कार्यकर्ताओं के एक बहुत बड़े वर्ग को कवि अटल की जगह लौह पुरुष आडवानी पसंद थे| पर अडवानी जी को लगा कि अटल जैसी छवि बनाकर हीं वो स्वीकार्य होंगे ||बाबरी पर अप्रत्यक्ष माफीनामा और फिर जिन्ना की मजार - गृह मंत्री रहते हुए, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के राष्ट्रीय अधिवेशन में अपमानित होना पड़ा| ये दरअसल बीजेपी के युवा कार्यकर्ताओं के रोष का प्रकटीकरण था|
    इस पूरी कथा में मोदी कहीं नहीं थे|बस अडवाणी जी ने अपनी गलतियों से जो निर्वात पैदा कर दिया, मोदी उसे भरते चले गए| अडवाणी अटल की राह पे चलना चाहते थे और मोदी अडवानी की राह पे चल निकले|बस माफ़ी वाले स्टेसन पर रुकने की गलती नहीं की|

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  26. Aap dekh rahe the "Prime Time". Namshkar

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  27. DEAR RAVEESH KUMAR,
    TUM HAMESHA GUJRAT DANGO KE BAAT KARTE HO. KABHI EN MASLO PAR BHI DHYAN DO
    1)ANTI SIKHS RIOTS IN 1984 MANIPULATED BY CONGRESS.THAT TIME ONLY SINGLE PARTY CONGRESS WAS IN INDIA.
    2)BECAUSE THESE RIOTS MAKE 25000 HINDUS KILLED IN PUNJAB AND LAKHS OF HINDU GET REFUGGE
    3)NOT A SINGLE CONGRESS LEADER GET JAILED FOR THESE RIOTS.
    YOU ARE A CORRUPT REPORTER.....

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    1. Bai ji Tension ni lende. Ki faida purane zakhma baare gall karke.
      By the way Ravish is a Good Reporter by profession beside he has his own "Right To Vote" like you.
      So please unke personal choice ko unkk profession k sath mix mat karo.
      PEACE

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  28. Aap dekh rahe the
    "Prime(CONGRESS) Time".
    Namshkar

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  29. आदरणीय सर रवीशकुमार,

    कस्बा के शुरुआती दिनो मे आप कमेन्टस का जवाब दिया करते थे..पीछले कीतने हि दिनो से आपकी सक्रीयता ईसमामले काफी कम हो चुकी है..शायद आपकी व्यस्तता ईसमे कारणभुत हो सकती है..समय के साथ आप का दायरा और औह्दा दोनो बढा है..और आप अभी थोडे बडे आदमी हो गए है..आपकी प्रगती के लीए खुश है..आप कमेन्टका जवाब न देते हो शायद पर पढते जरुर होंगे उस अनुमान के साथ आपको ये नोट, पत्र जो कुछ केह लीजीए लीख रहा हु..

    सबसे पेहले तो वो लोग से दायरा बना के ईस बात से बीलकुल असेहमत होके मे यह केहना चाहुंगा की आप मुजे व्यकतीगत रुप से कोंग्रेस के दलाल नहि लगते..'प्राईमटाईम्सीट' लोगो मे सबसे बेलेन्स्ड एनोलोजी आप की लगती है..और आपका मे बहोत बडा प्रशंसक हु..आपकी नीयत पे शंका नहि, पर आपकी नीती कई बार हैरान कर जाती है..मेरी नीजी लीमीटेशन हो सकती है शायद..

    आप पत्रमे लीखते है...
    "..आप खुलकर कहते भी नहीं कि मुझे एक चांस और दो । पटेल सिंड्रांम के शिकार लगते हैं ।"

    ये "पटेल सिंड्रांम" से आपका क्या मतलब है ? सरदार पटेल को PMपद की नीजी मंशा थी पर खुल के बोले नहि कभी एसा ईन्टरप्रीटेशन गलत तो नहि मेरा, आपके ईस वीधान का ??

    और फिर
    "सरदार पटेल कभी जननेता नहि बन पाये..!"

    कमाल करते हो सरजी..आपने सरदार पटेल को कीसी जमाने मे यहा कस्बा पे पत्रभी लीखाथा जहा तक मुजे याद है..वो पत्र, यह पत्र..आडवाणी और मोदि जैसे सरदार के सापेक्ष बहोत हि बौने नेताओ की उनसे आपकी तुलना, यह सब आपकी सरदार के वीषय मे माहिती का अकाल दर्शाता है..नहि, कोई गलत बात नहि..पर आपके दर्जे के पत्रकार को एसे गैरजीम्मेवार और naive वीधानो से बचना चाहीए..आप सरदार के बार मे पढे..सरदार को सरदार क्यु कहा जाता है जाने..बीनमांगी एडवाईस है..आपको देने की हिम्मत कर सक्ते है..क्यु के नजाने क्यु एसा लगता है के आप लोगो से जुडे जमीनी पत्रकार है..और सभीको सन्नमान से देखते है.

    सरदार गर मोदि या आडवाणी जैसी PMपद की मंशा रखे रेहते तो यकीन मानीए उन्हे उस कालखंड्ड मे PM बनने से कोई रोक नहि पाता..आप उस समेय के सापेक्ष वीवचको की राजकीय समीक्षाए पढे..अनलाईक मोदि जो डाईरेक्ट ओर आडवाणी जो ईनडाईरेक्टली एक तराह से दोनो संघ के प्रोडक्ट है, सरदार लोगो के सरदार थे.. १९५२ मे संध को सबसे पेहले बैन करने वाले नेता सरदार थे..और भी बहोत कुछ है..

    खैर, एक प्रखर रास्ट्रपरस्त नेता का एसा मुल्याकंन देख के दुख हुवा तो लीख दीये आपको..

    ..बाकी, आज के ईन्फोर्मेशन युग मे सभी अपने हिसाब समजदार होते हि है..और सभी देशभक्तो की चिंता भी वाजीब है की अल्लामा ईक़बाल की यहे लाईने आज बहोत हि प्रत्यक्ष है..

    बरबाद-ए-गुलिस्तां करने को, बस एक ही उल्लु काफी था
    हर शाख़ पे उल्लु बैठें है, अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा ?

    ..लीखते रहिए..और बेलेन्स्ड एनोलोजी दीखाते रहीए..आप से काफी उम्मीद है..

    जह हिंद.!

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  30. टीवी पर आ गुए ना तो ऐसा पेलेंगे मादरचोदों को कि आपको दलाल कहना भूल जायेंगे।

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  31. YAHI TO HUMARE DESH KA DURBHAGYA HAI SIR KI JIS DESH ME 65 PERCENT LOG UNDER 35 YEAR HO US DESH KA PM 75 SAAL SE UPAR KA HAI AUR DUSRA BHI JO ITNI SIDDAT SE LAD RAHA HIA WO BHI 80 KE AAS PASS KA HAI...YAHA MAJORITY YOUTH KA HIA AND PM OLD BAN RAHA HAI WAH RE HUMARA DESH...JAI HIND

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  32. YAHI TO HUMARE DESH KA DURBHAGYA HAI SIR KI JIS DESH ME 65 PERCENT LOG UNDER 35 YEAR HO US DESH KA PM 75 SAAL SE UPAR KA HAI AUR DUSRA BHI JO ITNI SIDDAT SE LAD RAHA HIA WO BHI 80 KE AAS PASS KA HAI...YAHA MAJORITY YOUTH KA HIA AND PM OLD BAN RAHA HAI WAH RE HUMARA DESH...JAI HIND

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  33. लो भाई, बन गए मोदी जी प्रधानमंत्री । प्रेसिडेंट राजनाथ ने मोदी को सरकार बनाने के लिए बुलाया है । ज्ञात रहे की कल ही सर्वोच्य निर्वाचन आयोग (आरएसएस) ने मोदी को विजय घोषित कर दिया था । सुषमा, यशवंत आदि के विभागों का बटवारा बाद में होगा और शत्रुघन, उमा आदि का निबटारा बाद में किया जाएगा ।

    फेसबुकियों, ट्विटरियों, मीडिया सभी लोग अपने अपने कम पर चले जाएँ । अब मोदी का भी और दूसरों का भी पीछा छोड़ो । APCO से क़रार बाद में खत्म किया जाएगा ।

    अब आप (मतलब AAP नहीं ) यह पूछेंगे की चुनाओ तो हुए नहीं फिर मोदी प्रधानमंत्री कैसे बन गए । अगर दूसरी पार्टियां कहेंगी तो चुनाओ भी करा लेंगे । वैसे, ममता, मुलायम, नितीश, लेफ्ट, उमर, नवीन आदि को राजनीतिक वनवास देने की बात चल रही है । लेकिन काँग्रेस के लिए बिल्ली के भागों वाली कहावत चरितार्थ हो गयी है ।

    रही बात आडवाणी की । आडवाणी बीजेपी में खत्म नही हुए है और न ही होंगे । मोदी, आडवाणी के पूरक है । बीजेपी के लिए करो या मरो है । लिहाज़ा, बीजेपी के लिए 200+ के उम्मीदवार मोदी है और 160+ के लिए आडवाणी है । 2014 तक आडवाणी लौह को नरम करेंगे । धर्मनिरपेक्ष कहलाने की कोशिश करेंगे । मोदी, आडवाणी की नूरा कुश्ती जारी रहेगी । आरएसएस का निर्देशन अच्छा है ।

    मोदी ने पहली प्रतिक्रिया में कहा है की मैं गुजराती हूँ और मैं प्रधानमंत्री हूँ । इस हिसाब से मैं गुजराती प्रधानमंत्री हूँ ।

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  34. बहुत कठिन है डगर पनघट की
    क्या भर लाऊँ मैं जमुना से मटकी


    अभी तो परधान मंत्री पद की सिर्फ घोषणा होई है ,और वो भी बी.जे.पि. की तरफ से ,

    चलो ये खेल भी देख लेते हैं ,,,
    इतना दिन से लुका छुपी चल रहा था, के कौन बने कौन बने ,,,अब तो फटा पोस्टर और निकला हीरो ,अब आगे मालूम होगा के आने वाला हीरो है या जीरो है ,,

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    1. Bhai ekdam ziro he,hamere gujarat me koi vikash nahi he,are bhai teachar ko pure pagar nahi de sakta,desh ko khak dhega,

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  35. पितृपक्ष और पितृपुरुष की एक अदभुत जुगलबंदी है , आपके लिखने का बस कायल हूँ ,क्या कहूँ बस चलते रहिये और बढते रहिये

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  36. देश ना हुआ , क्रिकेट का मैदान हो गया जिसके सब बालर बस गुगली के धुरन्दर हैं, सच्चाई यह है की ना पिच है ना बल्ले बाज और ना ही टूर्नमेंट ....

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  37. Ravishbhai
    Ek duje ko katne ki rajneti BJP ki pahchan he,or modi dushre ko katne me mahir he,jashe hamare re gujarat me kiya,acha he adavani gujarat ke CM ke wating me nahi he,nahito harenbhai jesha hashra hota,

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  38. sir please twitter pe aa jaye,sir har sawal ka jawab hota hai,kuch logo ke wajah se,aap piche kyo the.sir please,milkar unlogo ko jawab denge................please sir.

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  39. sir please twitter pe aa jaye,sir har sawal ka jawab hota hai,kuch logo ke wajah se,aap piche kyo the.sir please,milkar unlogo ko jawab denge................please sir.

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  40. ravish ji bahut badhiya likha apne..aap baki reporters se alag aur suljhe hue hain..aage bhi in vishayon pe aapke vicharon ka intezaar rahega..

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  41. Tusi tan serious hi legye Tweeter waali gall nu! Please come back

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    1. अरे गरियायोगे तो कौन तोहार गारी सुनने के लिए आएगा।

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    2. Bhai ji mein Punjabi mein bolat raha tha. Lagta hai tumhar ko samjh naahi lagi hmaar bhasha

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  42. Ravish, mein apko congress ka dalal to nahi kahunga per kuch to hai jo aap MODI se itne ukhade ukhde rahte hoo..apke sare prime time dekhe aur aapke vayng jo 90% modi ya phir BJP per hi hote hai..zara patrakar ki zaat ka samman karo aur nishpakh vivad karao...aur plz desh ko gumrah mat karo..apke vichar apne pass rakho aur logo ko apni sochne do...apne koi sab ka theka nahi le rakha aur jisne (MODI) lene ki koshish ki hai usko zara demotivate mat karo

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  43. मोदी आये या लोदी जनता के लिए क्या फरक परेगा रे भाई।

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  44. Kabhi aisi chhitthi Sonia ji ke liye bhi likhiye ya saara prem Advani jee par hee nyochhavar karenge?

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  45. Sahi likha sir aapne ki shanghathan madhyam hai satta pane k liye.
    naye patra k intzar mai...?

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  46. Sahi likha sir aapne ki shanghathan madhyam hai satta pane k liye.
    naye patra k intzar mai...?

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  47. to rkrish21

    anurag said...

    main abhi inke shows dekhta hu..mujhe to kabhi aisa nhi lga...kyu aajkal har modi ke aas-paas ghumti h...samajh nhi aata...logon ko apni views dene main ab yeh sochna hoga ki wo modi ke favour main h ya nhi. kripya soch samajh kar bole..

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