नोट-शाहरूख़ बाज़ार का उत्पाद बन गए है । शुरू के हिस्से में नोकिया लुमिया बेचना ठीक नहीं लगा । बचते तो अच्छा रहता ।
थर्ड क्लास है चेन्नई एक्सप्रेस
चेन्नई एक्सप्रेस शाहरूख़ खान के लिए वही है जो एक थके हुए दौर में अमिताभ बच्चन के लिए जादूगर, तूफान ,आज का अर्जुन और मृत्युदाता हुआ करती थी । फ़िल्म और नायक के चेहरे पर थकान नज़र आती है । चालीस की उम्र में अपनी पसंद की ज़िंदगी की ऐसी खिचड़ी का विकल्प है चेन्नई एक्सप्रेस जिसमें दिल वाले दुल्हनियाँ ले जायेंगे की नोस्ताल्जिया का छौंक भी ख़ास असर पैदा नहीं करती है । इस फ़िल्म के बारे में लिखने लायक कुछ नहीं है । निश्चित रूप से यह शाहरूख़ की सबसे ख़राब फ़िल्मों से एक है । आप कहेंगे कि मैंने क्यों देखी तो मैं किंग खान का फ़ैन हूँ । उनके नाम पर एक कूड़ा फ़िल्म तो देख ही सकता हूँ । उत्तर दक्षिण हास्य के नाम पर दक्षिण के लोगों का ऐसा चित्रण है जो समस्या पैदा करती है । भाषा के अंतर को पाटने के लिए रंग रूप का केरिकेचर ठीक नहीं लगा । साफ़ साफ़ कहूँ तो काले रंग को बदसूरत और राक्षसी बनाने का प्रयास है । पहला हाफ़ बाकवास है दूसरे हाफ़ में शाहरूख़ थोड़ा ठीक लगे हैं । कुल मिलाकर शाहरूख़ का राहुल अब जादू नहीं पैदा कर पा रहा है । ऐसी फ़िल्मों से वे दर्शकों को खो देंगे । उत्तर की एक फ़िल्म दक्षिण में गई है इसलिए शुक्रिया । तमिल की ध्वनि हिन्दी के साथ संगीत पैदा करती है । थोड़ा हास्य तो पैदा करती ही है । ट्रेन का बाहरी सिक्वेंस और नज़ारा शानदार है । कहानी के नाम पर कुछ नहीं है । चंद संयोग और सड़क छाप संवाद । दूध का जला बरनाल फूँक फूँक पर लगाता है टाइप । भाषा और समाज के इस अंतर पर एक दूजे के लिए ही बेहतरीन है । आज भी । दीपिका की एक्टिंग ठीक ठाक है । यह फ़िल्म शाहरूख़ के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होगी । शाहरूख़ अब अमिताभ की तरह पर्दे पर भूमिका को बदलेंगे । रोमांटिक हीरो रोमांस में ही अच्छा लगता है । लेकिन कब तक । कहानी हो तो पचास की उम्र में भी रोमांटिक रोल कर सकता है । संयोग से फ़िल्म में शाहरूख़ चालीस और पचास साल की उम्र को लेकर मज़ाक़ करते दिखते हैं । जीवन का संकट फ़िल्म में भी है । लोग चेन्नई एक्सप्रेस नहीं देख रहे थे । उन्हें जितनी भी खुशी मिली वो शाहरूख़ को कुछ भी करते देख कर मिली । किंग खान को शुक्रगुज़ार होना चाहिए । हां वो गाना पसंद आया । कश्मीर तू मैं कन्याकुमारी । ईद के दिन एक बेकार फ़िल्म । अइयइयो !
Shukriya hame eid me paise barbad karne se bacha liya
ReplyDeleteShukriya hame eid me paise barbad karne se bacha liya
ReplyDeleteईद मुबारक...عید مبارک.....EID Mubarak
ReplyDelete:) waise bhi nahi dekhna tha :D
baaaaaaaaakwas dictionary
लग ही रही थी बकवास होगी...हम कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर बैठे हैं शाहरूख़ से ...अच्छा हुआ पैसा बचा दिया आप ने :)
ReplyDeleteशाहरुख़ के नाम पर भी नहीं चल पायेगी, कहानियाँ तो जैसे आज कल की फिल्मो से गायब हीं हो गयी है। 'सत्याग्रह' से उम्मीद है प्रकाश झा की फ़िल्में कुछ हटकर होती हैं।
ReplyDeleteha ha ha ha ha ha ha ha ha
ReplyDeleteAb mulgal-e aazam jasi film to nhi dekhne ko milegi
ReplyDeletepr janta ko sayad yahi sb pasnd h 3rd class
इस सिनेमा के बारे में मेरा अनुमान था कि यह रोहित शेट्टी के जादू को भी समाप्त कर सकता है । अति आत्म-विश्वास से लबरेज शाहरुख़ अब लड़के होकर लड़कियों वाली क्रीम ही बेचें तो अच्छा होगा।
ReplyDeleteHAHAHA AS EXPECTED FROM SRK....
ReplyDeleteHAHAHA AS EXPECTED FROM SRK....
ReplyDeleteravish ji aapne to dho daala..
ReplyDeletemai to promo dekh kar hi jaan gaya tha k film wahiyaad hi hogi . . . khair dhanyawaad . . .
ReplyDeleteकाश कोई हिटलर को भी कहता, कहाँ से खरीदी ऐसी बकवास डिक्शनरी।
ReplyDeleteसर जी! आप ट्वीटर पर क्योँ नही आते??
पीछा छूटा
ReplyDeleteफिल्म दिखाने के बजाये बनाने के लिए बन रही है. शोमैनशिप लोमैनशिप हो गयी है
ReplyDeleteravish ji, dhanyawaad aapka sahi jaankaari ke liye.. Aaj kal rajasthan patrika mein aapka sampadkiya kyun ni aa raha hai?
ReplyDeleteShukriya. Aap ne hamare paise aur waqt dono ki bachat kar di....
ReplyDeleteBacha liye aapne humare paise...kyunki aisi film ke liye main paise hi kahrch karta rupye nahi...
ReplyDeleteBacha liye aapne humare paise...kyunki aisi film ke liye main paise hi kahrch karta rupye nahi...
ReplyDeleteजितनी ऊर्जा प्रमोशन में लगायी है, उतनी फिल्म में लगा दी होती काश।
ReplyDelete:) :) :)
ReplyDelete1 st day 33.18 caror kamai ki hai bhai
ReplyDeletehttp://www.rogerebert.com/reviews/chennai-express-2013
ReplyDeletetabhi to 3 din me 100crore cross ho gya!
ReplyDeleteItni bakwas hai phir bhi itni kamai.agar thik thak hoti to pta nahin kya hota.
ReplyDeleteItni bakwas hai phir bhi itni kamai.agar thik thak hoti to pta nahin kya hota.
ReplyDeleteravish bhaiya... rohit shetty g ki picture dekhne jaaiye to dimag ka use mat kijiye..
ReplyDeleteSamay Samay ki baat hai Sir...
ReplyDeletebilkul bhartiya rail ki tarah hai ye film kiraya har sal badhta hai par train ki seato me cockrocho ka bhi reservation hone laga hai mugalsarai se blr aane wali train me mil jayenge aapko har class ke coach me, kabhi khane ki thali se dal gayab ho jati hai to kabhi rice to kabhi sabzi par sarkar ye nahi samjhti ki railway ko jo ghata hua vo hua vo to humse vasool legi par hum yani public kya kare jiski jeb har din ek naya ghata jehlti hai kabhi pyaz mahngi to kabhi petrol are humari jeb ka bhi to koi ghata pura kare sarkari karamchari to kush he sixth pay mil raha hai phir bhi rote hai vo jo private choti moti firm me kaam karte hai unka kya hoga ?
ReplyDeleteGreat business mind applied just to make money ... north indians go for Shahrukh khan and for south indians its a south indian movie (even a fraud south indian movie) .... really a pathetic movie....
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