आज कार के एक पहिये का पंचर बनवाने गया था । पेंचर वाले से बात करने लगा कि यार ये गाड़ी पेंचर( पंचर नहीं ) बहुत होती है । वो गंभीर मुद्रा में जवाब देता है कि हाँ बरसात में ज़्यादा पेंचर होता है । बरसात में ? हाँ वो ज़मीन से एलिमेंट बाहर आ जाता है न उससे । एलिमेंट ? हाँ बारिश से मिट्टी धुल जाती है । मिट्टी के नीचे जो कील दबी होती है बाहर आ जाती है । लोहे के टुकड़े छिटक कर सड़क पर आ जाते हैं और पेंचर के केस बढ़ जाते हैं ।
हम अभिभूतित हैं..
ReplyDeletePapi pet ke liye.........
ReplyDeletekuch palle nahin pada....
ReplyDeleteज्ञान pevment से penchar तक :)
ReplyDeleteमहानुभाव four wheeler से fortune wheel तक
राजनीती ज्ञान से महानुभाव तक
परतें उखड़ेगी तो कुछ न कुछ तो बाहर आयेगा ही ! बाइ द वे 'पंक्चर' शब्द अंग्रेजी भाषा में है ही नही । डिक्शनरी में भी नही है । फ्लैटर्टड् शब्द है तो यह पंक्चर शब्द कहाँ से आया रिसर्च का विषय हैं ।
ReplyDeleteपरतें उखड़ेगी तो कुछ न कुछ तो बाहर आयेगा ही ! बाइ द वे 'पंक्चर' शब्द अंग्रेजी भाषा में है ही नही । डिक्शनरी में भी नही है । फ्लैटर्टड् शब्द है तो यह पंक्चर शब्द कहाँ से आया रिसर्च का विषय हैं ।
ReplyDeleteजीवन का ज्ञान लेने के लिए बाबाजी के पास जाने की ज़रुरत नहीं। वो कहीं से भी, किसी से भी मिल जाता है। बस नज़र -नज़र की बात है !
ReplyDeleteजीवन का थोड़ा ज्ञान लगे हाथ हम भी बांट दें -
ReplyDeleteपेंचर की समस्या से बचने (पूरी तरह से छूट पाने के लिए नहीं,) के लिए कुछ उपाय -
ट्यूबलेस टायर या फिर पेंचर रोधी टफ़अप ट्यूब का उपयोग करें.
आजकल पेंचर रोधी सीलेंट मिलता है जिसे ट्यूबलेस टायर या ट्यूब में डलवाने से छोटे मोटे पेंचर खुद ही से ठीक हो जाते हैं - (हाँ छेद होता है वहाँ से ये बाहर निकलने की कोशिश में छेद बंद कर देते हैं)
aaj k jamane me sabhi sanjdar hai
ReplyDeleteकम से कम बरसात के बहाने ही पेंचर वाले की कमाई बढ़ जाती है...।
ReplyDeleteGopal Girdhani.. please update your dictionary... maine search kiya hai ye shabd hai dictionary me.
ReplyDeletesir aaj humlog ka topic kya hai, kahin update kar dijiya kijiye
ReplyDeleteAchchi khoj hai.
ReplyDeleteRavish ji, ek acchi baat to hai ki log apne subject me thoda bahut research karte hi hai aur karna bhi chahiye, chahe profession koi bhi ho. Hum to dekh rhe hai reporting aur electronic media me hi tez paroshane ki itni jaldi hoti hai ki koi research nhi karta. aap exception hai bahut baar.
ReplyDeletechhoti Magar Gyaan Ki Baate..
ReplyDeleteयह जीवन ज्ञान है जो इसी तरह मिल सकता है. आपको पढ़कर-जानकर ये विश्वास और प्रगाढ़ होता है कि जड़ से मिले रहना चाहिये. मिट्टी से जुड़े ग़रीब भी अनुभव के अमीर होते हैं.
ReplyDeleteबहुत बढिया ।
ReplyDeleteबहुत बढिया ।
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