( इसे ज़ोर ज़ोर से बंद कमरे में गाते रहें । लोकतंत्र के खाज का मवाद बाहर आ जाएगा और घाव सूख जाएगा । बाबा नागार्जुन की जय लास्ट में बोले । )
पागलनामा- पार्ट टेन
करवट करवट । मरघट मरघट । दफ्तर दफ्तर । गड़बड़ गड़बड़ । लदफद लदफद । हजबज हजबज । दलदल दलदल । पार्टी पार्टी । खांग्रेस खांग्रेस । खाजपा खाजपा । लाज बचा लाज बचा । पप्पू पप्पू । फेंकू फेंकू । झूठ झूठ । सत्ता सत्ता । लत्ता लत्ता । जूत्ता जूत्ता ।सूट्टा सूट्टा । उल्टा उल्टा । सीधा सीधा । चुनाव चुनाव । कांव कांव । कुर्सी कुर्सी । पुर्सी पुर्सी । मर्सी मर्सी । मंत्री मंत्री । पत्री पत्री । गीदड़ गीदड़ । ट्वीटर ट्वीटर । स्कूटर स्कूटर । लफंदर लफंदर । भगंदर भगंदर । बावासीर बावासीर । तासीर तासीर । मंदिर मंदिर । मस्जिद मस्जिद । मुसलमान मुसलमान । ब्राह्मण ब्राह्मण । आक्रमण आक्रमण । अतिक्रमण अतिक्रमण । प्राधिकरण प्राधिकरण । आमरण आमरण । अनावरण अनावरण । मचान मचान । बयान बयान । तान तान । मैं पीयम मैं प्रीयम । मैं सीयम मैं कुर्सीयम । मैं लालसा मैं सालसा । हुर्र हुर्र । हिप्प हिप्प । मुर्दाबाद मुर्दाबाद । कुर्सी दो कुर्सी दो । पुर्ज़ी दो पुर्ज़ी दो । भिंडी लो भिंडी लो । अहंकार अहंकार । ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद । सेवा सेवा । ढेला ढेला । केला केला । ठेला ठेला । रेला रेला । जात जात । डाल डाल । पाँत पाँत । वोट वोट । नोट नोट । लो लो । दो दो । रैली रैली । पी बी शैली पी बी शैली । थ्री चीयर थ्री चीयर । शेक्सपीयर शेक्सपीयर । हार्न हार्न । साइड साइड । भाई रे भाई रे । माई रे माई रे । दाई रे दाई रे । हाई वे हाई वे । बच्चन बच्चन । बतकुच्चन बतकुच्च्न । गठबंधन गठबंधन । दुर्जन दुर्जन । प्रलय प्रलय । विलय विलय । जुलाब जुलाब । गुलाब गुलाब । जुलाई जुलाई । सगाई सगाई । महँगाई महँगाई । सिलाई सिलाई । विदाई विदाई । लबरा लबरा । झबरा झबरा । रैंबो रैंबो । टैम्पो टैम्पो । जम्बो जम्बो । शंभो शंभो । राम राम । मरा मरा । ज़रा ज़रा । धरा धरा । धाम धाम । चैनल चैनल । पैनल पैनल । पैदल पैदल । बैंगन बैंगन । कद्दू कद्दू । पप्पू पप्पू । फेंकू फेंकू । ढेंचू ढेंचू । ढेंचू ढेंचू । ढेंचू ढेंचू । स्वाहा स्वाहा । ग्वाला ग्वाला । आहा आहा । मारा मारा । अहं पप्पूआस्मी अहं पप्पूआस्मी । अहं फेंकूआस्मी अहं फेंकूआस्मी । ढन्न ढन्न । सन्न सन्न । मत देख मत देख । टीवी टीवी । सीवी सीवी । कम देख कम देख । हवन कर हवन कर । बंद कर बंद कर । टीवी टीवी । टीबी टीबी । दम्मा दम्मा । रम्भा रम्भा । स्वाहा स्वाहा । लोकतंत्र लोकतंत्र । मल मूत्र मल मूत्र । सूत्र सूत्र । भूत भूत । भाग भाग । आई आई । आँधी आई आँधी आई ।
इस शोर में स्वर निकाले, कोई युग पुरुष..
ReplyDeletehttp://www.youtube.com/watch?v=jLGQe4kGG-U&feature=related
ReplyDeleteगाँव गाँव । कॉव कॉव ।
ReplyDeleteravish bhai kya aapke pas bi itni bakwas bato ke liye itna time hai jo das das part bna diye
ReplyDeleteपागलनामा पढ के हमको ऐसा लगता है
ReplyDeleteहम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है
सूत्रधार
ReplyDeleteमूत्रधार
हिमपात
गर्भपात
अंड-बंड-अखंड -आनंद
पागलनामा वेदों का कोई नया सूक्त लगता है। बंद कमरे में अब कुछ नहीं रखा बहार ही जपे
ReplyDeleteRavish bhai bade dil se likh raha hoon... lagta aise hai ki aaye the TV me kuch aur karne aur samay ne aapse kuch se kuch karwa diya.Ab aapko lagne laga hai sab bakwaas aur natak.Kaam se pareshaan hokar pagla gaye hain.Shayad aapko lagta hai ye bhi koi kaam hai...sab jhoot aur bakwaas.....har din wahi daal bhaat ...kabhi to kuch dhang ka kare ye log ..shayad aise khyaal aate honge....Jindagi palat palat kar dekhne se takleef deti hi....kyunki ya sab kuch kuch hi kar rahe hai aur preshan hain......Charoo tarf gandh hai...isliye jyada "itra" ka aaviskaar karne ka mat sochiye...kuch nahi ho sakta hai is manav jaati ka...sab kuch se kuch karne me vyast hain...kaam kariye..ghar aayiye parivaar me lag jayiye...jyade sochiyega pagla jayega....Gustakhi maaf ho....Likhne ka sahas kar paaya honn kyunki apna bhi yahi haal par main hoon alga filed ka ....sab jagah yehi haal...Ab to bus jindagi katne wali baat ho gayi hai
ReplyDeleteरोगी को किसी अच्छे मनोचाकित्सक की अवाश्क्यता है.
ReplyDelete...
....
:)
ravish ravish || khabees khabees | nagma nagma || sadma sadma | Abhigyan Abhigyan || japan japan| kamal kamal || dhamal dhamal|| kadambani kadambani || devnandni devnandni|
ReplyDelete(sorry dil se )
jai jai.
ReplyDeleteJai Nagarjun!
medanta , apollo me mat jana main bhi gaya tha charge jyada hain.
ReplyDeleteलोहे का स्वाद
ReplyDeleteलोहार से मत पूछो
घोड़े से पूछो
जिसके मुंह में लगाम है.
पागलोपनिषद की रचना की और बढे कदम का स्वागत है....
'परती परिकथा ' के भिम्मल मामा जैसा लिख आपने …बहुत खूब
ReplyDeleteKitaaben ..khabren.. baaten.. iski ..uski.. teri meri… uff tauba..
ReplyDeleteshabdon se bhare huye.. iss shor mein apni bhi awaz nahi sunayi deti.
Prarthna mar jaati hai.. Khuda goom ho jaata hai..
Bahar ke shabdon se bahar ho mann....andar ka shabd baje to baat bane..
Karam ho..raham ho…