सत्तर एम एम का
बिल्कुल मोना सिनेमा सा
पटना का
थरथराता है मेरे भीतर डोल्बी साउंड से
कि मेरी एक कहानी होगी कभी
पर्दे पर टुकड़े टुकड़े में
मेरे भीतर दबे तमाम किस्से
जब भर जायेंगे रंगों से
वाइड लैंस का कैमरा झांकेंगा जिसमें
दौड़ती मचलती मेरी कहानियाँ
रूलाती हंसाती और भगाती
जैसी छोटी लाइन की रेलगाड़ियाँ
छुक छुक छुक छुक
एक पर्दा है
सिमटता खुलता रहता है
सत्तर एम एम का
बंद बक्से में सालों से रहता है
ख़्वाबों के शहर में
अधूरा सा
पूरा होते होते सो जाता है
टन टन भाजा पोटैटो चिप्स
की लोरी सुनते सुनते
घर आ जाता है
ये किस्से कहानियां तमाम जो इस तन मन में बसी हैं कब कौन इनका पूर्ण चित्रण कर पाया है. यहाँ सब रंगमंच की कठपुतलियां हैं.......सोचो कुछ होगा जरुर कुछ और.....ये लाला की दूकान नहीं के जो माँगा वो मिल गया,ये फिल्म तो अपने आप ही पूरी हो जाएगी और अगर अच्छी बन गयी तो लोग एक बार तो जरुर देख लेंगे....आपकी फिल्म तो जरुर एक दिन ब्लाक बस्टर हो जाएगी ये मेरा विश्वास है,हम भी आपके पीछे ही हैं, कोशिश करते रहो,हम भी तुम्हें देख कर कर रहे हैं......... प्रणाम
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteBahut badiya ..
ReplyDeletenice portrayal of kaleidoscopic human thoughts n dreams
ReplyDeleteजिन्दगी तो फिलिम जैसा ही है, रील सा चलता रहता है।
ReplyDeleteJi Ravish bhai, acha laga...cinema ka ek parda. satyam...Shivam...Sundaram. Yehi avishkar hai, khoj hai. lekhan ki nayi taknik naye tarike. Adhik likhunga nahi, kahin al-bal na ho jaye. Likhna aata nahin. Isliye comment karna munasib nahin. Sikhna aata hai, Isliye aapko padhunga jaroor. Bahut kuch sikhna hai sir. kuch kuch sikha bhi hai. Nivedan hai aap likhte rahiye ham sirf sikhte rahenge. Dher sari shubhkamnayen. Vacharik Avkash...
ReplyDeleteJi Ravish bhai, acha laga...cinema ka ek parda. satyam...Shivam...Sundaram. Yehi avishkar hai, khoj hai. lekhan ki nayi taknik naye tarike. Adhik likhunga nahi, kahin al-bal na ho jaye. Likhna aata nahin. Isliye comment karna munasib nahin. Sikhna aata hai, Isliye aapko padhunga jaroor. Bahut kuch sikhna hai sir. kuch kuch sikha bhi hai. Nivedan hai aap likhte rahiye ham sirf sikhte rahenge. Dher sari shubhkamnayen. Vacharik Avkash...
ReplyDeleteravish bhai ab mona cinema wo nahi raha bohat badal gaya hai
ReplyDeletemona cinema ab wo nahi raha kaafi badal gaya hai ab sapne lorion ki suntey nahi kyunki dil ho gaya hai badtameez
ReplyDeleteAapki hingrezi shabdawali khoob hai...
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