आडवाणी के हठयोग पर प्राइम टाइम समाप्त हो चुका था । सोच रहा था कि कौन सी दवा ले लूँ जिससे खाँसी दूर हो जाए । सामने बाबा खड़े थे । मेरी ही उम्र के और मुझी से आशीर्वाद माँगते हुए । अजीब सा लगा । उन्होंने कहा कि हम आपको बहुत मानते हैं इसलिये सावाँ का खीर ख़ुद बनाकर लाये हैं । सावाँ का खीर ? हाँ सुदामा सावाँ का चावल ही तो लेकर गए थे कृष्ण के पास । मैं थोड़ा हँसा और चलने लगा । देखिये हम इस लायक भी नहीं हैं । उन्होंंने कहा कि हम आपको बिना खाये जाने नहीं देंगे । लेना ही पड़ेगा । ग़रीब हैं तो क्या हुआ । लेना ही होगा । इसमें एक और चीज़ है घर जाकर देखियेगा ।
खाँसने से इतना जूझ रहा था कि ध्यान ही नहीं रहा कि किसी ने कुछ दिया है । घर पहुँचकर खोला तो बेहतरीन खीर के स्वाद ने भावुक कर दिया । उन्होंने अपने हाथ से मेरे लिए खीर बनाई थी । फिर झोले से एक और सामान निकला । बहुत ही महँगी टी शर्ट । दाम बताने में शर्म आ रही है और देने वाले की निजता का ख़्याल भी । आप अभी निष्कर्ष न निकालें कि बाबा ने कोई माल लूटा होगा । शरीर पर सिर्फ एक वस्त्र था । इतना देख के पता चल जाता है कि कौन कैसा है । टी शर्ट और खीर ने इस तरह भावुक कर दिया कि आँखें भर आईं । फ़ोन कर माफी माँगने लगा कि तनाव में न होता तो ज़रूर आपसे बैठ कर बातें करता । हम कभी कभी खुद की समस्याओं से इस क़दर घिरे रहते हैं कि पता नहीं चलता कि कोई बेहिसाब चाहने वाला आया है । बाबा ने माफ़ कर दिया ।
हम अक्सर कई बार सोचते हैं कि हमारे काम से किसको क्या फ़र्क पड़ता है पर बाबा ने ग़लत साबित कर दिया । इसी तरह सालों पहले आगरा में ताज महल पर कोई रिपोर्ट बना रहा था । कहीं से कहीं होता हुआ एक दर्ज़ी के घर पहुँच गया । आँखें धंसी हुई, लंबी सफ़ेद दाढ़ी और जर्जर शरीर । नाम जमालुद्दीन मोहम्मद । दर्ज़ी मगर आगरे का इतिहासकार ।
जमालुद्दीन जब आगरा की कहानी बताते थे तो उनका चेहरा सुर्ख हो जाता था । आँखें सिनेमा का पर्दा बन जाती थीं । रोएं खड़े हो जाते थे । धीरे धीरे उनकी आंखों में शाहजहाँ को वो आगरा तैरने लगता था जिसे आप दुनिया की किसी किताब में हासिल नहीं कर सकते । जमालुद्दीन को ताजमहल से इतना प्यार था कि देखने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे । मैं उनकी कहानी ताज के भीतर शूट करना चाहता था । काँपने लगे और कहा कि नहीं मैं ताज नहीं देख पाऊँगा । मुझे कुछ हो जाएगा ।
कई बड़े इतिहासकारों को देखा था इस दर्ज़ी को बेवकूफ बनाकर फ़ायदा निकालते हुए । सबके विजिटिंग कार्ड दिखाते थे । एक पुलिस अफसर ने उनकी जानकारी से अंग्रेजी में आगरा पर किताब लिख वाह वाही भी ले थी । जमालुद्दीन दिन भर एक बहुत बड़ी किताब में इस तरह से कैलीग्राफी करते थे कि ताज का नक़्शा बन जाता था । हर लाइन में इतिहास । कोई बीस किलो की कापी हो गई थी । मैं लिखकर नहीं बता सकता कि वो क्या था । काफी प्रयास किया मगर उनके लिए कुछ नहीं कर पाया ।
दो तीन मुलाक़ातें ज़रूर हुई । ऐसी ही एक मुलाक़ात में उन्होंने काग़ज़ का एक टुकड़ा पकड़ा दिया । क्या है ये ? बेटा ये नक़्श है । इसे किसी भी तरह से घुमाओ कैसे भी देखो हमने शब्दों को यूँ सजाया है कि अल्लाह ही लिखा दिखेगा । बस एक गुज़ारिश है अपने से दूर मत करना । मेरी निशानी है । आज तक वो नक़्श पर्स में है । यक़ीनन किसी टोटके की वजह से नहीं । एक दिन सोचा कि निकाल देता हूँ अब । निकाला ही था कि ख्याल आ गया कि जमालुद्दीन ज़िंदा होंगे या नहीं । कई साल हो गए । वापस नक़्श पर्स में रख दिया । नहीं फेंक सका ।
हमें लोग ऐसे मोहब्बतों से नवाज़ते हैं । अपना काम निस्वार्थ तरीके से करें तो लोगों के ख़जाने में हमारे लिए बहुत प्यार है । मामूली सांवा का चावल तो है ही । जो खीर पका कर एक टीवी के एंकर को खिलाने के लिए ले आते है । ये हमसे प्यार की कोई क़ीमत नहीं माँगते । कोई सिफ़ारिश नहीं कराते । बस यही कहते हैं जो कर रहे हो उससे भी अच्छा करना । जब कभी याद आता है तो उन तमाम लोगों से माफी माँगने का दिल करता है जिन्हें मेरे काम से निराशा हुई होगी । जिन्हें मेरे व्यवहार से ठेस पहुँची होगी । इस क्रूर पेशे का यह इनाम खीर और नक़्श । और कितना जागूं । कमबख्त अब तो नींद आजा ।
I suggest you wear that t-shirt in one of the shows. Baba will be on the top of the hill!
ReplyDeleteYou are a true person!
मै भी सहमत हूँ की आप एक बार उस टी शर्ट की पहन कर जरूर प्रोग्राम करे ! लेकिन शायद प्राइम टाइम की डायरेक्टर आपको इस बात की इजाजत न दें खैर !!!
ReplyDeleteआपकी इस कहानी माफ़ कीजियेगा इसे कहानी नहीं कह सकते , आप बीती को पढ़ मन द्रवित हो गया मुझे भी कुछ ऐसे लोगों की याद आ गई और साथ ही नींद भी गायब हो आपको तो शायद आ भी गई होगी. आपका शुक्रिया कुछ भूली बिसरी यादें याद दिलाने का ....
इस दुनिया में स्नेह बरसाने वालों की कमी नहीं है । हम लोग ही छद्म अकड की छतरी खोले उससे बचते रहते हैं ।
ReplyDeleteRavish sir... aap sach me kamaal ho..... aap maano ya na maano... lekin aap me sach me kuchh baat hai....
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@ अपना काम निस्वार्थ तरीके से करें तो लोगों के ख़जाने में हमारे लिए बहुत प्यार है । मामूली सांवा का चावल तो है ही । जो खीर पका कर एक टीवी के एंकर को खिलाने के लिए ले आते है । ये हमसे प्यार की कोई क़ीमत नहीं माँगते । कोई सिफ़ारिश नहीं कराते । बस यही कहते हैं जो कर रहे हो उससे भी अच्छा करना ।
यह प्यार वाकई अनमोल है, इसी की खातिर अच्छा, और अच्छा करते रहिये सर जी, और वह टीशर्ट जरूर पहनियेगा प्राईमटाइम में, प्रोड्यूसर मना कर तो उसे यह पोस्ट दिखाइये... :)
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Ravish ji,
ReplyDeleteBaba aap tak pahuch sakte the aur apnepan ki kuch saugaat aap ke haathon me de paaye jaankar achha laga, aur kuch hamaare jaise log bhi hai jo sirf primetime khabaron k dauraan aap k reporton se nahi samajh me aane waali baati bhi hamesha k liye dimag me aapki aawaj k saath record ho jaati hai.us chanmatr ka udveg baataya nahi ja sakta.
इस "क्रूर" पेशे का यह इनाम खीर और नक़्श :(
ReplyDeleteRavish Ji,,, Aapse meri mulkat mere papa ne karwai, NDTV ravish ki report ke madhyam se, kabhi mila nahi aapse, but aapki baaton me aam aadmi jalakta hai,, aapki tarah sabdo se khelna nahi aata,, Gurgaon me job karta hu, samay nahi mil pata tha 1 sal se aapki baaton ko sun ne ka, but youtube par dekh leta tha aapki bahas. Papa roz puchte ki dekhi report ravish ki,, Pahle bahut gussa aata tha ki jab wo phone karte the mujhe, mere bare me na pooch kar aapke bare me puchte the, ek bar to unhe khus karne ke liye kah bhi diya ki aapse mil chuka hu ek bar,, jhut tha but wo khus the, tab samjha unki chahat ko, khair samjha nahi sakta aur yahi sayad acha hoga mere liye.unke kahne par last saturday main 1 TV liya aur ndtv prime time dekha monday ka, jisme aapne JD(u) Ke neta ji ko kaha ki kya BJP ne unhe bade bhai ka darja diya hai....... bas itna kahna hai ki sayad aapki wajah se Papa khus hain.. Wo akele jamshedpur me rahte hain.... Acha laga kisi simple insaan ko itna powerful hote dekh kar,,, next time jab words se khelna sikh jaounga to acha comment karunga. Till then, aap dhyan rakhiyega apna.And Suit Tie me Jhakas lagte ho aap. Ek movie kar daliye.
ReplyDeleteAur Kabhi sambhav ho to batiyega ki aapse kaise mila ja sakta hai, Aapko disturb nahi karenge... 10 Meter dur se dekh kar hi chale jayenge, and Mujhe Khir banani nahi aati.
ReplyDeleteJitni tareef ki jae km hai, shayed aap media line me anokhe hai'n. My salute 2 u.....
ReplyDeleteSalute 2 u..n ur most precious writing....
ReplyDeleteशब्द कम पड़ गए आपके लिए नहीं आपके चाहने वाले ताज के असली चहेते और आपके बाबा के लिए
ReplyDeleteशब्द कम पड़ गए आपके लिए नहीं आपके चाहने वाले ताज के असली चहेते और आपके बाबा के लिए
ReplyDeletekuchh baat hai ki hasti mitti nahi hamari sadiyo raha hai dushman daure zaha hamara .........
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