कहीं शांति नहीं है बस शांति की तलाश में बेचैनियां भटक रही हैं । रविवार को कोलकाता जा रहा हूं । दिल्ली अब बहुत पकाती है । बहुत कोशिश की मगर रिश्ता नहीं बना । पता है कि लौट कर आना भी है पांच दिनों में मगर ऐसा ही लगता है कि साल भर के लिए जा रहे हैं । रोज़ रात को घर लौट कर इस कान से उस कान तक कांग्रेस बीजेपी का भोंपू बजता रहता है । कांग्रेस बीजेपी के मुद्दे सड़ गए हैं । हर मुद्दे में दोनों फँसे हैं । नींद आती नहीं । जागने का मन नहीं करता । सुबह होती है तो रात की थकान जैसी लगती है । सारे सवाल ख़रबूज़ की तरह चाक़ू पर गिर रहे हैं और चाक़ू ही कट रही है । ख़रबूज़ सलामत है । कुछ भी नहीं होता । हर सूचना न जाने कहाँ समायोजित हो जाती है । मुद्दों के नाम पर ख़ून की प्यास बुझा रहे हैं सब । गरिया देना सबसे आब्जेक्टिव है । इसने ये किया और उसने वो किया । रेल का सफ़र है शायद बाक़ी हिन्दुस्तान दिल्ली की तरह नहीं दिखेगा । वैसे मार्च में ही इस रूट से गुज़रा हूँ ।
हम एक रात के प्रोफ़ेसर हैं । क्लास ख़त्म प्रोफ़ेसरी हज़म । मुद्दे में मुंडी घुसा़ये घुसा़ये धँसने लगे हैं । आज ये कल वो । कहाँ से लाएँ सब पर एक समान विशेषज्ञता । कई बार तो याद भी नहीं रहता कि कल क्या किया था । गूगल देवता न होते तो मेरा क्या होता । धरती गोल नहीं गूगल है । हम सब बकलोल बाक़ी भूगोल । सर्च करते रहिए । सर्च करना ही कर्म है । गूगल का । लोग रास्ते पर भी गूगल लेकर चल रहे हैं । मोहल्ला का मोहल्ला मिल जाता है इसमें । दादी नानी का घर भी । मुग़ल नहीं गूगल गार्डन होना चाहिए । भूगोल का नाम गूगोल करने जा रहा हूँ ।
ish raajneti ne desh se jaayda inshaano ka beda gark kar ke rakhha hai. kabhi feku toh kabhi pappu. bas yahi chal rha hai. pak gaye hai in sab se..
ReplyDeletesir ji , jo aap bolte hai, jo aap karte hai
ReplyDeleteusse hamare dil pe ek ameet chaap si pad jati h
aap ka show ravish ki report kabhi miss nahi ki
i m a great fan of yours
agar aap bjp n congres se pareshan ho gae to aapko debates mei netao par kataksh karte kaise dekh paenge
u r a real lyf hero
salute h sir aapko
raveshji aap jis raste par chal rahe hain man ke becheniyan to bane he rahege.aaj ke vatavaran main bahut himmat ka kaam kar rahe hain aap.keep it up.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteजिदंगी और मौंत से जुझ रही बिहार के इस प्रतिभावान बेटी,अंशु माला झा को आपकी मदद की दरकार है http://biharobserver.com/?p=14159
ReplyDelete---yah blog google ko bhena mat bhooliyega---main bata dun yah kaafi thode words likhe hai aap ne lekin poore ka poora yug badlaav ko sakshaat kiya hai--i think yah aap ke best blogs/observations main se ek hai+hoga :)kya?:)laga so kaha:)
ReplyDelete(vaise aap ki kheej pe hansi bhi aai+abhi bhi aa rahi hai) :)
Happy Jorney sir and Kabhi use raste se bhi gujaarana jis raste se December 2012 me gujare the ! :)
ReplyDelete