राजधानी की खिड़की से

राजधानी भागी जा रही है । हरे भरे खेत के बीच लाल लाल ईंट की बनी दीवारें और मकान दिख रहे हैं । हर यात्रा में ऐसे मकानों की संख्या बढ़ी हुई लगती है । मकान पर मकान बन रहे है । कच्चे मकान तो जैसे ग़ायब ही हो गए हैं । मकानों की हालत देख कर लगता है कि हर मकान के बनने में कई साल लगे है । बहुत कम मकानों की दीवारों पर पलस्तर है । शहर कमाने गए और स्थानीय स्तर पर कमाए गए पैसों को जोड़ कर ये अधूरे मकान बने हैं । अर्धशहरीकरण कह सकते हैं आप । मुकम्मल मकान नहीं है मगर छत पक्की है । टीवी इस भारत को नहीं दिखाता है । कहीं कुछ तो हैं इन सुर्ख मकानों में कि इनसे गहरी उदासी झलकती है । 

ख़ाली खेतों में लड़के देसी क्रिकेट खेल रहे हैं । उनकी पतलून अब धीरे धीरे रेडिमेड हो रही है । महानगर से बाहर शाम बची हुई है । बाग़ीचों तक में क्रिकेट की टीमें जुटी हुई हैं । खेती और क्रिकेट ये दो ग्रामीण पेशा हैं । नई बात कुछ नहीं कह रहा । बड़ी संख्या में खेत ईंट भट्टों में बदल दिये गए हैं । प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की सड़कें खुरदरी भुरभुरी होकर बची हुई हैं । जिन पर लोग चल ही रहे हैं । गाँव के गाँव उजाड़ लग रहे हैं । शाम होते ही उदारीकरण की औकात दिख जाती है । जब बिजली कहीं भागी हुई नज़र आती है । 

हावड़ा राजधानी अपने आप को स्मार्ट समझती है । रफ़्तार और समृद्धि की प्रतीक राजधानी धीरे धीरे चमक खो रही है । सुविधायें वहीं है । स्टाफ़ भी शालीन पर राजधानी को राजधानी हुए अब कई साल भी तो हो गए हैं । स्टाफ वही खाना सालों से खिला रहे हैं । घर का खाना जैसा लगता है । एक ही मेन्यू । राजधानी मार्डन से क्लासिक हो गई है । फिर भी इतने भ्रष्टाचार की ख़बरों के बीच रेल का अपना सिस्टम ठीक ठाक ही चलता है । सब काम करते हैं । 

4 comments:

  1. Mera anubhav Rajdhani ke saath acha nahi raha. Bangluru Rajdhani Hyderabad se Bangluru 500 km pahuchane main 12 ghante leti hai.Bilkul Maja nahi aaya.

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  2. हमें कोई कहीं पहुँचा दे, पर रेल सबको घर तक छोड़ आयेगी रवीशजी। यात्रा की शुभकामनायें।

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  3. राजधानी के सफर से उब गये हो सर तो भोपाल आइयेगा । आपको इंदौर और महू के बीच डीजल इंजिन से चलने वाली छुक छुक गाड़ी की सैर कराएंगे ।

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  4. Sir,plz take a look. .

    http://gauravwords.blogspot.in/

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