एक तय सा
लगने वाला
चुनाव इतना
सपाट भी
नहीं होता
जितना बताया
जाता है
। गुजरात
चुनाव की
ऐसी भविष्यवाणियों
के बाद
भी चुनावी
टक्कर कई
तरह के
उतार चढ़ाव
और आशंकाओं
से गुज़र
रही है
। जानकार
नतीजे का
एलान कर
स्टुडियो में
नरेंद्र मोदी
की दिल्ली
की पारी
पर चर्चा
करने में
खो गए
हैं लेकिन
नरेंद्र मोदी
टेस्ट खिलाड़ी
की तरह
एक एक
गेंद देख
कर खेल
रहे हैं
। उनकी
निगाह सिर्फ़
चुनाव पर
है और
पारी बचाने
वाले उस
बल्लेबाज़ की तरह जिसकी एक
चूक मैच
का पासा
पलट सकती
है ।
इसीलिए नरेंद्र मोदी
ने इस
चुनाव में
थ्री डी
टेक्नोलॉजी से ख़ुद को कई
गुना मोदी
में बदल
दिया है
। वे
लोगों से
कहते हैं
कि आपसे
से हर
कोई मोदी
है ।
उनके भाषणों
के तेवर
और रणनीतियों
को देखें
तो साफ
लगता है
कि वे
इस मैच
को जीता
हुआ समझ
कर नहीं
खेल रहे
हैं ।
हालांकि उन्होंने
कांग्रेस का
समूल नाश
का नारा
दिया है
और पोस्टरों
में गुजरात
के नक्शे
पर चारों
तरफ कमल
खिला हुआ
दिखाया जा
रहा है
लेकिन उनकी
पुरानी आक्रामकता
की जगह
बचाव की
मुद्रा वाली
बल्लेबाज़ी दिखाई देती है । शायद खिलाड़ी
परिपक्व होने
पर इसी
तरह खेलना
पसंद करता
है ।
वे दिन
में कई
सभायें करते
हैं ।
उनके भाषणों
से लगता
है कि
इतनी व्यस्तता
के बाद
भी वे
सोनिया गांधी,मनमोहन सिंह
और राहुल
गांधी को
काफ़ी ध्यान
से सुनते
हैं ।
जब ये
लोग अपना
भाषण समाप्त
कर दोपहर
तक दिल्ली
लौट जाते
हैं तब
मोदी उनकी
हर बात
को हास्य
में बदल
देते हैं
। जैसे
बिहार में
लालू यादव
खूब हंसाते
थे वैसे
बल्कि इस
कला में
मोदी लालू
से भी
दस क़दम
आगे हैं
। वे
विरोधी की
हर बात
को ऐसे
घुमा देते
हैं कि
काउंटर करने
का मौका
भी नहीं
मिलता और
लोगों को
हंसा कर
चल देते
हैं ।
उनके भाषणों
में राजनीतिक
रसरंजन के
तत्व बहुत
हैं ।
शायद कांग्रेस भी
नरेंद्र मोदी
के इस
हुनर को
देखकर रणनीतियां
बना रही
है ।
वो मोदी
को कम
से कम
मौका देना
चाहती है
। जानकार
कहने लगे
थे कि
राहुल गांधी
हार के
भय से
गुजरात नहीं
आ रहे
हैं ।
उत्तर प्रदेश
में दो
सौ से
ज्यादा रैलियां
करने वाले
राहुल गांधी
गुजरात में
एक भी
रैली नहीं
कर रहे
। लेकिन
अब लगता
है कि
कांग्रेस राहुल
गांधी को
आखिरी दौर
में उतार
कर आज़माना
चाहती थी
। ताकि
मोदी को
राहुल को
घेरने के
लिए कम
से कम
मौका मिला
लेकिन ऐसा
हुआ नहीं
। राहुल
ने कहा
कि हमारी
सरकारें टेलिकाम
क्रांति लाएंगी
तो मोदी
ने पलटवार
करते हुए
लोगों से
पूछ दिया
कि आपको
मोबाइल चाहिए
या नौकरी
तो जवाब
में तालियां
बजने लगती
है ।
कांग्रेस के
बड़े नेता
हास्य में
कमज़ोर हैं
। वे
अपना भाषण
गंभीरता से
देते है
और मोदी
उनके भाषणों
को कहीं
ज़्यादा गंभीरता
से लेते
भी हैं
। उनके
किसी भी
भाषण लीजिए
सोनिया मनमोहन
और राहुल
का ख़ूब
ज़िक्र होता
है ।
इससे उनका आत्मविश्वास
तो झलकता
है पर
इरफान पठान
को मंच
पर लाकर
वो अपनी
कमज़ोरी ही
ज़ाहिर कर
रहे हैं
। सद्भावना
यात्रा के
दौरान टोपी
पहनने से
मना करने
वाले मोदी
ने खुद
ही अहमद
मियाँ पटेल
का राग
छेड़ा ।
वो बार
बार कांग्रेस
को अपनी
मांद में
बुला रहे
हैं ।
कांग्रेस ने
दब तूल
नहीं दिया
तो मुंबई
की शाहिन
का किस्सा
उछाला कि
महाराष्ट्र में फेसबुक पर लिखने
के कारण
शाहिन को
जेल भेेजा
और अब
शाहिन गुजरात
में सुरक्षित
महसूस करती
है ।
मोदी ने
आसानी ने
शाहिन के
गिरफ्तार होने
की पृष्ठभूमि
को किनारे
कर दिया
कि बाल
ठाकरे की
अंतिम यात्रा
पर मुंबई
बंद को
लेकर शाहिन
ने सवाल
किया था
तो कैसे
शिव सैनिकों
ने शाहिन
उसकी दोस्त
को धमकाया
था ।
बाद में जब शाहिन ने गुजरात में बसने से इंकार किया तो मोदी ने शाहिन के मुद्दे को छोड़ने में ज़रा भी देरी नहीं की। मोदी बार
बार कह
रहे हैं
कि गुजरात
में अल्पसंख्यक
और बहुसंख्यक
की राजनीति
ख़त्म हो
गई है
लेकिन क्या
इरफान पठान
को मंच
पर लाना
सिर्फ़ एक
क्रिकेटर के
साथ साझा
करना ही
समझा जाएगा
। मोदी
तरह तरह
से चुनौती
दे रहे
हैं ।
मगर इस
चुनौती के
केंद्र में
विकास ही
है ।
इस बहाने यह
हो रहा
है कि
दोनों पक्षों
के नेता
एक दूसरे
को विकास
की अवधारणाओं
को जमकर
चुनौती दे
रहे हैं
। यह
बहुत अच्छा
है ।
गुजरात का
चुनाव थोड़े
अपवादों को
छोड़ दें
तो मूल
रूप से
विकास के
मुद्दे पर
हो रहा
है ।
भाषणों में
आंकड़ों की
भरमार है
। इसी
बहाने जनता
भी ऐसे
मुद्दें के
प्रति संवेदनशील
हो रही
है ।
हमारे देश
में विकास
की राजनीति
की शुरूआत
मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की
सरकार जाने
से हुई
थी जब
बिजली सड़क
पानी के
सवाल पर
राजनीति ने
दिशा बदली
थी और
तब से
इन्हीं तीन
सवालों पर
कई सरकारें
चली गईं
और कई
जीत कर
दोबारा तिबारा
लौटती भी
रही हैं
। इस
राजनीति के
करीब दो
दशक होने
को आ
रहे हैं,
देखना चाहिए
कि गुजरात
का चुनाव
बिजली सड़क
पानी के
सवालों से
आगे विकास
के उन
मुद्दों पर
क्या जनादेश
हासिल करता
है जिनका
संबंध विकास
की अवधारणा
से है
। यह
तभी होगा
जब गुजरात
के बाद
के चुनाव
भी विकास
का मतलब
सिर्फ़ बिजली
सड़क पानी
तक सीमित
न रह
जाए ।
नौकरी, पर्यावरण,
भूमि अधिग्रहण
के सवालों
पर बात
होने लगी
है ।
भाषण चुनावी राजनीति
की ऊपरी
सतह है
। इससे
अंदाजा मिलता
है कि
नीचे की
सतह पर
सियासत किस
तरह से
करवट ले
रही है
। गुजरात
में कांग्रेस
कमज़ोर बताई
जा रही
है लेकिन
नरेंद्र मोदी
उसी कमज़ोर
बताई जाने
वाली कांग्रेस
से काफ़ी
शिद्दत से
लड़ रहे
हैं ताकि
जीत का
स्वाद भी
ऐसे हो
कि लगे
न कि
बांग्लादेश की टीम को हराकर
लौट रहे
हों ।
कांग्रेस भी
इस चुनाव
को हारी
हुई लड़ाई
समझ कर
नहीं लड़
रही है
। सही
है कि
कांग्रेस बिना
चेहरे की
टीम से
लड़ रही
है, कई
बार ऐसे
अभ्यासों से
ही कोई
चेहरा निकल
आता है
। 2002 और
2007 में कांग्रेस
ने औपचारिकता
ही निभाई
थी ।
इस बार
फ़र्क यह
है कि
पचास ओवर
तक टिका
रहा जाए
ताकि कम
से कम
इतना तो
लगे कि
मुकाबला हुआ
। इस
बार कांग्रेस
लड़ रही
है तभी
मोदी कांग्रेस
से लड़
रहे हैं
।
इसलिए जानकारों के
फैलाये इस
भ्रम में
न रहें
कि गुजरात
में चुनाव
नहीं हो
रहा है
। बल्कि
इसी बार
गुजरात में
चुनाव हो
रहा है
। बीजेपी
और कांग्रेस
दोनों की
तैयारियों से ऐसा नहीं लगता
है कि
जीत का
एलान हो
चुका है
। गुजरात
एक दिलचस्प
चुनावी दौर
से गुज़र
रहा है
। गुजरात
के चुनावों
में रुचि
बना़ये रखिये
। नतीजा
आने से
पहले मैच
का मज़ा
तो लीजिए
।
रवीश जी ,
ReplyDeleteआपकी पत्रकारिता का प्रशंसक हूँ . जिन मुद्दों को आप उठाते है और जिस तरह से उठाते हैं वह बिलकुल ही अलग और सटीक है।
आपके ब्लॉग का अनुवादक सही रूप से काम नहीं कर रहा है। सोचा आपके ध्यान में ला दूं .
ऋतु राज
सम्हलकर खेल रहे हैं नरेंद्र मोदी
ReplyDeleteजहाँ मोदी प्रधान्मंत्त्री के पद योग्य बताए जा रहे हैं वहीं राहुल गांधी भी...
ReplyDeleteक्यों नहीं राहूल आमने सामने आ कर मोदी से दो दो हाथ करते ?
सबकी अपनी राय है, सबके अपने तर्क |
ReplyDeleteकौन पास कौन फेल है, किसमे कितना फर्क ||
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (19-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |
सूचनार्थ |
Mahina-12
ReplyDeleteCriket players-11
Finger-10
Grah-9
Khuna-8
Ajaaibi-7
Indriy-6
Mahasagar-5
Disha-4
Rutu-3
Ankh-2
Pan
NARENDRA MODI to 1 J che
Kaho dil se MODI firse.
बढ़िया विश्लेषण और एक बढ़िया आलेख। मेरे ब्लॉग पर आपका कमेंट मिल सके तो.........
ReplyDeleteIn true sense if word 'Dabang' can be used in present scenario, it would be for Narendra Modi. He might not be the 'all good guy' but then he knows what should be his reaction for a particular situation..a man with experience. Though it will be near impossible for him to get to the PM's post. But a man worth all.
ReplyDeleteहाँ, जब क्रिकेट मैच नीरस हो गये हैं तो इन्हीं का भरोसा है आनन्द उठाने के लिये।
ReplyDeleteमोदी चाहे बचाव की रणनीति लगा रहे हों कांग्रेसी खेमें के हाल
ReplyDeleteजिसके खयाल से थर्राती है रूह मेरी,
वही दे रहा है तस्तक मेरे किवाड पे .
वाली है ।
मोदी का समय है विधान सभा में कोई मुकाबला नहीं, लोकसभा में नीतिश टाईप लोग रुकावट है।
ReplyDeletesir please feedburner ka geadget install kar lijiye....
ReplyDeleteaapko subscribe karne mein aasani hogi....
ara bhai hamara cable wala na ndtv nikal dia ha is lia apka program nahe sun pa raha ha
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