पहली तस्वीर में पं अमरपाल शर्मा ब्राह्मणों के नेता बन गए हैं। मैं जहां रहता हूं उस मोहल्ले में और ठीक इसी जगह पर जहां उनकी परशुराम सम्मेलन वाली होर्डिंग लगी है, कई नीली होर्डिंग देखे हैं। तब बसपा का राज था। अमरपाल शर्मा को बसपा ने टिकट भी दिया था। शर्मा सर्वजन सरकार का नारा मायावती की तस्वीरों के साथ होर्डिंग में लगाते दिखते थे। सरकार जाने के बाद ब्राह्मणवाद का दामन पकड़ लिया है। जैसे जात एक गंजी भी है। वक्त आने पर कमीज़ उतार कर हम डालर,लक्स,ऑन,वीआईपी। दूसरी तस्वीर में परशुराम सेना में भर्ती का विज्ञापन है। आटो में लगा है। यह भी मेरे ही इलाके में दिखा था।
सौ मीटर के इलाके के भीतर इनकी तस्वीरें उतारी हैं मैंने।यह मार्केट फ्रैंडली जातिवाद है।
जाति अपने आप में ही सबसे बड़ा ब्राण्ड है हमारे यहां
ReplyDeleteप्रधान पद से लेकर प्रधानमंत्री तक, सब के सब जाति वादी वोटो के चक्कर में हारते-जीतते है, कही भी इमानदारी हो तो बता देना
ReplyDeleteकई लोग आपको पहले ही बता चुके हैं, न तो हम बता देते:)
ReplyDeleteRavish Ji,
ReplyDeleteYour enthusiasm is misplaced. The "Churan", "Hingoli" brand is owned by a Marwari. I am a Agrawal so I know about it.
some lesser known Marwari surnames:
Sultania, Chamaria, Barjoria, Goenka, Tola
चमडिया प्रकरण में आपके (और मेरे भी) उत्साह की वजह दलित वर्ग में चमडि़या के शुमार होने की वजह से था... संभव है कि ये चमडि़या गैर दलित हों किंतु ऐसा होने तो बात का दम और बढ़ता ही है... सवाल साफ कम दलित आत्मविश्वास इतना होगा कि वे भी अपने ब्रांड जातिनाम पर रखेंगे (या कोई नहंी रखेगा) उससे भी ज्यादा मैं यह जानने में इच्छुक हूँ कि कब वो सुबह आएगी जब किसी खानपान की चीज के नाम के साथ बिना धंधे में नुकसान की आशंका के ये घोषणा हो सकेगी कि ये दलित ने बनाई है।
ReplyDelete'Jotin baar gaayatri snaan kare,havishyaan le,daya-karuna-tap kare,mitbhaashi-santoshi ho,ishtdev puje,vedadhyayan kare,ved ko jabaani yaad kare,ved sikhayen,nirgun avastha se bina aakanksha ke duniya main rahe---yahan kahe uttarottar adhik guni brahman ke gun brahmavastha dete hai-aisa naaradya smriti aur skand puran aur rigved sanhita main kaha gaya hai-kahin bhi jyotish jaane usko ya aayurved jaane sirf usko brahman kaha gaya nahin hai.rahi baat vyopar ki-to brahman ko shiksh ka vyavsaay fir raksha fir vyopar aur fir kheti is tarah se vyavsaay karneka aadesh hai vedon main-matlab agar shiksha na de paaye to rajraksha fir nyun se nyun vyavsaay kahe gaye hai :) thode main jyada samjh lo :) sayane bano:)bhagwan saath chalte hai-bhagwan hamare vikalp main nahin chalte hai:)
ReplyDeleteजब धनुखी हलवाई का इनार था
ReplyDeleteकेवल टोले में और
सिर्फ और सिर्फ इनार था
पीने के पानी का इकलौता स्रोत
तो दादी उसी इनार से
पानी लाया करती थी
और धोबी घर की बाकी औरतें भी
और घरों की जनानियां भी
पानी भरती थीं वहां
पर धोबनियों से सुविधाजनक छूत
बरता करती थीं
ये गैर धोबी गैर दलित शूद्र स्त्रिायां
जबकि खुद भी अस्पृश्य जात थीं ये
सवर्णों के चैखटे में
अलबत्ता उनके बदन पर
जो धवल साड़ी लिपटी होती थीं
उनमें धोबीघर से धुलकर भी
रत्तीभर छूत नहीं चिपकती थी
पर इन गैर सवर्ण स्पृश्यों की
एक छोटे से मंदिर के अहाते में
रोज आती थी एक भिखारन
भक्तों के दान पुण्य की रहम पर
पलता था उसका पेट
एक कुत्ता भी हर रोज बिन नागा किए
आता था वहां एक खास समय
आरती की घंटी बजते ही
पुजारी को कोई दैव शक्ति
दिखी गई उस महादेववाहन वंशज में
और कुछ भक्तों को भी
मंदिर में होने लगी
अब उस कुत्ते की पूजा
उस कुक्कुर की जिन्दगी दैव योग से
हो गयी सामान्य व्यक्ति से अधिक सम्मानित
और उस भिखारन का अस्मिताविहीन जीवन
रहा वैसे ही दैव और भगत भरोसे
जैसे हो कोई अदना कुत्ते की जिन्दगी ।
sir...a grand salute to u frm me for ur blogs, ur twitter updates, prme time nd every thng dat u share publicly to us, really a class imagination u have, i m following u recently 10 mnths nd i also want to be a tv anchor like u... Thnx
ReplyDeletesir...a grand salute to u frm me for ur blogs, ur twitter updates, prme time nd every thng dat u share publicly to us, really a class imagination u have, i m following u recently 10 mnths nd i also want to be a tv anchor like u... Thnx
ReplyDeleteजाति उभर उभर कर आ रही है और पठार बन चुकी, और बीच में वह रही है द्वेष की नदी..
ReplyDeleteरवीश जी,गफ़लत में ही सही आपने चमड़िया हींग गोली का विज्ञापन बड़े सलीके से दे दिया...सच में स्वाद भी और समाधान भी।
ReplyDeleteएक बात और एनडीटीवी पर कुछ देखना है तो प्राइमटाइम और प्राइमटाइम तभी जब रवीश हों।...
hi sir,
ReplyDeletei'm following u on twitter,facebook,ur blogs and also at prime time.i love the way you convey the thoughts and how delicately you conclude the debate,it's simply amazing.i'm your very big fan.keep going, you are a source of inspiration for me....
2000 saal beet gaye hain, lekin ye manuvadi mansikta khatam hoti nahi dikh rahi hai. Facebook pe to khoob phalphool rahi hai iski tagging.bematlab k photos.
ReplyDeleteManuvadiyon ka dangerous ishq.desh aur janta bhale barbad ho jaye.
ReplyDeleteMaine jeevan me lord ram ko kafi follow kiya lekin abhi pata chala ki wo manu ke vanshaj the , ab kya kiya jaye.