सिनेमन
1) हीरो फिल्म सुपरहिट हो गई थी। शहर के सारे लपाड़े लौंडों ने पुलिस अफसरों की बेटियों को अपना गर्लफ्रैंड समझना शुरू कर दिया था। किसी भी दर्ज़ी के पास जाइये वो पीले रंग की कमीज़ सीलने लगा था। ब्लैक पतलून और एल्लो शर्ट। सुभाष घई सत्यजीत रे जैसे लगने लगे थे। मूर्खता की उम्र में मस्ती का अपना चार्म था। मीनाषी शेषाद्री भूले नहीं भूलती थी। दीवानों में न कोई अमीर होता है न ग़रीब होता है...किसी किसी को ये प्यार नसीब होता है...मोहल्ले के लौंडे लोफर को किसी ने पहली बार दिल से जानू पुकारा था। जैकी का अपना अतीत मिथक में बदल गया था. वो शायद मुंबई का लफुआ था जो हीरो बना था। उसे भी नहीं मालूम कि हिन्दुस्तान भर के लफुआ आशावाद के शिकार हो गए थे। (सिनेमन सीरीज़- मन पर सिनेमा का असर-सिनेमन,समझी जानेमन)
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2)दोस्तों मेरी ये ज़िंदगी गीतों की अमानत है। मैं इसीलिए पैदा हुआ हूं। कई बार स्टेटस पर डिस्को डांसर की यह लाइन लिख चुका हूं। पता नहीं क्यों जब भी सुनता हूं कुछ हो जाता है। आप भी सोचते होंगे कि जानकीपुल पर संजीव के लेख पर पगला जाने के बीच मुझ पर डिस्को डांसर का दौरा कैसे चढ़ जाता है। पर प्राइम टाइम भी तो करना है। नौकरी जीवन का सत्य और समझौता हर नौकरी की शर्त। मुझे सचमुच अब बाबाओं के शो की एंकरिंग करने की तलब हो रही है। वो सब करने का मन कर रहा है जिसकी आलोचना करता रहा हूं। बस डिस्को डांसर का गाना एक बार और सुन लेने दीजिए। क्या करें मुझे रेणु को पढ़ने से ज्यादा सुख इसी में मिलता है। आप करते रहिए विवेचना। अरी ओ सुलोचना.....लोग कहते हैं मैं तब भी गाता था...जब बोल पाता नहीं था....
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3)कौन सी फिल्म हिट हुई या गाना हिट हुआ ये हम बाक्स आफिस से नहीं जानते थे। छठ और दशहरा सरस्वती पूजा में जो गीत सबसे ज्यादा बजा वही हिट। यही हमारा पिपुल्स मीटर होता था। कामचोर फिल्म का वो गाना..तुमसे बढ़कर दुनिया में न देखा कोई और...ज़ुबा पर आज दिल की....उस उम्र में जब किसी को किसी से बढ़कर नहीं देखा था तब भी ये गाना खूबसूरत लगता था...। पूजा के पंडालों के बैनरों पर नाम का छपना और क्लब बनाने का सपना अधूरा रह गया। रेडियो और टेप रिकार्डर पोपुलर होने लगा था फिर भी गाना दूर कहीं से आती आवाज़ से ही सुनना होता था। किसी और के मोहल्ले में, किसी और के पंडाल में लगे लाउडस्पीकर को भी नहीं मालूम था कि कोई इन गानों से अपनी यादें बना रहा है। लाउडस्पीकर बनाम लाउडस्पीकर हो जाता। गाने एक दूसरे से टकराने लगते। एक तरफ से आवाज़ आती..तुम्हें अपना साथी बनाने से पहले..मेरी जा मुझको बहुत सोचना है....तो दूसरी तरफ से आवाज़ आती...गोरी का साजन...साजन की गोरी...लो जी शुरू हो गई...लव स्टोरी..हे...घचाक...साइकिल खड्डे में। चक्का पंचर। चरनामृत पीकर बाल में पोछा और हाथ फैलाकर बुनिया और केला मांगा। कान वहीं टिका रहा। लाउडस्पीकरवा पर।
हम तो समझते थे कि एफ एम वाला गाना ही सबसे अधिक हिट है।
ReplyDeleteyeh blog padh kar maja aa gaya. Humara bharat ab india bana gaya hai. Aisi baatein manosmriti main hi basi hui hain jo waqt ke saath dhundhali hoti hui budhbak batein ho jayengi. Aapke blog ke madhyam se ye hum sab tak pahuchi aur isase milti julti si yadon ko jhanjhor diya. Ab mujhe bhi wo gana yaad aa gaya jo morning prayers ke samay 15 agast ko loudspeaker par baja karta tha.....choro kal ki batein kal ki baat purani....naye daur main likhenge milke nayi kahani..........nahi pata tha ki humari wo kahani ye blog hogi.
ReplyDeletetrue picture...
ReplyDeletefelt as if i were in late 80's...truly, got nostalgic...
ReplyDeleteजवानी के दिनों को याद करके मनवा फिर से जवान हो जाता है।
ReplyDeleteयुवावस्था के दिनों को याद कर मन जवान हो जाता है।
ReplyDeleteऔर हर शादी में एक देशभक्ति गीत तो बनता है ... ये देश है वीर जवानों का... और एक बाराती में तो बकायदा on demand गुलाम अली को भी बजते सुना है...कौन कहता है कि हम musical नहीं हैं...
ReplyDeleteravish ji aapako dekh kar lagta nahi ki bhi Dance bhi karte honge
ReplyDeleteसीधा दिल से लिखा है ! ...एक बात तो है ब्लॉग की दुनिया को लोग यू ही भडास निकालने की जगह बतलाते है ,यहाँ दिल से भी अरमान निकलते है छन छन के !!
ReplyDeleteItna saral fir bhi roachak,shabd to chun chun ke likhe hai aapne.aur Baat rahi disco dance ki to radio pe aapka gana baja datien hai fir baba samjhe aur unke baby..CINEMAN toh hit hai,chaliye chanaamrit pee ke buniya maagne ka time hai.sir ji
ReplyDeleteअरे यह तो मेरी बात है शुक्रिया ! सिनेमन याद कराने के लिए पीपुल मीटर बिल्कुल परफेक्ट था कोई तोड़ नहीं था उसका........।
ReplyDeletewah! geetpremi ke dil mein bethi aarzoo shabdon ne bayan kardi...
ReplyDeletekya baat hai sir...
ReplyDeleteMaja aa gaya.......
Kya baat hai sir....
ReplyDeleteMaja aa gaya....
चरणामृत पीकर हाथ पोछा...वाह वाह वाआआह, लम्बी उम्र हो आपकी
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ReplyDeleteOLD STORY v/s INDIAN VERSION
ReplyDelete{little bit lengthy, bt u gonna njoy dt}
An Old Story:
The Ant wrks hard in d withering heat all summer building its house and laying up supplies for the winter.
The Grasshopper thinks the Ant is a fool and laughs & dances & plays the summer away.
Come winter, the Ant is warm and well fed. The Grasshopper has no food or shelter so he dies out in the cold.
Indian Version:
The Ant works hard in the withering heat all summer building its house and laying up supplies for the winter.
The Grasshopper thinks the Ant's a fool and laughs & dances & plays the summer away.
Come winter, the shivering Grasshopper calls a press conference and demands to know why the Ant should be allowed to be warm and well fed while others are cold and starving.
XYZ, BBC, CNN show up to provide pictures of the shivering Grasshopper next to a video of the Ant in his comfortable home with a table filled with food.
The World is stunned by the sharp contrast. How can this be that this poor Grasshopper is allowed to suffer so?
Arundhati Roy stages a demonstration in front of the Ant's house.
Medha Patkar goes on a fast along with other Grasshoppers demanding that Grasshoppers be relocated to warmer climates during winter .
Mayawati states this as `injustice' done on Minorities.
Amnesty International criticize the Indian Government for not upholding the fundamental rights of the Grasshopper.
The Internet is flooded with online petitions seeking support to the Grasshopper (many promising Heaven and Everlasting Peace for prompt support as against the wrath of God for non-compliance) .
Opposition MPs stage a walkout. Left parties call for 'Bengal Bandh' in West Bengal and Kerala demanding a Judicial Enquiry.
CPM in Kerala immediately passes a law preventing Ants from working hard in the heat so as to bring about equality of poverty among Ants and Grasshoppers.
Lalu Prasad allocates one free coach to Grasshoppers on all Indian Railway Trains, aptly named as the 'Grasshopper Rath'.
Finally, the Judicial Committee drafts the ' Prevention of Terrorism Against Grasshoppers Act' [POTAGA], with effect from the beginning of the winter.
Arjun Singh makes 'Special Reservation ' for Grasshoppers in Educational Institutions & in Government Services.
The Ant is fined for failing to comply with POTAGA and having nothing left to pay his retroactive taxes,it's home is confiscated by the Government and handed over to the Grasshopper in a ceremony covered by XYZ TV.
Arundhati Roy calls it ' A Triumph of Justice'.
Lalu calls it 'Socialistic Justice '.
CPM calls it the ' Revolutionary Resurgence of the Downtrodden '
Govt invites the Grasshopper to address the UN General Assembly.
Many years later...
The Ant has since migrated to the US set up a multi-billion dollar company in Silicon Valley,
100s of Grasshoppers still die of starvation despite reservation somewhere in India,
..AND
As a result of loosing lot of hard working Ants and feeding the grasshoppers,
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India is still a developing country !!!
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Saksham
हालाकि मैं टोपी नहीं पहनता फिर भी आपके इस लेख के लिए Hats off!!!
ReplyDelete"नौकरी जीवन का सत्य और समझौता हर नौकरी की शर्त।"
गजबै लिखे हैं सर. ये अच्छी सीरीज होगी सिनेमा को जीने वाले देश में.
ReplyDeleteHERO,disco dancer and not other than TAM:) three innocent memories you've shared with us readers that is 'your mann' :) mann khol kar,mera matlab-dil khol kar yaaden baanti hai aapne,shukriya:) inpar tippani karke unka maza nahi bigadna,simply i enjoy reading them:)thanks again.
ReplyDeleteHERO,disco dancer and not other than TAM:) three innocent memories you've shared with us readers that is 'your mann' :) mann khol kar,mera matlab-dil khol kar yaaden baanti hai aapne,shukriya:) inpar tippani karke unka maza nahi bigadna,simply i enjoy reading them:)thanks again.
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ReplyDeletebhaiya yahan abhi bhi saraswati puja aur durga puja me baje gane se hi countdown hota hai.
ReplyDeleteumda sir ..
ReplyDeleteBahut badhiya Pandey Ji..bilkul Ghazipur(U.P.) yaad aa gaya.. laudspeekarawaa... too good.. hats of to you Sir .
ReplyDelete...गोरी का साजन...साजन की गोरी...लो जी शुरू हो गई...लव स्टोरी..हे...घचाक...साइकिल खड्डे में। चक्का पंचर। चरनामृत पीकर बाल में पोछा और हाथ फैलाकर बुनिया और केला मांगा। कान वहीं टिका रहा। लाउडस्पीकरवा पर।
ReplyDelete... क्या बात है रवीश जी...फीचर...जिसे संस्कृत साहित्य में रूपक भी कहते हैं... उपमेय पर उपमान का आरोप। आपने इस लेखन में विषय को संजीव कर दिया है।
कितने पुरबियों का दिल भी पंचर हो गया होगा,जिनमें पश्चिमी हवा भरी होगी।
Jabardast sir, aisa laga hum logon ki kahani aapne likh di....
ReplyDeletejabardast sir. Aisa laga, mano, hum logon ki kahani likh di ho.... gr8 sir...
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