खोड़ा से फोन आया था। वहां की रिपोर्टिंग के बाद से नहीं गया हूं। रवीश की रिपोर्ट भी बंद हो गई। मगर वहां से फोन आते रहते हैं। एक दिन किसी चाट की दुकान पर पापड़ी चाट खा रहा था। खाने के बाद जब पैसे दिये तो दुकानदार ने इंकार कर दिया। मैं गिड़गिड़ाने लगा कि लोग क्या सोचेंगे कि पत्रकार तीस रुपये की चीज़ भी फ्री में खाने लगे हैं। मंत्रियों की जूतियां उठाने के अलावा। मगर वो नहीं माना। कहने लगा कि मैं खोड़ा में रहता हूं। ये मेरी तरफ से इनाम है। साथ में घर के लिए भी पैक कर दिया हैं,लेते जाइयेगा। बार बार कहने पर भी कि तारीफ कर दी बहुत है। अब धंधे से समझौता मत करो। उसका यही जवाब था कि हमारी बात करने वाले कम हैं। यह हमारा तरीका है खुद को खुश करने का। इसी तरह ऑटो से स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला पहचान गया। नई दिल्ली पहुंच कर किराया लेने से इंकार कर दिया। बहुत मुश्किल हुई। समझाते रहा कि पैसे ले लो। बोला नहीं लेंगे। बल्कि आप कहिये तो आज पूरी दिल्ली फ्री में घुमायेंगे। आपने हमारी बात उठाई है। हम खोड़ा में नरक की ज़िंदगी जी रहे थे। मैंने कहा कि बात ही उठाई है,सरकार ने जो पैसे दिये हैं उससे भी कुछ नहीं होगा। ऑटो वाला नहीं माना। कहा जितना कर सकते थे आपने किया। हम आपसे किराया नहीं लेंगे। बस मोबाइल में एक फोटो हो जाए। दूसरे आटो वाले को बुलाया और उसने दोनों की तस्वीर क्लिक कर दी। आज फिर खोड़ा से फोन आया। पता दीजिए। मैंने पूछा क्यों? जवाब मिला कि हमने आपके लिए पांच फुट का पोस्टर बनवाया है। साईं का अलग से और कृष्ण का अलग से। हंसने लगा कि भाई धार्मिक प्राणी नहीं हैं। कहने लगा कि अरे ड्राइंग रूप में सजा दीजिए। मना करने पर वो मायूस हो गए। फिर फोन आया कि भाई साहब गांव ले जाकर पोस्टर लगा दीजिएगा। मुझसे इतना प्यार संभलता नहीं है।
हम सब रिपोर्टर को लगता है कि क्यों काम कर रहे हैं? दफ्तर में तो एंकर ही प्रमोट होता है। रागदरबार,शिखर और बाबा घोटूं ,घटिया और अनुप्रासिक हिन्दी लिखने वाला आउटपुट वाला ही मालिक बन जाता है। कभी कभी इस बेइंतहा मोहब्बत को देखकर कहने का मन करता है कि रिपोर्टर ठीक से काम करे तो उसे जो प्यार मिलेगा पब्लिक से,उसके लिए आउटपुट वाला और टिव और इंग पदनामानों वाला एडिटर तरस जाएगा। एक रिपोर्टर को यही ढाढस बंधाने की ज़रूरत है। बशर्ते उसे दफ्तर मौका दे। संपादक मौका दे। बिना मौका रिपोर्टर क्या कर सकता है? लेकिन वो अपनी तरफ से इतनी तैयारी तो रखे कि जब भी मौका मिले एक अच्छी कहानी की गुज़ाइश बना दे। खोड़ा के बाद एक मॉल में शर्ट खरीद रहा था। दुकानदार ने कहा कि बीस मिनट ठहर जाइये। देखा कि उसकी बेटी और बीबी भागे भागे आ रहे हैं। दोनों ने मेरे साथ तस्वीर खिंचाई। आप ही हैं जी जिसने खोड़ा पर रिपोर्ट बनाई थी। सही चीज़ थी सर। आपको डर नहीं लगता। मां बेटी इसी तरह की बातें करने लगीं। जब शर्ट लेकर काउंटर पर गया और डेबिट कार्ट दिया तो पर्ची पर पांच सौ रुपये लिखे थे। मैंने कहा कि ये तो कम है। दुकानदार ने कहा कि हमें मालूम है कि आप मुफ्तखोर पत्रकार नहीं हो इसीलिए पांच सौ रुपये लिये हैं। पर शर्ट तो मैंने दो हज़ार की खरीदी है। दो कमीज़ पांच सौ में पटरी पर भी नहीं मिलेगी। उसने पैसे नहीं लिये। कहा कि ये हमारा प्यार है। अगली बार से पूरे पैसे दीजिएगा मगर इस बार ये इनाम हमारी तरफ से। दिल्ली के अतिकुलीन खान मार्केट में ही ऐसा वाकया हुआ। पांच हज़ार की चीज़ ढाई हज़ार में दे दी। कहता रहा कि आप रिपोर्टर की आदत खराब करते हैं। उसने कहा कि मेरी दुकान पर आपकी कंपनी के बड़े बड़े लोग भी आते हैं। दो रुपये कम नहीं करता। आपने खोड़ा के लिए जो किया है उसके लिए इनाम समझिये इसे। उस करोड़पति दुकानदार ने मुझे अपने हाथ से काफी पिलाई। पानी मंगाकर दिया। अगर अब भी ऐसे प्यार को नहीं पाना चाहते हैं तो नुकसान हमारा है। नुकसान हमारे धंधे का है।
खोड़ा के बाद ऐसे कई वाकये हुए। टाटा कंपनी में काम करने वाले एक साधारण से कर्मचारी ने मेरे पड़ोसी के हाथों पांच किलो सत्तू और दो किलो चना भिजवा दिया। यह कहकर कि ओरिजनल आदमी है तो ओरिजनल चीज़ खाए। उसका बॉस जब सत्तू और चना लेकर दरवाज़े पर खड़ा था तो काफी शर्मसार था। पत्नी भी घबरा गई। बोली नहीं ले जाइये। वो भड़क जाएगा। फिर फोन किया कि क्या करना है। मैंने कहा रख लो। सत्तू और चना भिजवाने वाला मुझे क्या खरीदेगा। अपने हिस्से में से ही निकाल कर दे रहा है। खोड़ा की रिपोर्टिंग के बाद लोगों ने तरह तरह से शुक्रिया अदा किया। कोई बीच रास्ते से कार मोड़ कर आ गया तो किसी ने बीच रास्ते में ही कार रोक दी। एक मॉल में एक महिला ने अपने खड़ूस पति का हाथ छुड़ा लिया और दौड़ कर चली आई। बुलाती रही कि तुम आ जाओ, आया ही नहीं. लेकिन वो आई और शुक्रिया अदा कर गई। स्टेशन पर एक वृद्ध सज्जन मुझे देखकर भावुक हो गए। कहा कि ज़िंदा आदमी लगते हो। पत्रकारिता का यही मतलब होता है।
रवीश की रिपोर्ट को बंद हुए अब साल होने को आ रहा है। मगर आज भी लोग ट्वीट पर आते ही पहला सवाल यही करते हैं कि कब शुरू करेंगे। मैंने कुछ सोच कर तो शुरू नहीं किया था और न ही मैंने बंद किया। उस रिपोर्ट को जनता और रेटिंग दोनों ने काफी पसंद किया था। ज्यादातर रिपोर्ट रेटिंग चार्ट में हिट ही रही। दफ्तर की ज़रूरतें व्यक्ति की भूमिका और ज़रूरतों को परिभाषित करती रहती हैं। लेकिन उसकी वजह से लोगों का जो प्यार मिला,मेरा दिल अब भी कहता है कि ज़मीन से लाई गई बेहतरीन रिपोर्ट के लिए अब भी जनता भूखी है। वो अपना सबकुछ लुटाने के लिए तैयार है। वो अब एंकर और रिपोर्टर के बीच के फर्क को भी समझती है। हम बदलाव में छोटा सा योगदान तो कर ही सकते हैं। लेकिन अब तो जिससे मिलिये इस धंधे में या तो सरकार का दुलरूवा न पाने का अफसोस करता है या फिर कहीं सेटिंग में लगा हुआ है। रिपोर्टर और एंकर भयंकर अहंकार से भरे पड़े हैं। इतने अहंकारी पुरुषों और स्त्रियों से मैं भी टकराते टकराते बदलने लगा हूं। पता है कि सही नहीं है। मैं बदलूंगा भी नहीं लेकिन उस वक्त जब ऐसी नकारात्मक ऊर्जा निकलती हुई पास आती है तो मेरे कपार से भी भन्ना कर निकल जाती है। भायं भायं करने वाले ये भौकालेंकर( एंकर का नया नाम) ज़रा अहंकारों की दुनिया से निकले। अपने दफ्तरों में थोड़ी सी जगह मांगे मिट्टी की रिपोर्ट लाने की। जो जहां है और जितना भी मौका मिल सकता है, उसका सदुपयोग करे तो यह फील्ड वाकई मज़ेदार है। ठीक है कि कोई मंत्री नहीं बुलाता चाय पर मगर फ्री में कोई चाट खिलाने वाला तो है न। बस हम सब एक अच्छा रिपोर्टर बने रहे। मुझे पूरा यकीन है इस तरह के संस्मरण तमाम रिपोर्टरों के होंगे जिन्होंने कभी न कभी अच्छी रिपोर्टिंग की होगी या कर रहे होंगे। वर्ना प्रमोट तो कुत्ता भी अपनी गली में हो जाता है। प्रमोशन जीवन नहीं है। सेटिंग कर रोस्टर प्रभारी बन जाना पत्रकारिता नहीं है। ऐसे लोगों से पेशेवर संबंध इन्हीं कामों के लिए ही रखना चाहिए। लोगों के बीच घूमिये, देखिये और दिखाइये।
रवीशजी, मैं मुंबई में रहता हूँ..आप विश्वास नहीं करेंगे की "रवीश की रिपोर्ट" देखने प्रति शुक्रवार मैं किस तरह लोकल ट्रेन में संघर्ष करता हुआ घर पहुँचता था..किसी तरह मैंने अपनी पत्नी से शुक्रवार ९.३० शाम का स्लोट अपने लिए रिजर्वे कराया था..हलाकि बाद में मेरी पत्नी भी "रवीश की रिपोर्ट" को पसंद करने लगी थी..खोड़ा की रिपोर्ट हमने साथ मैं ही देखी और वहां की स्तिथि पर सिर्फ दुःख व्यक्त किया था..दुःख हुआ था जब "रवीश की रिपोर्ट" बंद हुई पर ख़ुशी हुई जब आप Prime Time पर रोजाना आने लगे. आज के आपके ब्लॉग पर टिप्पड़ी करने को शब्द नहीं हैं..
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरवीशजी, आपका ट्विटर हेंडल अचानक बंद क्यो हो गाया? मिसिंग यू सर जी , क्रिपया वापस आयें ।
ReplyDeleteawesome.first time maine bhi ravish ki report dekhi to laga tha kitni sachai se dikha rehe hai laga ki reporter kitna acha bolte hai .aur uske baad hamesha apki report dekhi.sach mein agar aap acha kaam karte hai to ache log usko jaroor yaad rakhte hai.aur aap to hai hee best.jo aam logo ki awaz sab tak pauncha dete hai.
ReplyDeleteमस्त लिखा है ...हाँ लोग आपसे मुहब्बत करते हैं क्योंकी आप आम आदमी की भाषा बोलते हैं ..ये दिल्ली है मेरी जान ..डर लगता है ..कहीं 'खास' न बन् जाएँ !
ReplyDeleteबस अपना काम करते जाईये और उपरवाले / माता - पिता को प्रणाम कीजिए ..कुछ उनका आशीर्वाद ..कुछ आपका मेहनत और कुछ आपका नसीब :)
मिटटी जो पैदा कर सकती है वह कोई और नहीं. मैं भी अभी UP से घूम फिर के आया हूँ...जो प्यार मुझे मिलता है वहां..भले वहां पैसा-दौलत नहीं...लेकिन प्रेम जरूर है. आप ट्विट्टर पे आइये...माफ़ी किन्तु ये आपके आत्म्लोकन का समय नहीं है...सब कुछ ठीक है...आप को दुनिया की कोई ताकत नहीं बदल सकती...आप स्वयं के लिए भी निष्ठुर-निष्पाप हैं...हाँ आप साधू भी नहीं....हाँ..संग्रामी हैं!
ReplyDeleteUllekhniya kaarya hi prashansaniya hota hai...ab Technology kuchh kaam ki lagti hai jab kisi khaas(jo raashtriya istar ka hai) se dur baithe hi samvaad ka avsar milta hai, kripya hmara haq humse na chhiniye.twittr pr laut aaiye.
ReplyDeleteप्रमोशन जीवन नहीं है। सेटिंग कर रोस्टर प्रभारी बन जाना पत्रकारिता नहीं है। ऐसे लोगों से पेशेवर संबंध इन्हीं कामों के लिए ही रखना चाहिए। लोगों के बीच घूमिये, देखिये और दिखाइये..bilkul durust farmaya aapne.....apni mehanat se koi uplabdhi milti hai to lagta hai kuch kiya..aam logon ke beech jaakar hi to koi asli patrakarita kahi jaa sakti hai..
ReplyDeletebahut badiya laga aapla yah aalekh...
हर वक्त कई चीज़ें करने का मन करता है। शौक-ए-दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर। स्कूल की मिट चुकी तमाम स्मृतियों में से एक यही लाइन बची रह गई। बाकी आज तक नहीं समझ पाया कि दस बारह सालों तक स्कूल क्यों गया?
ReplyDelete.sach school ke dino padha kuch to jindagi ke kisi n kisi mod par samjh aa jaata hai lekin kuch taaumra samjh nahi aa paata hai..
.
लोगों के बीच घूमिये, देखिये और दिखाइये....सच कहा!!
ReplyDelete:परिवर्तन प्रकृति का नियम है"... किन्तु प्राचीन 'हिन्दू' कह गए कि जो समय के प्रभाव से नहीं बदलता वो ही सत्य है!
ReplyDeleteसत्यम शिवम् सुन्दरम, और सत्यमेव जयते! अर्थात हर व्यक्ति के जन्म से मृत्यु तक काल के साथ- साथ प्रत्येक निरंतर परिवर्तनशील शरीर के भीतर एक बच्चा रहता है - अजन्मा और अनंत - शक्ति रुपी परमात्मा का अंश आत्मा... जो जीवन-रुपी नाटक का वास्तविक निर्गुण दृष्टा है... और जो परमज्ञानी होने के कारण सद्चिदानंद 'कृष्ण-लीला' में उंच-नीच आदि, द्वैतवाद द्वारा जनित असत्य की अनुभूति से विचलित नहीं होता... जो अज्ञानता वश किन्तु बाहरी अस्थायी शरीर को 'योगमाया' के कारण होती है... (शरीर को अनादिकाल से आत्मा का वस्त्र, अर्थात अस्थायी आवरण कहा जाता आ रहा है)... ... ...
जल्द ही प्रारम्भ कीजिये...
ReplyDelete:-)
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteरेटिंग आई, लोगों ने पसंद भी किया, तो फिर दोबारा कंपनी को प्रोग्राम शुरू करने में क्या दिक्कत है..आप ने जो कहा वो सच है सर अगर लोग आम आदमी से जुड़ना चाहे तो वो खास लोगों से कहीं ज़्यादा प्यार देते हैं..इस बात को हमने भी महसूस किया है
ReplyDeleteरेटिंग आई, लोगों ने पसंद भी किया, तो फिर दोबारा कंपनी को प्रोग्राम शुरू करने में क्या दिक्कत है..आप ने जो कहा वो सच है सर अगर लोग आम आदमी से जुड़ना चाहे तो वो खास लोगों से कहीं ज़्यादा प्यार देते हैं..इस बात को हमने भी महसूस किया है
ReplyDeletesolaho aane sach, khare aur imandar ptrakar ki khari aur imandar batein... asha hai 'ravish ki report' firse shuru hogi...
ReplyDeleteRavish Ji, I live in UK..i dont like NDTV but had been to website every week just to watch "Ravish Ki Report". once you covered a report on Sardhana Church(My Home Town)i was so thrilled then show that report to all my friends who live here and i was completely in flash back as i spent my childhood on those streets. plz keep doing the right work and hope you will bring the ravish ki report again. Again Many thanks for coving sardhana church. God Bless You...
ReplyDeleteJC said...
ReplyDeleteपंडित लोग पहले ही कह गए, "पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ / पंडित भाया न कोई // ढाई आखर प्रेम का / पढ़े सो पंडित होई"!
February 5, 2012 6:37 AM
मस्त पोस्ट। कई हमपेशा लोगों को कड़बा लगने लायक। लेकिन पठनीय और विचारणीय।
ReplyDeleteरवीश भाई, जल्दी वापिस आइए अपने उसी प्रोग्राम में।
ReplyDeletesir aapne kya is liye twiiter off kia ek waqt aapne ye kha tha ki is reporte ko tab gussa aata hai jab log ise apna aadarsh manne lagte hai...pls sir come back,m waiting.
ReplyDeletesir miss u so much
ReplyDelete'Manasyeka vachasyek karmanyeka mahatmana...mann vachan karma se jo koi ek baat pe ek hota hai vah beshak mahan hai 'ved' ki najron main.dunaiya kahe na kahe.baaki jitna apne aap se juth utna duniya se,haina?koi bhi achhchhe aur sachche insan ko kisiki najron main girjaneki chinta nahi hoti.lekin aaj k bade log jo aapne kahana aage jo apne aap main media bante ja rahe hai-ve apni khudki najron se bhi gir chuke hote hai:)aapki apne aapse aur duniya se fight karneki jo naayab tarkib hai vah lajawab hai.bhagwan aapki prerna,abhivyakti aur sachai ko balwan karen.
ReplyDeleteWell written and true to your self. Well done. The Hum-Log episode on Muslims tonight was also very well moderated. Keep up the good work Ravish.
ReplyDeleteRavish sir pehle to aapse ek sawal apne twitter handle kyon band kar diya? apke bina twitter par bhi maja nhi hai.
ReplyDeletesir aapki reporting tathyatmak/bhavnatmak/rochak/manoranjak/anveshak/etc hai. hum to M.P. me rehte hain, hamare yahan to kabhi aap nhi aaye par aapki report dekhkar aisa lagta tha (main manta hun ki har darshak ko aisa hi lagta hoga) mano hamare aaspaas ki samsyaon ko bhi koi isi terah kisi report me prastut kare.
aapke blog se aisa laga ki aap thode nirash hain anchoring se par aap anchoring me bhi nayi unchaiyan chuenge aur chu rhe hain. aapki sabe badi khasiyat hai ki aap debates me kabhi kisi ki taraf jhuke hue nhi lagte aur apne vakyon se aur andaaj se debates ko interesting banaye rakhte hain,
hum to yahi chahenge aap reporting karen ya anchorin par darskon se jarur jude rahen. aap jaise patrakar ab dekhne ko nhi milte.
ant me agar koi bahut bada issue nhi to kripaya twitter par laut aayen. hame aapka intejaar rahega.
Ravish sir pehle to aapse ek sawal apne twitter handle kyon band kar diya? apke bina twitter par bhi maja nhi hai.
ReplyDeletesir aapki reporting tathyatmak/bhavnatmak/rochak/manoranjak/anveshak/etc hai. hum to M.P. me rehte hain, hamare yahan to kabhi aap nhi aaye par aapki report dekhkar aisa lagta tha (main manta hun ki har darshak ko aisa hi lagta hoga) mano hamare aaspaas ki samsyaon ko bhi koi isi terah kisi report me prastut kare.
aapke blog se aisa laga ki aap thode nirash hain anchoring se par aap anchoring me bhi nayi unchaiyan chuenge aur chu rhe hain. aapki sabe badi khasiyat hai ki aap debates me kabhi kisi ki taraf jhuke hue nhi lagte aur apne vakyon se aur andaaj se debates ko interesting banaye rakhte hain,
hum to yahi chahenge aap reporting karen ya anchorin par darskon se jarur jude rahen. aap jaise patrakar ab dekhne ko nhi milte.
ant me agar koi bahut bada issue nhi to kripaya twitter par laut aayen. hame aapka intejaar rahega.
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteravish ji,
ReplyDeleteaam admi ki bhasha/pahcha ko iss tarah achanak band mat kijiye aur ek bar phir se ravish ki report suru kijiye.
itazar kar raha hun.
लगा था कि फेसबुक और ट्विट्टर के साथ ही ब्लॉग से भी अवकाश पर हैं लेकिन नया पोस्ट देखकर काफी अच्छा लगा. तारीफ़ नहीं करता हूँ कि सुनकर बोर ना हो जाएँ आप, बस ऐसे ही लिखते और बोलते रहिये ताकि सच्चाई पर दुनिया का विश्वास बना रहे.
ReplyDeletetwitter is waiting for you
ReplyDeleteभाई जी चरण स्पर्श....कुछ ही दिन पहले मैं आपके घर गया था..पांच मिनट बैठने के बाद पता चला कि ब्रजेश भईया आए है...मुलाकात होती तो ये जरुर पूछता कि आपकी रिपोर्ट बंद क्यूं हो गयी...मीडिया में 6 साल से हूं...आपसे कम ये दुनिया देखी है...किसी जमाने में रामानंद सागर के रामायण को चाव से देखने की याद आपकी रिपोर्ट को देखने के बाद जागी थी...मगर रिपोर्ट बंद क्यूं हुई ये खुला सवाल है..जो मैं भी पूछ रहा हूं और और मैरे जैसे तमाम आपके और आपकी रिपोर्ट को पसंद करने वाले...वैसे आप स्वस्थ रहिएगा....प्रणाम
ReplyDeleteWaiting for new blog...with a brand ravish kumar writting pattern...well..have u ever calculate the ratio of aggri land vs population per capita?think about it.actualy i have a dream of vertical farm structers.i hardly read one or two articles in india.while its a populer scientific method in forign countries...wish some thing creative will come out from u.
ReplyDeleteWaiting for new blog...with a brand ravish kumar writting pattern...well..have u ever calculate the ratio of aggri land vs population per capita?think about it.actualy i have a dream of vertical farm structers.i hardly read one or two articles in india.while its a populer scientific method in forign countries...wish some thing creative will come out from u.
ReplyDeleteRavish Ji,
ReplyDeleteHats off! Great work. Agar gustakhi na lage to report ke video ka link daal raha hoon is comment mein.
http://www.youtube.com/watch?v=rpMxPdQz4j0
Thanks
Ajay
AAP YE MAT SOCHIYE SIR KI US ADMI NE 30 RUPYE CHODA HI USNE APKE LIYE 3% KI DIHADI APKO ANE DIL SE DIYA HI YEHI HAMARA BHARAT .JO EK ROTI ME SE BHI SACHE ADMI KE LIYE ADHI DE SAKTA HI BAS ADMI KI PEHCHAN HONI CHAHIYE.
ReplyDeleteAakhir Ravish ki Report dobara kab shuru hogi. Kamal khan andr Hridyesh joshi are the best reporter
ReplyDeletethis show that the power of media, one 25 min report can change the life of 10 lakhs people !
ReplyDeleteand thanks for reply that you will rejoin tweeter very soon...waiting for that moment
Ravishji Apki report ka main bhi prashanshak raha hoon. Acha hai, Prime time main mulaqat ho jatee hai.
ReplyDeletesir ye pyaaar to kuch bhi nahi h .................sir aaap twitter se Gayabh kaise ho gaye............we miss u sir
ReplyDeletesir ye pyaaar to kuch bhi nahi h .................sir aaap twitter se Gayabh kaise ho gaye............we miss u sir
ReplyDeleteravish bhai,sach batane ki kshmata sab me nahi hoti hai,padh kar maan khush huya, all t best...
ReplyDeleteravish bhai,sach batane ki kshmata sab me nahi hoti hai,padh kar maan khush huya, all t best...
ReplyDeleteravish sir u r realy great..... i realy love your work. Today u r most influencial reporter in india. one of my friend from London was asking about u and hez inspired by your work. I am also a journalist. only i have 3 month experience. but i m trying to catch your path.
ReplyDelete"ZAMEEN SE JUDA HUA BHARTIYA REPORTER"
Liked your report on “Ravish ki report” it was heart touching, very rare to see such reports on media these days, hope and pray you will continue producing similar reports, keep us informed.
ReplyDeleteवर्ष 2004-05 की बात होगी. वैशाली के सेक्टर 4 में अग्रवाल स्वीट्स के नजदीक आपसे मिला था. उस समय मैं जागरण.कॉम में काम करता था. आपकी रिपोर्टिंग काफी अच्छी लगती थी. आपकी रिपोर्ट सुनने के बाद एक दिन फोन किया था आपको तो आपका कहना था कि ऐसे रिपोर्टर को कौन पहचानता है, जो पोलिटिकल रिपोर्टर होते हैं उन्हीं को तरजीह दी जाती है. मैंने उस समय भी कहा था कि ऐसा नहीं, लोग आपकी रिपोर्ट को देखते हैं और काफी अच्छा लगता है. ऐसे बहुत कम लोग हैं जो इस प्रकार की रिपोर्टिंग करते हैं. काफी अच्छा लगा इतने दिनों बाद आपका अनुभव सुनकर. काफी दिनों बाद आज जब मैं आपका यह ब्लॉग पढ़ा तो पुराने दिनों की याद आ गई. पता नहीं आपको ध्यान होगा या नहीं...
ReplyDelete