देवताओं में शनि ही दबंग हैं
छह साल पहले जब मैं वैशाली के अपने अपार्टमेंट में रहने आया था तब यह पीपल का पेड़ सुनसान था। इसके पीछे चाय की दुकान हुआ करती थी। अब भी है। फिर कुछ दिनों बाद सब्जीवाले ने यहां कुछ टूटे-फूटे हिन्दू देवी-देवताओं की लघुप्रतिमाएं रख दीं। तब से वो कोशिश रह था कि इस पीपल के पेड़ को मंदिर की मान्यता मिल जाए और लोग पूजा आरती करने लगे। मकसद कुछ चढ़ावे का भी रहा होगा। लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिली। फिर उसने शंकर पार्वती और हनुमान की छोटी प्रतिमाओं के ऊपर घरौंदे जैसी छत बना दी। लघु-मंदिर की शक्ल देने की कोशिश की। तब भी लोग नहीं आए। कल मेरी नज़र पड़ी तो माज़रा बदला हुआ लगा। अंधेरे में दो तीन महिलाएं आरती कर रही थीं।
ध्यान दिया तो नीचे शनि देव नज़र आए। मेरे प्रिय अध्ययनरत देव। उनके लिए भी सीमेंट की कुटिया बन गई है। सरसों तेल बह रहा था। ऊपर आरती का बोर्ड लग गया है। आप अगर शनि की पूजा न जानते हों तो बोर्ड पर लिखी आरती पढ़ते जाइये और अंत में दान देना न भूलें। मैं शुरू से कहता रहा हूं कि पिछले पंद्रह सालों में शनि और साईं से लोकप्रिय देव कोई नहीं हुए। हनुमान और दुर्गा मंदिरों की सत्ता ख़तरे में हैं। जब तक शनि प्रतिष्ठापित नहीं किए जाते हैं मंदिर हो या पीपल का पेड़ को कोई नमस्कार के लिए भी नहीं रूकता। शनि असली सलमान खान है। पूरे दबंग। भीड़ जुटाने वाले अकेले देवता। मैं अपने घर के सामने शनि की इस विकास यात्रा पर नज़र रखूंगा। पूरा भरोसा है कि एक दिन यहां बड़ा मंदिर बन जाएगा। देखते हैं क्या होता है।
वाह रवीश जी, शनि देव कि तुलना सलमान खान से कर दिए, निश्चित ही इस पीपल के पेड़ के निचे कुछ दिनों बाद एक मंदिर होगा .......
ReplyDeleteआपका लिखने का और बोलने का अंदाज हमें बहुत पसंद है .... धन्यवाद
एक बार पढ़कर अपनी राय दे :-
(आप कभी सोचा है कि यंत्र क्या होता है ..... ?)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html
हाँ भैया,
ReplyDeleteयही तो विडंबना है हमारे समाज की.
धर्म और अध्यात्म जब तक व्यक्तिगत स्तर तक रहे तो बहुत फायदेमंद है. लेकिन जब व्यवसाय, राजनीति और सत्ता हथियाने का चारा बन जाए तो विनाश भी ला सकता है.
बहुत कम शब्दों में आपने एक बड़ी बात कह डाली है.
jo dabang hai..har taraf uska hi rang hai..sabit kar diya aapne..naye sallu miyaan bahut bhaye :)
ReplyDeleteसमय के साथ आस्था भी बदलती रही है, ३५-४० साल पहले संतोषी माता के भक्त बिस्फोटक अंदाज़ में बढे थे. फिर बूम कम हो गया , आजकल शनि देव , साईं बाबा , बालाजी (हनुमान जी के रूप) टॉप थ्री में जगह बनाये हैं.
ReplyDeletesab time-time kee baat hai sir jee... abhi to "SHEERDEE BALE SAI BABA" ka chal raha hai... dekhte aur koun-koun aata hai...
ReplyDeleteGood work...
Rbish Ji
ReplyDeleteaapke lekh ne vartmaan sandharv ko kaphi sundr sabdon main sampreshit kiya hai "shani or salmaan ki tulna nahi walki unki dwangta ka put kaphi kuch sampreshit kar gaya.
Badhai ho
प्राइवेट चैनलों की मार से इधर दूरदर्शन पिटता चला गया उधर रेटिंग में नंबर वन हनुमान और शिव। सोचता हूं मनमोहनॉमिक्स,उदारवादी रणनीतियों और शनि के बीच कोई आपसी रिश्ता बन सकता है या नहीं। शनि या फिर उदारवाद के परिप्रेक्ष्य में एक-दूसरे को समझा जा सकता है नहीं। इसके साथ ही निजी चैनलों के विकास और उस पर संत समागम की आती बाढ़ के हिसाब से देवताओं की बनती-बदलती रेटिंग को समझा जा सकता है कि नहीं।
ReplyDeleteदूसरा कि क्या शनि की बढ़ती डिमांग को देवताओं के बीच अस्मितामूलक विमर्श की थीअरि लागू करके समझा जा सकता है,जहां एक जमाने में हाशिए पर रहे देवता केन्द्र में आ रहे हैं और नंबर वन के देवताओं के लिए स्पेशन पैकेज की घोषणा करनी पड़ जाए। माथा भन्ना रहा है लेकिन फिलाहाल पीपल मांगे पनाह बोलकर एक डॉक्यूमेंटरी बनाने का मन कर रहा है।..
दबंग तो हनुमान जी हैं .....जो गोंव छोड़ कर हाई वे पर बिल्डिंग बनाकर दबंगई कर रहे है....शनि देव किधर से आ टपके....खैर जो भी हो इनकी भी चलती दिखने लगी है....
ReplyDelete... bahut khoob ... saarthak abhivyakti !!!
ReplyDeleteकिसी ने लिखा था कि दुष्ट ग्रहों की पूजा सभी करते हैं,अच्छे की कोई नहीं. अच्छे ग्रह क्या करें,कहाँ जाएँ!?
ReplyDeleteआपको नहीं लगता कि उत्तर-आधुनिक दौर में बने इस मीडिया-संसार ने दुष्ट ग्रहों को ज्यादा पापुलर किया है----- बाजार के दबाव में. केवल शनि की बात नहीं कर रहा मैं!!
बेहद डाउन टू अर्थ होने का सबूत है ये....सिर्फ इसलिए नहीं कि पीपल के नीचे पड़े हैं...इसलिए भी कि रिफाइंड के ज़माने में कड़ुवा तेल से काम चला रहे हैं....कुटीर उद्योग के हिमायती.....जय शनिदेव की....
ReplyDeletebhai humne bhi apne ghar me Lakshmi maiyya ke pados me Saibaba ko baitha rakha hai...aur Ram naam ka mantr japte hai...mandir banane par bhabhiji ki line me lagi hui photo jarur chhapiyega yaha par :)
ReplyDeleteइसी बहाने शनि देव को स्मरण करते रहिए आपका भी काम सिद्ध होता रहेगा...जय शनिदेव....
ReplyDeleteवाकई जी .टी रोड पे कभी शनिवार को गुजरते वक़्त शनि के मंदिर पे लगे क्यू को देख महाराज की दबंगता फील होती है
ReplyDeleteआगे कई देवता भी लाबिंग कर रहे होंगे फ़्रंट मे आने को
ReplyDeleteकास भारत सरकार की छवि भी भ्रष्टाचारियों और लूटेरों के लिए शनि साबित होती ...
ReplyDeleteरवीश जी पहली बार आपके ब्लाग पर आया हूं। यह सब ढोंग है धर्मके लुटेरों का। क्या पता शनी महराज भी मन ही मन उन लोंगों का अहित सोंच रहे हों जिन्होंने उनके नाम पर ये अपना गलत धन्धा चमका रखा हो।
ReplyDeleteउपेन्द्र : 14 सित. को हिन्दी दिवस । समारोह की एक झलकी:- http://srijanshikhar.blogspot.com
meri njr se aane wale dino me yha ek bda mndir bnega jha bhed chal chlne wale bahrtiay log phle hjaro fir lakho ka chdawa dena shuru krenge or dabang ki trh record tod paisa kmayga yh mndir
ReplyDeleteशनि असली सलमान खान है। पूरे दबंग। भीड़ जुटाने वाले अकेले देवता। मैं अपने घर के सामने शनि की इस विकास यात्रा पर नज़र रखूंगा।
ReplyDeleteताज्जुब होता है लोगों की सोंच पर !!
मतलब पीपल का पेड़ अतिकमण को दावत देता है ।
ReplyDeleteबहुत ही सही लिखा है रवीश जी. देवताओं के भी अपने अपने टाइम आते हैं. शनि इन दिनों चढ़ता सूरज हैं.
ReplyDeleteyou are great, ravish bhai, i am your fan from dehradun,
ReplyDeleteDesh Deepak Sachdeva
09359777222