दिल्ली की गलियों में भटकते हए एक दिन बदरपुर बोर्डर पर पहुंच गया। थोड़ा पहले एक आलीगांव है। उसी से सटे गौतमपुरी में जाना हुआ। गौतमपुरी सरकार की बसाई अस्थायी झुग्गी है। फर्क ये है कि यहां लोगों को दस साल की लीज़ पर प्लॉट मिले हैं। १२ गज के प्लॉट। कभी देखना चाहिए कि कैसे इतनी कम जगह में लोगों ने रहने का नक्शा बनाया है। महिलाएं बाहर सड़क पर आराम से नहा लेती हैं। कुछ ने मकान चढ़ने की सीढ़ी के नीचे टाट से एक कमरे जैसे बना लिया जिसका इस्तमाल नहाने के लिए करती हैं। आस पास से लोग,साइकिल,ठेले वाले लौकी भिंडी बेचते गुज़र जाते हैं।
तो इसी गौतमपुरी में गया। नज़र पड़ी इस बोर्ड पर। जिमखाना क्लब। इंग्लिश में बोर्ड। हैरानी में पड़ गया। पूछा कि जिमखाना क्लब यहां कैसे। तो लोगों ने बताया कि ये क्लब नहीं है। इसमें तो क्लब में काम करने वाले चपरासी,वेटर और खानसामा रहते हैं। इनके तो अफसरों से अच्छी जान पहचान थी इसलिए इनकी अलग से प्लॉट कट गई। सड़क भी दस फुट चौड़ी है। इनका अपना गेट है। एक बस लगी है। आप गेट के ऊपर पढ़िये। इसमें हिन्दी में मित्रा फाटक लिखा है। पूरी तरह इंग्लिश में लिखे इस बोर्ड में यही दो शब्द हिन्दी के हैं। दिल्ली के महंगे कस्तूरबा गांधी मार्ग पर रहने वाले के जी मित्रा साहब ने इस गेट को लगवाया है। उन्होंने लिखवाया है कि इन द नेम ऑफ फ्रेंडशिप। अक्सर क्लब में किसी खास वेटर से दोस्ती हो जाती है। ये लोग भी जानते हैं कि जिमखाना क्लब का नाम न होता तो ऐसी रिहाइश नसीब न होती।
कुछ समय पहले एम्स के पास गौतमनगर की झुग्गी में जब ये लोग रहते थे तो कोई फर्क न था। जिमखाना क्लब वालों का मकान भी बाकी झुग्गी वालों जैसा था। लेकिन जब वहां की झुग्गी टूटी तो बदरपुर के पास बसाई गई। नाम पड़ा गौतमपुरी। इनके दो मंजिला मकान सरकारी अफसरों के स्टॉफ क्वार्टर जैसे लगते हैं। एक घर में एयरकंडीशन भी दिखाई दिया। कूलर सबके पास है। साफ सफाई बिल्कुल साहबों के मोहल्ले जैसी। अगर आप किसी रसूखदार के संपर्क में हैं तो इस देश में आप नाले के बीच से भी अपने लिए एक नदी निकाल सकते हैं। कभी झुग्गी में बने जिमखाना क्लब घूम आइयेगा। बताने की ज़रूरत नहीं कि दिल्ली की सोसायटी में जिमखाना क्लब की क्या औकात है। इन लोगों को भी मालूम है इसलिए वो अपने रहने की जगह को भी जिमखाना के नाम से पुकारना चाहते हैं।
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ReplyDeleteसर रसूखदारों के यहां काम करते हैं ये कोई मज़ाक थोड़ी है... वो भी जिमखाना क्लब, मैं तो आज तक अंदर भी नहीं गया.. और फिलहाल क़िस्मत ऐसी कोई करवट भी नहीं लेने वाली की अंदर जाने का मौक़ा मिले..
ReplyDeleteदेश में आप नाले के बीच से भी अपने लिए एक नदी निकाल सकते हैं। waah kya baat kahi hai..post rochak hai..aur haan aapki kal ki report bhi acchi thi..aapki talaash hamesha hi dilchasp hoti hai..lage rahiye sir :)
ReplyDeleteरवीश जी, इस बार दिल्ली आऊंगा तो जरूर जिमखाना क्लब देखने जाऊंगा।
ReplyDeleteहमारे शहर में भी एक जिमखाना था...पता नहीं कैसा था, कभी जाना नहीं हुआ, इतनी चर्बी कभी चढ़ी ही नहीं :)....जो भी हो, कम से कम कोई कालोनी साफ़ तो दिखाई दी आपको :)
ReplyDeleteकभी मध्यप्रदेश भी जाइये...माखनलाल चतुर्वेदी, किशोर कुमार के खंडवा से लेकर सलमान , लता के इंदौर या खजुराहो की कलाकारी...एक अच्छी रिपोर्ट बनेगी, आपके अंदाज में ...बुंदेलखंड की हकीक़त दिखा कर कमाल खान तो अवार्ड ले गए ..हो सकता है अगली बार मध्यप्रदेश आपका लकी चार्म बन जाये ....
ReplyDeleteSACHCHAI DHIKHATE HO BHAIYA, MAJA AATA HAI PAR DUKH HOTA HAI KI.........
ReplyDeleteAISE HI SACHCHAI DIKHATE-2 GUJAR JAOGE, DUNIYA OHI RAHEGI EK AUR RAVISH KE REPORT KE LIYE.
AAPKA
SINGH JI VAISHALI
थोड़ी देर pahle ही हरीश जोशी जी आये थे .... अपनी कविता सुना रहे थे ..........
ReplyDelete'तेरी दिल्ली - मेरी दिल्ली' -
तेरी दिल्ली मण्डी हाउस - मेरी दिल्ली खारी बावली
कुछ इसी प्रकार की आपकी पोस्ट बनी है.
ह्रदय को झंझाने के लिए साधुवाद
Acha lekh hain aur use se bhi zyada acha laga ki kuch logon ne apne sar ki chaat paaki banwa li hain chaye Jugaad dwara hi sahi.
ReplyDeleteSab log fayeda uthate hain..toh yeh kyon nahi..aam jhuggi walon se alag..apna ek aur jahan banane ki koshish. Yeh toh sabke jeevan ka sapna hota hain..isme galat kya hain?
Zaroor dekhenge jimkhana club..jhuggi walan...
रवीश जी,
ReplyDeleteपोस्ट तो जो है सो है....अच्छी है।
तनिक यह बताइए कि वह कैमरामैन कौन था जो आपकी और महमूद फ़ारूकी के बातचीत के दौरान टेरेस पर कभी कबूतर पर फोकस कर रहा था, कभी अचार की बरनी का हाफ विव्यू रखकर उसकी ओट में आप दोनों को दिखा रहा था....एकाध बार खुरदरी दीवाल के ओट से भी कैमरा खुद-ब-खुद टहलते हुए सा टेरेस पर आप लोगों पर फोकस हुआ था।
और यही है क्रिएटिवीटी.....एक किस्म का खास टच लिए। सिर्फ फेस टू फेस दिखाना ही कैमरामैन का काम नहीं होता, उसके साथ साथ आसपास का विश्यूलाइजेशन भी दिखाते रहना आपको माहौल के और करीब ले आता है।
उस कैमरामैन को मेरी ओर से बधाई दिजिएगा। आम आदमी के बीच सिनेमा की रिपोर्ट अच्छी बनी है।
great sir!! AAp to colombus bante ja rahe hai..
ReplyDeleteaadaarniy sir,
ReplyDeleteaapke blog par pahali baar aai hun.aapne ye aalekh jo jimkhana club par likha hai pura vistaar se padhkar uske baare me bahut si jaankaariyan prapt hui.mujhe to is sandarbh me kuchh maluum nahi tha ,kyon ki mai kabhi dilli gai hi nahi .itani jaankaariyan dene ke liye aapko hardik dhanyvaad.
poonam
बहुत खूब सर....
ReplyDeletekabhi dilli ke layak samjhe gaye to jomkhana bhee zaroor dekhenge.
ReplyDeleteachchhi post hai.
बेहतर...
ReplyDeletegreat sir just small request pack ur sociology work with economy so that it get large number of TRP so that this message could be spread ed to larger audience
ReplyDeleteJATIN TAKKAR
KURUKSHETRA UNIVERSITY
sir par aaj kal ke waqat mein apko apne samajik kariyon ko bhi arthik drishtikon se dekhna chaiye
ReplyDeleteisliye mein asha karta hun ki apke is programme ke sociological messge ki packing ecnomical angle as ho taki zyda se zyda log dekhein
jatin takkar
kurukshetra university
bahut khoob sir.
ReplyDeleteek sawal tha sir plz jarur de :- dewang ji jo pahle mukabla krayakarm me aate the aajkal kahan hai?
raveesh bhai dheere dheere bigdate ja rhe...mean aaj ki media biradari se bahar hote ja rhe ho...
ReplyDeletevaise languro ki jamat me to kabhi bhi bhi nahi the....
aapki report ka hamesha intezar rehta hai....par aajkal delhi,bihar..kuch jyada nahi ho rha(kapasheda,delhi gujjar,multiplex ke maare)...aap se baat karne ka man karta hai....par pata hai possible nahi hai aap desh ke celebrity journalist hai.....bahut din ho gye aap delhi se bahar nahi gaye...
kabhi rajasthan ho aao...badhiya si raveesh ki report rajasthan se..
accha sir namaskar
ramesh meghwal
hell sir,
ReplyDeletemaine avhi haal he mai aapka blog padhna suru kiya..aapki lekhni mai khati hindi ke khusbu aati hai jo purani yaadain taza kar jati hai ..or aap aise likhte hai ke sab kuch aankon ke saamne aapne aap visulize hone lagta hai....aapke article se mujhe bahut kuch sikhne milta hai...aap aise he likhte rahiye or hum aise he aapse sikhte rahenge . Thanks
sab kuch sandar hai lekin please delhi se bahar bhi aaiye pura desh ap ka intezar kr rha hai,keval delhi nhi.kam se kam ek report up,bihar,rajsthan ya mp par bhi honi chahiye. http://facebook.com/anoopdreams
ReplyDeleteअच्छा लगा साफ-सुथरी कॉलोनी देखकर. खुशी इस बात की भी है कि अब लोग स्वच्छता का महत्व समझने लगे हैं. मैं ये इसलिए कह रही हूं क्योंकि मैंने गुजरात के ग्रामीण इलाकों में कई ऐसे घर देखे हैं, जहां टीवी, फ्रिज तो होता है लेकिन सफाई का नामोनिशान तक नहीं. वहां पर बच्चे आए दिन बीमार रहते हैं. आपने जो फोटो लगाई है उसे देखकर कोई नहीं कह पाएगा कि ये कोई झुग्गी बस्ती की फोटो. ये घर तो अच्छी-खासी रिहाइशी कॉलोनियों को मात दे रहे हैं. चलिए कहीं तो इंडिया इज़ शाइनिंग.
ReplyDeleteझुग्गी में जिमखाना देखा था। पीपली लाइव की तरह बिना कुछ टिप्पणी किए व्यवस्था एवं माफिया की बाजीगरी को दिखाने की कला की तारीफ कर दूं, तो गलत मत मानिएगा1
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