मोटी तगड़ी औरतों के कपड़े की दुकान




नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश में हमारा दफ्तर है। ठीक उसी के सामने यह दुकान खुली है। बहुत दिनों से है। आज अचानक नज़र पड़ी। दुकान में रखी माटी की मूरत कुछ तगड़ी नज़र आई। सोचा कि आम तौर पर ऐसी मूर्तियां छरहरी और गंजी हुआ करती हैं। ये मोटी तगड़ी क्यों हैं। माजरा समझ में तब आया जब नज़र साइनबोर्ड पर पड़ी। दुकान का नाम क्रान्ति है। उन औरतों के लिए हैं जो सामान्य और तगड़ी हैं। ज़ीरो साइज़ के ज़माने में कोई दुकान औरतों के स्वाभाविक सम्मान की रक्षा में उतर आया हो,तो उसकी तारीफ होनी चाहिए। पतला या मोटा दोनों मेहनत के फल हैं। मोटापा एक हकीकत है। बड़े-बड़े शो रूम में जाने पर मोटी-तगड़ी औरतों को काफी तकलीफ होती होगी। हर नाप के कपड़े ऐसे होते होंगे कि हीन भावना का शिकार हो जाए। लेकिन लगता है इस दुकान में आप बाज़ारूपन की परवाह किये बगैर अपने आकार प्रकार के साथ अंदर आ सकते हैं। पसंद के कपड़े पहनकर जा सकती हैं। आइडिया के इस काल में यह आइडिया ज़बरदस्त लगा। जानकारी जमा कर रहा हूं। ज्यादा जानकारी मिलते ही विस्तार से लिखूंगा।

11 comments:

  1. बहुत बढ़िया आईडिया है ये ..सारे संसार को मानो एक ही सांचे में ढालने की कसम खा रखी है मुए फैशन डिजाइनर लोगो ने

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  2. वैस अब लगता है........... मोटी औरतों का भी जमना आ गया है .बहुत दिनों से जरा लाइम लाइट में नहीं थी

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  3. ये परेशानी सिर्फ़ भारत में है, दूसरे मुल्को में तो ख़ासतोर से मोटो का ध्यान रखा जाता है, मुझे भी कभी अपनी साइज़ का रेडीमेड नही मिला और अगर कभी इत्तेफ़ाक़ से मिला भी तो बात कलर या डिज़ाइन पर अटक गयी. चलिए अच्छा है किसी को तो मोटे लोगो का ख्याल आया....

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  4. मुंबई में तो लार्ज साईज लोगों के लिये अलग से कई कंपनियों ने अपने शोरुम खोल रखे हैं।

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  5. रवीश कुमार की रपट: देख कर मैं कभी-कभी सोचता हूं कि यदि धर्मवीर भारती के हाथ में कलम के साथ-साथ (वीडियो) कैमरा वाला भी होता, तो ‘गुनाहों का देवता’ और ‘सूरज का सातवां घोड़ा’ और ‘कनुप्रिया’ शायद कुछ ऐसी ही होती। या यह कैमरा राजेंद्र माथुर के पास होता, तो उनका ‘कम्प्टीशन’(पता नहीं यह शब्द सही या स्पर्धा लगाना चाहिए था) कया रवीश कुमार से नहीं होता। बिहार की माटी में ही रवीश पैदा होता है।

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  6. dukan mein rakhe feedback book par nazar dalne se shaayad kuch aur bhi mazedar tathaya saamne aayenge.........sir ji jara ispar dhyan diya jaay

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  7. they become more fashionable,
    more attractive

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  8. kaash koi showroom mere jaisi extra patli kaya wali ladkiyon k liye bhi khulta......

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