चलो चलते हैं मथुरा में- तहसीन मुनव्वर की ग़ज़ल

चलो चलते हैं मथुरा में किसन की रास देखेंगे
किसन की बांसुरी से जागता अहसास देखेंगे

कभी बांके बिहारी को कभी राधा को देखेंगे
कभी मीरा की आंखों में मिलन की प्यास देखेंगे

कन्हैया लाल की भक्ति की रस में डूब जायेंगे
सुबह से शाम तक श्यामल की हम अरदास देखेंगे

दुखों के बोझ ने जिनके कदम आने से रोके हैं
सलोने सांवरे को वह ह्रदय के पास देखेंगे

हम भारत देश की माटी को चूमेंगे सराहेंगे
मुनव्वर सा मनोहर का कहीं जो दास देखेंगे

10 comments:

  1. बेतरीन. कमाल की ग़ज़ल पढ़वाई है रविश जी ......... शुक्रिया कहना ज़रूरी है क्या ?

    ReplyDelete
  2. आपको को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं. साथ ही साथ इस रचना की प्रस्तुति के लिए साधुवाद!
    रत्नेश त्रिपाठी

    ReplyDelete
  3. खूबसूरत एहसास हैं मुनव्वर साहब के...

    ReplyDelete
  4. Jai Shri Krisna .....sirf Munavvar saa'b ko ! sundar rachna! apko only thanx !

    ReplyDelete
  5. मुनव्वर साहब,
    आपकी रचना में इनती प्यास, इतना प्यार और इतना जोश और उमंग है कि सखा-श्याम आपको संग ही ले जायेंगे अपना रास दिखाने...

    ReplyDelete
  6. Tehseen saheb ko padhkar Nazeer yaad aa jate haiN.

    ReplyDelete
  7. आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
    रचना गौड़ ‘भारती’

    ReplyDelete
  8. रसखान जी की रचनाओं जैसी ही मिठास है...
    धन्य हैं तहसीन मुनव्वर

    ReplyDelete
  9. Sabhi mohabet kerne walon ka shukria.....
    Tehseen Munawer

    ReplyDelete