मेरी उन तमाम झूठों को
जब तुम इक दिन पकड़ लेना
कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना
इन्हीं झूठों के सहारे अक्सर मैं
कुछ घंटे देर और रूका रहा
कुछ बातें और करता रहा
कुछ नज़रें और फेरता रहा
बीच रास्ते से लौट आता रहा
सुना है कोई मशीन पकड़ लेगी
उन तमाम खूबसूरत झूठों को
जिनका इस्तमाल करता रहा मैं
प्रेम के तमाम पलों में
किसी अकाट्य सच की तरह
झूठ को बदनाम करने की तमाम साज़िशों के ख़िलाफ़
मैं खड़ा होना चाहता हूं
सच के पीछे तराई से उतर कर किसी गौतम की तरह
गया से लेकर कुशीनगर तक नहीं भटकना चाहता
सारनाथ के स्तूपों में बैठकर मैं
गेरूआ वस्त्रों से लैस सच का धर्म नहीं बनाना चाहता
तुम्हारे साथ झूठ का जीवन जीने की ज़ीद
किसी भागते समय में एक ठहरा पल बनाती है
वहीं तो हम अपने प्रेम का एक संसार रचते हैं
झूठ की दीवारों को ऊंची कर
अपना एक छोटा सा घर-बार बना लेते हैं
झूठ के पकड़े जाने के तमाम डरो से
आज़ाद होकर मैं एलान करता हूं
जब भी कोई मशीन पकड़ ले
मेरी उन तमाम झूठों को
कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना
वाह, अच्छी गुजारिश की है आपने , जब सब कुछ झूट पर ही टिका है तो उनके पास और कोई चारा भी नहीं रहेगा इसके सिवा की इसे सच समझ ले ! बहुत खूब !
ReplyDeleteवाह जी वाह
ReplyDeleteLagata hai - SACH ka SAMANAA ho gaya :)
ReplyDeleteपुरी दुनिया सच मय हो गई लगता है..
ReplyDeleteठीक है,
ReplyDeleteझूठ पर पैर गढ़ाये रहिये ,
सब सच समझा जाएगा,
हमने कह दिया है,
वैसे कविता अच्छी बन पड़ी है, पड़ी रहेगी !
accha ji pakde jane pe hee sach batoge. sundar
ReplyDeleteयार झूठ पर हो दुनिया चलने दो तभी टिके रहेंगे नही तो सब नंगे हो जायेंगे वो भी तो ठीक न होगा
ReplyDeleteकुछ और नहीं उन्हें
ReplyDeleteबस सच समझ लेना
बढिया - संगदिल गुजारिश
गौतम समान सत्य का बोध हो गया?! बधाई हो!
ReplyDeleteपरम सत्य निराकार है और जगत मिथ्या, परमेश्वर द्वारा रचित 'माया' - एक अनंत फिल्म जिसमें आत्माएं अलग-अलग रूप धर लीला कर रहीं हैं :) योगी यह नहीं जान पाए निराकार ब्रह्म अपना इतिहास क्यूं देख रहा है...
झूठ के पकड़े जाने के तमाम डरो से
ReplyDeleteआज़ाद होकर मैं एलान करता हूं
जब भी कोई मशीन पकड़ ले
मेरी उन तमाम झूठों को
कुछ और नहीं उन्हें
बस सच समझ लेना
sahi kaha
excellent sir..bahut tarah ke jhuth istemal karta hai insaan zindigi mein..kuch jhuth sach se acche hote hain...bas aatma mein jhuth nahi utarna chaiye.
ReplyDeletesach likha aapne....
ReplyDeleteबस सच समझ लेना.....................
ReplyDeletesamajh gayaa.
ReplyDeleteझूठ भी कभी-कभी बड़ा सच्चा होता है
ReplyDeleteकाश, सच को समझना और समझाना इतना आसान होता।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
मज़ेदार पोस्ट। वाह।रविशजी॥
ReplyDeleteसस्ता शेर छोड़ कर अच्छी कविता ! \अच्छी cheejon में कुछ नहीं रखा है
ReplyDeleteवैसे अच्छा लगा
रवीश जी ! झूठ को सच कैसे समझ लूँ ???काश तुमने बोला होता सच झूठ का हल्ला करके ......
ReplyDeleteसच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के मशीनो से के पैसा खूब आएगा अगर साब सच बताओगे . तो फिर तवाही से क्या डरना जिन्दगी ऐश से बिताओगे ...
ReplyDeleteडरावने सच से पर्दे उघाड़ने और घरेलू जिंदगी बिगाड़ने वाला प्रोग्राम है सच का सामना। सही कहा है आपने। एक काम करो रवीश कोई जुगाड़ बिठाकर प्रोग्राम के पहले एक स्टिंग का या मोंटाज बनाकर इस कविता को ऑनस्क्रीन करा दो, प्रोग्राम के पार्टिसिपेंट के लिए संबल मंत्र हो जाएगा और इतनी भावुक अपील से बेचारी या बेचारे का घर बिगड़ने से बचा जाएगा।
ReplyDeletebahot acchi kavita sach mein dil ko chu gai.....
ReplyDeleteरवीश जी, राज कपूर की एक फिल्म 'जागते रहो' में हिन्दू मान्यता पर आधारित स्व. मुकेश द्वारा गाया एक गाना 'सच-झूठ' पर था - कुछ इस तरह, "जिंदगी ख्वाब है/ ख्वाब में झूठ क्या?/ और भला सच है क्या?..."
ReplyDeletewah bahut hi pyara thought..wasie bhi aapke joothon ko unhone sach hi maana hoga.. BTW aap NDTV mein hai kya?
ReplyDeleteRavish ji, fantastic views.
ReplyDeleteI had heard a dialog on similar lines in a movie, i can not recall the movie name right now but can put that dialog here -
"it is not that we don't know the truth, its only that we keep getting better at lying."