मार्च ऑन मार्च ऑन

उदारीकरण उदारीकरण
मार्च ऑन मार्च ऑन
खोलो ताले,खोल खजाने
पूंजी बांटो दना दन
उदारीकरण, उदारीकरण

उधार है तो प्यार है
टीवी में इश्तहार है
गिर गया इंटरेस्ट है
चढ़ गया एवरेस्ट है
नफाकरण,नफाकरण
उदारीकरण,उदारीकरण
मार्च ऑन मार्च ऑन

मूर्ख हैं जो गिर गए
बाज़ार में फिसल गए
मुद्रा स्थिति,मुद्रा स्फीति
मंदी की मार,मीठी छुरी
ऑपरेशन,ऑपरेशन
उदारीकरण उदारीकरण
मार्च ऑन मार्च ऑन

मुक्ति बोध मुक्ति बोध
मर रहे हैं हम अबोध
करो ज़िंदा हम मुर्दा को
पोस्टमार्टम पोस्टमार्टम
उदारीकरण उदारीकरण
मार्च ऑन मार्च ऑन

18 comments:

  1. मौजूदा हालात पर िबल्कुल सटीक है अापकी किवता। यही हाल रहा तो वह िदन दूर नहीं जब बोरे में नोट और जेब में राशन रखना पड़े।

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  2. शानदार अभिव्यक्ति। जवाब नहीं।

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  3. शायद में इतना परिपक्व नहीं कि इस कविता की शैली पर टिप्पणी कर पाऊं, मेरे लिए ये किसी जटिल कार्य है कि मैं यथावत ही आशय को समझ पाऊं, लेकिन भाव स्पष्ट है कि आज की इन परिस्थितियों में जो उठापठक चल रही है, उस पर आपने सटीक आघात किया है और इस दुर्दशा के मूल कारण पर आपका प्रहार करना वाकई बेहतरीन कार्य है

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  4. 7 बार पढा कविता को. आखिरकार समझ में आ ही गई, बेहतरीन रचना

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  5. Bachche ne ball phainki
    Puri shakti laga
    Asman ki ore

    Patang ki tarah
    Bardha chali akash

    Choo li ek unchai
    Ruk si gayi
    Per phir palat gayi

    Tezi se neeche ayi
    Aur dharati ko choo
    Phir uchhal gayi

    Phir giri dharti per
    Phir uchhli...

    Aur ant mein thahar jati
    Shant pardi rahti
    Yadi phir koi uchhal na deta!

    Ab Mohali mein khelein phir!

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  6. निजी चैनल उदारीकरण के कारण ही सम्भव हुए है, और आप मोटी पगार पा रहे है. आपको काम देते समय आपकी जाति व धर्म न पूछ कर काबलियत देगी गई थी. वरना दूरदर्शन होता और आप नौकरी के लिए जाति का प्रमाणपत्र लेकर भटक रहे होते.

    कभी इस पर भी लिखे. वरना "खाए कसम का और गीत भाई के" वाली बात है.

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  7. wah ravish bhai ab toh aap kavi hone lage hain

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  8. भाव अच्छे हैं पर कविता कुछ जमी नही. क्षमा कीजियेगा रवीश जी पर ये कविता ऐसी लग रही है जैसे अंग्रेजी से हिन्दी में अनुवाद हो न की मूलतः हिन्दी में लिखी कविता
    हो सकता है हम ठीक से नही समझ पा रहे हों पर शायद तुकबंदी कविता में भावों के प्रवाह को मार रही है.

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  10. उदारीकरण मुझे तो पसंद है :-)

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  11. RAVISH JI,
    PICHLE DINO BURHANPUR ME THA...DANGO KI REPORTING KARNE GAYA THA...JO HUA WO TO THEEK.....LEKIN IS BAR EK BAT NE MUZHE HILA KAR RAKH DIYA ...2 RATE ALALG ALAG MOHALLE ME BITAI ...BURHANPUR SANKARI GALIYO KA SHAHAR HAI..MIX POPULATION..HAR GALI ME JABARDAST NAKEBANDI..RET KE BORE,TEEN KI CHADDRE LAGA KAR RASTE BAND...RAT BHAR JAG JAG KAR YUAON KI PAHREDARI...HAR THODI DER ME SANESH KA AADAN-PRADAN...WO DEKHO LAGTA HAI UDHAR SE KUCH LOG AA RAHE HAI TAIYAR HO JAO..HINDU MUSLIM DONO KI GALIYO ME AISE HI NAKEBANDI..DANGO NKI REPORTING KA YE PAHLA MAUKA NAHI THA...LEKIN IS BAR JITNA AVISHWAS DEKA,EK DUSRE KE PRATI GHRINA DEKHI WO KABHI NAHI DEKHA...SACH KAHU TO PAHLI BAR DANGO KI REPORTING KARTE SAMAY AISA BHAV UTHA KI...MANO PARTISION (1947)KE SAMAY SHAYAD YAHI HALAT RAHE HONGE..AISE HI AFWAHO KA DAUR US MOHALLE ME 2 HINDU MAHILAO KA APHARAN HO GAYa...2 KO KAT DIYA...MUSALMANO KE MOHALLE ME V YAHI SUB KUCH ...ITWARIYA KI TARAF SE MAT JANA...POLICE KI GADI ME HINDU AAYE THE 4 LADKO KO LE GAYE..KAT KAR FENK DIYA...RAVISH JI BACHPAN SE HIDU-MUSLIM EKTA KA PADHTE AAYE THE..KYA AB WO IN SIYASATDANO KI SAJISHO KE CHALTE BEASAR HONE LAGA HAI...MASOOM DIMAGO ME V ITNI NAFRAT...ITNA AVISHWAS..?KAYA HAMARI BIRADARI IN SIYASATDANO KE AAGE HAR JAYEFI...DIL GHABRATA HAI KI MULK BADALNE KE NAM PAR KYA HINDU MUSALMANO KO ITNA BADAL DIYA JAYEGA KI PARTISION KE YE BURHANPURI HALAT DES BHAR ME KADWI HAKIKAT BANNE LANGENGE....KUCH KAHIYE NA DOSTO ...MUZHE DILASE KI JARURAT HAI(SUNIL SINGH BAGHEL,SANJHALOKSWAMI INDORE)

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  12. जेब्बात। तो हमारा भी ब्रत रहा।... आसन से उठते हुए एक दिन उदारीकरण बेरोजगारों से कहेगा।

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  13. बहुत जानदार....इसीलिए आप रवीश कुमार हैं....जवाब नही...

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  14. उधार है तो प्यार है
    टीवी में इश्तहार है
    गिर गया इंटरेस्ट है
    .................jabardast prastutikaran

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  15. जेट एयरवेज कमॆचारियो के निकाले जाने से बाजार के लोगो के ही प्राण पखेरू उड़ गए । शायद किसी ने सोचा नही होगा कि ऐसी स्थिति का सामना जेट एयरवेज के कमॆचारियो को करना पड़ेगा । बाजार के पैरोकार ही बाजार में भीख मांगते नजर आए । कल तक लोगो को पैसे की कीमत और अपने मांडलिंग के जरिए आम लोगो को लुभाने वाले ये कमॆचारी इस कदर अपनी दलील देते नजर आए । ऐसा पहले कभी सोचा नही गया था । एक क्षण में ही पता चल गया कि बाजार क्या होता है । खैर अब भारतीय भिखारियो को भीख मांगने में शमॆ महसूस नही होगी । दरअसल आथिॆक मंदी की मार से कोई अछूता नही है । समाजवाद का धुर-विरोधी अमेरिका समाजवाद की गोद में जाने को तैयार है । शायद यह समाजवाद की जीत भी है । कल तक निजीकरण का हवाला देने वाला अमेरिका बाजार के विफल होने के बाद सरकार की शरण में आ गिरा है । अब अमेरिका के अनेक वित्तीय संस्थानो में बाजार का पैसा नही बल्कि सरकार का पैसा लगा होगा । यानी अथॆव्यवस्था को नियंत्रित करने वाली उंचाईयों पर बाजार का नही सरकार का कब्जा होगा । औऱ यही तो समाजवादी व्यवस्था में होता है । आज स्थिति यह है कि जो अथॆव्यवस्ता पर ज्यादा आधारित है वह उतना ही ज्यादा संकट में है । जिसका असर न केवल अमेरिका बल्कि भारत में भी दिख रहा है । भारत का तकदीर इस मायने में अच्छा है कि यहां पूणॆ ऱूप से निजीकरण सफल नही हो पाया है बरना जेट एयरवेज जैसे कई कम्पनियो के कमॆचारी सड़क पर गुहार लगाते मिलते । औऱ अपनी चमक पर स्व्यं पदाॆ डालने की कोशिश करते । यही तो बाजारवाद है ।

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  16. kavita ka kya satar hai mujhe to nahi pata par kavita jaisa mujhe nahi laga.
    baki ravish ji jo kahana chate hai is so called kavita ke dwara vo aacha hai,bahut acha

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  17. This comment has been removed by the author.

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