बेटियों के ब्लॉग का कमाल

इस घोर ओलचक युग में प्रशंसक भी मिलते हैं। पुरस्कार भी मिलता है। मोहल्ला के अविनाश दास को बेटियों के ब्लॉग के लिए लाडली मीडिया अवार्ड मिला है। यही पुरस्कार एनडीटीवी इंडिया के विशेष संवाददाता ब्रजमोहन सिंह को भी मिला है। अर्से से प्रिंट और टीवी से जुड़े ब्रजमोहन चुपचाप काम करने में यकीन रखते हैं। अविनाश दास के बारे में आप पाठक जानते ही हैं।
बेटियों के ब्लॉग पर मेरी भी बेटी के किस्से हैं। इसलिए मैं तो इस खुशी में शामिल हूं ही...आप सब को भी बिना पूछे शामिल करता हूं। उम्मीद करता हूं कि ब्लॉग के माध्यम से हम सब एक दूसरे के आलोचक बने रहते हुए सामाजिक राजनीतिक प्रक्रियाओं को देखने समझने का अनुभव साझा करते रहेंगे। कम से कम मेरे ब्लाग पर आए तमाम आलोचकों से मैंने बहुत कुछ सीखा है। एक बार फिर से अविनाश और ब्रजमोहन को बधाई।

9 comments:

  1. kisne kah diya ki betiya bojh hoti hai, abhi avinash bhai ko bitiya huaye ek saal bhi nahi huyae aur accha baap hone ka citifikit mil gaya. khoob jiyo beti, khoob bado beti.
    avinash bhai ko badhai.

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  2. रवीश भाई, मैंने सुबह ही एक ब्लॉग पर इस आशय की सूचना पढ़ी थी. इस वक्त १० बजे रात वह ब्लॉग सबसे ज्यादा पढ़े गए ब्लोगों की सूची में लगभग शीर्ष पर है. न जाने क्यों उन्होंने मुझ अकिंचन की टिप्पणी को रोशनी में आने देने लायक नहीं समझा.

    बात शिकवे से शुरू नहीं करना चाहता था लेकिन दिल में टीस-सी उठी है क्योंकि मैं भी इस ब्लॉग की पैदाइश से किसी न किसी रूप में जुड़ा रहा हूँ.
    अगर आपको याद हो तो अविनाश को राजेश जोशी की वह कविता मैंने ही भेजी थी जिसे अविनाश ने मेरा ज़िक्र करते हुए वह कविता बड़े खुलूस और फ़राखदिली के साथ छापी थी.

    दूसरे, मैं टिप्पणियाँ भी करता रहा हूँ इस ब्लॉग पर क्योंकि यह ब्लॉग मुझे पसंद है.

    बहरहाल, सम्मानित किए जाने पर बेटियों के ब्लॉग और इससे जुड़े तमाम लोगों को बधाइयां... और उन्हें भी ढेर सारी शुभकामनाएं जिन्होंने अपनी राय देकर इसे लहलहाया है.

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  3. हम तो अभी बेटी बाले नहीं हुए हैं...लेकिन पता नहीं क्यूं अक्सर बेटियों के ब्लाग पर एक बार तांक झांक कर ही आते हैं...उस लिहाज से बधाई देने और लेने का मैं भी हकदार हूं।

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  4. बदाई बहुत बहुत ।

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  5. बेटियों को बधाई !

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  6. बेटी का ब्लॉग है - बेटों के ब्लॉग मे क्या दिक्कत है ? कुछ प्राकृतिक है और प्रकृति के हिसाब से सामाजिक नियम कानून बनाये जाते हैं ! कई बहनों को क्लास मे ऊँचा स्थान लाते देखा है - शायद वह बेहतर समाज से होती तो इंदिरा नूयी के समकक्ष होतीं - माँ , बहन और बेटी को हमेशा त्याग ही करते देखा है ! शायद यही त्याग उनको सब से ऊपर ला कर खडा करता है !

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  7. पुरस्कार के साथ उपलब्धि का उल्लेख होना चाहिए था .समयाभाव के कारण ही आपका पोस्ट छोटा बना है शायद .ब्रजमोहन जी के साथ बेटियों के ब्लॉग के समस्त सदस्य को बधाई के साथ चर्चित बेटियों को भी सस्नेह बधाई !

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