कहीं जाता हूँ ऐसा लगता है कि कोई निगाह रख रहा है । यार दोस्तों को बताता हूँ तो सब सतर्क रहने को कहते हैं । फ़ोन पर बात नहीं करने को कहते हैं । मैं फ़ोन पर उतना ही आयं बायं सायं करने लगता हूँ ।वो मेरा प्राइवेट स्पेस है । आजकल कई लोग ऐसी धमकियाँ देते हैं । उन्हें लगता है कि मैं कुछ फ़ेमस हो गया हूँ और वे मुझे मेरे 'नाम' का डर दिखा देंगे । उन्हें नहीं मालूम कि मै ऐसी लोकप्रियता पर रोज़ गोबर लीप कर सो जाता हूँ । 'वायरल' कर देंगे । हँसी आती है ऐसी बातों पर । घंटा । ऐसे लोग और ऐसी डरों को सटहां ( डंडा) से रगेद देता हूँ । चिन्ता मत कीजिये यह तथाकथित लोकप्रियता मेरे लिए कबाड़ के बराबर है । कुछ और कीजिये डराने के लिए ।
जहाँ जहाँ लोगों से घिरा रहता हूँ तो ऐसा क्यों लगता है कि कुछ कैमरे मुझसे चाहत के नतीजे में रिकार्ड कर रहे हैं । ऊपर वाले ने इतनी तो निगाह बख़्शी है । हम बाघ बकरी नहीं हैं ,कबूतर हैं । अंदेशों की आहट समझ लेते हैं । पहले बहस के लिए छेड़ते हैं फिर रिकार्ड करते हैं । यह प्रवृत्ति दिल्ली और सोशल मीडिया से शुरू हुई थी जो गाँवों तक पसर गई है । वैसे पहले भी देखा है ऐसा माहौल ।
ऐसा क्या अपने आप हो रहा होगा । किसी गाँव में भीड़ अपनी बात कह रही होती है । सब तरह की बातें । अचानक एक दो लोग उसमें शामिल होते हैं और नारे लगाने लगते हैं । भीड़ या तो संकुचित हो जाती है या नारे लगाने लगती है । उन एक दो लोगों के आने के पहले भी लोग बोलते हुए एक दूसरे को देखते रहते हैं कि उसकी बात सुनकर ये या वो बता तो नहीं देगा । फिर एक या दो लोग ज़ोर ज़ोर से बोलने लगते हैं । यही होगा । जाइये । यहाँ सब वही है । सारे लोग चुप हो जाते हैं । मेरा कैमरा ऐसी मुखर आवाज़ों से भर जाता है । वहाँ खड़ी भीड़ के बाक़ी लोग दबी ज़ुबान में बात करने लगते हैं । धीरे से कहते हैं नहीं ऐसा नहीं होगा । ये बोल रहे हैं ठीक है सबको बोलना है ।आप एकतरफ़ा सुनकर लौटते हैं ।
इसीलिए मतदान से पहले जनमत जानना बेकार है । विज्ञापन ऐसा ताक़तवर माहौल रच देता है कि कमज़ोर मज़बूत को देख कर बोलने लगता है । सब वही बोल रहे हैं जो सब सुनना चाहते हैं । इतने शोर शराबे के बीच एक भयानक खामोशी सिकुड़ी हुई है । या तो वो मुखर आवाज़ के साथ है या नहीं है लेकिन कौन जान सकता है । क्यों लोग अकेले में ज़्यादा बात करते हैं । चलते चलते कान में कुछ कहते हैं । धीरे धीरे यह नफ़ासत दूसरे लोग भी सीखने लगे हैं । अब मतदान केंद्र पर बूथ लूटना नहीं होता । वो उसके मोहल्ले में ही लूट लिया जाता है । टीवी को भी एक लठैत ही समझिये।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बातचीत चल रही थी । हर तरह की बात । दिल्ली से आए पत्रकार से जानने बहस करने की उत्सुकता में । छात्रों की प्रखरता और मुखरता पर भावुक हुआ जा रहा था । सोच रहा था कि अलग अलग तरीके से सोचने वाले ये छात्र हिन्दुस्तान का शानदार भविष्य हैं । अचानक एक दो लोग मुखर हो जाते हैं । सारे लोग फिर से चुप या सतर्क । एक ही तरह की आवाज़ किसी भीड़ की विविधता को क्यों ख़त्म कर देती है । एक ही तरह की आवाज़ हूट करती है । भीड़ में घुसकर नारे बोलने लगती है । एक शख़्स किनारे खड़े मेरे सहयोगी से कहता है कि रवीश जी इनकी बाइट चलायेंगे तो 'वायरल' कर दूँगा । यह शख़्स नक्सल समर्थक है । यू ट्यूब से निकाल कर वायरल कर दूँगा । फिर उस शख़्स जैसे कुछ और लोग भीड़ में शामिल हो जाते हैं । कर दो भाई 'वायरल '। दलाल और हत्यारा कहाकर लोग मत्री बन जाते हैं । लोग उनके नारे लगाते हैं । माला पहनाते हैं । यह भी कोई शर्मिंदा होने की बात है । धमकियाँ ऐसी दीजिये कि उसे आप अकेले किसी चौराहे पर मेरे सामने दोहरा सके । प्यारे भीड़ पर इतना मत उछलो । भीड़ में उछलने की तुम्हारी इस कमज़ोरी को अपनी बाँहों में भर कर दूर कर दूँगा । आके गले मिलो और महसूस कर जाओ मैं कौन हूँ ।
अक्सर बोलने वाला ताक़तवर की तरह क्यों प्रदर्शित करता है । कौन लोग हैं जो इनबाक्स या ब्लाग के कमेंट में डराने की भाषा में बात कर जाते हैं । यह जाना पहचान दौर इतिहास में पहले भी गुज़रा है और ग़ायब हो गया है । आता रहता है और जाता रहता है । इसीलिए मैं सतर्क नहीं हूँ पर बेख़बर भी नहीं ।
bilkul sahi kaha ravish aapne, apni baat kahte rahiye, TV par ek aap hi hain jise dekhne,sunne ka man hota hai.
ReplyDeleteMunavvar Rana sahab ko sun kar sukun sa mila, opinion polls ki bakwas ke beech me aapki yatra thandi hawa ke jhoke ki tarah hai.
जो लोग ज़रूरत से ज़्यादा ऊँचा बोलते हैं वो असल में दुसरो को नहीं बल्कि खुद को यकीन दिला रहे होते हैं के वो सही सोच रहे हैं .और धमकियां मिलना आपके पेशे के लोगों के लिए आम बात होगी शायद,बाहर से तो हमें ऐसा ही लगता है .
ReplyDeleteकल का प्राइम टाइम बहुत अच्छा लगा . वो लडकियां जो कह रही थी वो सभी लड़कियों की बातें थी , हर जगह लड़कियों की यही परेशानी है .
और सर मुन्नवर जी को कभी अपने शो पर बुलाइये , उन्हें और सुनाने का मन है .
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ReplyDeleteरवीश जी बात तो बिलकुल सही है। अपने आस पास भी देखता हूँ कुछ आपसे प्रभावित हैं।कुछ को डर है आप उनका खेल बिगाड़ देंगें। लेकिन लगे रहिए। बहुत थोड़े हैं। लेकिन आप की आग से गर्माहट महसूस कर रहें हैं। उनकी ऊष्मा मत छिनीएगा। मनोज चतुर्वेदी, अहमदाबाद
ReplyDeleteरवीश जी हिंदी में एक कहावत है। "थोता चना, बाजे घना । " ये वाही लोग हैं। अंदर से एक दम खोकले । आप लगे रहिये। बदलाव के चिंगारी तो सुलग चुकी हैं ।
ReplyDeleteSIR JI Famous hone ke side-effects
ReplyDeletehai.Ignore them SIR JI not a matter of concern.
खामोश नज़रों का बनता हैं अलग ही फसाना ,
ReplyDeleteदिल में दर्द और लब पर अंदाज़ ए शायराना .
आप के विश्लेषण , निष्पक्षता , पकड़ के हम सब तो कायल हैं. किंतु आपकी "जाति और मतदान" programs पर टिप्पणी तो करना चाहुँगा पर तभी जब आपकी नज़र ए इनायत हो।
bilkul sahi kaha apna. aap ki baat sun kar kabhi kabhi lagta hai kuch log hai jo sach bol bhi jata hai aur controversy bhi nai hoti. sach main sahi main ek apni he sachayi hoti hai jo sab ko chup raha dati hai.
ReplyDeleteKahne dijiye jo kehta hai, logo Ka to kaam hi hai kehna. Is yug mein log apne dukh se dukhi nahi hai balki aapke sukh se dukhi hai.
ReplyDeletejab log aapki taang khichne lage samjho aap Kuch alag hi karne ja rahe ho.
Munnawar sahab ka ek show jaroor jaroor karna. Dhanyawaad. ..
Ravish Gi, Banaras Hindu University bharat ko uska anae wala bhavisya dene ki kosish karta hai. Parantu es ko lene wala koie nahin hai. Awevatha apne charam par hai. Aur capmpus ka ek hi rule Hai..
ReplyDeleteRaja ne kaha raat hai...
Mantri ne kaha raat hai...
Praja ne kaha raat hai.....
Ye subah-subah ki baat hai...
Ye subah-subah ki baat hai...
Aaj bhu se studio me baat kar the to mujhe lga Ki aap nhi modi k paksh me baised ho gye hain ..aapko jabab to Dena hoga Ki aapko morning 10 bje election k din aisa reporting kyu karna pda ..please jabab jarur dijiye ...
ReplyDelete"भीड़ में उछलने की तुम्हारी इस कमज़ोरी को अपनी बाँहों में भर कर दूर कर दूँगा । आके गले मिलो और महसूस कर जाओ मैं कौन हूँ । "
ReplyDeleteरवीश जी, आपकी ज्ञान की सहजता और उसकी उतनी ही ईमानदार अभिव्यक्ति क़ाबिले-तारीफ़ है । और इन दो लाइनों में ज्ञान के साथ साहस और वह भी अदम्य साहस भरे आत्मविश्वास ने सचमुच क़ायल कर दिया । हॉं, ऐसा नहीं कि आपकी सारी बातें ही मेरी विवेकसम्मति से मेल खाती हैं, लेकिन आपकी ईमानदार स्वीकारोक्ति छद्म और उछलती आक्रामकता से उपजे खोखलेपन में सुकून देती है ।
आपकी ये दो लाइनें सिर्फ़ शब्दों का संयोजन नहीं एक विवेकशील और जि़म्मेदार इनसान का पूरा महाकाव्य है । सच कहूँ तो आज के युगीन पत्रकारों में इन लाइनों को कहने का गहराई भरा साहस विरला है । मन के हारे हुए योद्धा को अच्छा लगा ।
Ravish ji, chunav ke dino me aapke p.t. ko dekhkar hi lagta hai ki aap baki sabse alag hai. aise hi rahiyega.
ReplyDeleteआशिक़ी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
ReplyDeleteशमा हर रंग मे जलती है सहर होने तक।
(शायर का नाम पता नहीं!!)
Galib
Deleteरवीश जी वास्तव में लोकतंत्र के ऊपर लठैतों का ही कब्ज़ा है
ReplyDeleteआम चुनाव 'उन्माद' की हद पार कर चुका है । समर्थक अंध भक्त का रूप ग्रहण कर चुके हैं । चिंता मत करिए जल्द उतरेगी ये खुमारी भी ।
ReplyDeleteरवीश जी इन चुनावी दादुरों की की बातों पर कान देने की बिलकुल भी जरुरत नहीं है.
ReplyDeleteआपकी आवाज़ बहुत सारे टीवी के बीच में ORGANIC TV के जैसा है, ऐसा ही रखियेगा, इसमें PESTICIDE और BACTERIA मिक्स नहीं होने दीजियेगा !
ReplyDeleteRavish sir,
ReplyDeletehindustaan me log khud kisi cheej aaklan ni karte keval dusre ki khi baato par chalte hai apne kisi bhi tah tak ja kar ya uske baare me jaankari ni lete dusro ki khi baato par yakin karte hai ye lekin aaj se ni desh ke ajjadi k samay se hota aa rha hai kuch aisi bhi baate hai jo kitabo me ni lekin satya hai mai itna janta hu ki aaj k is samay me apne dwara dekhi ya samjhi bato par hi kisi bhi visay ka aklan karna aavshayak hai. kahne ko to bahut kuch hai ni to aaj hamare desh ki halat sayad aisi na hoti sayad hamare desh ka chehra kuch aur hota agar ye patrkarita aur media 1947 se itna jagruk hota aur kuch pahle sone ki chiriya thi to ab tak hindustaan sone ka sher hota.
Avinash Chaturvedi
Apna khayal rakhiyega Ravish bhai..
ReplyDeleteव्यथित हूँ कि ऐसा अनुभव आपको मेरी नगरी में हुआ। जैसा कि आपने लिखा कि उन्हें जरूरत है ये जानने या महसूस करने के लिए कि आप कौन हैं। बस सर यहीं फर्क है, वे सारे इस योग्य ही नहीं हैं। आप अपने नैसर्गिक रूप में निश्चल होकर अपनी सोच सबके सामने रखते चलिए और जनमानस की नब्ज़ परखते रहिये। हृदय से आपके प्रत्येक किये हुए कार्य के लिए और आपके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं। मेरे लिए NDTV या फिर News Channel बोलिए तो आप ही हैं।
ReplyDelete* खुद को भी अजीब लगता है कि इतना ज्यादा भी Fan नहीं होना चाहिए लेकिन क्या करें?
रविश जी आप बिहार के है सो हो सकता है आप भी कुछ दिनों में राजनीती ज्वाइन कर ले सो आप के लिए निचे कुछ लाइने लिखी है बताइयेगा कौन सी लाइन जद अच्छी लगी
ReplyDeleteरविश भैया , नरेंद्र मोदी जिंदाबाद जिंदाबाद
रविश भैया , नितीश कुमार जिंदाबाद जिंदाबाद
रविश भैया , लालू यादव जिंदाबाद जिंदाबाद
take care
ReplyDeletetake care
ReplyDeleteRavish Ji , with great humility comes great courage .The fact that you are so humble and never take your fame seriously is the reason that your shows are so good.IF you ever get time , do find time to watch `the daily show with Jon Stewart(easily available on internet). You share the same humility and self depreciating quality as the host of this show `Jon Stewart`. and this is the reason your shows will always be good.
ReplyDeletejab log apki burai karna shuru karde ..samghiye aap sahi direction mai hai ..ye hum logo ka style hai ..sach ko sach na bolna ..!!1
ReplyDeleteaapke didar(dekht-sunat-gunat)karne se hum jaison ka bhi nazar paida hua ja raha hai
ReplyDeletea great sallute to you for your 'prime time' not for ever but 'ab-tak' ke liye.......
haan, ek baar pahle aapse baat karoonga..........chahat aur gar paida hua to mulakat bhi karoonga...
aaj ke rajnitik halat ko dekhte hue ek sune-sunaye sher' pesh-e-khidmat hai
"kabhi chilman me ye jhankhe..
kabhi chilman me o jhankhe ..
laga do aag chilman me
na ye jhankhe na o jhankhe"
pranam.
डोंट वरी सर , जो बादल घरजते है वह बरसते नहीं है
ReplyDeleteपर हा एक बात जरूर है। य़ेह ग्रुप और प्रोपोगेन्दा के चक्कर में सही और जेनुइन बात और सब्जेक्ट कही बार छूट जाते है
raveesh ji aap ka anti virus bahut mazboot hai is liye ye viral ki dhamki kuch nahin hai .. lekin afsos hai ki ye virus is desh ke naujawaanon ke dimaag men ghusaa diya hai .. namo PM bane ya kuch bhi lekin dar hai ki PM ban ne ke baad ye virus replicate kar ke mahaamari na ban jaye .. aap logon ke paas hi hai anti virus usko load karte rahiye .. ooparwaala aapki rakhsa karega ..
ReplyDeleteraveesh ji aap ka anti virus bahut mazboot hai is liye ye viral ki dhamki kuch nahin hai .. lekin afsos hai ki ye virus is desh ke naujawaanon ke dimaag men ghusaa diya hai .. namo PM bane ya kuch bhi lekin dar hai ki PM ban ne ke baad ye virus replicate kar ke mahaamari na ban jaye .. aap logon ke paas hi hai anti virus usko load karte rahiye .. ooparwaala aapki rakhsa karega ..
ReplyDeleteDabi huyi awaj ka koi kunba nahi hota hai, wo badi saralta or sahjta se apne liye mouka dhundhta hai, wo kuchh samaye ke liye dub sakta hai par mur nahi sakta. Waise aapka bepaak or ek ajaad khayal ka andaaj bahoton ki awaaj hai.
ReplyDeletekoi baaat nahin ravish sirji....jo garjte hai wo barste nahin
ReplyDeleteSari ramaz to mehsoos karne me hi chhipi hui hai!
ReplyDeletesamvedansheelta ab hamari shakhsiat ki buniad me se manfi ho gai hai.
iska abhav tamam umar durian banaye rakhta hai,aur nek bandon ka bhi sur-taal bikhrane ki koshish karta hai.
Sari ramaz to mehsoos karne me hi chhipi hui hai!
ReplyDeletesamvedansheelta ab hamari shakhsiat ki buniad me se manfi ho gai hai.
iska abhav tamam umar durian banaye rakhta hai,aur nek bandon ka bhi sur-taal bikhrane ki koshish karta hai.
ravishji bachpan me kafi suna tha ki bharat nakal karne mein mahir hai, ish baat ki pramadikta kitne hai pata nahi, per iska asar chalte phirte dikh hi jata hai. aajkal ground reporting ka chaska sabhi ko lag gaya hai,pata nahi prabhavit hai ya mazboor hai. per unmahanubhavo ko ye nahi pata ki zasbaat paida nahi kiye jaate swyam uttapan hote hai.
ReplyDeleteI doubt that you are very famous. If you were, you would be have beaten Banara/Amethi story to death, screamed in studio debates, analyzed and presented opinion poll results thousand times. So, you are not. I have to imagine, a small section of people watch your program, who are driven by same curiosity that you are.
ReplyDeleteWe just want people like you to be safe and live without fear , speak without any hesitation ....Alas . Media ko kuchh logon ne ganda kiya hai, saja sabko milti hai. Agar koi bhi agent na hota, koi bhi favor na kar raha hota to itni aasani se aarop na lagte honest logon par. Actually , there is chaos in India.
ReplyDeleteगदहे हैं ये लोग.कुछ दिन रेंक कर और इधर उधर दुलत्ती चलाकर अपने आप शांत हो जाएँगे.सोटहां तो इनके लिये बहुत है
ReplyDeleteSir log Aap se kyu darr rhe samjh nhi aa rha or ab ulta aapko hi darane lge h.wase darne walo ko yhi kahunga ki dariye mt India Ravish ki Report dekh kr kise voting krna h decide nhi krta h.sub pahle se decided h chahe jise vote dena ho Haan report aapke favour me h to aap ko accha lgta h warna nhi lgta h.Aadha India Ravish ko janta bhi nhi hoga so nischint rahiye or ek Reporter ko uska Kaam krne digiye.
ReplyDeletejab raste se haaathi guzarta hai toh kutte toh bhonkte hi hai ji
ReplyDeletesir maza aagaya!!
ReplyDeleteIts so sad that a journo of your caliber is dividing villages in names of caste & provoking them to fight with other castes. You tried so hard to provoke Brahmins in Foolpur village that I felt disappointed that why I praised you on some forums. I dare you to ask Muslims same "repeated provoking questions" as you asked to those Brahmins. You have so much prejudice against so called upper castes that it shows in almost all sentences that you utter.. But I am glad that enlightened Brahmins of that small village gave you a big lesson in cultural nationalism & Hindtutva..
ReplyDeleteI really worry for you, reading this article. Please take care.
ReplyDeleteGenuine love and respect for people is what makes you a great reporter. I wonder why do we value our opinions so much? It is worrying when this turns violent... becomes easy fodder for motivated attacks.
ReplyDeleteKeep up the good work ravish ji I am very big fan of your well balanced, fair, intelligent and ground to earth personality. The fairness towards all sections of society and other issues in your reporting is highly commendable. Since we live in sydney I don't have ndtv at home but I have not missed even a single Ravish ki report or your Prime Time on ndtv website.
ReplyDeleteसमर शेष है नही पाप का भागी केवल व्याध,
ReplyDeleteजो तटस्थ हैं लिखेगा समय उनका भी अपराध-रामधारी सिंह दिनकर
Ek Gudiya K Kai Kathputliyon Me Jaan Hai
ReplyDeleteAaj Sayar Ye Tamasa Dekh Hairan Hai Ek Budha Admi Hai Es Mulk Me
Ya youn Kahun K es Andheri Kothri me Ek Rosan Dan Hai!! Hats Of U Sir G
Ek Gudiya K Kai Kathputliyon Me Jaan Hai
ReplyDeleteAaj Sayar Ye Tamasa Dekh Hairan Hai Ek Budha Admi Hai Es Mulk Me
Ya youn Kahun K es Andheri Kothri me Ek Rosan Dan Hai!! Hats Of U Sir G
Ek Gudiya ki Kai Kathputliyon Me Jaan hai
ReplyDeleteAaj Sayar Ye Tamasa Dekh K Hairaan Hai
Ek Budha Aadmi Hai Is Mulk Me Ya Youn Kahun K Es Andheri Kithri Me Ek Rishandaan Hai!!@ Hats Of U Sir G
sometimes i feel that everything is hacked .i am a big fan of democracy but hacked democracy ?
ReplyDeletehope this type of hacking only in streets not in mind of Indians.
Shukriya Sirji,
ReplyDeleteAap ke show k dwara hi pata chalta hai ki Urban India and Rural India and Extreme Rural India kya kehta hai...Achambha tab laga k extreme rural areas me aaj bhi TV aur Newspaper nahi hai. Phir bhi ye Neta kehte hai ki Vikas hua hai. Samay rehte to bacheda bhi gadha ban jata hai...bt rehta to wo gadha hi hai...
Samajh nahi ata k vishwas kis per kiya jaye, jo ye neta kehte hai us per ya jo aap dikhate hai us per.
But than also, please keep it up your work. You are doing a good justice with your profession.
Respected Sir,
ReplyDeleteI hardly watch news anymore because I have grown:
- Tired of attempting to judge what is true and what is untrue
- Saturated of the loudness of debates, discussions, opinions, breaking news!
Your blog and your coverage is truly the cool breeze in the harsh hot dry summer.
I want to take this opportunity to thank you for your coverage - there is a great sense of sensibility, responsibility and maturity in your coverage - something that every human (including myself) shall strive to learn and possess.
Along with the thanks, I humbly request you to not change how you approach reporting news - hearing you doesn't require constant judging that we have to use otherwise (judging if there is something behind the scene).
A lot of ordinary Indians, like myself, look upto you, Sir!
Bihar k pathako k liye ... http://www.apnabihar.org/ jarur padhe
ReplyDeleteरवीश सर, मैं चाहूँगा कि मेरी आवाज भी लोगों तक पहुंचे, सो मैंने सोचा कि आपसे कहूँ आप लोगों को सुना देंगे अपनी आवाज में
ReplyDeleteजल
श्वानों के शौक हैं तैराकी
मस्ती जल के सैलाबों में,
यहाँ थकती है माँ कि छाती,
बढती है वो निरंतर बिना बैठे और सुस्ताती |
लिये गगरी वो निकल पड़ी
खाली पैर बालू के चादर पे,
हे नभ इन्हें क्षमा कर दे
माँ कि ममता को तो आदर दे !
बातें होतीं बड़ी बड़ी
यहाँ बूंदों को लोग तरसते हैं,
यहाँ अश्रु पड़ते हैं पिने,
वहाँ फुहारों में वो हँसते हैं |
तपती गर्मी सूरज कि
और क़दमों के निचे रेगिस्तान,
देखो खोल के ऑंखें सब
कैसे तपता है हिंदुस्तान
एक गागर पानी पाने को,
और वहाँ पे लाखों जलमीनार हैं
एक अदा पे लुट जाने को !
राजस्थान के मरुभूमि में रहने वाली उन लाखों महिलाओं को समर्पित जो शायद ही समझ पायीं होंगी कि इतने साल गुजर गए सता अंग्रेजों के हाथ से हमारे नेताओं के हाथ में आये हुए | आज हमारे यहाँ बहुत से लोग हैं जो दावे तो बहुत बड़े बड़े करते हैं पर उनमे इतना पुरुषार्थ शायद ही है जो इनकी किस्मत को बादल सके | अपील है लोगों से कि आगे आयें और कुछ सोचें, फिर जल्दी से करें, कहीं ऐसा ना हो कि जैसे 70 साल गुजर गए वैसे ही और गुजर जाएँ !
Thursday, 17 April 2014
रविश जी मेरे कहने के बाद और आप के सुनने के पहले बीच में एक खाली स्थान है,जो
ReplyDeleteलोग आपको धमका रहे है उनकी जगह यही खाली स्थान है,क्यों की न तो कोई
इनके बारे मैं कहना चाहता है और न कोई इन्हे सुनना चाहता है।।
आप अपना काम बेबाकी से करते रहिये।।
Ravish ke road show me Brahmino, Yadavo or Jatavo ke Ghao me, apne jo na keh kar bh keh diya , wo mei smaj to gya. Par kash apko wo bat unkahi na chodni padti. wo kuch bate unkahi reh jaye to hi smaj ke liye thik.
ReplyDeleteतू दबा कहां, तू छिपा कहां।
ReplyDeleteतू हारा कहाँ, तू बिका कहाँ।
तू सच है हवा की तरह, कभी यहाँ तो कभी वहां।
Jigar joshi
बिकने कि तो होड़ लगी है
ReplyDeleteदेखो क्या खूब दौड़ लगी है
बिकते है सब काम काज
बिकते है ये भाषणबाज
बिकते है ये सारे चैनल
बिक चुके अब सारे पैनल
दर्द के साथ दवा बिकती है
पानी के साथ हवा बिकती है
अब तो सभी के अरमान बिकते है
और तो और अब ईमान बिकते है
एक बार तबियत से दाम तो लगाओ यारो
दिल बिकता है … जज़्बात बिकते है.…… (नितिन राजवंशी)
बिकने कि तो होड़ लगी है
ReplyDeleteदेखो क्या खूब दौड़ लगी है
बिकते है सब काम काज
बिकते है ये भाषणबाज
बिकते है ये सारे चैनल
बिक चुके अब सारे पैनल
दर्द के साथ दवा बिकती है
पानी के साथ हवा बिकती है
अब तो सभी के अरमान बिकते है
और तो और अब ईमान बिकते है
एक बार तबियत से दाम तो लगाओ यारो
दिल बिकता है … जज़्बात बिकते है.…… (नितिन राजवंशी)
बिकने कि तो होड़ लगी है
ReplyDeleteदेखो क्या खूब दौड़ लगी है
बिकते है सब काम काज
बिकते है ये भाषणबाज
बिकते है ये सारे चैनल
बिक चुके अब सारे पैनल
दर्द के साथ दवा बिकती है
पानी के साथ हवा बिकती है
अब तो सभी के अरमान बिकते है
और तो और अब ईमान बिकते है
एक बार तबियत से दाम तो लगाओ यारो
दिल बिकता है … जज़्बात बिकते है.…… (नितिन राजवंशी)
कुछ चैनल PR agency की तरह काम करने लगे है,आप अलग हो कुछ परेशानी तो होगी.
ReplyDelete"पहले बहस के लिए छेड़ते हैं फिर रिकार्ड करते हैं । यह प्रवृत्ति दिल्ली और सोशल मीडिया से शुरू हुई थी जो गाँवों तक पसर गई है ।"
ReplyDeleteसही कहा ...
जो खुद ही मानसिक रूप से गुलाम हो चुके है, उनसे क्या डरना ...हाँ 'खबर' तो उनकी भी रखनी चाहिए |
.
आपका चुनाव स्पेशल प्राइमटाइम देख रहा हूँ ...जिसमे से मैनपुरी से पहले 'रठेरा' ..फिर आज 'याशीनगर' से
अपने क्षेत्र को शायद पहली बार किसी राष्ट्रीय चैलन के प्राइमटाइम में जगह पाकर देखकर काफी अच्छा लगा |
यादव, शाक्य, कुशवाहा बहुल गाँवों को तो आपने टटोल लिया ...अब अगर किसी राजपूत(ठाकुर) बहुल गाँव का मिजाज़ जानना हो तो मेरे गाँव, खरसुलिया भी आये |
मैनपुरी से 30-35 km दूर, जिला एटा में , पर संसदीय क्षेत्र फर्रुखाबाद, जोकि बौद्ध तीर्थ स्थल संकिसा से मात्र 5 km दूर |
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ReplyDeleteडर गए तो मर गए , मेरे एक और एकमात्र प्रिया पत्रकार (वर्त्तमान में) ने अनेको बार कहा टीवी काम देखिये , लो जी कम कर दिया देखना। पर यही पत्रकार कुछ तथ्यों को इतना सरल और सचाई से प्राइम टाइम पे लाने लगा की सुबह ६ बजे उठ कर देखना पड़ता है। बनारस से ndtv प्रॉफिट को दिए ०७ मिनट का विश्लेषण सारी चुनावी परिचर्चा पे भरी है। आलम ये है की अब तो शेयर बाजार वाले भी रविश की रिपोर्ट का इंतज़ार करते है। कांग्रेस के प्रति घोर विरोध, पर सारा विरोध छु मंतर हो गया जब पता चला जो मनरेगा कांग्रेस के जीत की नीव होनी चाहिए थी , ओ कैसे सामंती सोच और कॉर्पोरेट प्रोपोगेंडा के आगे हार का कारन बन रहा है। धनबाद का छोटा सा क़स्बा टुंडी , एक समय कलाहान्डी जैसी स्तिथि थी पर आज कोई भूखा नहीं मरता , शुक्र है कांग्रेस की फ़ूड फॉर पुअर और मनरेगा , मिड डे मिल जैसी योजना की। एक बात और यहाँ के लोगो को इस बात का भी फ़र्क़ नहीं पड़ता की गैस, पेट्रोल के दाम बढ़े या घटे।
ReplyDeleteदेश के बेहतरीन संसाधन का इस्तेमाल कर रहे है तो कुछ तो कीमत चुकानी होगी। भाई साहब चंद्रपुरा में बिजली पैदा होती है , कोयला और पावर प्लांट के नाम पे हज़ारो घर विश्थापित हुए , पर उन्हें दो घंटे बिजली नहीं मिलती , बिजली मिलती है तो डेल्ही को। इसके बदले कुछ कीमत ज्यादा यदि चुकानी पड़े तो इतनी पीड़ा? काश ओ समझ पाते ये तथाकथित आपकी बिजली कितने घरो को उजार के मिल रही है। इसके बदले सरकार यदि मनरेगा, मिड डे मिल, नागरेगा , फ़ूड सिक्योरिटी दे रही है तो ये भीख नहीं उनके हक़ से काफी काम है।
पर किसी ने सच ही कहा है , धर्म अफ़ीम के समान होता है, इसके सामने तो ये गरीब जनता अपना हित भी भूल जाती है। कहने को तो ये देश बुद्धिजीविओ से भरा पड़ा है , पर सच माने तो स्वार्थीओ ने बुद्धिजीविओ का चोला ओढ़ रखा है। बनारस को तथाकथित बुद्धिजीविओ का गढ़ कहाँ जाता है, चुनाव परिणाम बताएँगे किनते बुद्धिजीवी है और कितने बहरूपिये। वैसे मै बनारस को आदि काल में शिव की नगरी और वर्त्तमान में ठगों की नगरी मानता हु। देखना है मोदी ठगते है या ठगे जाते है?
Iss poore blog mein do shabad "ghanta aur danda" hi baar-baar mere dimaag mein goonj rahe hain. Pehle to jakeen nahin hua, phir woh Tweet yaad aagaya, tab laga tha kisi ne aapka naam lekar shararat ki hai. Kya sabko jabaab dena jaroori hai, agar dena bhi hai to aise shabad jaroori hain.Aap soch rahe honge muje kya takleef ho gayee, iska jabaab yeh hai ki jab aap apna manpasand khaana kha rahe ho aur achanak aapke muh me kankar aa jaye, kuch aise hi bhaab Mann me aaye thay, yeh pankatian padte-padte...
ReplyDeleteतटस्थ रहना सबसे मुश्किल काम है लेकिन कभी कभी दिल की भावनाएं आपको ये एहसास नहीं करने देती की आप तटस्थ हैं की नहीं आप सोचते हैं की अजी हाँ मैं तो किसी का पक्ष नहीं ले रहा लेकिन आपको पता ही नहीं चलता की आप कब एक तराजू के पलड़े को भारी कर गए. सबसे अच्छा यही है की आप आँखें बंद कर लें क्यूंकि नजरें भी धोखा दे जाती हैं. आप बस तोलिये और सबको तोलिये.
ReplyDeleteaapki baat se sehmat hain aur aap ki hi tarah aur logo ko bhi aise betuke logo se darne se bachne ki jarurat hai.aap jaise kuchh hi log to hain jo aam aadmi ki aawaz bante hain aur use mayusi ke andhere mein roshni dikhate hain.aapka bahut bahut dhanyawad sir
ReplyDeletepehli baar kisi news anchor k blog m comment kaar rahan hun... im from uttarakhand... im a student of MBA+LLB...
ReplyDeleteAap kaa koi jabab nahi ravish sir... aap ka programme sabse alag, sabse jayada real, sabse jayada interesting.. sabse jayada honest or sabse jayada interesting lagta hai...
U r god gifted... No news anchor is like u... u r best among them... u r jaadugar... we love ur journalism..
U r a man with backbone....
All the very best.. may god give u a long life...
fas gaye aap bhi in budhijiwiyon ke bich main.hahaha
ReplyDeleteबढ़िया बोलते है आप , लिखते भी बढ़िया हैं, हमला होना तो लाजिमी है।
ReplyDeleteRavish Sir is Back, My Ideal is back, aaj se 6 month pahle main ruth gaya tha inse, Phir se maja aa gaya,,,, aa kahe ghabrate hain Sir Ji,,, kutte bhaukte hain, bhaukne dijiye
ReplyDeletehota kuch hai dekate kuch hai---add kahi ye news parda alag hota he nahi-samaj mein nahi ata bharosa kis par kare
ReplyDeleteतब जोर से बोलते थे कुकुरो नहीं सुनता था अब फुसफुसाते हैं तो वायरल हो जाता है। इ तमाशबीन का नगरी है बाबू यहाँ उसी को घसीटा जाता है जिसपे प्रसिद्धि का लेप लगा हो
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