चीन से लौटते वक्त हवाई जहाज़ में आपको पत्रकारों से बात करते देख अच्छा लगा । आपकी प्रेस कांफ्रेंस जितनी ज़मीन पर नहीं हुई उससे कहीं ज़्यादा हवा में हुई है । क्या पता आप आसमान में ज़्यादा कंफर्टेबल फ़ील करते हों । नौ साल प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए कोई इतना निर्विकार कैसे हो सकता है कि वो अपनी भूमिका की कापी इतिहासकारों के पास जाँच के लिए छोड़ मगन हो जाए । आप सही कह रहे हैं । आपकी कापी चेक करना इतिहासकारों के ही बस की बात है । आम जनता नहीं कर सकती । इसलिए एक चिट्टी तो बनती है सर ।
यह जानकर खुशी हुई कि आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है । जितना था वो सब तो पता चल ही गया है । इससे ज़्यादा हो भी क्या सकता है । जो भी था वो लोग जान गए हैं । अब क्या लोग फ़ाइलें पढ़ेंगे । पुष्पक विमान में उस पत्रकार ने क्या चंपी कोच्चन मारा था कि " सीबीआई कह रही है वो आपसे सवाल कर सकती है । क्या आपको नहीं लगता कि आपने सीबीआई को बहुत ज़्यादा स्वायत्तता दे रखी है और वो अपनी लक्ष्मण रेखा क्रास कर रही है । " व्हाअट अ कोच्चन सर जी । आप इस पत्रकार को एक बार और विदेश यात्रा पर ले जाना । जिसका जवाब आप यह कह कर टाल जाते हैं कि मामला कोर्ट में है और मैं कमेंट करना नहीं चाहूँगा । वो तो कहिये कि एक दूसरे पत्रकार ने पूछ लिया कि विपक्ष कह रहा है सीबीआई को पीएम से पूछताछ करनी चाहिए तब आप जाकर यह कहिते हैं कि सीबीआई क्या कोई भी जिसके पास सवाल है मुझसे पूछ सकता है । मेरे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं । क्या यू टर्न मारा सर । लेकिन ये दूसरे वाले पत्रकार को अब मत ले जाइयेगा ।
और टीवी पर हेडलाइन चली कि आप सीबीआई जाँच के लिए तैयार हैं । पहले सवाल में तो आप सीबीआई के सवाल को डंक ही मार गए दूसरे में तैयार वाली बात भी न कही । फिर भी । खैर मीडिया । आप तो जानते ही है न । कैसे घुमाया गया कि आप बड़े बेचैन हैं सीबीआई के सामने पेश होने को । सर ये सिम्पल गेम नहीं है । पारख और बिड़ला को लेपेटे में लेने का । अब न आपकी हर बात पर कान खड़े होने लगे हैं । आपका बयान जितना बीजेपी को जवाब नहीं होता उससे कहीं ज़्यादा कांग्रेस के एक तबके को दिया गया लगता है ।
सर ये चल क्या रहा है । कांग्रेस और आपके बीच । कुछ तो है बास । आप राहुल के गुरु हैं या सचमुच राहुल आपको अब गुरु समझने लगे हैं । ये होत्ती है न बात । आपने कभी सत्ता से जाने का नाम नहीं लिया । आप भावुकता को आस पास उचकने तक नहीं देते । कभी नहीं कहा कि मेरी जगह किसी और को ले आओ । कांग्रेस के दबाव में अश्विनी कुमार को बड़ी मुश्किल से हटाया वर्ना आप तो बचा ही ले गए थे । छिपाने के लिए कुछ नहीं था तो देखने के लिए क्या था सर जो अश्विनी कुमार फ़ाइलें पलटने लगें । जायसवाल कर रहे हैं कि ज़्यादातर फ़ाइलें मिल गईं हैं जिसके कस्टोडियन आप नहीं हैं । पूर्व सीएजी विनोद राय भी कह चुके हैं कि हिंडाल्को वाली डील सही है । पी सी पारख भी कह रहे हैं कि बिड़ला वाली डील सही है । फिर वो मीडिया में तरह तरह की चिट्ठियाँ लीक कर रहे हैं । यही कि कोयला मंत्रालय में माफ़िया भर गए हैं । जबकि मैंने कई बार पूछा था उनसे सर । यही जवाब मिला कि ऐसी कोई बात नहीं कहीं थी ।
खैर अचानक ये तोता आपका नाम क्यों रट रहा है । कहीं वो पहला पत्रकार यह तो नहीं कहना चाहता था कि सीबीआई को आपने इतनी स्वायत्तता दे रखी है कि कांग्रेस के कुछ लोग सीबीआई चला रहे हैं । सर सच्ची बोलना । आपमें और दस जनपद में कुछ चल रहा है क्या है । आय मीन कुछ ठीक नहीं लग रहा । ख़ाली इतिहासकार ही जानेंगे या पत्रकारों का भी कुछ हक़ बनता है । वैसे यूपीए द्वितीय में दिलचस्प सत्ता संघर्ष चल रहा है । आप कितने कोल्ड थे भोजन गारंटी को लेकर, लोग यही कहते हैं कि आप भी नहीं चाहते थे और देखिये राहुल गांधी ऐसे भुना रहे हैं जैसे ये सब सोनिया जी की वजह से हुआ । आपके सिग्नेचर से नहीं । सर कुछ तो 'टस्सल' है । जो सरकार क्रोनि कैपिटलिज्म से घिरी रही उसे चलाने वाली पार्टी का उपाध्यक्ष बाग़ी बना घूम रहा है । प्रो पूअर हो गए हैं । आपको सीधे सीधे तो नहीं कह सकते इसलिए बीजेपी को कह रहे हैं वो सिर्फ उद्योगपतियों की बात करती हैं ।
आप निर्विकार हो । सुख में दुख में समभाव । कुर्सी पर भी सम भाव । मगर माया के इस खेल को खूब समझते हो । पूरी पार्टी परेशान है और आप प्रशांत । इसे कहते हैं राजनीतिक प्रधानमंत्री । आपने दिल से ही कहा होगा कि तीसरी बार भी जीतेंगे । चौदह के नतीजे चकित करने वाले होंगे । कौन चकित होगा । मोदी या राहुल । मने पूछ रहे हैं । सरकार भले आप चलाते हैं मगर पार्टी को आप नहीं जीताते न । अब आप नेता हो गए हो । ये बीजेपी बहुत बाद में कहेगी सर कि आप कमज़ोर नहीं बल्कि सयाने और मज़बूत प्रधानमंत्री रहे । सर एक और बात सच्ची सच्ची कहना । ऐसे ही एक हवाई जहाज़ में आपने तीसरी बार प्रधानमंत्री की बात कह किसे डराया था ? मोदी को या कांग्रेस में किसी को ।
तभी तो जब आसमान में पत्रकार ने पूछा कि इतने घोटाले हुए । टू जी, कामनवेल्थ । आपकी साख कमज़ोर हो चुकी है । निम्नतम स्तर पर हैं तो आप जवाब क्या देते हैं । कि आप जिन स्कैम की बात कर रहे हैं वो यूपीए वन में हुए थे यूपीए टू में नहीं हुए । यूपीए वन के बाद के जनरल इलेक्शन में कांग्रेस पार्टी चुनाव जीत गई थी । सही में सर । अब ये इतिहासकार ही बता सकता है कि यूपीए वन में प्रधानमंत्री कौन था । टू जी और कामनवेल्थ घोटाला यूपीए वन में हुआ या टू में । कहीं आप घोटाले को स्वीकार तो नहीं कर रहे । ( सर आपके हवाई प्रेस कांफ्रेंस का जो ट्रांसक्रिप्ट हमें मिला है उसी को पढ़कर लिखा है )
चलता हूँ । उम्र और पद के लिहाज़ करते हुए ख़त लिखते हुए मर्यादा का पालन किया है । इतना निर्विकार आदमी सत्ता का अंगीकार किये हुए हैं । कैसे ?
आपका
रवीश कुमार ' एंकर'
एक निर्विकारी ही अपने देश को झेल सकता है।
ReplyDeleteभारत मे गैर राजनीतिक आदमी की राजनीति मे कोई जगह नही हैं रविश जी
ReplyDeleteइतिहास में क्या नाम दर्ज होगा?
ReplyDeleteबहुत हिम्मत दिखाई सर खैर कोई बड़ी बात नहीं हैं, वैसे हमारे देश में तो प्रधानमंत्री को हमेशा ऐसे ही देखनी की परंपरा बन गयी है | अगर इतनी बेज्जती के बाद भी आप प्रधानमंत्री बनने की सोचते हैं तो कमल के व्यक्ति हैं आप.....
ReplyDeleteइतना बेसिक कोच्चन करेंगे तो कोई कैसे जवाब देगा? मने कह रहे हैं । ;)
ReplyDeleteसर सच्ची बोलना :D :D
ReplyDeleteरवीश जी, लगता है प्रधानमत्रीजी आसमान के जीव हैं और धरती पर सुसुप्त को जाते हैं। जैसे ही 1 0 नंबर के प्रभाव से मीलों दूर होते हैं टर्राने (माफ़ करना) लगते हैं। अगर आप कहें तो आपकी ये चिट्ठी डाक से 7 RCR भेज देते हैं।
ReplyDeleteउधर राहुल को बुंदेलखंड में मच्छर काटे हैं जैसे भारत देश में सिर्फ बुंदेलखंड में ही मच्छर पाए जाते हों। उन्होंने बुंदेलखंड के पानी को प्रदूषित कहा। हाँ यही तो अंतर है जो हमेशा से मिनरल वाटर पीता आया है उसको ऐसा लगना ही है। पूरे देश में प्रदूषित पानी की चर्चा है और युवराज को सिर्फ बुंदेलखंड का पानी ही प्रदूषित मिला।
साहब राजनीति जो ना कराये वो ठीक है। अब तो बस चलते रहिये।
Man rag sag sun sun desh lut gaya zo kuch bacha tha woh gora chor le gaya
ReplyDeleteआज भारत मेँ पत्रकारिता का जो हश्र है उसमेँ एक पत्रकार को देश के मुखिया का गिरेबान पकड़ते हुए देखकर काफी सुकुन मिला। आपकी स्वतन्त्र पत्रकारिता देश के भयंकर एंकरोँ को कुछ तो प्रेरणा जरुर देगी।
ReplyDeleteसब घारणायें हैं और बेतरतीब बयानों से बनाए गए तर्कों के समीकरण । सत्य कौन जानता है । सुना है पर देखा कौन है । विपक्ष तो अब यह भी बताएगा कि सीबीआई को क्या पूछना चाहिए । इंतज़ार कीजिये । अदालत का जब फ़ैसला आएगा तभी पता चलेगा कौन किस तरफ़ था ।
ReplyDeleteरविश जी में आपको हार्दिक बधाई देता हूँ , की आपने एक बहुत अच्छी चिट्टी लिखी है !
ReplyDeleteपर आप जैसे एंकर को बड़ा अवार्ड मिलना तो कठिन है , क्यंकि जो सच बोलता है , उसको नेता लोग नक्सल्वाद्दी बोलते हैं ! जैसे अभय कुमार दुबे जी को , एक नेता ने बोला था आपके शो पर !
पर फिर भी सर बड़े अवार्ड तो लोअर क्लास एंकर को मिलते हैं , आपको अवार्ड की ज़रुरत नहीं है आपके अवार्ड आपके फैन्स हैं , जो आपकी पत्रकारिता पर गर्व करते हैं !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (26-10-2013) "ख़ुद अपना आकाश रचो तुम" चर्चामंच : चर्चा अंक -1410” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
Keh ke Le Lii.....
ReplyDeleteसोनिया में अरोगेंस है ।
ReplyDeleteराहुल सच में बच्चे हैं ।
मनमोहन कुछ नहीं हैं ।
सही कहते हैं लोग कि भारत में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पदों की अदला-बदली कर लेनी चाहिए थी ।
sachhi me 'prakhand vikash adhikari hain' sar,......... aapka ka award aapke fanse hi hain.......
ReplyDeletepranam.
congress ne hi Manmohan Singh ji ko Economist se Politician bnaya h.... ab consequences to face krne hi padenge ;)
ReplyDeleteदेश के प्रधानमंत्री ने एक लम्बे अंतराल के बाद चुप्पी तोड़ी है. कुछ नया सा लगता है. उब गए थे उनकी चुप्पी से.आखिर चुप रहने की भी कोई सीमा होती है. हम भारतीय हमेशा कुछ सुनना चाहते हैं. इसके हम आदि हैं.हमें काम से कोई खास मतलब नहीं. प्रधानमंत्री जी बोला कीजिये अच्छा लगता है. आपको सीखना कहिये मोदी जी से. कितनी बड़ी बड़ी बातें बोलते हैं.उनसे लोग खुश हैं.वे प्रेरणास्रोत बन रहें हैं. और आप इतने विद्वान होकर भी... खैर जाने दीजिये. आशा है आप आगे बोलना जरी रखेगे.
ReplyDeletekya hume ye nahi sochna chahiye ki hamare pm jo itne bade aadarsh mane jate h imandari k sach me hain nahi
ReplyDeleteimandar hain to pichhle 9 saalon me hue ghotalo k khilaf kahi koi virodh to kiya hota unhone
ya fir humen aise nahi sochna chahiye ki 81 years k (hamare dadaji v nahi pardadaji jo kb k duniya chhod gaye agar hote to shayad hi apni khatiya se uth pate)
insan se hamari ummide khud k sath baimani si hai
sarkar ne sarkari naukari k liye to age limit (60-62 saal)lagayi hogi sayad ye soch k ki is umar k baad insan utna kabil v nahi rah pata ki apni department ka 1 karmchari bhi rah sake to kya 1 81saal kas insan hamare BHARAT jaise vishal desh ko chlane k layak hai
itna kuchh likhne ko aapke qasbe ki manmohan ji ko likhi chiththi ki antim pankti ne majboor kar diya...
उम्र और पद के लिहाज़ करते हुए ख़त लिखते हुए मर्यादा का पालन किया है
Sir pm pad ki jitni durdasha ki hamare mms ji ne use dekh kr to smjh nahi aata ye desh chal kaise raha hai
ReplyDeleteऐसे ही एक हवाई जहाज़ में आपने तीसरी बार प्रधानमंत्री की बात कह किसे डराया था ? मोदी को या कांग्रेस में किसी को । :) :)
ReplyDeleteरविश जी यह आपके लिए :
ना बीजेपी ना कांग्रेस
मुझे नहीं किसी से द्वेष
देश, जनता को जो ठगे
दिखाऊं उसका छद्म वेश
मैं सिर्फ मेरी आवाज नहीं
लाखों करोड़ों की आवाज हूँ
मत समझना कि प्रश्न मेरे हैं
मैं भी जनता हूँ
मैं उन्हीं का एक अंदाज हूँ
आपकी लेखनी और आपको दोनों को नमन !
मनमोहन सिंह जी ही एकलोते ऐसे इंसान हैं जिन्हें भारत के परधानमंत्री , फाइनेंस मिनिस्टर , सेंट्रल बैंक के गवर्नर आदि पद एक जीवन में हासिल हुए ! ऐसी उपलब्धि शायद ही कोई पा सकता है |
ReplyDeleteयक़ीनन वह एक महान इंसान है | हमें भी बाकी दुनिया की तरह अपने आदरणीय प्रधानमंत्री जी का तह दिल से आदर करना चाहिए |