मुसलसल ग़ज़ल

वह कहते हैं हुकूमत चल रही है
मैं कहता हूँ हिमाक़त चल रही है

उजाले जी हुज़ूरी कर रहे हैं
अंधेरों की सियासत चल रही है

सब अपने आप चलता जा रहा है
कहाँ कोई क़यादत चल रही है

अगर इन्साफ है तो किसकी ख़ातिर
अदालत पर अदालत चल रही है

वह कल दुश्मन के होंगे साथ लेकिन
अभी मेरी हिमायत चल रही है

हमारे पास ग़म की क्या कमी है
ज़रा ख़ुशियों की किल्लत चल रही है

मेरे हाथों के तौते उड़ रहे हैं
कहीं कुछ तो शरारत चल रही है

यह दरिया दूर हम से बह रहा है
यही बरसों से हालत चल रही है

गुलों के साथ कांटे बंट रहे हैं
मोहब्बत मैं भी नफरत चल रही है

मैं खुद अपनी नज़र से गिर गया हूँ
मगर दुनिया में इज़्ज़त चल रही है

कभी तेरे बदन को छू लिया था
अभी तक वह हरारत चल रही है

मैं उसके हुस्न मैं डूबा हुआ हूँ
या यूँ कहिये इबादत चल रही है

कोई भूका कहीं पर मर रहा है
कहीं जी भर के दावत चल रही है

मेरे पीछे हैं शौले बेबसी के
मेरे आगे क़यामत चल रही है

मेरा दिल गीत उनके गा रहा है
अमानत मैं खयानत चल रही है

ख़ुशी का कोई भी लम्हा नहीं है
अभी तो ग़म की साअत चल रही है


सभी जाहिल हैं रब का शुक्र है यह
बड़ी अच्छी इमामत चल रही है

कहाँ चलता है कोई खोटा सिक्का
बुज़ुर्गों की शराफत चल रही है

अरे दुनिया तेरी ओक़ात क्या है
मैरी ख़ुद से अदावत चल रही है

मैं अब बाज़ार में आया हूँ बिकने
बता क्या मेरी क़ीमत चल रही है

सभी तावीज़ गंडे कर रहे हैं
किसी तरह से क़िस्मत चल रही है

तेरा बन्दा बहुत काफ़िर हुआ है
मैरी रब से शिकायत चल रही है

सभी झूठे इकठ्ठा हो रहे हैं
बहुत दिन से सदाक़त चल रही है


में इतना इल्म लेकर क्या करूँगा
ज़माने में जहालत चल रही है

वही ग़ालिब की तरह पी रहा हूँ
अभी आँखों में हरकत चल रही है


जो वह कहता हैं वह हम मानते हैं
तेरी क्या मेरे भारत चल रही है

में उसको चूमता पकड़ा गया था
इसी ख़ातिर हजामत चल रही है
तहसीन मुनव्वर

43 comments:

  1. मौजूदा हालात में तो ये शेर बहुत काम का है....

    वह कल दुश्मन के होंगे साथ लेकिन
    अभी मेरी हिमायत चल रही है

    ReplyDelete
  2. मुझे तो भोपाल गैस काण्ड याद आ गया जहाँ सिर्फ और सिर्फ सियासत चल रही है.

    ReplyDelete
  3. सर शायद भूखा कि जगह भूका लिख दिया गया है. सही कर ले,

    बाकी क्या कहे सर तारीफ करेंगे तो आप कहोगे कि इसमें नया क्या है. अच्छा तो है ही.धन्यबाद

    रविश सर गजल लिख रहे हैं.

    और चारो और उनकी धूम चल रही है

    ReplyDelete
  4. हर पंक्ति एक से बढ़कर एक, बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

    ReplyDelete
  5. ख़ुशी का कोई भी लम्हा नहीं है
    अभी तो ग़म की साअत चल रही है

    बहुत ख़ूब... लाजवाब ग़ज़ल है...

    ReplyDelete
  6. मुन्नव्रर साह्ब , मजा आ गया .

    ReplyDelete
  7. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  8. Anoop ji
    Urdu men "bhook" kaha jata hai aur hindi men bhookh likha jata hai...

    Ab jise jo lagti ho samajh le

    Shukria

    Tehseen Munawer

    ReplyDelete
  9. मन तो करता है, पढू हर ब्लॉग तेरा,
    इसे पढ़ते हुए मेरी जुब़ा फिसल रही है

    उर्दू मेरे लिए कठिन है इतनी,
    दिमाग में पहेली चल रही है..

    मदद को चंद शब्द गर मिल जो जाते ,
    समझते दाल अपनी गल रही है..

    This is a link

    ReplyDelete

  10. मन तो करता है, पढू हर ब्लॉग तेरा,
    इसे पढ़ते हुए मेरी जुब़ा फिसल रही है


    उर्दू मेरे लिए कठिन है इतनी,
    दिमाग में पहेली चल रही है..


    मदद को चंद शब्द गर मिल जो जाते ,
    समझते दाल अपनी गल रही है..


    Click to see my Condition

    ReplyDelete
  11. आज के दौर की असली तस्वीर है..ग़ज़ल का् एक-एक शेर हालात के हिसाब से पिरोया गया है।

    ReplyDelete
  12. 22 misron ki ghazal ke bahut sare shair achche hain . 5/6 misron ke bhaw pakch mujhe kamzore lage . aise misron ko hataya jaye to ghazal achchi hoti. matla bhi ziyada achcha nahi laga.

    ReplyDelete
  13. कोई भूका कहीं पर मर रहा है
    कहीं जी भर के दावत चल रही है
    बहुत सुन्दर गज़ल है रवीश जी. सभी शेर एक से बढ कर एक. बधाई.

    ReplyDelete
  14. मुझे वर्तमान जीवन का सार दिखा इस शेर (?) में:

    "मेरे पीछे हैं शौले बेबसी के
    मेरे आगे क़यामत चल रही है"

    ReplyDelete
  15. mai uske hushn me duba hua hu...
    ya yu kahiye ibadat chal rahi hai...

    kya bat hai..........!!!!!!!!!!

    ReplyDelete
  16. मैं अब बाज़ार में आया हूँ बिकने
    बता क्या मेरी क़ीमत चल रही है

    Bhai Ravish Ji kya tukke-pe-tukka bithaya hai. bahut khub, badhiya aur sundar

    ReplyDelete
  17. Ravish bhai

    aisa lag raha hai bahut se log isse aapki ghazal samajh rahe hain...shayr ka naam ouper de den to behtr hai.....
    tehseen munawer

    ReplyDelete
  18. waah bahut dino baad behtarin gazal padhi,bahut badhai.

    ReplyDelete
  19. उजाले जी हुज़ूरी कर रहे हैं
    अंधेरों की सियासत चल रही है
    bahut khoob !! wahwa

    ReplyDelete
  20. रवीश जी को सादर प्रणाम....भाई जी!बहुत अच्छे ज़बान के साथ-साथ कलम भी खूब चल रही है....

    ReplyDelete
  21. har baar ek naya bhaav ubhar kar aa raha hai. itne kam shabdo me itne ayaamo ko talashne ki kala maine pahli baar padhi. waah. maaza aa agaya.
    www.kuchkahe.blogspot.com

    ReplyDelete
  22. रवीश जी, गजल तो अच्छी है पर उसमें वो कशिश नहीं जो एनडीटीवी पर रवीश की रिपोर्ट के दौरान आपकी आवाज़ में होती है । आपकी यह रचना पढ़कर दुष्यंत की यह पंक्तियां याद आ गई__

    छिप गई सारी दरारें लग गए हैं इश्तहार
    इस सिरे से उस सिरे तक सब शरीके जुर्म हैं
    आदमी या तो जमानत पर रिहा है या फ़रार....


    शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  23. अरे दुनिया तेरी ओक़ात क्या है
    मैरी ख़ुद से अदावत चल रही है

    में इतना इल्म लेकर क्या करूँगा
    ज़माने में जहालत चल रही है

    सभी तावीज़ गंडे कर रहे हैं
    किसी तरह से क़िस्मत चल रही है


    waah waah kya khoob , ek ek sher lajawab hai, badhai munavvar ji.

    ReplyDelete
  24. कैसे कह दू कि आपको पढ़ कुछ याद नहीं आता

    ReplyDelete
  25. Kya baat kahun aapki is gajal ki, likhne ka maan to sabka hota hai per aap jaisi soch or aabhivyakti kahan
    Shuvkamnayen

    ReplyDelete
  26. तहसीन मुनव्वर साब की छोटी बहर में लंबी गज़ल पढ़ी.कुछ शेर सच में बहुत खूबसूरत हैं, तो माफ करें कई शेर इतने मामूली की के खानापूर्ति से लगते है .मतला भी ग़ज़ल की गहराई कुछ काम कर रहा है.

    ReplyDelete
  27. @ ANUP SONI..APKO BHUKA KO BHUKHA LIKHANE KA SALAH DENE SE PAHLE SOCHANA CHAHIYE THA KI SAHI KYA HAI? TO APKI JANKARI KE LIYE BATA DU KI URDU ME 'BHUKA' HI LIKHA JATA HAI. ARTH WAHI RAHTA HAI JISE AAP 'BHUKHA' BATA RAHE HAIN.

    ReplyDelete
  28. bahut dino se talash thi acchi khabaron ki aap ko padha..to ab talash khatm hui ....ravish ji tussi great ho....aap ka ndtv par ana wala programe bahut accha hai......

    ReplyDelete
  29. अगर इन्साफ है तो किसकी ख़ातिर
    अदालत पर अदालत चल रही है

    ReplyDelete
  30. कहाँ चलता है कोई खोटा सिक्का
    बुज़ुर्गों की शराफत चल रही है

    बहुत खूब !! सभी एक से बड़कर एक हैं

    धन्यवाद

    रीतेश

    ReplyDelete
  31. उजाले जी हुज़ूरी कर रहे हैं
    अंधेरों की सियासत चल रही है
    bahut khoob,....

    ReplyDelete
  32. उजाले जी हुज़ूरी कर रहे हैं
    अंधेरों की सियासत चल रही है
    bahut khoob....

    ReplyDelete
  33. मौजूदा दौर का यही सत्य है |
    क्या बात है ..........

    ReplyDelete
  34. वह कहते हैं हुकूमत चल रही है
    मैं कहता हूँ हिमाक़त चल रही है

    ReplyDelete
  35. Very Very Nice Blog Thanks for sharing with us

    ReplyDelete
  36. mojuda halato ke anusar bilkul sahe udharan deya gaye hai

    ReplyDelete