यह कहानी है अमिताभ के भवदीय, शुभाकांक्षी, आर एस वी पी अमर सिंह की । जवाब नहीं । अमर अमिताभ की दोस्ती पर मनमोहन देसाई से फिल्म नहीं बन सकती । क्योंकि उनकी कहानी में किसी न किसी मोड़ पर दोस्त एक दूसरे से अलग होते हैं । ग़लतफहमियां पैदा होती हैं। वो दुश्मन बनते हैं और फिल्म के आखिरी दस मिनट में वापस दोस्त । लेकिन अमित अमर की दोस्ती में कोई एक दूसरे से जुदा नहीं हो पाता है । चिपके रहते हैं । इसलिए मनमोहन सिंह से अमिताभ पेड़ तो अमर छाया नाम की कहानी पर फिल्म नहीं बनेगी । नए निर्देशक चाहिए । ऐसा निर्देशक जिसका दोस्त उसे कभी छोड़ता ही न हो । हर समय साये की तरह रहता हो । ऐसे दोस्तों की तलाश में दिलजलों अमर अंकल से सीखो । आगे से किसी को दोस्त बनाना तो एक मिनट के लिए भी मत छोड़ना । सॉरी यहां दोस्ती के साथ एक रिश्तेदारी भी है । अमिताभ अमर अंकल के बड़े भाई हैं । कम से कम एक टूट भी जाए तो दूसरा डोर तो रहेगा । फिर छोटा भाई अपने बड़े भाई को गिफ्ट देता है । बड़ा भाई ले लेता है । आखिर क्यों न लें । सगा छोटा भाई है । क्या उसने आज तक कोई गिफ्ट दिया जो टीवी चैनलों में लाइव दिखाया गया हो । अमर अंकल ने दिया है ।
दोस्ती के इस सिंड्रम को किसी मनोचिकित्सक से समझ कर कोई चैनल आधा घंटा कर सकता है । चैनलों की भाषा में आधा घंटा जीवन के सार तत्व को पेश करने वाला समय बोध है । इसमें अमर अमिताभ की दोस्ती का विश्लेषण होना चाहिए । सुपरस्टार के बेटे की शादी और कार्ड पर भवदीय में छपे छोटे भाई अमर सिंह । अमिताभ ने भी क्या सम्मान दिया है । बड़े भाइयों को सीखना चाहिए ।
अमर सिंह कभी थकते भी नहीं । शिंकारा के बोतल की तरह तरोताज़ा ही नज़र आते हैं । दिन में मिर्जापुर, दोपहर में तिरुपति और शाम को मुंबई । चुनाव में झूठे वादे, भगवान से सच्ची प्रार्थना और दोस्त का साथ । कहते हैं अमर सिंह उद्योगपति भी हैं । राम जाने उनके उद्योग को कौन संभाल रहा है । अभिषेक ऐश की शादी के तमाम फोटोग्राफरों, कैमरामैनों तुम एक तस्वीर ऐसी खींच कर दिखा दो जिसमें अमर अमिताभ साथ न हों । दोनों दुल्हा दुल्हन की तरह साथ साथ नज़र आते हैं । भगवान इनकी दोस्ती पर ज़माने की नज़र न लगने देना । मुलायम सिंह को यह न लगने देना कि यूपी में डूबती नैया को छोड़ उनका दोस्त मुंबई में इन दिनों क्यों रहता है ? कहीं वो हर शाम वियोग में डूब जाएं और सोचने लगें कि अमर तो पहले मेरे दोस्त थे । मैं भी तो उम्र में उनके बड़े भाई के समान हूं । लेकिन अमर मेरे साथ तो इतना नहीं रहता । हर फ्रेम में । हर वक्त । ऐसा बिल्कुल मत होने देना भगवान । क्योंकि सुबह होते ही अमर अंकल मुलायम अंकल के पास आ जाते हैं न । प्रचार के लिए । मगर सोचिये तो..इससे तो पार्टी का प्रचार हो रहा है न । अमिताभ के साथ शादी के फोटो से उनका प्रचार हो रहा है या पार्टी का । एक और दोस्त है...जो अक्सर दोनों के फ्रेम में बिन बुलाये मेहमान की तरह नज़र आता है । अनिल भैया का । एक फिल्म बन ही जाए । अमर अनिल और अमिताभ । इतने ए में बेचारे एम वाले मुलायम....नहीं भगवान...इनकी दोस्ती पर किसी की नज़र न लगें । नहीं ।
ये फ़ेवीकोल का मजबूत जोड़ है .........
ReplyDelete....... टूटेगा नहीं।
ReplyDeleteभई अमर सिंह भले ही कितने बड़बोले क्यों ना हो, लेकिन एक बात तो माननी ही पड़ेगी, दोस्ती निभाने मे वे भी कम नही है। जब अमिताभ का बुरा वक्त चल रहा था, तब अमर सिंह ने ही काफी मसले सुलझवाए और सलटाए थे। फिर अमिताभ भी पीछे क्यों हटते। अभिषेक की शादी के कार्ड पर छोटे भैया अमर सिंह का नाम आना, मेरे ख्याल से अमर सिंह के लिए लाइफ़टाइम एचीवमेंट अवार्ड जैसा है। मुलायम फैक्टर को अभी एक किनारे ही रखें, चुनाव बाद पर बात करेंगे।
ReplyDeleteप्रियंकर जी
ReplyDeleteफेवीकोल नहीं एविकोल कहिए । जो अमर अनिल और अमित को ऐसे जोड़ दे कि अलग ही न हों सकें