tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post8532005819618494258..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: पत्रकार अब प्रचार भी कर रहा हैravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger56125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-74450338077440575252010-07-30T00:41:58.390+05:002010-07-30T00:41:58.390+05:001 sodh kar raha hon lalit narayan mithila universi...1 sodh kar raha hon lalit narayan mithila university se.. hindi sahitya mein media vimarsh.aapki madad chahiye .karengye? kunal9327kumar@gmail.com<br /><br />kunal kumarBIHANhttps://www.blogger.com/profile/00921327662596799175noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-38901835058796127742010-07-13T19:52:29.733+05:002010-07-13T19:52:29.733+05:00रवीश जी आपका यह लेख मैं अपनी राष्ट्रीय बेसहारा जन ...रवीश जी आपका यह लेख मैं अपनी राष्ट्रीय बेसहारा जन पत्रिका में लेना चाहता हूं...<br />आपका <br />अखिलेश कुमार <br />अमर भारती मीडिया ग्रुप दिल्ली<br />meil.id akhileshnews@gmail.comAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07150729530727015993noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53366660708685465372010-07-13T19:46:28.048+05:002010-07-13T19:46:28.048+05:00This comment has been removed by the author.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07150729530727015993noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-72030915878770579862010-07-11T22:41:13.216+05:002010-07-11T22:41:13.216+05:00There is an issue with kind of content as well as ...There is an issue with kind of content as well as the viewers.<br /><br />But maine abhi tak bbc/cnn sarekhe program nahi dekhe..the closest we have is NDTV.<br /><br />Mayus na hon aap ..log abhi bhi pasand karte hain aacha kaam..<br /><br />Main Tubaah pe saare program dekhta hoon..including..Ravish ki report..we need to find new ways to get revenue out of internet/3G..only TV will not do in the long run.Abhishek Anandhttps://www.blogger.com/profile/04983083361234908751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-39637398659741456962010-07-11T22:41:11.576+05:002010-07-11T22:41:11.576+05:00There is an issue with kind of content as well as ...There is an issue with kind of content as well as the viewers.<br /><br />But maine abhi tak bbc/cnn sarekhe program nahi dekhe..the closest we have is NDTV.<br /><br />Mayus na hon aap ..log abhi bhi pasand karte hain aacha kaam..<br /><br />Main Tubaah pe saare program dekhta hoon..including..Ravish ki report..we need to find new ways to get revenue out of internet/3G..only TV will not do in the long run.Abhishek Anandhttps://www.blogger.com/profile/04983083361234908751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-85032329692474642522010-07-11T22:41:05.211+05:002010-07-11T22:41:05.211+05:00There is an issue with kind of content as well as ...There is an issue with kind of content as well as the viewers.<br /><br />But maine abhi tak bbc/cnn sarekhe program nahi dekhe..the closest we have is NDTV.<br /><br />Mayus na hon aap ..log abhi bhi pasand karte hain aacha kaam..<br /><br />Main Tubaah pe saare program dekhta hoon..including..Ravish ki report..we need to find new ways to get revenue out of internet/3G..only TV will not do in the long run.Abhishek Anandhttps://www.blogger.com/profile/04983083361234908751noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-60394602003977796742010-07-05T14:25:41.164+05:002010-07-05T14:25:41.164+05:00मै तो आपके प्रचार के बिना ही आपकी रिपोर्ट देखती हू...मै तो आपके प्रचार के बिना ही आपकी रिपोर्ट देखती हूँ |जैविक खेती वाली रिपोर्ट बहुत अच्छी लगी थी |बाकि सतीश पंच्मजी की बात से सहमतशोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64339502316832784402010-07-04T13:32:16.905+05:002010-07-04T13:32:16.905+05:00सवाल ये है कि पत्रकार क्यों आपने को अलग या ऊंचा सम...सवाल ये है कि पत्रकार क्यों आपने को अलग या ऊंचा समझें और मानें....क्यों जब एक फेरीवाला चीख कर कह सकता है कि उसके अमरूद असली इलाहाबाद के हैं...और बाकियों से ज़्यादा मीठे हैं....तो पत्रकार अगर अपने कार्यक्रमों का प्रचार करते हैं...फेसबुक या अन्य माध्यमों से तो बेहत है इसे संकट के तौर पर नहीं बल्कि पटती खाई के तौर पर देखा जाए....कि अब फेरीवोले और पत्रकार में ज़्यादा अंतर नहीं बचा....कारण वाकई ये है कि हम पत्रकारों ने अंतर छोड़ा ही नहीं....और ज़ाहिर है कि जिसका अमरूद ज़्यादा मीठा होगा....और सस्ता भी...उसी का बिकेगा....<br />एक औऱ ईमानदार लेख के लिए धन्यवाद पर संकट इतना बड़ा बी नहीं है....और है तो हमारा खुद का पैदा किया हुआ....अपनी विश्वसनीयता खोने की सज़ा पा रहे हैं हम....मयंकhttps://www.blogger.com/profile/10753520280499089073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79047651863942379922010-07-03T19:37:00.061+05:002010-07-03T19:37:00.061+05:00:) चलिए अब टीवी को महसूस हो रहा है, जो किताबों को ...:) चलिए अब टीवी को महसूस हो रहा है, जो किताबों को लगा होगा टीवी के आने पर! और आजकल पत्रकारों का हाल हम कवियों से कम नहीं, दर्शकों के लिए वैसे ही भटकते-तरसते हैं जैसे हम पाठकों के लिए :)<br /><br />और अब यहाँ आया ही हूँ तो अपना 'विज्ञापन' भी कर ही हूँ. एक नयी ग़ज़ल "मुश्किल तो नहीं, आसान भी नहीं" पेश-ऐ-खिदमत है, इस लिंक पर: http://delhidreams.blogspot.com/2010/07/blog-post.html <br /><br />अच्छी लगे तो जरूर बताइयेगा, और बहुत अच्छी लगे, तो थोडा प्रचार भी कर दीजियेगा. हम दोनों में से किसी का तो भला हो :)delhidreamshttps://www.blogger.com/profile/04613041484425960760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-43943842177008919182010-07-03T15:55:55.007+05:002010-07-03T15:55:55.007+05:00काफी हद तक आप सही है...आजकल ऐसा ही देखने को मिलता ...काफी हद तक आप सही है...आजकल ऐसा ही देखने को मिलता है...लेकिन ये आने वाले समय में और फैल जायेगा...इसी आदत के करण हमारे एक पत्रकार मित्र ब्लोगिंग और शोसल नेट्वोर्किंग भी छोड़ चुके है...अब कहते ही की यार नशे से मुक्ति मिल गयी...<br />लेकिन आपने ऐसा सच लिखा है जिसे बहुत कम लोग मानने को तैयार है...<br />एक अच्छे और सच्चे लेख के लिए बहुत बधाई....<br />-हिमांशु डबरालहिमांशु डबराल Himanshu Dabral (journalist)https://www.blogger.com/profile/15183759433530838614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-47376796268359444522010-07-03T14:20:34.606+05:002010-07-03T14:20:34.606+05:00रवीशजी
आपकी रिपोर्ट वस्तुपरक व तफ्तीशी होती है....रवीशजी <br />आपकी रिपोर्ट वस्तुपरक व तफ्तीशी होती है.<br />आज ही सुबह आप की गोत्र वाली रिपोर्ट का अंक 'वाच' किया है.<br />ईश्वर आपको बनाए रखे.Ashkara Farooquihttps://www.blogger.com/profile/09682326719651608353noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-42226251689286647972010-07-03T11:30:31.166+05:002010-07-03T11:30:31.166+05:00भाई साहब, ये मेरी राय है, टेलीविजन के समाचारों पर ...भाई साहब, ये मेरी राय है, टेलीविजन के समाचारों पर से दर्शकों का विश्वास अब धीरे धीरे कम हो रहा है, प्रिंट मीडिया का हश्र इतना नहीं होगा जितना टीवी का क्यों की दर्शक जो देखना चाहता है वो टीवी नहीं दिखाता, समाचार चेनल भी मनोजंजन परोसने लगे है और उनसे अच्छा मनोरंजन डेली सोप मैं होता है तो कोई वो क्यों ना देखे समाचार क्यों देखे ? <br /><br />दूसरा, समाचार चेनल अपने समाचार भी प्रायोजित करते है एकतरफा होते है वस्तुस्थितियों का अपने ढंग से प्रसारण जैसे पैसे ले कर समाचार दे रहे हो कभी कभी ये लगने लगता है की कहीं ये विज्ञापन एजेंसियां तो नहीं बन गयी ?<br /><br />आपना प्रसारण एक अलग प्रकार का होता है उसमें सच्ची पत्रकारिता झलकती है और सही मुद्दों को तलाशते नजर आटी है रवीश की रिपोर्ट, पर जब समाचार चेनलों से मोह भांग होने लगा है तो रवीश की रिपोर्ट कब आई और कब चली गयी ये रवीश की रिपोर्ट के भक्तो को भी पता नहीं चलेगा, इसलिए आपका अपनी रिपोर्ट को देखने के लिए फसबूक इत्यादि पर चर्चा करना कोई गलत नहीं कहा जा सकता, कमसकम आपकी रिपोर्ट के दीवानों के लिए तो ये एक सौगात से कम नहीं :)हिन्दुस्तानीhttps://www.blogger.com/profile/07814774868670949203noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-16517851077818234602010-07-03T09:58:25.928+05:002010-07-03T09:58:25.928+05:00This comment has been removed by the author.विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-59886612814546588832010-07-03T09:58:23.662+05:002010-07-03T09:58:23.662+05:00रवीश भाई, आज कई दिनो बाद क़स्बा पर आया । बदला रंग ...रवीश भाई, आज कई दिनो बाद क़स्बा पर आया । बदला रंग देखकर अच्छा लगा । इस लिए नहीं कि रंग मे कोई खास बात है , बस बदलाव अलग सा लगता है , मतलब जो कलर सोच कर क्लिक किया , उसके बदले दूसरा आया तो लगा गलत साइट तो नही , दुबारा चेक किया तब लगा रवीश जी बदल गये ।<br /><br />आप का आज का विषय , अब क्या कहूं , इतने दिनो से आप को पढ़ रहा हूं , आप की साफ़गोयी का हमेशा से कायल हूं । बस गमन फ़िल्म के गाने कि यह लाइन याद आती है :<br /><br />सीने मे जलन आखों मे तूफ़ान सा क्यूं है, इस शहर मे हर शख़्स परेशान सा क्यूं है ।विजय प्रकाश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17982982306078463731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-954838717976745612010-07-03T08:23:26.878+05:002010-07-03T08:23:26.878+05:00what is news?
minister movements?
bhoot and all??
...what is news?<br />minister movements?<br />bhoot and all??<br />studio cheap debate hey i hate manish tiwati kapil saibbal chandan mitra ravishankar prasad all say same things in all sunjest and yes manushindhvi<br /><br />news is ravish kumar bihari view of every things<br />ya youtube download of india tv<br /><br />enjoy yar kahao kamao mast raho<br /><br />why behaving like pseudo intellecualprakashmehtahttps://www.blogger.com/profile/13413586572045465314noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-1449680392407048012010-07-02T23:38:01.034+05:002010-07-02T23:38:01.034+05:00nmskaar sir,,,,,,
aap himat na hro hr cheej ka wak...nmskaar sir,,,,,,<br />aap himat na hro hr cheej ka wakt aata hai aaj yellow jounalism or masala news ka hai to kuch dino me logo ki bigdti halt shi hogi or log shi report ko dekhna psnd krenge aap apna kaam jari rkho log bdlengePankaj Kapahihttps://www.blogger.com/profile/10061614363003371799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-16545232599780836252010-07-02T20:45:36.293+05:002010-07-02T20:45:36.293+05:00बदले समय में तो सब का धंधा बदला है रवीश जी,,मीडिया...बदले समय में तो सब का धंधा बदला है रवीश जी,,मीडिया में जब आप जैसे विग्यापन बाजों का आगमन हुआ तो लम्बे झोला और कुर्तो वाले आदर्शवादी पत्रकार सीना पीट कर मर गये,,,दस बीस विगड़ैल किस्म के दर्शकों का साथ लेकर आप उनका हक मार गये,,तब आप जैसे लोगों को तरस नहीं आयी। सोचा हम तो अमर हो गये,,लेकिन आज वही दर्शक जब होशियार हो गया, पढ़ लिख गया तो आप लोगों को रोना आ रहा है,वो भी दर्सकों की उदासीनता की आड़ लेकर। और उसके बाद भी किया क्या,,अन्दर कोई भी मसाला भर दिया और सोचा समोसे के नाम पर सब बिक जायेगा,,और जब नहीं बिका तो आप लोग कहने लगे कि दर्शक उदासीन हैं,,,आप तो गांव के आदमी हैं। गांव में एक कहावत है कि ,,,जेके बंदरिया ओही से नाचै,,,। लेकिन मीडिया ने हर बंदरिया को नचाने का कॉनट्रैक्ट ले लिया। देश की समस्याओं का हल ढ़ूढ़ने वाले प्रणव राय राखी सावंत के लिये दूल्हा ढ़ढ़ने लेगे,,,चेतनाशील विनोद दुआ सिबाका गीतमाला की तरह मनपसंद गीत सुनाने लगे,,इंडिया को फिट रखने के लिये,,,टीवी स्क्रीन को जिमखाना बना दिया,,और दोपहर तक सोने वाली लड़कियों को योगासन कराने का जिम्मा दे दिया,,कहां है खबरों की खबर,,जिसने जो किया उसे खुश करने के लिये वही दिखा दिया,,क्या करना चाहिये ये कौन बतायेगा?,,खाप पंचायतों को पानी पीकर गरियाने वाले पत्रकार ये क्यों नहीं बताते कि खाप पंचायतों ने दहेज रोकने के लिये कितना काम किया है,,पत्रकार निरुपमा पाठक हत्या मामले में उसके मां,बाप, भाई को मुजरिम घोषित करने वाले पत्रकारों को ये बोलने कि हिम्मत क्यों नहीं होती,,कि कुवांरी बेटियां गर्भवती होकर मां के सामने न जायें,,खबर सबसे पहले के चक्कर में ये उसूल कहां लुप्त हो गये,,,वाह रवीश जी जैसा देश वैसा भेष,,।शुक्र है उदारीकरण का नहीं तो विदर्भ के किसानों से ज्यादा पत्रकार भूख के कारण आत्म हत्या करते,,पता नहीं आप सही में भावुक हैं,,या इमोशनली ब्लैकमेल कर रहे हैं।Rajeev Singh Rajuhttps://www.blogger.com/profile/06036275896789035544noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-81071246057887168382010-07-02T18:26:01.059+05:002010-07-02T18:26:01.059+05:00रवीश भाई बहुत सही लिखा है, सच्चाई का अहसास है.. कम...रवीश भाई बहुत सही लिखा है, सच्चाई का अहसास है.. कम से आप इसे लिखने की हिम्मत तो कर पाए.. काफी बड़ी तादात में लोग मान नहीं पा रहे अब तक, कि अपनी हरकतों से टीवी इतना गिर गया है कि (आम) लोगों ने देखना तकरीबन छोड़ दिया.. आप सही लिखते हैं कि लोग या तो एंटरटेनमेंट की तरफ चले गए हैं या खेल कूद देखते हैं.. टीवी न्यूज में तो आत्मा,परमात्मा हंसी ठिठोली वगैरा ही रह गई हैं.. बाकी जो बचा वो दलाल चला रहे हैं.. आशा है आप मेरी बात समझेंगे..Unknownhttps://www.blogger.com/profile/14365405001806529330noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-48188180075615427772010-07-02T18:16:22.238+05:002010-07-02T18:16:22.238+05:00Article ghazab kaa hai, bilkul isiliye aapse anuro...Article ghazab kaa hai, bilkul isiliye aapse anurodh hai ki aap ek baar SIDH ho aayen TRP key bhoot sey toh mukt ho jaayenge (Meri Gurantee hai likhit mein)priceyhttps://www.blogger.com/profile/13798157323568760460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-28914443078117312992010-07-02T17:25:50.152+05:002010-07-02T17:25:50.152+05:00सही कहा आपने, इसमें असहमति का प्रश्न ही नहीं उठता।...सही कहा आपने, इसमें असहमति का प्रश्न ही नहीं उठता।<br />………….<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">दिव्य शक्ति द्वारा उड़ने की कला।</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं? </a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-5876616258248282462010-07-02T17:22:24.853+05:002010-07-02T17:22:24.853+05:00रविश जी यह सही है की न्यूज़ देखने वालों की संख्या घ...रविश जी यह सही है की न्यूज़ देखने वालों की संख्या घाट रही है मगर यह भी सच है की कुछ पत्रकार ऐसे हैं जिनके चाहने वालों की कमी नहीं हैं। मैं झूठ नहीं बोल रहा आप भी वैसे ही पत्रकारों में से हैं जिन्हें लोग देखना और सुनना पसंद करते हैं। मैं खुद पत्रकार हूँ मेरी यह कोशिश होती है की रविश की रिपोर्ट विनोद दुआ लाइव और चकरवेउव ज़रूर देखूँ। किसी कारण से नहीं देख पता तो दुख होता है।an shiblihttps://www.blogger.com/profile/03726830783581551421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62017531035768029962010-07-02T17:22:09.566+05:002010-07-02T17:22:09.566+05:00रविश जी यह सही है की न्यूज़ देखने वालों की संख्या घ...रविश जी यह सही है की न्यूज़ देखने वालों की संख्या घाट रही है मगर यह भी सच है की कुछ पत्रकार ऐसे हैं जिनके चाहने वालों की कमी नहीं हैं। मैं झूठ नहीं बोल रहा आप भी वैसे ही पत्रकारों में से हैं जिन्हें लोग देखना और सुनना पसंद करते हैं। मैं खुद पत्रकार हूँ मेरी यह कोशिश होती है की रविश की रिपोर्ट विनोद दुआ लाइव और चकरवेउव ज़रूर देखूँ। किसी कारण से नहीं देख पता तो दुख होता है।an shiblihttps://www.blogger.com/profile/03726830783581551421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-70158314840762873562010-07-02T16:52:17.664+05:002010-07-02T16:52:17.664+05:00रविश जी नमस्कार
सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता ह...रविश जी नमस्कार <br />सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहता हूं कि आपके ब्लॉग का नया कलेवर आंखों के अनुकूल नहीं है तो कृपया इसे बदल दें।<br />दूसरी बात यह है कि हर पञकार का काम ही उसका प्रचार होता है। आपकी बढाई नहीं कर रहा हूं लेकिन मैं ऐसे काफी लोगों को जानता हूं तो अपकी रिपोर्ट देखना पसंद करते हैं। अगर आप चाहते हैं कि लोग ज्यादा से ज्यादा आपको प्रतिकिया दें तो आपको भी उनको जवाब देना होगा। हरिवंश राय बच्चन के पास काफी पञ आया करते थे और वह नियमति रूप से सभी पञों को जवाब भी देते थे। चाहे उन्हें सिर्फ 'पञ के लिए धन्यवाद' ही लिखकर जवाब देना होता। कई बार जब उनके पास पञों का ढेर लग जाता तो वह सिर्फ 'प के लिए ध' ही लिखकर अपने प्रशंसकों को जवाब देते लेकिन उत्तर जरूर देते। यह तो आप भी मानेंगे कि आप दर्शकों से हैं दर्शक आप से नहीं है और वह ग्राहक है जो हमारे यहां पर देवता होता है। इसके बाद भी आप उसकी उपेक्षा करके कैसे आगे बढ सकते हैं। इसलिए आप ज्यादा से ज्यादा लोगों को जवाब दिया करें इससे आपको भी अच्छा लगेगा। जहां तक मेरी अपनी बात है तो मै आपकी रिपोर्ट काफी समय से देखता आ रहा हूं, जिनमें मेरी पसंदीदा रिपोर्ट कूडे का ताजमहल है। आपने एक बात हो लिखी है कि आपको प्रतिक्रिया देने वालों में ज्यादातर पञकार या भावी पञकार होते हैं तो इसमें परेशानी क्या है। उन्हें आपका काम अच्छा लगा तो उन्होंने अपनी बात आपके समाने रखी। आखिर वह भी तो आपके दर्शक ही हैं। <br />आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में <br />सुशील राघवSushil Raghavhttps://www.blogger.com/profile/08828501638604396739noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-7300897245474451982010-07-02T16:33:45.080+05:002010-07-02T16:33:45.080+05:00ravish ji apka dard un sab jaisa hai jo apne apne ...ravish ji apka dard un sab jaisa hai jo apne apne field me kam kar rahe hai aur apne he kam ko sresth mante hai .hona bhi esa hi chahye.lakin ye mat bhulo ek bhut jyada tadad un logo ki bhi hai jo ap tak feed back nahi pahucha pate. ya yo kahe aap unse puchte hi nahi.jo apke bhakt hai.bhakto ko khojange to aap ki peera kam hi nahi khatam ho jayegi.<br />me bhi esa hi hu.deepakhttps://www.blogger.com/profile/18004650639595677870noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24256328692274810092010-07-02T16:22:32.184+05:002010-07-02T16:22:32.184+05:00RAVISH JI AAPKI REPORT TO DEKHNE KO NAHI MILI VAK...RAVISH JI AAPKI REPORT TO DEKHNE KO NAHI MILI VAKT NAHI HOTA. PRANT MAIN KHABRON KO DEKHNA HI PASAND KARTA HON SIRF DOORDARSHAN KI. SAAF AUR SUTHARI. KOI BHOND PRADARSHAN NAHI. YAA PHIR COLORS PAR SERIALS DEKHNA PASAND KARTA HON. YADI 9.30 PAR GHAR PAHUCH GAYA TO VINOD DUA LIV JAROOR DEKHNAPASAND KARTA HON. KAHNE KA MATLAB PRASTUTI KA HAI. AB AAP CHILLA CHILLA KAR NEW REPEAT KARTE RAHENGE TO CHANNEL BAND HI KARNA PADEGA.AUR GALTI SE INDIA TV KHUL GAYA TO MMOD HI KHARAAB HO GAYA HAI. AAPKI ATMGLAANI SACH HAI. YE SAB KUKERMUTON KITARAH UG AYE PATRKARON KIJAMAT AUR KACHARE KE DIBE KI TARAH NEW CHANNE KA HI KARA DHARA HAI. TO PHIR KYUN AASON BAHATE HO APE KARTOOT PAR. CHILLAO AUR JOR JOR SE TAKI BACHE HUYE SUNNE WALON KE BHI KAN PHOOT JAYEN AUR KOI BHI NA SUN SAKE AAPKI JAMMAT KO.गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.com