tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post8491662549193564263..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: मेरा वाला फोरकास्ट- अंदाज़ी टक्कर बनाम अहंकारिताravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24507852479712193502009-05-27T14:34:20.477+06:002009-05-27T14:34:20.477+06:00jamanawa ahankari--apane Ravish bhi matlab patraka...jamanawa ahankari--apane Ravish bhi matlab patrakarita bhi!hamarijaminhttps://www.blogger.com/profile/16417975292962582931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-83511071587439849602009-05-21T07:37:24.667+06:002009-05-21T07:37:24.667+06:00अपना operation बहुत मुश्किल होता है, लेकिन ये आपकी...अपना operation बहुत मुश्किल होता है, लेकिन ये आपकी आदत है, आपकी वो बात भी अच्छी लगी थी जब आपने कहा था " जैसे हम सब उत्तर भारत के specialist हैंamithttps://www.blogger.com/profile/16326425158446559776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53114178132112694312009-05-08T12:44:00.000+06:002009-05-08T12:44:00.000+06:00अगर इस तरह का अहंकार हो तो ये भी अच्छी बात है। काश...अगर इस तरह का अहंकार हो तो ये भी अच्छी बात है। काश ऐसा अहंकार सबको हो ख़ास कर अपने साथी दोस्तों यानि पत्रकारों को। मेरा अहंकार कह रहा है कि आपने बहुत ही अच्छा लिखा है। लेकिन मैं चाहकर भी ये अच्छा लिखना नहीं छोड़ पा रहा हूं। ये बताने की मैं जरूरत ही नहीं समझ पाता कि आपको क्यों कहूं कि आपने अच्छा लिखा है। <br />सचिनSACHIN KUMARhttps://www.blogger.com/profile/07876633469215289831noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-4615484207025872712009-05-08T08:50:00.000+06:002009-05-08T08:50:00.000+06:00रवीश जी पहले यह तो तय कर लीजिये जो आज मीडिया घरानो...रवीश जी पहले यह तो तय कर लीजिये जो आज मीडिया घरानों में बैठे हैं वे क्या वाकई पत्रकार हैं? जो वाकई पत्रकार है उसे तो ऐसी कोई समस्या है ही नही। वरना आज जो तथाकथित पत्रकार बने बैठे हैं उनकी तो कुछ कहिये ही मत। अब अगर स्ट्रिंगर की फोज खड़ी करेगे तो य तो मिलेगा। सबसे तेज का जमाना जो आ गया है। आप जिस आईडिया की बात कर रहे हैं वो और कुछ नही अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का बासी होता है जो बाई चांस न्यूज़ एडिटर की निगाह में नही आ पाया होता है। हा कुछ अपवाद हैं जिनकी में आज भी तारीफ करता हूँ ।<br /><br />दुआ दीजिये www.adrindia.org, , www.myneta.info, जैसी साइट्स को जिन्होंने बहुतेरो तथाकथित पत्रकारों की इज्जत बचा दी। tamasha अभी बाकी है सर।janane_ka_hakhttps://www.blogger.com/profile/15436029838832025735noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-40310907550276731612009-05-08T00:48:00.000+06:002009-05-08T00:48:00.000+06:00i hope english is allowed if not the anonymous.tho...i hope english is allowed if not the anonymous.though u reveala no.of breaking.shaking,caking baking,making,taking....and a no.of ...ing news but can't stand a anonymous commentator.do you relate this term with that anonymous whose raunchy and sizzling hot(pun intented)small books use to be a craze amongst the students of ten and twelve level.if a person wishes to hide his/her identity why do you insist upon revealing it,making it known to every one who visits your 'qasba'.should it be termed as the unconcious compulsion of your profession.well that's not fare.what is there in name but who knows why do you insist upon ? it's already quarter past twelve 'll talk about your latest post later but once again request you to rethink about the ANONYMOUSES !yayawarhttps://www.blogger.com/profile/13210296648081583006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-68919306154044368962009-05-07T23:46:00.000+06:002009-05-07T23:46:00.000+06:00अब बात चली है तो एक सर्वे इस विषय पर भी होना चाहिए...अब बात चली है तो एक सर्वे इस विषय पर भी होना चाहिए कि कौन ज्यादा अहंकारी होता। टीवी वाला या प्रिंट वाला या फिर अंग्रेज़ी वाला या हिंदी वाला। ऐसे मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि टीवी में दो दोस्त में से किसी एक का प्रमोशन हो जाए तो वह दूसरे से कन्नी काटना शुरू कर देता है। दूसरे को ऐसे देखेगा कि मानो कोई एहसान कर रहा हो। इस पेशे अहंकारिता की एक वजह यह भी है कि टीवी भोकाली का माध्यम है। जितना ज्ञान है पेल दो...सामने वाला झंड हो जाए। ये भी सच है कि कार्पोरेट एमबीए के सामने इनकी बोलती बंद हो जाती है। पैसवा तो वही जुगाड़ता है, वो फिर चाहे टीवी हो या प्रिंट, अंग्रेज़ी या हिंदी...। ख़ैर, संक्रमण काल है, धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा।Rajiv K Mishrahttps://www.blogger.com/profile/09974292687973179356noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-52650545143306572122009-05-07T23:01:00.000+06:002009-05-07T23:01:00.000+06:00baat sahi aur sochne wali haibaat sahi aur sochne wali haiprabhat gopalhttps://www.blogger.com/profile/04696566469140492610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-37102726158383075252009-05-07T19:11:00.000+06:002009-05-07T19:11:00.000+06:00just casually I enjoyed and hope you will enjoy al...just casually I enjoyed and hope you will enjoy also,<br />http://www.vimeo.com/2894516<br /><br />hope for the best..things will change..Subodh Deshpandehttps://www.blogger.com/profile/11441929884905603105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-71664362586712731382009-05-07T18:39:00.000+06:002009-05-07T18:39:00.000+06:00लगता है सालों से व्यंग्य आपने दिल के भीतर दबा के र...लगता है सालों से व्यंग्य आपने दिल के भीतर दबा के रखा था। जाने किस की टक्कर से ढक्कन अचानक खुल गया है और व्यंग्य बहता चला जा रहा है, रोके नहीं रुक रहा है। बढ़िया है। मज़ा आ रहा है। ‘एनोनीमस’ एलाऊ कर दीजिए तो मैं बहुत ही बढ़िए-बढिए टिप्पणी डालंूगा। भले कोई टांग तोड़ दे। पर ‘अन्यमनस्क’ (‘एनोनीमस’) का टांग कैसे तोड़ेगा कोई !? ऊतो दिखता ही नईं ! हैना ?<br />OFFOO !!<br />Ektho ubala sher yahaN bhi jorhiye na..ki---<br />HAMI SE AABAD HAI DILLI.<br />HAMI SE BARBAD HAI DILLI. <br />bheri gud.Sanjay Groverhttps://www.blogger.com/profile/14146082223750059136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53316034157912672902009-05-07T18:28:00.000+06:002009-05-07T18:28:00.000+06:00रवीश जी, हम अहंकार शब्द के मायने उसी अर्थ में लेते...रवीश जी, हम अहंकार शब्द के मायने उसी अर्थ में लेते हैं जिनके बारे में हमने कहीं से पढ़ा या सुना है। मसलन अहंकार नाश का द्वार है आदि-आदि। लेकिन मेरे विचार से अहंकार के मायने अलग है। लेकिन यदि यह दर्प भावना स्वाभाविक है और सही कारण से है तो ये हानिप्रद नहीं। मसलन अगर आप बिल गेट्स हैं और आपको इसका दर्प है तो बुराई क्या है। अहंकार के साथ यदि सहजता बनी जाए तो बुराई क्या है.... आपको अपने आस-पास ही ऐसे कई उदाहरण मिलेंगे जो अहंकारी तो हैं लेकिन उनमें सहजता भी मौजूद है...Aadarsh Rathorehttps://www.blogger.com/profile/15887158306264369734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-44778024123606891762009-05-07T15:15:00.000+06:002009-05-07T15:15:00.000+06:00बड़ी इमानदार बोली बोले हैं आप। कई पत्रकारों की तो ...बड़ी इमानदार बोली बोले हैं आप। कई पत्रकारों की तो चालढ़ाल ही दबंगों जैसी लगने लगी है। कई वरिष्टों से मिला हूं जो पेशे में अपने को छोड़कर सबको (....?) बेकूफ समझते हैं। ये एक अलग तरह का अहंकार है। कई बार इसके पीछे हीन भावना होती है कि भाई लोग..मोटी सेलरी ले रहे हैं या कि स्क्रीन पर चमक रहे हैं। अंदाजीफिकेशन का तो ये आलम है कि एक सुपर पत्रकार ने(दरअसल वो पत्रकारिन थी) लिख दिया कि यूपी में कांग्रेस के पास अभी 25 सीट हैं, आगे अच्छा करेगी। मैं जहां पहले काम करता था तो मेरे आलाकमान ने कपिल सिब्बल से पूछ लिया कि ये जो महंगाई है, उसकी वजह कहीं परमाणु करार तो नहीं। सिब्बल ने अंकलजी को वहीं रगड़ दिया, बाद में हमें पोस्ट प्रोडक्शन में वो हटाना पड़ा। अक्सर कोई पत्रकार किसी को फोन करेगा तो दोस्तों को बताएगा कि फलानमा का फोन आया था। मतलब हम नहीं करते फोन, ससुरा वहीं करता है। बैठें है नार्थ एवेन्यू के चाय दुकान पे, बोलेंगे नार्थ ब्लाक का नाम। अपन अभी इस धंधे में नए हैं, कम अहंकार है। काश हमें भी थोड़ा अहंकार आ जाए, मतलब हम भी उस क्लब में घुस जाएं।sushant jhahttps://www.blogger.com/profile/10780857463309576614noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-22921559369563823792009-05-07T15:12:00.000+06:002009-05-07T15:12:00.000+06:00एक भाई ने अहंकार से भरकर फोन किया- आपने बहुत कोसा ...एक भाई ने अहंकार से भरकर फोन किया- आपने बहुत कोसा था इस प्रोग्रम को अपने ब्लॉग पर। साफ-साफी इस प्रोग्राम को एक करोड़ का नफा हुआ है। अब देखिएगा, प्रोग्राम के नाम के पहले हीरो होंडा लिखा आएगा। उस प्रोग्राम की रिकार्डिंग मेरे अर्काइव में अब भी मौजूद है। देखकर कोई भी आदमी सिर पीट लेता है। पत्रकारों का अहंकार दूर हो इसके लिए कोई शिविर लगाने की जरुरत नहीं और न ही मैं और नामी मीडिया समीक्षकों की तरह मीडिया को मोरल साइंस की तरह देखने का अभ्यस्त हूं लेकिन इतना जरुर समझ पा रहा हूं कि ये अहंकार किस हद तक बाजिब है। बाजार जिस लंपटता को भी उपलब्धि करार देता है,उससे जो अहंकार पैदा होता है, उसे कैसे रिजॉल्व किया जाए।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-27340813301615853312009-05-07T13:16:00.000+06:002009-05-07T13:16:00.000+06:00अंहकार रावण में अधिक था क्यूंकि उसके पास सोना और श...अंहकार रावण में अधिक था क्यूंकि उसके पास सोना और शारीरिक शक्ति दोनों थी, उस काल में सबसे अधिक, जबकि बाली में कभी उससे अधिक हुआ करती थी.. और युवा राम के पास सोना कम था किन्तु शक्ति, श्रद्धा और बुद्धि अधिक. तभी वो गद्दी का त्याग कर सका. यह कुर्सी और उसके साथ जुडा सोना ही दिमाग फेर देता है अच्छे अच्छों का...JChttps://www.blogger.com/profile/05374795168555108039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-44126112017496843862009-05-07T11:35:00.000+06:002009-05-07T11:35:00.000+06:00"गर मैं यह लिख रहा हूं तो कत्तई न समझा जाए कि मुझम..."गर मैं यह लिख रहा हूं तो कत्तई न समझा जाए कि मुझमें अहंकार नहीं है। है और अपने भीतर अहंकार देख पा रहा हूं तभी इसे लिख रहा हूं। "<br /><br />यह बात जम गयी । पूरे का पूरा लेखन कर्म भी मैं इसी स्वानुभूत अहं का परिणाम ही मानने लगता हूँ कभी-कभी ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.com