tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post7607697921670026428..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: रेल-सेल देंगे नीतीश को ठेल ?ravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-90063189389004733462009-04-05T21:08:00.000+06:002009-04-05T21:08:00.000+06:00Nitish babu ke pas mauka hai ki Bihar mein we kis...Nitish babu ke pas mauka hai ki Bihar mein we kisi jati nahi balki sachmuch ke vikas purus banein. jtiwadi rajaniti ko aaj tak koi viklap diya hai--pratiyoan or netaoan ne? job viklap hi nahi rahega to jati-dharma loktantra ki dhuri sabit hoga hi!hamarijaminhttps://www.blogger.com/profile/16417975292962582931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-37524537370187046462009-04-02T10:47:00.000+06:002009-04-02T10:47:00.000+06:00टिकट नहीं मिलने का दर्द सिर्फ चैनल पर ही नहीं "ब्ल...टिकट नहीं मिलने का दर्द सिर्फ चैनल पर ही नहीं "ब्लॉग" पर भी नज़र आया ! लेख बहुत ही बढ़िया है ! लालू राज में बाबा जी लोग भूमिहार के लाश पर बैठ के जादो लोग के दूध का मलाई खाया है -तो हर वक़्त सावन भादो नहीं होता , न !Ranjanhttps://www.blogger.com/profile/03013961954702865267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-81496218719303428852009-04-01T21:22:00.000+06:002009-04-01T21:22:00.000+06:00दरअसल इस रेल सेल ठेल के चक्कर में ही आम बिहारी भी ...दरअसल इस रेल सेल ठेल के चक्कर में ही आम बिहारी भी ठेला गया है...और ठेलाते ठेलाते कहां- कहां नहीं पहुंच गया...या पहुंचा दिया गया...रवीश जी आप कनफ्यूज़ हुए तो कोई अजरज नहीं..उसी मटिया के त आप है ..दरद एतना भीतरिया है...और घउवा के खखोरने वाला लोगवा भी अपने है..दरद नहीं सहा जाता...आउर खखोरने वाला को दुरदुरा भी नहीं पा रहे है..हम सब कुरूक्षेत्र में बुड़बक बन कर खड़े वही अर्जुन हैं जो लड़ने तो जाता है ..पर हर दुश्मन उसे अपना ही नजर आता है..जाति के नाम पर बांटने वाले हमारे घर के, नाते के, हमारे ही गोतिया हैं...कृष्ण बने नेता अब मसखरे लगते हैं...या बहरूपीये..पर उनका असल रूप देखने के लिए जिस दिव्यद़ष्टि की जरूरत है..वो बिहारियों को मिला ही नहीं.. जिनको मिला वो मजबूरियों का पट्टा आंखों पर बांध धृतराष्ट्र बने हुए है...कुछ बाहुबली नंपुसकों माध्यम से मारे जाने वाले द्रोण है..जो चीर हरण के प्रत्यक्षदर्शी भी बनते हैं..और कौरवों का साथ भी देते है...बिहार का महाभारत किसका महाभारत है....समझ में नहीं आता ...कन्फ्यूज़न तो हमरो मुड़िया में है...पर एगो फैक्ट किलियर है.. लड़ईया के बाद जो भी ठेला कर मैदान में गिरेगा उ वहीं बिहारी होगा ..जिसका घर कोसी लील गई..और दिल्ली की सड़कों पर जीवन को ठेल रहे हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/04189074727442843509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-62035198011737631662009-04-01T17:52:00.000+06:002009-04-01T17:52:00.000+06:00कुछ नहीं कह सकते बिहार के बारे में अपनी जानकारी बह...कुछ नहीं कह सकते बिहार के बारे में अपनी जानकारी बहुत उथली है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-52296001588296389562009-04-01T11:51:00.000+06:002009-04-01T11:51:00.000+06:00जो भी होगा, चुनाव बाद सामने आ ही जाएगा।-----------...जो भी होगा, चुनाव बाद सामने आ ही जाएगा।<BR/><BR/>-----------<BR/><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">तस्लीम </A> <BR/><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-57752490609077941622009-04-01T11:36:00.000+06:002009-04-01T11:36:00.000+06:00बिहार की राजनीति में पिछले दो दशकों के बद्लालाब इस...बिहार की राजनीति में पिछले दो दशकों के बद्लालाब इस बात की पुष्टि करते हैं की यहाँ की राजनीति पूरी तौर पर बदल गयी है. ऐसा नहीं लगता है की निकट भविष्य में बिहार के राजनैतिक शीर्ष पर कोई बाबाजी , राजपूत या भूमिहार आसीन हो पायेगा.और वह बिहार को बर्बाद करे या फिर इसका विकास , यह सवाल है. इन जातियों से इतर जातिगत समूहों के सामुदायिक मानस पटल पर साठ , सत्तर और आठवें दशक के लम्पटई और नग्न जातिवादी और भेदभाव का खेल और उसकी स्मृति बरकरार है .हाँ बिहार के लोकतंत्र या लोकतंत्र के बिहारी संसकरण की यह विकृत परिणति सरे बिहारियों के लिए त्रासद है .पर इसी करना से तो यह कहा जाता है की इतिहास और सामुदायिक स्मृति बहुधा निर्णायक भूमिका में होती है.<BR/> रविशजी ,बिहार पर इस लेख के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें.Kaushal Kishore , Kharbhaia , Patna : कौशल किशोर ; खरभैया , तोप , पटनाhttps://www.blogger.com/profile/07416678636893602698noreply@blogger.com