tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post6262780584308974150..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: बारिश तुम आती हो तो....ravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64119834401115305552007-06-01T19:22:00.000+06:002007-06-01T19:22:00.000+06:00बहुत ही सुन्दर सरल रचना । पढ़कर बहुत अच्छा लगा । आज...बहुत ही सुन्दर सरल रचना । पढ़कर बहुत अच्छा लगा । आज ही मैंने भी बारिश पर कविता लिखी थी । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-63574592908542913592007-06-01T12:30:00.000+06:002007-06-01T12:30:00.000+06:00रवीश जी..भावनाओं के कुशल चितेरे हैं आप। एक ही रचना...रवीश जी..<BR/>भावनाओं के कुशल चितेरे हैं आप। एक ही रचना में बारिश का सुख और बारिश के न आने की पीडा को जिस तरह से आपने उकेरा है वह प्रसंशनीय है। मैनें आपकी रचना की दोनो ही झलकों को उद्धरित किया है:<BR/><BR/>"हमारी खिड़की से धीरे धीरे सरकना<BR/>छतों की सीलन से धीरे धीरे टपकना<BR/>टीन के कनस्तरों में उन बूंदों को उठाना<BR/>कभी पांवों को भींगाना फिर बिस्तर पर सूखाना<BR/>अचानक ज़िंदगी में कितना कुछ होने लगता है<BR/>बारिश तुम आती हो<BR/>तो अच्छा लगता है"<BR/><BR/>"आकर भी बिना भींगाए चली जाती हो तुम<BR/>सूखे खेतों और बेकरार किसानों को छोड़ कर<BR/>राह देखती मेरी छत की सीलन<BR/>और छेद वाले टीन के कनस्तर<BR/>तुम्हारी फुहारें मन को भारी कर देती हैं<BR/>मन की गहराई और गहरी हो जाती है"<BR/><BR/>बहुत बधाई आपको।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-86114041807803428322007-06-01T10:59:00.000+06:002007-06-01T10:59:00.000+06:00सरल , सुन्दर - साधुवाद ।सरल , सुन्दर - साधुवाद ।अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-64217091019189665222007-06-01T09:03:00.000+06:002007-06-01T09:03:00.000+06:00रवीश जी, आप तो कविता भी बखूबी कर लेते हैं जनाब।बढ़...रवीश जी, आप तो कविता भी बखूबी कर लेते हैं जनाब।<BR/>बढ़िया रचना।<BR/>आभारSanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.com