tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post3619040884806357009..comments2024-03-22T11:14:13.300+05:00Comments on कस्बा qasba: प्रतिभा पाटिल की मुलाकात आत्मा के साथravish kumarhttp://www.blogger.com/profile/04814587957935118030noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-23373858626124972342007-06-30T00:16:00.000+06:002007-06-30T00:16:00.000+06:00RavishjiYou are my most favorite journalist of tv ...Ravishji<BR/><BR/>You are my most favorite journalist of tv journalism in India. I find my kind of journalism in you. <BR/><BR/>JK Pathak<BR/>Ahmedabad,GujaratAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08240609867228450337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-74984047598502112872007-06-29T21:43:00.000+06:002007-06-29T21:43:00.000+06:00रवीश जी , पहली बार आपके ब्लाग पर अपनी टिप्पणी भेज ...रवीश जी , <BR/>पहली बार आपके ब्लाग पर अपनी टिप्पणी भेज रहा हूं. इस बार का राष्ट्रपति का चुनाव भारत के इतिहास में पहली बार एक बहुत ही भद्दे मज़ाक का विषय बन गया हॆ.दर असल आज की पूरी राजनीति का मॊसम ही घिनॊना हॆ. आत्मा का ज़िक्र ही एक सफ़ेद झूठ हॆ क्यॊं कि आत्मा सदॆव सच ही बोलती हॆ. ऒर आज की राजनीति में आत्मायें होतीं तो देश का नज़ारा कुछ ऒर ही होता परन्तु सत्य तो यह हॆ कि राजनीति में प्रेतात्मायें ऒर ब्रह्म राक्षसों का ही प्रकोप हॆ जिनका इलाज़ करने के लिये अब जांत-पांत,धर्म,भाषा,अगडा-पिछडा का भेदभाव छोड कर आम जनता को ही ऒझा-सोखा बन कर इन बुरी आत्माऒं से देश को मुक्ति दिलानी होगी क्यों कि अब ये प्रेतात्मायें राष्ट्रपति भवन को घेरने तथा वहां तक पहुंचने का मन बना चुकी हॆं. संसद तो बहुत पहले ही भावना शून्य हो ही चुकी हॆ. भूतों का नग्न नाच तो हमें अब टी वी पर सजीव प्रसारण से देखने को मिल ही जाता हॆ.हमने सुना था कि फ़िल्मों में घोस्ट लेखक ऒर निर्देशक होते हॆं, अब हम राजनीति में घोस्ट पी एम का अनुभव तो कर ही रहे हॆं ऒर लेकिन प्रेसीडेण्ट का भी अनुभव शीघ्र ही करने वाले हॆं.Madhukar Pandayhttps://www.blogger.com/profile/18225260442271770512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79050290598564775192007-06-29T20:01:00.000+06:002007-06-29T20:01:00.000+06:00ravish ji, vaise bhoot-pret hum spero ke d...ravish ji, <BR/> vaise bhoot-pret hum spero ke deshvalo ke liye ye naye to nahi hai lekin aaj vidmbna to ye hai ki news channelo ko door-draz ke gavon me keval bhoot hi dikhate hai, vahan pasri garibi nahi..pawan lalchandhttps://www.blogger.com/profile/09522609393612808333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-7190806617013177862007-06-29T19:55:00.000+06:002007-06-29T19:55:00.000+06:002222pawan lalchandhttps://www.blogger.com/profile/09522609393612808333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-29278938604759754362007-06-28T14:25:00.000+06:002007-06-28T14:25:00.000+06:00चंद रोज़ पहले ही एक चैनल पर टीज़र आ रहा था... पीएम...चंद रोज़ पहले ही एक चैनल पर टीज़र आ रहा था... पीएमओ में भूत...शाम ६ बजे। <BR/><BR/>शायद जल्द ही दिखे <BR/>'देखिए आत्माओं का नया डेरा<BR/>लाईव...सीधे रायसीना हिल्स से'!उमाशंकर सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17580430696821338879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24653864192526564972007-06-28T13:59:00.000+06:002007-06-28T13:59:00.000+06:00ravish ji, sabse pahle to aapke pryas ki m karbadh...ravish ji, sabse pahle to aapke pryas ki m karbadh hoker prashansa krta hu. dusra ab tak apse special report ke zariye hi sikhane ko milta tha lekin ab apse samvad ka nya zariya mil gaya hai.pawan lalchandhttps://www.blogger.com/profile/09522609393612808333noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-53235854503113523702007-06-27T23:39:00.000+06:002007-06-27T23:39:00.000+06:00रवीश भाई;माँ साहेब प्रतिभा जी से कहिये न दादा लेखर...रवीश भाई;<BR/>माँ साहेब प्रतिभा जी से कहिये न दादा लेखराज(कृपलानी नहीं)से हमारी भारतीय क्रिकॆट टीम का भविष्य भी पूछ लें...आखि़र कब राहुल द्रविड़ तेज़ी से रन बनाना सीखेंगे (और टेस्ट-वन डे में फ़र्क करना भी ) मेरी बेटी समर्थ होते हुए भी पीएमटी में पास नहीं हो पाई.क्यों...मै एडवरटाईज़िग एजेंसी चलाता हूं ..बिना कमीशन बाँटे क्लाइंट नाम की मछली फ़ँसती ही नहीं..कैसे पटाऊं ग्राहक.जिन अख़बारों में रचनाएं धड़ल्ले से छपती वहाँ पूछ-परख ही नहीं रही..लाँबिग चल रही है अपने वालों की ..उस कुचक्र को कैसे तोडूं...बीवी ख़र्च में कमी ही नहीं करती ...उसे कैसे समझाऊं...तो कुल मिलाकर कुछ राष्ट्रीय समस्याएं हैं जिनके समाधान इस देश के मुझ जैसे सामान्य नागरिक को मिल जाएं तो महामहिम या महामहिमा पद का अंध-भक्त कहलाऊं....प्रतिभा चालीसा रचूं .माँ साहब अवगुन कितने गिनाऊं...चित्त न धरो..खम्मा-घणी.sanjay patelhttps://www.blogger.com/profile/08020352083312851052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-54551542769846311292007-06-27T22:49:00.000+06:002007-06-27T22:49:00.000+06:00रवीश भाई, अब समझ में आया कि चैनल वाले क्यों कई दिन...रवीश भाई, अब समझ में आया कि चैनल वाले क्यों कई दिनों से आत्माओं को बुला रहे थे। उन्हें पहले से यह आभास हो गया था कि जल्द ही भारत पर आत्माओं का राज होने जा रहा है, इसलिये सरकार को खुश करने के लिये देश की जनता को अपने चैनलों के जरिये ख़ूब डराया जा रह था। चलो अब आत्माओं का राज देख लेते हैं, हमें क्या फरक पड़ता है, भूखों नंगों का आत्मा भी क्या बिगाड़ लेगी।chugulkhorhttps://www.blogger.com/profile/14627734554196954193noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-23698921077821996302007-06-27T21:44:00.000+06:002007-06-27T21:44:00.000+06:00रवीशजी, दुनिया ऐसी ही रंग-बिरंगी है. प्रतिभा के बा...रवीशजी, दुनिया ऐसी ही रंग-बिरंगी है. प्रतिभा के बारे में तो लिखा, लेकिन इससे पहले आपने अहमदाबाद के बारे में जो लिखा था, उसी दिशा में ... और भी चेहरे हैं अहमदाबाद के. आप के लिये है एक आलेख.विनीत उत्पलhttps://www.blogger.com/profile/10187277796958778493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-45626100641604076772007-06-27T15:44:00.000+06:002007-06-27T15:44:00.000+06:00good it worked so kosish hi kamyab hoti hai and fi...good it worked so kosish hi kamyab hoti hai and finaily i did it hi sir apka blog pad ke laga ki humko prathibha ji ko janne me abhi thoda time lagega tab tak me koi vichar nahi banaugi unke baare me i hope aap ka ye jaach padtal ka kaam hum sab ke kaam aayega hum kaya shobha de ji bhi janna chahati hai ki prathibhaji kon hai aur aachanak kaha se aa gayi rajniti me.Dr. sarita sonihttps://www.blogger.com/profile/13263992402640015787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-26452341704703089172007-06-27T15:40:00.000+06:002007-06-27T15:40:00.000+06:00hi i m just trying to send my views on this bloghi <BR/>i m just trying to send my views on this blogDr. sarita sonihttps://www.blogger.com/profile/13263992402640015787noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24362731643733230192007-06-27T15:11:00.000+06:002007-06-27T15:11:00.000+06:00क्या हॊगा मेरे देश का। इसे तॊ अन्धविश्वास भी नहीं ...क्या हॊगा मेरे देश का। इसे तॊ अन्धविश्वास भी नहीं कहा जा सकता।Adminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-11739153843588750552007-06-27T13:22:00.000+06:002007-06-27T13:22:00.000+06:00रविश भाई मुझे एतराज नहीं है. फिर भी मैं कमेन्ट लिख...रविश भाई मुझे एतराज नहीं है. फिर भी मैं कमेन्ट लिख रह हूँ. आपको यह बताने के लिए कि इन दिनों पूरा देश ही आत्मा चला रही है. केवल इन्ही दिनों क्यों, शुरू से ही इस देश को आत्माएं ही चला रहीं हैं. प्रागैतिहासिक काल से शुरू करूंगा तो बहुत लंबी बात हो जाएगी. वह एक पूरा पोस्ट ही हो जाएगा कभी मौका मिलेगा तो अपने ब्लोग पर लिख दूंगा. अभी केवल आजादी के बाद वाली बात बता रहा हूँ. गौर करिये आजादी की लडाई के दौरान दो धरें चल रहीं थीं. एक वो जो गोली-बंदूक चला और खा रही थी और एक वो जो काली माई का पताका लेकर घूमता था. गोली-बंदूक वालों पर अंगरेज गोली-बंदूक का इस्तेमाल करते थे और पताके वाली जनता पर तो डंडे बरसा दिए जाते थे, लेकिन नेताओं को कल्ले से बाहर निकाल ले जाते थे. जेल की एक कोठरी में बैठा देते थे और वहाँ उनकी बकरी भी भेज देते थे. बकरी के लिए काजू-किसमिस भी भेज देते थे. इस धर्म्युध्ह में जब कुचह गड़बड़ हो जाती थी, ऎसी गड़बड़ जिसे सही साबित करने के लिए उनके पास कोई तर्क नहीं रह जाता था तो वो यही कहते थे कि यह फैसला मैं अपनी आत्मा कि आवाज पर कर रहा हूँ. जितनी बार वह सत्य की कचूमर निकलते थे, कहते थे सत्य के साथ प्रयोग कर रहा हूँ. भरोसा न हो तो यशपाल की एक किताब है 'सिंहावलोकन' उसे पढ़ लें. शायद पढ ही हो आपने और 'झूठा सच' तो पढा ही होगा. उनके बाद जब चीन पूरा तिब्बत दाब गया था तब भी हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री ने यह फैसला आत्मा की आवाज पर ही किया था. इमरजेंसी भी आत्मा की ही आवाज पर लगी थी और अभी तो प्रधानमंत्री को एक आत्मा चला ही रही है . जहाँ तक सवाल टीवी चैनलों का है तो उनको तो चला ही आत्माएं रही हैं, खास तौर से न्यूजसेंस (असली में नुइसेंस) के मामले में. अब बताइए का अब्बो आपको कौनो सुबह रह गया है आत्माओं के प्रभाव के मामले में? हो तो संकोचाइएगा नहीं. साफ-साफ बता दीजिएगा, पुरहर लिख दूंगा.इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-44847282182021569602007-06-27T11:07:00.000+06:002007-06-27T11:07:00.000+06:00मज़ाक अलग, लेकिन मेरी चिन्ता और तनाव ये सोच सोच कर...मज़ाक अलग, लेकिन मेरी चिन्ता और तनाव ये सोच सोच कर बढ़ता जा रहा है कि हमारे देश का राष्ट्रपति एसा होगा। शर्म से दिल डूबा जा रहा है।Raaghttps://www.blogger.com/profile/17899437600804420902noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-76660138919212189902007-06-27T10:57:00.000+06:002007-06-27T10:57:00.000+06:00अब बढिया रहेगाआप्को तो हर जगह छिद्र ढूढने की आदत ह...अब बढिया रहेगाआप्को तो हर जगह छिद्र ढूढने की आदत हो गई है,आप ये क्यो नही देखते इससे देश का कितना भला होने वाला है,मै भी अपनी गुजरी हुई आठ दस पीढियो के विचारो से अवगत होने के सपने संजोने मे लगा हू,काग्रेस के कर्णधारो को भी नेहरू से लेकर राजीव जी का,मार्गदर्शन मिलता रहेगा,राष्ट्र्पति या अपके अनुसार पत्नी,अपने खाली वक्त मे देश के लोगो को उनके मृत परिजनो से वार्तालाप करने मे सहायता करती रहेगीArun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-79000825272133495422007-06-27T00:42:00.000+06:002007-06-27T00:42:00.000+06:00दुःख की बात है। आत्मा भी वाचाल होती है। कमबख़्त शरी...दुःख की बात है। आत्मा भी वाचाल होती है। कमबख़्त शरीर छोड़ने के बाद भी बात करना नहीं छोड़ती। छोड़े भी कैसे? ज़िन्दगी भर घपले-घोटाले करके मरने के बाद शांति और मौन सधे भी तो कैसे? ख़ैर, ऐसी आत्मज्ञानी (लेकिन दूसरों की) राष्ट्रपति को पाकर पूरा राष्ट्र धन्य हो गया। आपकी दिक़्क़त वाजिब नहीं जान पड़ती है।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6145298560011119245.post-24734293293493382512007-06-27T00:17:00.000+06:002007-06-27T00:17:00.000+06:00अंधेर नगरी, चौपट राजा। भारत का यही हाल है। वैसे ठी...अंधेर नगरी, चौपट राजा। भारत का यही हाल है। वैसे ठीक भी है, जैसे लोग, वैसा नेता।Raaghttps://www.blogger.com/profile/17899437600804420902noreply@blogger.com